सांगरूपक अलंकार उदाहरण

  1. अलंकार के उदाहरण । alankar ke udaharan
  2. रूपक अलंकार का उदाहरण कौन सा है? – ElegantAnswer.com
  3. अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण
  4. रूपक अलंकार किसे कहते हैं? रूपक अलंकार के उदाहरण, परिभाषा, वाक्य rupak alankar in hindi, examples
  5. अलंकार
  6. Alankar In Hindi / अलंकार
  7. रूपक अलंकार, भेद व 72 उदाहरण


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अलंकार के उदाहरण । alankar ke udaharan

अलंकार के उदहारण इस पोस्ट में दिए गए है | अलंकार के इस उदाहरण में शब्दालंकार के उदाहरण और अर्थालंकार के उदाहरणों को उनके विभिन्न भेदों या प्रकार को भी सम्मिलित किया गया है | अलंकार के इस उदाहरण में उन्हीं उदाहरणों को सम्मिलित किया गया है जो विभिन्न परीक्षाओं में पूछे जा चुके हैं या फिर आगामी किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में पूछे जा सकते हैं | अलंकार की सम्पूर्ण जानकारी के लिए Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • शब्दालंकार के उदाहरण शब्दालंकार के उदाहरणों को पहचानने के लिए शब्दों पर ध्यान देना चाहिए | शब्दालंकार में शब्दों के माध्यम से चमत्कार उत्त्पन्न होता है | शब्दालंकार में शब्द की प्रधानता होती है | शब्दालंकार में हमलोग इसके अंतर्गत आने वाले सभी अलंकारों के उदाहरणों को देखेंगे अलंकार के विस्तृत नियम व पहचान अनुप्रास अलंकार के उदाहरण ⇒अमिय मूरिमय चूरन चारू। समन सकल भवरूज परिवारू।। (छेकानुप्रास) ⇒कंकन किंकन, नूपुर धुनि सुनि। कहत लखन सन राम हृदय सुनि।। (छेकानुप्रास) ⇒जन रंजन भंजन दनुज मनुज रूप सुर भूप| (छेकानुप्रास) ⇒देह दुलहिया की ज्यों ज्यों बढ़े ज्योति। (वृत्यानुप्रास) ⇒तरनि तनुजा तट तमाल तरूवर बहु छाए। (वृत्यानुप्रास) ⇒चित चैत की चाँदनी चाव चढ़ी। चर्चा चलिब की चलाइये न। (वृत्यानुप्रास) ⇒कूलन में, केलिन में कछारन में,कुंजन में, क्यारिन में कलित किलकंत हैं। (वृत्यानुप्रास) ⇒बंदौ गुरु पद पदुम परागा। सुरूचि सुबास सरस अनुरागा।। (वृत्यानुप्रास) ⇒मेरे खेल बड़े जोखिम के प्रियतम मेरे मैं प्रियतम के| (लाटानुप्रास) ⇒मन मो रमा नैन तो मन मोर मानै ना। (लाटानुप्रास) ⇒पराधीन जो जन, नहीं स्वर्ग नरकता हेतु। (लाटानुप्रास) पराधीन जो जन नहीं, स्वर्ग नरकता हेतु...

