संस्कृत

  1. संस्कृत शिक्षालाई अनुसन्धान र खोजमा केन्द्रित गरौँः प्रधानमन्त्री प्रचण्ड – देशसञ्चार
  2. संस्कृत in Hindi
  3. Sanskrit Vyakaran (संस्कृत व्याकरण)
  4. वर्ण प्रकरण


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संस्कृत शिक्षालाई अनुसन्धान र खोजमा केन्द्रित गरौँः प्रधानमन्त्री प्रचण्ड – देशसञ्चार

नेपाल संस्कृत विश्वविद्यालयको पाँचौँ दीक्षान्त समारोहमा विद्यार्थीलाई दीक्षित गर्दै प्रधानमन्त्री प्रचण्डले नेपालमा स्थापना भएका अन्य विश्वविद्यालयका तुलनामा नेपाल संस्कृत विश्वविद्यालयको स्थापना फरक उद्देश्यले स्थापना भएको बताए। विश्वविद्यालयका कुलपतिसमेत रहेका उनले नैतिकवान्, चरित्रवान् जनशक्ति उत्पादन गर्दै वसुधैव कुटुम्बकमको विचारलाई विश्वसामु पुर्‍याउनुपर्ने बताए। उनले संस्कृत शिक्षाको आधुनिकीकरण गर्दै यसलाई समयानुकूल ढंगले पाठ्यक्रम परिमार्जन गर्दै लैजाने बताए । प्रधानमन्त्री प्रचण्डले नेपालकै दोस्रो ठूलो विश्वविद्यालयले पौरस्त्य मूल्यमान्यता, संस्कार, संस्कृति र आदर्शको सम्बर्धन एवं विकासमा दिएको योगदान प्रशंसनीय रहेको बताए। उनले संस्कृत भाषा प्राचीन भाषा मात्र नभई प्राच्य दर्शन र चिन्तनको अपार ज्ञानभण्डार रहेको बताए । दीक्षान्त समारोहमा शिक्षा विज्ञान तथा प्रविधिमन्त्री अशोककुमार राईले विविध कारणले १२ वर्षसम्म विगतका वर्षमा दीक्षान्त समारोह आयोजना गर्न नसके पनि आगामी वर्षमा नियमित दीक्षान्त समारोह आयोजना गरिने बताए। विश्वविद्यालयका सहउपकुलपति समेत रहेका राईले संस्कृत वाङ्मयभित्र रहेको ज्ञानलाई आुधुनिक विधि र प्रविधिकामाध्यमबाट युगसापेक्षा,समाजउपयोगी र जीविकामुखी बनाउँदै लैजानुपर्ने बताए । कार्यक्रमका प्रमुख अतिथि सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालयका कुलपति प्राडा हरेराम त्रिपाठीले नेपाल र भारतको आपसी सम्बन्ध परापूर्व कालदेखि नै सुमधुर रहँदै आएको बताए । उनले ऋषिमुनिहरुको तपोभूमि, ज्ञानभूमिका रूपमा नेपाल रहेको बताए । कार्यक्रममा उनले संस्कृत वाङ्मयको विकास विस्तार,अध्ययन अनुसन्धानका लागि दुई देशमा रहेका विश्वविद्यालयबीच पारस्परिक सम्बन्ध कायम राख्नुपर्ने बताए । संस्...

संस्कृत in Hindi

• bhagwan • hindi • kidsham • tere bina mujhe swarg bhi nhi chaiye • अत्र कुशलम् तत्रास्तु। अग्रिमे मासे पञ्चम्यां तारिकायाम् मम भगिन्या: विवाहः निश्चितः जातः । विवाहस्य शुभावसरे त्वम् अपि परिवारेण सह अवश्यम् एव आगमिष्यसि । सर्वे • आठ • इन्होने • इसलिए • छात्र • माषकमलिनी पयसा धौतामुष्णेन घृतेन मृदकृत्योदधतां वृद्धवत्सायाः गोः पयः पायसं मधुसर्पिर्ध्यामशित्वाऽनन्ताः स्त्रियो गच्छतीत्याचार्याः प्रचक्षते • मै लिखता हूं • मैं आज पाढूंगा • मैं विद्यालय जाता हूं। • राम हमारे है और हमलोग राम के वंशज है • रुचं नो धेहि ब्राह्मणेषु रुचं राजसु नस्कृधि। रुचं शायेषु शूद्रेषु मय्य देहि रुचा रुचम्॥ • लओग बगईचएमए फऊलऔ कओ सऊंघतए हए • वयम् • वह पुस्तक पड़े • संकृत • संस्कृत • संस्कृत भाषा • हमारे देश का क्या नाम है • हिंदी • ॥ श्रीसूर्यमण्डलाष्टक स्तोत्रम् ॥ नमः सवित्रे जगदेकचक्षुषे जगत्प्रसूतिस्थितिनाश हेतवे । त्रयीमयाय त्रिगुणात्मधारिणे विरञ्चि नारायण शंकरात्मने ॥ १ ॥ यन्मडलं दीप्तिकरं विशालं रत्नप्रभं तीव्र • काइंगा वास्तुकला शैली (ओडिया: କଳିଙ୍ଗ ସ୍ଥାପତ୍ୟକଳା) एक ऐसी शैली है जो प्राचीन कालिंग क्षेत्र या ओडिशा, पूर्वी बंगाल और उत्तरी आंध्र प्रदेश के पूर्वी भारतीय राज्य में विकसित हुई है। शैली में तीन अलग-अलग प्रकार के मंदिर होते हैं: रेखा देला, पिधा देवला और खखारा देवला। पूर्व दो विष्णु, सूर्य और शिव मंदिरों से जुड़े हुए हैं जबकि तीसरा मुख्य रूप से चामुंडा और दुर्गा मंदिरों के साथ है। रेखा देला और खखारा देवला में पवित्र अभयारण्य है, जबकि पिधा देवला बाहरी नृत्य और हॉल पेश करता है। एकस्मिन् देवालये ताम्रचूड़नाम् वसति स्म। सः कृत्वा जीविका निर्वाहं करोति स्म। एकदा भिक्षां अवलम्ब्य स: देशाटनं स...

