संत रविदास फोटो hd

  1. 'जब सभ कर दोउ हाथ पग दोउ नैन दोउ कान, रविदास पृथक कइसे भये हिंदू औ मूसलमान'
  2. Statue of Sant Ravidas to be installed at Trivenighat
  3. Sant Guru Ravidas Photo Image Wallpaper Full Hd Free Download
  4. Ravidas Jayanti: ये हैं संत रविदास जी के अनोखे भक्त!, 12 सौ किमी साइकिल चलाकर पहुंचे काशी
  5. गुरु रविदास जयंती, रैदास के गुरु का नाम, संत रविदास के विचार, संत रविदास की अमर कहानी अब कैसे छूटे, संत रविदास के दोहे, संत रविदास जी का इतिहास, संत रैदास का जीवनी
  6. संत रविदास जयंती शायरी


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'जब सभ कर दोउ हाथ पग दोउ नैन दोउ कान, रविदास पृथक कइसे भये हिंदू औ मूसलमान'

संत कवियों की लंबी परंपरा में एक रविदास ही ऐसे हैं जो श्रम को ईश्वर बताकर ऐसे राज्य की कल्पना करते हैं, जो भारतीय संविधान के समता, स्वतंत्रता, न्याय व बंधुत्व पर आधारित अवधारणा के अनुरूप है. संत रविदास (फोटो साभार: विकिपीडिया) (यह लेख मूल रूप से 31 मार्च 2018 को प्रकाशित हुआ था.) हमारे इस निरंतर असामान्य और कठिन होते जा रहे समय में संत कवि रविदास का व्यापक पुनर्पाठ बेहद जरूरी है. इसलिए कि जब सभी तरह की स्वतंत्रताओं व इंसाफों की साझा दुश्मन आर्थिक विषमता की दुनिया भर में ऐसी पौ-बारह हो गयी है कि उसकी संपत्ति का 82 फीसदी हिस्सा एक प्रतिशत धनकुबेरों के कब्जे में चला गया है और ये ‘एक प्रतिशत’ हमारे देश की भी कम से कम 73 प्रतिशत संपत्ति अपने नाम कर चुके हैं. संत कवियों की लंबी परंपरा में एक रविदास ही ऐसे हैं जो श्रम को ईश्वर बताकर इस एक प्रतिशत की अनैतिकताओं की खिल्ली उड़ाते और ऐसे राज्य की कल्पना करते हैं, जो भारतीय संविधान के समता, स्वतंत्रता, न्याय व बंधुत्व पर आधारित कल्याणकारी राज्य के संकल्प व अवधारणा के अनुरूप है. उन्हीं के शब्दों में कहें तो वे ऐसा मानवतावादी कल्याणकारी राज्य चाहते हैं ‘जहं मिलै सभन को अन्न, छोट बड़ो सभ सम बसैं रैदास रहै प्रसन्न’ जाहिर है कि हिन्दी की भक्ति काव्यधारा में उनकी अपनी सर्वथा अलग व विलक्षण पहचान है, लेकिन दूसरे संत कवियों की ही तरह उनके जन्म व जीवन आदि के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिलती. जो मिलती है, उसके अनुसार विक्रम संवत् 1441 से 1455 के बीच रविवार को पड़ी किसी माघ पूर्णिमा के दिन मांडुर नामक गांव में उनका जन्म हुआ. यह मांडुर उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में मंडेसर तालाब के किनारे मांडव ऋषि के आश्रम के पास स्थित वही गांव है, जो अब मंडुवाड...

