संतान साते कितनी तारीख की है

  1. jivitputrika vrat 2022: jitiya vrat kab hai 2022 mein jitiya vrat shubh muhurt jivitputrika vrat vidhi
  2. Sakat Chauth Vrat 2021: Sakat Chauth Vrat on this date mothers vrat for the longevity of their child
  3. Santan Saptami Vrat 2018: संतान सप्तमी व्रत की तारीख, विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त
  4. संतान
  5. संतान सुख का कुंडली में ग्रहों की दशा से क्या है कनेक्शन, जानिए
  6. Palmistry: हाथ की रेखाओं से जानें कैसी और कितनी होंगी संतान, ये है चेक करने का तरीका


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jivitputrika vrat 2022: jitiya vrat kab hai 2022 mein jitiya vrat shubh muhurt jivitputrika vrat vidhi

Jivitputrika Vrat 2022 Date and Muhurat: हिन्दू धर्म में कई व्रत पड़ते हैं जिनका अपना अलग महत्व होता है। वहीं माओं द्वारा संतान सुख और सलामती के लिए भी रखे जाने वाले व्रतों में से एक जीवित्पुत्रिका का व्रत रखा जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल यह व्रत अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इसे जितिया, जिउतिया या ज्युतिया व्रत के नाम से भी जानते हैं। वहीं इस साल 18 सितंबर 2022 को यह व्रत रखा जाएगा। इस व्रत माएं पूरा दिन निर्जल रहकर अपने बच्चों की लंबी उम्र और उनकी खुशहाली के लिए प्रार्थना करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो माताएं सच्चे मन से इस व्रत को रखकर विधिवत पूजन करती हैं उनकी संतान के जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है और परेशानियों से उनकी रक्षा होती है।। ये कठिन निर्जला व्रत मुख्यतौर पर बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में अधिक रखा जाता है। तो अब आइए जानते हैं कि जीवित्पुत्रिका व्रत का मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में...

Sakat Chauth Vrat 2021: Sakat Chauth Vrat on this date mothers vrat for the longevity of their child

यहां पढ़ें सकट चौथ व्रत कथा: Sakat chauth 2020 vrat katha पौराणिक कथाओं के अनुसार, सकट चौथ के दिन गणेश भगवान के जीवन पर आया सबसे बड़ा संकट टल गया था। इसीलिए इसका नाम सकट चौथ पड़ा। इसे पीछे ये कहानी है कि मां पार्वती एकबार स्नान करने गईं। स्नानघर के बाहर उन्होंने अपने पुत्र गणेश जी को खड़ा कर दिया और उन्हें रखवाली का आदेश देते हुए कहा कि जब तक मैं स्नान कर खुद बाहर न आऊं किसी को भीतर आने की इजाजत मत देना। गणेश जी अपनी मां की बात मानते हुए बाहर पहरा देने लगे। उसी समय भगवान शिव माता पार्वती से मिलने आए लेकिन गणेश भगवान ने उन्हें दरवाजे पर ही कुछ देर रुकने के लिए कहा। भगवान शिव ने इस बात से बेहद आहत और अपमानित महसूस किया। गुस्से में उन्होंने गणेश भगवान पर त्रिशूल का वार किया। जिससे उनकी गर्दन दूर जा गिरी। स्नानघर के बाहर शोरगुल सुनकर जब माता पार्वती बाहर आईं तो देखा कि गणेश जी की गर्दन कटी हुई है। ये देखकर वो रोने लगीं और उन्होंने शिवजी से कहा कि गणेश जी के प्राण फिर से वापस कर दें । इसपर शिवजी ने एक हाथी का सिर लेकर गणेश जी को लगा दिया । इस तरह से गणेश भगवान को दूसरा जीवन मिला । तभी से गणेश की हाथी की तरह सूंड होने लगी. तभी से महिलाएं बच्चों की सलामती के लिए माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को

Santan Saptami Vrat 2018: संतान सप्तमी व्रत की तारीख, विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त

Santan Saptami Vrat 2018: भादो महीने के शुक्ल पक्ष कि सप्तमी को संतान सप्तमी व्रत किया जाता है. इस बार यह व्रत 16 सितंबर 2018 को है. संतान सप्तमी व्रत को भुक्ताभरण संतान सप्तमी व्रत भी कहा जाता है. माएं अपनी संतान की लंबी आयु और उन्नति के लिए यह व्रत रखती हैं. संतान सप्तमी व्रत के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा होती है. इस दिन व्रत रखने का खास महत्व है. संतान सप्तमी व्रत का महत्व ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और मां पार्वती व भगवान शंकर की पूजा करने से जिन महिलाओं को संतान नहीं है, उन्हें महादेव और मां पार्वती के आर्शीवाद से कार्तिक और गणेश जैसी तेजस्वी संतान की प्राप्ति होती है. जिन माताओं की संतान है, उन्हें भोलेनाथ और मां गौरी उन्नति और लंबी आयु का वरदान देते हैं. संतान सप्तमी व्रत पूजन विधि 1. सबसे पहले सुबह-सुबह उठकर स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. 2. इसके बाद भगवान विष्णु और भगवान शंकर की पूजा करें. साथ में भगवान शंकर के पूरे परिवार और नारायण के पूरे परिवार की भी पूजा करें. 3. निराहार सप्तमी व्रत का संकल्प लें. 4. दोपहर में चौक पूरकर चंदन, अक्षत, धूप, दीप, नैवेध, सुपारी तथा नारियल आदि से फिर से भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करें. 5. सप्तमी तिथि के व्रत में नैवेद्ध के रूप में खीर-पूरी तथा गुड़ के पुए बनाये जाते हैं. 6. संतान की रक्षा की कामना करते हुए शिवजी को कलावा चढ़ाएं और बाद में इसे खुद धारण करें. 7. इसके बाद व्रत कथा सुनें. धर्म से जुड़ी अन्य खबरों को पढ़ने के लिए