रूपक अलंकार का उदाहरण कौन सा है? – ElegantAnswer.com

रूपक अलंकार का उदाहरण कौन सा है? इसे सुनेंरोकेंरूपक अलंकार के अन्य उदाहरण: उदित उदयगिरी-मंच पर, रघुवर बाल-पतंग। विकसे संत सरोज सब हर्षे लोचन भंग।। रूपक अलंकार की क्या पहचान होती है? इसे सुनेंरोकेंरूपक साहित्य में एक प्रकार का अर्थालंकार है जिसमें बहुत अधिक साम्य के आधार पर प्रस्तुत में अप्रस्तुत का आरोप करके अर्थात् उपमेय या उपमान के साधर्म्य का आरोप करके और दोंनों भेदों का अभाव दिखाते हुए उपमेय या उपमान के रूप में ही वर्णन किया जाता है। मुख मयंक सम मंजु मनोहर कौन सा अलंकार का उदाहरण है? इसे सुनेंरोकेंजब काव्य में समान धर्म के आधार पर एक वस्तु की समानता अथवा तुलना अन्य वस्तु से की जाए, तब वह उपमा अलंकार होता है, जिसकी उपमा दी जाए उसे उपमेय तथा जिसके द्वारा उपमा यानी तुलना की जाए उसे उपमान कहते हैं। उपमेय और उपमान की समानता प्रदर्शित करने के लिए सादृश्यवाचक शब्द प्रयोग किए जाते हैं। उदाहरण ”मुख मयंक सम मंजु मनोहर।” उपमा अलंकार की क्या पहचान है? इसे सुनेंरोकेंजहां दो वस्तुओं की तुलना करके, एक को दूसरे के समान बताया जाता है उसे उपमा अलंकार कहते हैं। अर्थात 2 वस्तुओं के समान धर्म के प्रतिपादन को उपमा कहते हैं। सांगरूपक अलंकार क्या होता है? इसे सुनेंरोकें(क) सांगरूपक, (ख) निरंग रूपक, (ग) परम्परित रूपक। (क) सांगरूपक–जहाँ अवयवोंसहित उपमान का आरोप होता है, वहाँ ‘सांगरूपक’ अलंकार होता है। देना दुख में कौन सा अलंकार है? इसे सुनेंरोकें’दारुण दैन्य दुख’ में द’ वर्ण की आवृत्ति है, अत: अनुप्रास अलंकार है। पूँछ उठाए चली आ रही क्षितिज जंगलों से टोली पंक्ति में कौनसा अलंकार है? इसे सुनेंरोकेंइसमें अनुप्रास अलंकार है। चरण सरोज बुखार लगा में कौन सा अलंकार है? इसे सुनेंरोकेंAnswer: यह रूपक अल...

अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण

अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण अलंकार क्या है काव्य की शोभा बढ़ानेवाले उपकरणों को अलंकार करते हैं। जैसे अलंकरण धारण करने से शरीर की शोभा बढ़ जाती है, वैसे ही अलंकरण के प्रयोग से काव्य में चमक उत्पन्न हो जाती है। संस्कृत आचार्य दंडी के अनुसार ‘अलंकार काव्य का शोभाकारक धर्म है’ और आचार्य वामन के अनुसार ‘अलंकार ही सौंदर्य है।’ रीतिकालीन आचार्य केशवदास के अनुसार- ‘भूषण बिन न बिराजहीं कविता, बनिता मित्त।’ वहीं अभिनवगुप्त के अनुसार, “यदि शव को गहने पहना दिए जाएँ, या साधु सोने की छड़ी धारण कर ले तो वह सुंदर नहीं हो सकता। अथार्त अलंकार सौंदर्य की वृद्धि करता है, सुंदर की सृष्टि नहीं कर सकता।” आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार, “कथन की रोचक, सुंदर और प्रभावपूर्ण प्रणाली अलंकार है। गुण और अलंकार में यह अंतर है की गुण सीधे रस का उत्कर्ष करते हैं, अलंकार सीधे रस का उत्कर्ष नहीं करते हैं।” अत: भले ही अलंकार को काव्य का आवश्यक अंग माना गया है, परंतु यह वर्णन शैली की विशेषता है। अलंकार के भेद कवि शब्द और अर्थ में विशेषता लाकर अपने काव्य को प्रभावकारी बनाते हैं। इसी आधार पर अलंकार के दो भेद किए गये हैं- क. शब्दालंकार, ख. अर्थालंकार। जब केवल शब्दों में चमत्कार पाया जाता है तब शब्दालंकार और जब अर्थ में चमत्कार होता है तब अर्थालंकार कहलाता है। इसके अतिरिक्त जहाँ शब्द और अर्थ दोनों में किसी प्रकार की विशेषता प्रतीत हो, वहाँ उभयालंकार माना जाता है। शब्दालंकार के भेद ‘शब्दालंकार 7 प्रकार के होते हैं। इनमें अनुप्रास,यमक, श्लेष तथा वक्रोक्ति मुख्य हैं।’ 1. अनुप्रास अलंकार ‘जहाँ व्यंजन वर्णों की आवृत्ति होती है वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।’ अर्थात जहाँ किसी पंक्ति के शब्दों में एक ही वर्ण की अनेक...