Statue of Sant Ravidas to be installed at Trivenighat

सोमवार को तहसील में महासंघ के अध्यक्ष पंकज जाटव के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को संबोधित ज्ञापन एसडीएम सौरभ असवाल को सौंपा। बताया कि वर्तमान में जी-20 कार्यक्रम के तहत त्रिवेणीघाट का सौंदर्यीकरण कार्य चल रहा है, जो स्वागत योग्य है। बताया कि संत शिरोमणि गुरु रविदास गंगा के भक्त हुए हैं। उनकी प्रतिमा नहीं होने से घाट परिसर अधूरा सा लगता है। लिहाजा त्रिवेणीघाट परिसर में चल रहे सौंदर्यीकरण कार्य के दौरान ही संत रविदास की भव्य प्रतिमा भी स्थापित की जाए। एसडीएम ने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। मौके पर महासंघ उपाध्यक्ष सुभाष जाटव, कोषाध्यक्ष अमित जाटव, रमेश चंद्र गौतम, अतुल यादव, अर्जुन जाटव, सुशील कुमार आदि मौजूद रहे।

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Ravidas Jayanti: ये हैं संत रविदास जी के अनोखे भक्त!, 12 सौ किमी साइकिल चलाकर पहुंचे काशी

रिपोर्ट- अभिषेक जायसवाल वाराणसी. संत शिरोमणि रविदास जी की 646वीं जयंती 5 फरवरी को मनाई जानी है. संत रविदास के जयंती को लेकर उनके जन्मस्थली पर सिर गोवर्धन में तैयारियां पूरी हो गई हैं. भारत के अलावा यूरोप और अमेरिका से भी श्रद्धालु यहां दर्शन को आ रहे हैं. इन सब के बीच संत रविदास के एक सच्चे और बड़े भक्त की चर्चा पूरे मेले क्षेत्र में हो रही है. संत रविदास का ये भक्त 12 सौ किलोमीटर की यात्रा ट्रेन, प्लेन या किसी लक्जरी गाड़ी से नहीं बल्कि साइकिल से करके यहां आया है. दरसअल हरियाणा के करनाल के रहने वाले सुनील कुमार के यूं तो लगभग कई सालों से यहां संत रविदास के जयंती के मौके ओर दर्शन को आते रहें है. लेकिन इस बार वो संत रविदास के संदेश को जन जन तक पहुंचाने के लिए साइकिल से ही करनाल से काशी की यात्रा पर निकल गए. 1200 किलोमीटर के इस यात्रा में उन्हें 11 दिन का वक्त लगा. 22 जनवरी को शुरू की थी यात्रा न्यूज 18 लोकल से बात करते हुए सुनील कुमार ने बताया कि साइकिल से करनाल से काशी का सफर मुश्किल था. लेकिन संत रविदास के आशीर्वाद से उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई. उन्होंने बताया कि 22 जनवरी को वो अपनी इस यात्रा पर निकले थे और 1 फरवरी को वो काशी के सिर गोवर्धन पहुंच गए. बताते चलें कि सुनील पेशे से मजदूर हैं लेकिन संत रविदास के प्रति उनकी सच्ची श्रद्धाभाव और भक्ति उन्हें यहां खींच ले आई. 1 सप्ताह करेंगे सेवा सुनील ने बताया कि अब लगभग 1 सप्ताह तक वो संत गुरु रविदास के इस दर पर रहकर लोगों की सेवा करेंगे. उसके बाद 8 फरवरी को वो वापस काशी के करनाल के लिए लौंट जाएंगे. . Tags:

गुरु रविदास जयंती, रैदास के गुरु का नाम, संत रविदास के विचार, संत रविदास की अमर कहानी अब कैसे छूटे, संत रविदास के दोहे, संत रविदास जी का इतिहास, संत रैदास का जीवनी

