रोहिणी नक्षत्र कब आता है 2023

  1. 2023 अश्विनी नक्षत्र के दिन
  2. रोहणी नक्षत्र: व्यक्तित्व, शुभ अशुभ और उपाय
  3. Astrology : भारत में इस बार वर्षा के क्या हाल रहेंगे, अच्‍छी होगी या सामान्य?
  4. Hindu Or Jain, This Fast Is Special For Both The Religions. Rohini Vrat 2023
  5. रोहिणी व्रत सूची 2023
  6. Nautapa 2023: शुरू होने जा रहा है नौतपा, रोहिणी नक्षत्र में सूर्यदेव करेंगे प्रवेश, बरतें सावधानी
  7. रोहिणी नक्षत्र 2023 भविष्यफल
  8. Nautapa 2023: 25 मई को सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश से नौतपा होंगे प्रारंभ
  9. Nautapa 2023: नौतपा में 9 दिनों तक प्रचंड गर्मी का करना पड़ेगा सामना, जानें क्या होता है इन दिनों रोहिणी का गलना


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2023 अश्विनी नक्षत्र के दिन

अश्विनी नक्षत्र अश्विनी को अधिकांश शुभ कार्यों के लिये श्रेष्ठ माना जाता है। इसीलिये यह शुभ मुहूर्त में स्वीकृत है। यह पृष्ठ वर्ष 2023 में अश्विनी नक्षत्र के सभी दिनों को प्रारम्भ और अन्त समय के साथ सूचीबद्ध करता है। अश्विनी नक्षत्र के निम्नलिखित गुण हैं - • स्वामी : अश्विनी कुमार • स्वभाव : क्षिप्र और लघु • आकृति : अश्व मुख • मुख स्थिति : तिर्यंग मुख • दृष्टि : मन्दाक्ष • तारा संख्या : 3 टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में London, ब्रिटेन के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं। आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।

रोहणी नक्षत्र: व्यक्तित्व, शुभ अशुभ और उपाय

Rohini Nakshatra: रोहणी नक्षत्र 27 नक्षत्रो मे से चौथा नक्षत्र है। यह नक्षत्र रोहणी का अर्थ: रोहिणी का मूल शब्द “रोहण” (उदय/ विद्यमान) है। रोहिणी का अन्य नाम नाम “सुरवी” अर्थात स्वर्गीय गाय (कामधेनु) भी है। किसी भी वर्ष की 26 मई से 8 जून तक (14 दिनों में) इस नक्षत्र से सूर्य गुजरता है। इस प्रकार रोहिणी के प्रत्येक चरण में सूर्य लगभग साढ़े तीन दिन रहता है। रोहणी नक्षत्र (पौराणिक मान्यता) रोहणी नक्षत्र के देवता पौराणिकता अनुसार रोहिणी दक्ष प्रजापति और प्रसूति की पुत्री थी, दक्ष की 27 कन्याओ के साथ इसका विवाह चन्द्रमा से हुआ था। रोहणी चंद्र की सत्ताईस पत्नियों में सबसे सुंदर और प्रिय पत्नी थी। ज्यों-ज्यों चंद्र रोहिणी के पास जाता है, त्यों-त्यों उसका रूप अधिक खिल उठता है। विशेषताएँ इस नक्षत्र मे जन्म लेने वाले जातक का चेहरा गोल, कोमल अंग, मादक नयन, आकर्षक और वासनायुक्त होते है। जातक कला प्रेमी, धार्मिक, स्थिर चित्त, प्रेम प्रसंग मे रुचिवान, मृदुभाषी, भोजन और वस्त्राभूषण प्रेमी होता है। रोहिणी नक्षत्र मे उत्पन्न जातक के नेत्र विशेष आकर्षक, प्रभावी होते देखे जाते है। यह नक्षत्र स्त्रियों के सुंदरता के लिए लिहाज से उत्तम है, संसार की अनेक सुन्दरियो का जन्म इस नक्षत्र मे हुआ है। जिस स्त्री का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ हो वह स्त्री, माता पिता पति की आज्ञाकारि औ ऐश्वर्यवान होती है। • “श्रीकृष्ण” • ओशो “रजनीश’ • महारानी “विक्टोरिया प्रथम “ आजीविका और व्यवसाय जातक एजेंट्स, जज, फैंसी आइटमों के व्यापारी, जमीन, खेती, राजकीय प्रवृत्तियों द्वारा, साहित्य आदि से धन-वैभव और सत्ता प्राप्त करते हैं। रोहणी नक्षत्र के दिन क्या करें क्या न करें? अनुकूल कार्य: कृषि, व्यापार, वित्त, विवाह, औषधि,...