रूपक अलंकार किसे कहते हैं? रूपक अलंकार के उदाहरण, परिभाषा, वाक्य rupak alankar in hindi, examples

विषय-सूचि • • • इसलेखमेंहमनेंअलंकारकेभेदरूपकअलंकारकेबारेमेंचर्चाकीहै। अलंकारकामुख्यलेखपढ़नेंकेलिएयहाँक्लिककरें– रूपकअलंकारकीपरिभाषा जबगुणकीअत्यंतसमानताकेकारणउपमेयकोहीउपमानबतादियाजाएयानीउपमेयओरउपमानमेंअभिन्नतादर्शायीजाएतबवहरूपकअलंकारकहलाताहै। रूपकअलंकारअर्थालंकारोंमेंसेएकहै।रूपकअलंकारमेंउपमानऔरउपमेयमेंकोईअंतरनहींदिखायीपड़ताहै। जैसे: रूपकअलंकारकेउदाहरण : • वनशारदीचन्द्रिका-चादरओढ़े। दिएगएउदाहरणमेंजैसाकिआपदेखसकतेहैंचाँदकीरोशनीकोचादरकेसमाननाबताकरचादरहीबतादियागयाहै।इसवाक्यमें उपमेय–‘चन्द्रिका’हैएवं उपमान–‘चादर’है।यहांआपदेखसकतेहैंकीउपमानएवंउपमेयमेंअभिन्नतादर्शायीजारहीहै।हमजानतेहैंकीजबअभिन्नतादर्शायीजातीहीतबवहांरूपकअलंकारहोताहै। अतःयहउदाहरणरूपकअलंकारकेअंतर्गतआएगा। • पायोजीमैंनेरामरतनधनपायो। ऊपरदिएगएउदाहरणमेंरामरतनकोहीधनबतादियागयाहै।‘ रामरतन’– उपमेयपर ‘धन’– उपमानकाआरोपहैएवंदोनोंमेंअभिन्नताहै।यहांआपदेखसकतेहैंकीउपमानएवंउपमेयमेंअभिन्नतादर्शायीजारहीहै।हमजानतेहैंकीजबअभिन्नतादर्शायीजातीहीतबवहांरूपकअलंकारहोताहै। अतःयहउदाहरणरूपकअलंकारकेअंतर्गतआएगा। • गोपीपद-पंकजपावनकिरजजामेसिरभीजे। ऊपरदिएगएउदाहरणमेंपैरोंकोहीकमलबतादियागयाहै।‘ पैरों’–उपमेयपर‘कमल’– उपमानकाआरोपहै।उपमेयओरउपमानमेंअभिन्नतादिखाईजारहीहै।यहांआपदेखसकतेहैंकीउपमानएवंउपमेयमेंअभिन्नतादर्शायीजारहीहै।हमजानतेहैंकीजबअभिन्नतादर्शायीजातीहीतबवहांरूपकअलंकारहोताहै। अतःयहउदाहरणरूपकअलंकारकेअंतर्गतआएगा। • बीतीविभावरीजागरी ! अम्बरपनघटमेंडुबोरहीताराघाटउषानगरी। जैसाकीआपऊपरदिएगएउदाहरणमेंदेखसकतेहैंयहांउषामेंनागरीका, अम्बरमेंपनघटकाऔरतारामेंघाटकानिषेधरहितआरोपहुआहै।यहांआपदेखसकतेहैंकीउपमानएवंउपमेयमेंअभिन्नतादर्शायीजारहीहै।हमजानतेहैंकीजबउपमानएवंउपमेयमेंअभिन्नता...