गुरु रविदास जयंती, रैदास के गुरु का नाम, संत रविदास के विचार, संत रविदास की अमर कहानी अब कैसे छूटे, संत रविदास के दोहे, संत रविदास जी का इतिहास, संत रैदास का जीवनी Ravidas Jayanti: रविदास जी कैसे बने संत और कैसे उनके कठौती में समाई गंगा, जानें 500 साल पुरानी ये दिलचस्प कथा By February 8, 2020 08:37 AM 2020-02-08T08:37:21+5:30 2020-02-08T12:01:45+5:30 Ravidas Jayanti: वाराणसी के पास एक गांव में जन्मे रविदास जी को संत रैदास के नाम से भी जाना जाता है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार उनका जन्म माघ माह की पूर्णिमा को हुआ था। Highlights Ravidas Jayanti: माघ माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है रविदास जयंती वाराणसी के पास एक गांव में हुआ था संत रविदास का जन्म, संत रैदास भी है इनका नाम Ravidas Jayanti: संत रविदास जयंती इस बार रविवार (9 फरवरी) को है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार उनकी जयंती हर साल माघ माह के पूर्णिमा पर मनाई जाती है। उनके जन्म के साल को लेकर ज्यादा जानकारी नहीं है। कुछ तथ्यों के आधार पर संत गुरु रामदास का जन्म 1377 के आसपास बताया जाता है। वहीं, कुछ इसे 1450 के आसपास भी बताते हैं। वाराणसी के पास एक गांव में जन्मे रविदास जी को संत रैदास के नाम से भी जाना जाता है। रविदास जी अपने दोहों और कविताओं के जरिए उस समय समाज में चल रही बुराइयों जैसे छूआ-छूत और दूसरे आडंबरों पर तंज भी कसते थे। उन्होंने कई ऐसे दोहों, कविताओं, कहावतों की रचना की जो आज भी काफी प्रचलित हैं। इसी में से एक कहावत 'मन चंगा तो कठौती में गंगा' भी है, जिसका अक्सर हम इस्तेमाल करते हैं। Ravidas Jayanti: संत रविदास कैसे बने संत 15वीं सदी के महान समाज सुधारक संत रविदास के पिता जूते बनाने का काम करते थे। रविदास उन्हीं के साथ रहकर...

संत रविदास जयंती शायरी

Guru Ravidas Jayanti Shayari Status Quotes Wishes Message Image Photo in Hindi – इस आर्टिकल में संत रविदास जयंती पर शायरी स्टेटस कोट्स इमेज फोटो आदि दिए हुए है. रविदास एक महान संत, कवि, दार्शनिक, समाज सुधारक और ईश्वर के भक्त थे. इनका जन्म 15वीं शताब्दी में हुआ था. इनके जन्म को लेकर लोगो के विभिन्न-विभिन्न राय है. प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा के दिन इनकी जयंती मनाई जाती है. भक्ति कालीन कवियों में संत रैदास का महत्वपूर्ण स्थान है. रैदास की अनेक कृतियों में उनके अनेक नाम देखने को मिलता है. देश के विभिन्न भागों में उनके उनके नाम प्रचलित है जिनमें उच्चारण की दृष्टि से बहुत थोड़ा अंतर है. रैदास ( पंजाब ), रयदास, रदास ( बीकानेर की प्रतियों में ), रयिदास आदि नाम इस उच्चारण की भिन्नता को ही प्रकट करते है. इसलिए लोकप्रचलन और सुविधा की दृष्टि से उनका मूल नाम रैदास को स्वीकार किया जाता है. Guru Ravidas Jayanti Shayari in Hindi Guru Ravidas Jayanti Shayari in Hindi | गुरू रविदास जयंती शायरी इन हिंदी मोह-माया में फँसा जीवन भटकता रहता है, इस माया को बनाने वाला ही मुक्ति दाता है. संत रविदास जयंती की शुभकामनाएं Guru Ravidas Jayanti Status in Hindi मन चंगा तो कठौती में गंगा। हैप्पी रविदास जयंती Guru Ravidas Jayanti Quotes in Hindi Guru Ravidas Jayanti Quotes in Hindi | गुरु रविदास जयंती कोट्स इन हिंदी कोई भी व्यक्ति छोटा या बड़ा अपने जन्म के कारण नहीं बल्कि अपने कर्म के कारण होता है। व्यक्ति के कर्म ही उसे ऊँचा या नीचे बनाते है. Happy Sant Ravidas Jayanti 2022 हमे हमेशा कर्म करते रहना चाहिए और साथ-साथ मिलने वाले फल की भी आशा नहीं छोड़नी चाहिए क्योंकि कर्म हमारा धर्म है और फल हमारा सौभाग्य। गुरू रविद...