Astrology : भारत में इस बार वर्षा के क्या हाल रहेंगे, अच्‍छी होगी या सामान्य?

Monsoon 2023 : इस बार चिलचिलाती गर्मी के बीच कई राज्यों में बरसात हुई थी। माना जा रहा है कि इस बार रोहिणी नक्षत्र के नौतपा में कई जगहों पर बारिश हुई थी। नौतपा में जहां पर बारिश हो जाती हैं वहां पर अच्छी बारिश के आसार कम रहते हैं परंतु जहां पर बारिश नहीं होती हैं वहां पर खूब झमाझम बारिश होने की संभावना जताई जाती है। इस बार वर्ष 2023 में मानसून की क्या संभावना है? वर्षा अच्छी होगी, सामान्य होगी या सूखा पड़ेगा? सूर्य का मिथुन राशि में गोचर से मौसम पर प्रभाव: • ज्योतिष मान्यता के अनुसार आषाढ़ माह के मध्य में संपूर्ण देश में बादल छा जाते हैं। • इसके बाद श्रावण माह में भरपूर बारिश होने की संभावना जताई जाती है। • इसी के साथ सूर्य जब कृतिका नक्षत्र से रोहिणी नक्षत्र में आते हैं तो बारिश की संभावना बनती है। • रोहिणी से अब मृगशिरा में प्रवेश करेंगे। मिथुन संक्रांति के बाद से ही वर्षा ऋतु की विधिवत रूप से शुरुआत हो जाएगी। • इस बार की संक्रांति के चलते अच्छी बारिश के संकेत मिलते हैं। ग्रह नक्षत्रों से बारिश की संभावना: • आषाढ़ कृष्ण पक्ष में चंद्रमा का रोहिणी नक्षत्र में योग • आषाढ़ पूर्णिमा को चंद्रमा का उत्तराषाढ़ा में योग • माघ कृष्ण सप्तमी को स्वाति नक्षत्र में चंद्रमा के रहने के समय बादलों, हवा आदि का आकाश में योग बनेगा। • उत्तर भारत के राज्यों में बेमौसम की वर्षा हुई, जिसका कारण जल राशि कर्क में मंगल और शुक्र का गोचर था। • इसके बाद जुलाई के महीने में जब मंगल अग्नि तत्व की राशि सिंह में गोचर करगें तब उत्तर भारत में कम वर्षा के संकेत हैं। • 22 को सूर्य जब आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे, तब वृश्चिक लग्न उदित होगा और चंद्रमा जल राशि कर्क में प्रवेश करेंगे। चंद्रमा से केंद्र में जलीय...

Hindu Or Jain, This Fast Is Special For Both The Religions. Rohini Vrat 2023

CLOSE इस 17 जून को है रोहिणी व्रत जो की हिन्दू और जैन दोनों ही धर्मों में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। सबसे पहले तो आपको बता दें की रोहिणी व्रत होता क्या है । हमारे वैदिक शास्त्रों में 27 नक्षत्र होते हैं , और रोहिणी नक्षत्र के दिन को हम रोहिणी व्रत के रूप में मानते हैं और ये हर महीने आता है । जैन और हिन्दू दोनों ही समुदायों में इस दिन को बहुत पावन माना जाता है । खासकर आषाढ़ मास का ये रोहिणी व्रत पति की लम्बी उम्र के लिए हिन्दू औरतें रखती हैं । इस व्रत की कथा बड़ी अनोखी है क्यूंकि इसमें कहानी आती है एक बदबूदार रानी की।