Sanskrit Vyakaran (संस्कृत व्याकरण)

संस्कृत भाषा का इतिहास व उद्गम Sanskrit Vyakaran संस्कृत ( Sanskrit) भारतीय उपमहाद्वीप की एक धार्मिक भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार की एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान ) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। Sanskrit: (संस्कृतम्) is a language of ancient India with a documented history of about 3,500 years. It is the primary liturgical language of Hinduism; the predominant language of most works of Hindu philosophy as well as some of the principal texts of Buddhism and Jainism. Sanskrit, in its various variants and dialects, was the lingua franca of ancient and medieval India. In the early 1st millennium CE, along with Buddhism and Hinduism, Sanskrit migrated to Southeast Asia, parts of East Asia and Central Asia, emerging as a language of high culture and of local ruling elites in these regions. संस्कृत व्याकरण (Sanskrit Vyakaran) संस्कृत भारत की एक प्राचीन भाषा है जिसका समृद्ध इतिहास और परंपरा है। इसे व्याकरण और वाक्य-विन्यास की अत्यधिक विकसित प्रणाली के साथ दुनिया की सबसे पुरानी और सबसे जटिल भाषाओं में से एक माना जाता है। “संस्कृत” शब्द की उत्पत...

वर्ण प्रकरण

संस्कृत वर्णमाला : Sanskrit Alphabet संस्कृत वर्णमाला (वर्ण प्रकरण) – संस्कृत संस्कृत वर्णमाला में 13 स्वर, 33 व्यंजन और 4 आयोगवाह हैं, इस प्रकार संस्कृत में कुल 50 वर्ण हैं। संस्कृत में स्वर वर्णों को ‘ अच्’ और व्यंजन वर्णों को ‘ हल्’ कहते हैं। • अच् = 13 (अ, आ, इ, ई, ऋ, ॠ, लृ, उ, ऊ, ए, ऎ, ओ, औ) • हल् = 33 (क्, ख्, ग्, घ्, ङ्, च्, छ्, ज्, झ्, ञ्, ट्, ठ्, ड्, ढ्, ण्, त्, थ, द्, ध्, न्, प्, फ्, ब्, भ्, म्, य्, र्, ल्, व्, श्, ष्, स्, ह्) • आयोगवाह = 4 (अनुस्वार, विसर्ग, जीव्हामूलीय, उपध्मानीय) सुर/लय सूचक होता है, और व्यंजन शृंगार सूचक। वर्णो का विभाजन (Classification of Sanskrit alphabets) संस्कृत वर्णमाला को तीन भागों में विभाजित किया गया है: • स्वर (अच्) • व्यंजन (हल्) • अयोगवाह 1. स्वर (Vowels): अच् ‘ स्वयं राजन्ते इति स्वरः।‘ अर्थात जो वर्ण स्वयं ही उच्चारित होते हैं वे स्वर कहलाते हैं। संस्कृत में स्वर वर्णों को “ अच्” भी कहते हैं। इनकी संख्या 13 हैं: अ, आ, इ, ई, ऋ, ॠ, लृ, उ, ऊ, ए, ऎ, ओ, औ। स्वर वर्ण ‘ सुर या लय सूचक‘ होते हैं। मूल स्वर: इनकी संख्या 9 है: अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ॠ, लृ। मिश्र या संयुक्त स्वर: ये 4 (चार) होते हैं: ए, ऎ, ओ, औ। ये पूर्ण रूप से शुद्ध स्वर नहीं होते हैं, क्यूंकि इनकी उत्पत्ति मूल स्वरों के योग से हुई है। जैसे- • अ/आ + इ/ई = ए • ए + ई = ऎ • अ/आ + उ/ऊ = ओ • ओ + ऊ = औ अर्द्ध स्वर: इनकी संख्या 4 (चार) है- य, र, ल, व। इनको अर्द्ध स्वर इसलिए कहते है क्यूंकि इनका उच्चारण क्रमशः ‘ ई, ऋ, लृ, ऊ‘ में अ जोड़कर प्राप्त किया जा सकता है। जैसे- • ई + अ = य • ऋ + अ = र • लृ + अ = ल • ऊ + अ = व शुद्ध स्वर: ये 5 (पाँच) होते हैं: अ, इ, उ, ऋ, लृ। मुख के अंदर स्थान-...