अलंकार

अलंकार

Alankar In Hindi / अलंकार

अलंकार शब्द का अर्थ ‘आभूषण’ होता है। अलंकार शब्द ‘अलम्+कार’ यह दो शब्द को जोड़कर बना है। जिसमे ‘अलम्’ शब्द का अर्थ ‘भूषण’ होता है। जिस प्रकार अलंकार स्री के सौंदर्य को बढ़ाता है। उसी प्रकार काव्य की शोभा बढ़ाने वाले शब्द को अलंकार कहते है। अलंकार से काव्य में रोचकता और सुंदरता उभरकर आती है। अलंकार को काव्य की आत्मा भी कहा जाता है। अलंकार काव्य के साथ जुड़कर उसकी सुन्दरता को दुगनी कर देता है। अलंकार को संक्षेप में कहा जाए तो यह भाषा को सुंदर शब्दार्थ से सुज्जित करता है। यह भाषा और काव्य के रूप को सुंदर और मधुर बना देता है। संस्कृत भाषा में ‘अलंकरोति इति अलंकारः’ कहा है। जिसका अर्थ जो अलंकृत करता है उसे अलंकार कहते है। भारतीय साहित्य के अनुसार किसी भी भाषा में अनुप्रास, उपमा, रूपक, अनन्वय, यमक, श्लेष, उत्प्रेक्षा, संदेह, अतिशयोक्ति, वक्रोक्ति आदि प्रमुख और इनके अलावा अन्य अलंकार भी है। काव्य में कथनीय वस्तू को अच्छे रूप में अभिव्यक्ति देने के लिए अलंकार का उपयोग होता है। काव्य में अलंकार का विचार गुण, रस, ध्वनि, प्रसंग को ध्यान में रखकर किया जाता है। अलंकार के भेद / Types Of Alankar In Hindi जिस अलंकार में शब्दों का उपयोग करके काव्य में चमत्कार उत्पन्न होता है उसे ‘शब्दालंकार’ कहते है। और उन शब्दो पर समानर्थी शब्द रखा जाए तो यह चमत्कार समाप्त हो जाता है। शब्दालंकार मुख्यतः दो शब्दों से बनता है-‘शब्द+अलंकार’ उसके दो रूप होते है ‘ध्वनी और अर्थ’ उसका अर्थ किसी काव्य को शब्दों के माध्यम से अलंकृत करना होता है। इस अलंकार में कविता और काव्य में शब्दों के आधार पर वर्णन किया जाता है। शब्दालंकार के भेद / Shabdalankar Ke Bhed In Hindi • छेकानुप्रास अलंकार • वृत्यानुप्रास अलंकार • लाटानुप्...

रूपक अलंकार, भेद व 72 उदाहरण

रूपक अलंकार, भेद व 72 उदाहरण :– मैं भूप सिंह पूनिया आप सभी को शुभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ। आप स्वस्थ, दीर्घायु व यशस्वी बने रहें। मैं हिंदी प्रेमी व हिंदी भाषा का सेवक हूँ। माँ सरस्वती की कृपा से जो कुछ सीख पाया हूँ उसे नई पीढ़ी को सिखाकर जाना चाहता हूँ इसलिए मैंने You tube पर एक चैनल भी बनाया हुआ है – Saransh Hindi Classes. इस चैनल पर बहुत ही सरल शब्दावली में, सरल भाषा शैली में व सरल उदाहरणों से हिंदी व्याकरण समझाने का प्रयास किया हुआ है। छोटे बच्चे (विद्यार्थी) भी आसानी से समझ पायेंगे। कम्पटीशन की तैयारी में जुटे विद्यार्थी भी इससे जुड़कर लाभ उठा सकते हैं। आप चैनल पर जाकर Play list में जाकर अपनी पसंद का टॉपिक पढ़ या देख सकते हैं। ★गूगल पर ‘शिक्षालय’ पर भी आप विस्तार से पढ़ सकते हैं।★ Note – यहाँ रूपक अलंकार को सरल उदाहरणों से व सरल भाषा शैली में समझाया जाएगा। और हाँ, रूपक अलंकार के सभी भेदों को भी सरलतम रूप से समझाया जाएगा। रूपक अलंकार के 72 उदाहरण भी यहाँ दिए जाएँगे, अतः आप विश्वास के साथ पूरा पढ़ें। ADVERTISEMENT ध्यान दें – पहले के कवि स्वयं को ‘कवि’ कहलवाने की बजाय ‘आचार्य’ कहलवाना अधिक पसंद करते थे। वे अपने काव्यों को अलंकारों से / रसों से / काव्य रीतियों व काव्य गुणों से सजाना पसंद करते थे। [इन सब पर विस्तार से चर्चा आगे के वीडियोज में जारी रहेगी।] यहाँ तो इतनी सी जानकारी देना चाहूँगा कि आचार्य भामह व आचार्य दंडी ने अलंकारों को बहुत महत्त्व दिया था। इन्होंने तो अलंकारों को काव्य की आत्मा माना था, जबकि आचार्य विश्वनाथ (वाक्यम रसात्मकम काव्यम) रसों को काव्य की आत्मा माना था। आचार्य भरतमुनि में भी आपने ‘नाट्यशास्त्र’ में रसों की चर्चा की है। अलंकारवादी आचार्यों ने अपनी काव...