रोहिणी व्रत सूची 2023

महत्वपूर्ण जानकारी • रोहिणी व्रत जून में • शनिवार, 17 जून 2023 • रोहिणी व्रत प्रारंभ: 16 जून 2023 को दोपहर 03:21 बजे • रोहिणी व्रत समाप्त: 17 जून 2023 को शाम 04:10 बजे रोहिणी व्रत जैन समुदाय के लोगों का महत्वपूर्ण व्रत है इस व्रत को जैन समुदाय के लोग करते है। यह व्रत रोहिणी नक्षत्र के दिन किया जाता हैं। इसलिए इसे व्रत को रोहिणी व्रत कहा जाता है। रोहिणी नक्षत्र के समाप्त होने पर रोहिणी व्रत का पारण किया जाता है। रोहिणी नक्षत्र के समाप्त होने के बाद मार्गशीर्ष नक्षत्र आता है। रोहिणी व्रत एक वर्ष में 12 होते है अर्थात् यह प्रत्येक महीनें में आता है। फलाहार सूर्यास्त से पहले किया जाता है क्योंकि रात को भोजन नहीं किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत का पालन 3, 5 या 7 वर्षों तक लगातार किया जाता है। अगर उचित अवधि की बात करें तो यह 5 वर्ष और 5 महीने है। इस व्रत का समापन उद्यापन द्वारा ही किया जाता है। यह व्रत पुरुष और स्त्रियां दोनों कर सकते हैं। हालांकि, स्त्रियों के लिए यह व्रत अनिवार्य माना गया है। जैन समुदाय में यह मान्यता है कि यह व्रत विशेष फल देता है तथा कर्म बन्धन से छुटकारा दिलाने में सहायक होता हे। रोहिणी व्रत पूजा विधिः • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाना चाहिए और घर की साफ सफाई भी अच्छे से कर लेनी चाहिए। इसके बाद सभी नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि कर घर की साफ-सफाई करनी चाहिए। • गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान करें और फिर व्रत का संकल्प लें। • आमचन कर अपने आप को शुद्ध करें। • पहले सूर्य भगवान को जल का अर्घ्य दें। इस व्रत के दौरान जैन धर्म में रात का भोजन करने की मनाही होती है। फलाहार सूर्यास्त से पूर्व कर लेना चाहिए। रोहिणी नक्षत्र समय के साथ रोहिणी व्रत सू...

Nautapa 2023: शुरू होने जा रहा है नौतपा, रोहिणी नक्षत्र में सूर्यदेव करेंगे प्रवेश, बरतें सावधानी

नई दिल्ली : Nautapa 2023 : ज्योतिष की माने, तो जब भी कोई ग्रह राशि परिवर्तन करता है. तो इसका प्रभाव राशियों के साथ-साथ वातावरण पर भी पड़ता है. वहीं ज्येष्ठ माह में सूर्य चंद्रमा के नक्षत्र रोहिणी में प्रवेश करने जा रहे हैं. अब ऐसे में 9 दिन का नौतपा भी शुरु हो जा रहा है. जिसे बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. बता दें, नौतपा में गर्मी चरम पर होती है और सूर्य की किरणें सीधे धरती पर पड़ती है. अब सूर्यदेव इस नक्षत्र में 15 दिन के लिए प्रवेश करेंगे और शुरुआत के 9 दिन तक बहुत ही तेज गर्मी रहने वाली है. ये 25 मई से शुरु होने जा रहा है और 8 जून तक रहेगा. इसलिए मई और जून में आपको अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना है. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि नौतपा कब से कब तक रहेगा, इसका वैज्ञानिक महत्व क्या है. ये भी पढ़ें - जानें कब से कब तक है नौतपा नौतपा हमेशा मई या जून के महीने के बीच में पड़ता है. इस बार दिनांक 25 मई दिन गुरुवार को रोहिणी नक्षत्र में सूर्यदेव प्रवेश करेंगे और दिनांक 08 जून तक इसी राशि में रहेंगे. वहीं रोहिणी नक्षत्र में इनकी कुल अवधि 15 दिन की है. धार्मिक शास्त्र के अनुसार, चंद्र रोहिणी नक्षत्र के स्वामी हैं और ये शीतलता के कारक माने जाते हैं. ऐसे में रोहिणी नक्षत्र में सूर्य के प्रवेश से इसका वातावरण पर खास प्रभाव पड़ता है. इसलिए इस बार पृथ्वी पर तापमान भी ज्यादा रहेगा. नौतपा का वर्णन श्रीमद्भगवद्गीता में भी किया गया है. जानिए नौतपा का क्या है वैज्ञानिक महत्व वैज्ञानिक रूप से देखा जाए, नौतपा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दौरान सूर्य की किरणें सीधे धरती पर आती है. इसलिए पृथ्वी पर तापमान में बढ़ोतरी ज्यादा होती है. इस दौरान मौदानी इलाकों मे...