संतान

संतान संज्ञा पुं० [सं० सन्तान]१. बालबच्चे । लड़के बाले । संतति ।औलाद । २. कल्पवृक्ष । देवतरु । ३. वंश । कुल । ४. विस्तार ।फैलाव । ५. वह प्रवाह जो अविच्छिन्न रूप से चलता हो ।धारा । ६. प्रबंध । इंतजाम । ७. महाभारत के अनुसार प्राचीन-काल के एक प्रकार के अस्त्र का नाम । ८. विचारों काअविच्छिन्न क्रम । विचारधारा । ९. रग । स्नायु नस (को०) ।यौ०—संतानकर्म = संतति उत्पादन । संतानकर्ता = संतान पैदाकरनेवाला । संतानगणपति । संतानगोपाल । संताननिग्रह =दे० 'संततिनिरोध' । संतानवर्धन = (१) वंश बढ़ाना । (२)संतान को बढ़ानेवाला । संतानसंधि । संतान गणपति संज्ञा पुं० [सं० सन्तान गणपति]पुराणानुसार एकप्रकार के गणपति का नाम । संतान गोपाल संज्ञा पुं० [सं० सन्तान गोपाल]संतति देनेवाले कृष्ण ।वासुदेव कृष्ण जिनकी पूजा संतानप्राप्ति के लिये की जातीहै [को०] ।

संतान सुख का कुंडली में ग्रहों की दशा से क्या है कनेक्शन, जानिए

संतान सुख हासिल करना प्रत्येक दंपत्ति की चाहत होती है। संतान सुख को बहुत ही खास सुख माना जाता है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि संतान सुख का आपकी कुंडली में ग्रहों की दशा से क्या कनेक्शन है? यदि नहीं तो आज हम आपको इस बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली का पांचवां, नौवां और ग्यारहवां भाव संतान सुख से संबंध रखता है। इसके साथ ही कुंडली के सप्तम भाव को भी गर्भ का भाव माना गया है। माना जाता है कि इन भोवों की स्थिति खराब होने से संतान सुख की प्राप्ति में दिक्कत आने लगती है। ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को संतान का कारक कहा गया है। ऐसे में संतान सुख के लिए कुंडली में बृहस्पति की स्थिति खास मायने रखती है। ज्योतिष शास्त्र में संतान सुख के लिए पति-पत्नी दोनों की कुंडली देखना जरूरी माना गया है। कहते हैं कि संतान प्राप्ति की चाह रखने वाले दंपत्ति को भगवान श्रीकृष्ण की आराधना जरूर करनी चाहिए। विवाह के कई साल बीत जाने के बाद भी कुछ दंपत्तियों को संतान सुख की प्राप्ति नहीं हो पाती है। ऐसी स्थिति में उन्हें प्रत्येक सुबह जल में हल्दी मिलाकर सूर्य देव को अर्पित करने के लिए कहा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से संतान सुख मिलता है।

Palmistry: हाथ की रेखाओं से जानें कैसी और कितनी होंगी संतान, ये है चेक करने का तरीका

नई दिल्‍ली: संतान सुख (Santan Sukh) को धर्म-पुराणों में सबसे बड़ा सुख माना गया है. हर कपल मां-बाप बनने की ख्‍वाहिश रखता है, अपने बच्‍चे को बेहतर से बेहतर सुविधाएं देता है, उसके अच्‍छे भविष्‍य के लिए खुली आंखों से ढेर सारे सपने देखता है. दंपत्ति को संतान सुख मिलेगा या नहीं, उसको बेटी होगी या बेटा, उसके कितने बच्‍चे होंगे, ऐसी तमाम बातों के जवाब हस्‍तरेखा शास्‍त्र (Palmistry) में मिलते हैं. ज्‍योतिष के मुताबिक संतान के बारे में बेहतर जानकारी महिलाओं (Women) के हाथ से मिलती है. उनकी हथेली की रेखाएं स्‍पष्‍टता से बताती हैं कि उनकी कितनी संतान होंगी और उनकी सेहत (Kids Health) कैसी होगी. - सबसे छोटी उंगली के नीचे की जगह को बुध पर्वत कहते हैं, इस पर बनी रेखाओं से संतान सुख का पता चलता है. इस पर्वत पर जितनी खड़ी रेखाएं होंगी, जातक की उतनी संतान होंगी. इन्‍हें संतान रेखाएं कहते हैं. - जीवन रेखा से कलाई तक जाने वाली रेखाएं यदि सम संख्‍या में हों तो बेटी होती है और यदि विषम हो तो बेटा होने की संभावना रहती है. - इसके अलावा विवाह रेखा के ऊपर सीधी खड़ी रेखा होना भी बेटा होने का संकेत है. यह भी पढ़ें: - विवाह रेखा के पास द्वीप जैसा चिह्न बने तो संतान की सेहत बचपन में नासाज रहती है. - संतान रेखा के आखिरी में द्वीप का चिह्न बनना अच्‍छा नहीं माना जाता है. ऐसी संतानों के बचने की उम्‍मीद कम रहती है.