रोहिणी नक्षत्र 2023 भविष्यफल

रोहिणी नक्षत्र पर प्रजापति ब्रह्मा का शासन है और इस पर चंद्रमा का बहुत प्रभाव है। मूल रूप से रोहिणी नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग गर्मी और शक्ति से भरे होते हैं। तो, क्या आप रोहिणी नक्षत्र 2023 की भविष्यवाणी के बारे में जानने के लिए तैयार हैं जिसमें वित्त, संबंध, करियर, स्वास्थ्य आदि शामिल हैं? अन्य पहलुओं के विस्तृत विश्लेषण से पहले आइए जानते हैं रोहिणी नक्षत्र की विशेषताओं के बारे में। रोहिणी नक्षत्र 2023: जातकों के लक्षण रोहिणी नक्षत्र के पुरुष जातक बहुत गर्म स्वभाव के होते हैं और खुद को कम जिद्दी बनाने के लिए उन्हें अपने क्रोध पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता होती है। वह अपने अलावा दूसरों की भावनाओं या पसंद के बारे में नहीं जानना चाहता। वह हर काम में इतना स्वार्थी है। जबकि महिला मूल निवासी अच्छी तरह से तैयार होती हैं, और वे जिनके साथ व्यवहार करती हैं, उनके साथ अच्छे व्यवहार करती हैं। हो सकता है कि वह मानसिक शांति पाने के लिए संघर्ष कर रही हो, लेकिन बाहर कोई नहीं समझ सकता और दूसरे लोग सोचते हैं कि वह बहुत मजबूत व्यक्ति है। रोहिणी नक्षत्र 2023: संबंधों की संभावनाएं रोहिणी नक्षत्र संबंध कहता है कि आप 2023 में एक मजबूत और घनिष्ठ संबंध का आनंद ले रहे होंगे। यह संबंध वर्ष की शुरुआत के दौरान कम ऊर्जावान हो सकता है। लेकिन जैसे-जैसे साल आगे बढ़ेगा आप सभी उत्साह, उत्साह और ऊर्जा महसूस कर सकते हैं। अप्रैल से लेकर साल के अंत तक के महीनों में रिश्ते की स्थिति ठीक और अच्छी रहेगी। इस अवधि में ग्रहों की स्थिति आपके और आपके परिवार के लिए काफी अच्छी रहेगी। इस प्रकार आप वर्ष के अंतिम तीन महीनों में जीवन के कई रोमांचक पलों का आनंद उठा सकते हैं। सितारों का ज्ञान आपको अपने रिश्ते की नियति का प...

Nautapa 2023: 25 मई को सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश से नौतपा होंगे प्रारंभ

हर साल ज्येष्ठ मास में ग्रीष्म ऋतु के साथ नौतपा की शुरुआत होती है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक जब सूर्य देव चंद्रमा के नक्षत्र यानी रोहिणी में प्रवेश करते हैं तब से नौतपा का आरंभ माना जाता है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि सूर्य 25 मई को रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। इसके बाद नौ दिन का नौतपा रहेगा। इसके साथ ही सूर्य देव 8 जून तक रोहिणी नक्षत्र में रहेंगे। रोहिणी नक्षत्र में सूर्यदेव के प्रवेश से नौतपा भी प्रारंभ हो जाएंगे। सूर्य देव रोहिणी नक्षत्र में कुल 15 दिनों तक विराजमान रहते हैं। इसके शुरुआत के नौ दिन सबसे अधिक गर्मी वाला होता है। क्योंकि इस दौरान सूर्य की किरणें सीधे धरती पर पड़ती है और प्रचंड गर्मी का एहसास होता है। नौतपा 9 दिनों के पीरियड का एक महत्व पूर्ण मौसमी घटनाक्रम है। यह तब शुरू होती है जब सूर्य देव रोहिणी नक्षत्र में 15 दिन के लिए प्रवेश करते हैं और शुरुआत के 9 दिन धरती काफी तेज तपती है। इन्हीं शुरुआती 9 दिनों को नौतपा कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दौरान सूर्य पृथ्वी पर लंबवत पड़ती है। यह आमूमन मई-जून महीने के बीच आती है। ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि नौतपा से आशय सूर्य का नौ दिनों तक अपने सर्वोच्च ताप में होना है यानि इस दौरान गर्मी अपने चरम पर होती है। चंद्र देव रोहिणी नक्षत्र के स्वामी हैं, जो शीतलता का कारक हैं, परंतु इस समय वे सूर्य के प्रभाव में आ जाते हैं। जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में 15 दिनों के लिए आता है तो उन पंद्रह दिनों के पहले नौ दिन सर्वाधिक गर्मी वाले होते हैं। इन्हीं शुरुआती नौ दिनों को नौतपा के नाम से जाना जाता है। ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि नौतपा ...

Nautapa 2023: नौतपा में 9 दिनों तक प्रचंड गर्मी का करना पड़ेगा सामना, जानें क्या होता है इन दिनों रोहिणी का गलना

डीएनए हिंदीः नौतपा (Nautapa 2023) के दिनों में बहुत ही तेज गर्मी पड़ती है. ग्रीष्म ऋतु के इन दिनों में 9 दिनों के लिए तपन बहुत ही ज्यादा बढ़ जाती है. बता दें कि, इन दिनों नौतपा (Nautapa 2023) शुरू हो चुका है. इसकी शुरुआत 25 मई 2023 को हुई है. 9 दिनों तक चलने वाला यह नौतपा (Nautapa 2023) 8 जून तक चलेगा. मई और जून के इन दिनों में सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी पर पड़ेगी जिस कारण इन दिनों गर्मी अधिक होगी. आज आपको नौतपा (Nautapa 2023) के बारे में बताते हैं कि आखिर इन दिनों भीषण गर्मी पड़ती है और नौतपा (Nautapa 2023) में रोहिणी का गलना क्या होता है. कब शुरू होता है नौतपा (Nautapa 2023) सूर्य देव के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करने पर नौतपा शुरू होता है. सूर्य देव इन दौरान 15 दिनों तक रोहिणी नक्षत्र में रहते हैं. जिसके शुरुआत के 9 दिनों में नौतपा होता है. इन दिनों पृथ्वी बहुत ही ज्यादा गर्मी होती है. नौतपा के दौरान मैदानी क्षेत्रों में बहुत ही प्रचंड गर्मी पड़ती है. वहीं हिमाचल और कश्मीर जैसी ठंडी जगहों पर भी इसके प्रभाव से पहाडों पर जमी बर्फ पिघलने लगती है. नौतपा के समय सूर्य देव के रोहिणी नक्षत्र में जाने से दक्षिणी और उत्तर पूर्वी ध्रुव पर सूर्य की सीधी किरणे पड़ती हैं. इन दिनों लोगों को गर्मी का प्रकोप झेलना पड़ता है. रोहिणी का गलना (Rohini Ka Galna) ज्योतिष शास्त्रों में ऐसा माना गया है कि नौतपा के दौरान जिस क्षेत्र में बारिश होती है उसे नौतपा का गलना कहते हैं. मान्यताओं के अनुसार इन दिनों जहां पर बारिश हो जाती है वहां पर बारिश के मौसम में कम बारिश होती है. हालांकि सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में होने पर 15 दिनों तक बारिश न हो तो ऐसे क्षेत्र में बाद में भरपूर बारिश होने के संकेत मिल...