साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है। इस कथन पर अपने विचार लिखिए।

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  2. NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 2
  3. साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है। इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
  4. विनम्रता क्यों आवश्यक है? – ElegantAnswer.com
  5. साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है। लक्ष्मण
  6. साहस और शक्ति के साथ


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NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 2 Question Answer » Education 4 India

आज हम आप लोगों को कृतिका भाग-2 के कक्षा-10 का पाठ-2 (NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 2) के राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद पाठ का प्रश्न-उत्तर (Ram Lakshman Parshuram Samvad Question Answer) के बारे में बताने जा रहे है जो कि तुलसीदास (Tulsidas) द्वारा लिखित है। इसके अतिरिक्त यदि आपको और भी NCERT हिन्दी से सम्बन्धित पोस्ट चाहिए तो आप हमारे website के Top Menu में जाकर प्राप्त कर सकते हैं। NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 2 Question Answer | राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास प्रश्न:- 1. परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए ? (क) परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण कहते है कि यह धनुष बहुत पुरानी थी इसलिए राम के छुते ही टुट गई। (ख) लक्ष्मण ने धनुष के टूटने का दुसरा कारण बताते हुए तर्क देते है कि बचपन में उन्होनों ऐसे बहुत से धनुष तोड़े है।सब धनुष एक समान है। (ग) लक्ष्मण ने धनुष के टूटने का तीसरा कारण बतातेल हुए तर्क देते है कि इस पुराने धनुष पर गलती से राम का नजर पर गयी।वे कहते है कि ऐसे पुराने धनुष के टुट जाने से किसी का कोई नुकसान नही हो सकता है। प्रश्न:- 2. परशुराम के क्रोध करने पर राम और लक्ष्मण की जो प्रतिक्रियाएँ हुईं उनके आधार पर दोनों के स्वभाव की विशेषताएँ अपने शब्दों में लिखिए। उत्तर:- परशुराम के क्रोध करने पर राम और लक्ष्मण की जो प्रतिक्रियाएँ हुई उनके आधार पर राम का स्वभाव शीतल जत के समान था। राम मर्यादा , विनम्रता , धैर्य व सहनशीलता के प्रतीक हैं। इसीलिए उन्होंने धनुष के टूट जाने से क्रोधित हुए परशुराम को शांत करने का प्रयास किया। इसके लिए उन्होने नम्रता का सहारा लिया और वि...

NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 2

1.परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए? उत्तर परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने पर निम्नलिखित तर्क दिए -• श्री राम ने इसे नया और मजबूत समझ कर सिर्फ छुआ था परन्तु धनुष बहुत पुराना और कमजोर होने के कारण हाथ लगाते ही टूट गया| • बचपन में भी उनलोगों ने कई धनुहियाँ तोड़ी हैं, तब परशुराम क्रोधित नहीं हुए? • हमें ये धनुष साधारण धनुष लगा| • इस धनुष के टूटने पर उन्हें कोई लाभ-हानि नहीं दिखती| 2. परशुराम के क्रोध करने पर राम और लक्ष्मण की जो प्रतिक्रियाएँ हुईं उनके आधार पर दोनों के स्वभाव की विशेषताएँ अपने शब्दों में लिखिए। उत्तर राम बहुत शांत और धैर्यवानहैं| परशुराम के क्रोध करने पर राम विनम्रता के साथ कहते हैं कि धनुष तोड़ने वाला कोई उनका दास ही होगा| वे मृदुभाषी होने का परिचय देते हुए अपनी मधुर वाणी से परशुराम के क्रोध को शांत करने का प्रयास करते हैं| अंत में आँखों से संकेत कर लक्ष्मण को शांत रहने को कहते हैं| दूसरी ओर लक्ष्मण का स्वभाव उग्र है| वह व्यंग्य करते हुए परशुराम को इतनी छोटी सी बात पर हंगामा नहीं करने के लिए कहते हैं| वे परशुराम के क्रोध की चिंता किये बिना अपशब्दों को प्रयोग ना करने को कहते हैं| वह उनके क्रोध को अन्याय समझते हैं इसीलिए पुरजोर विरोध करते हैं| पृष्ठ संख्या: 15 3. लक्ष्मण और परशुराम के संवाद का जो अंश आपको सबसे अच्छा लगा उसे अपने शब्दों में संवाद शैली में लिखिए। उत्तर परशुराम - शिवजी का धनुष तोड़ने का दुस्साहस किसने किया है? राम - हे नाथ! इस शिवजी के धनुष को तोड़ने वाला अवश्य ही आपका कोई दास ही होगा| परशुराम - सेवक वह होता है जो सेवा का कार्य करे| किन्तु जो सेवक शत्रु के सामने व्यवहार करे उससे तो लड़...

साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है। इस कथन पर अपने विचार लिखिए।

यह पूर्णतया सत्य है कि साहस और शक्ति के साथ विनम्रता का मेल हो तो सोने पर सोहागा होने जैसी स्थिति हो जाती है। अन्यथा विनम्रता के अभाव में व्यक्ति उद्दंड हो जाता है। वह अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हुए दूसरों का अहित करने लगता है। साहस और शक्ति के साथ विनम्रता का मेल श्रीराम में है जो स्वयं को ‘दास’ शब्द से संबोधित करके प्रभावित करते हैं। वे अपनी विनम्रता के कारण परशुराम की क्रोधाग्नि को शीतल जल रूपी वचन के छीटें मारकर शांत कर देते हैं।

विनम्रता क्यों आवश्यक है? – ElegantAnswer.com

विनम्रता क्यों आवश्यक है? इसे सुनेंरोकेंविनम्रता न केवल आपके व्यक्तित्व में निखार लाती है, बल्कि कई बार सफलता का कारण भी बनती है। विनम्रता के एवज में जो सम्मान मिलता है उसका एक अलग महत्व है। मन की कोमलता और व्यवहार में विनम्रता एक बड़ी शक्ति है। कोमलता सदा जीवित रहती है, जबकि कठोरता का जल्दी ही विनाश हो जाता है। व्यक्ति की विनम्रता का पता कैसे चलता है? इसे सुनेंरोकेंदूसरों के सामने अपनी टैलेंट का बेवजह प्रदर्शन न करें। दूसरों को यह बताना जरूरी नही हैं कि, आप किसी भी चीज़ में कितने अच्छे हैं। जब सामने वाले को आपके टैलेंट का पता खुद से चलता हैं तो वे खुद से आपकी तारीफ करते हैं। इसीलिए एक विनम्र व्यक्ति के लिए बेवजह शेखी बघारने से बुरा कुछ भी नही हो सकता है। विनम्रता से क्या आशय है? इसे सुनेंरोकेंविनम्रता वह गुण है जो आपकी स्वयं की सीमाओं और कमजोरियों को जानने और उस ज्ञान के अनुसार कार्य करने में निहित है। यह शब्द लैटिन शब्द ह्यूमिलिटस से आया है । यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि, किसी व्यक्ति के दृष्टिकोण के आधार पर, विनम्रता और आडंबर के बीच एक बहुत पतली रेखा है। … 4 साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है हमें व्यवहारिक जीवन में विनम्रता की आवश्यकता क्यों पड़ती है लिखिए? इसे सुनेंरोकेंयदि व्यक्ति विनम्र रहेगा तो वह अपनी शक्ति को सकारात्मक दिशा में सहयोग करते हुए लंबे समय तक शक्ति का आनंद ले सकता है। लेकिन यदि वह विनम्र नहीं है, तो शीघ्र ही उसकी उसका साहस कमजोर पड़ जाना है, उसकी शक्ति क्षीण हो जानी है। इसलिए साहस और शक्ति के साथ यदि विनम्रता है, तो बेहतर है। विनम्रता मानव का श्नषठ आभूषण है । नम्र को हिंदी में क्या कहते हैं? इसे सुनेंरोकेंविनयशील। नम्रता को हिंदी में क्या कहत...

साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है। लक्ष्मण

साहस और शक्ति वीरता के भूषण हैं। यदि इनके साथ व्यक्ति में विनम्रता भी हो तो सोने में सुहाग जैसी बात है। वह मनुष्य को अहंकारी और निरंकुश होने से बचाती है। लक्ष्मण और परशुराम दोनों में साहस और शक्ति की कमी नहीं है किन्तु विनम्रता के अभाव में दोनों अहंकारी और निरंकुश हो गये हैं। श्रीराम साहस और शक्ति में दोनों से कम नहीं हैं। किन्तु वह अपनी विनम्रता के कारण सारी सभा की प्रशंसा के पात्र हैं।

साहस और शक्ति के साथ

साहस तथा शक्ति व्यक्ति के दो उत्तम गुण हैं, इनसे उसके व्यक्तित्व की शोभा बढ़ती है, किन्तु यदि इन दोनों के साथ व्यक्ति में विनम्रता भी हो तो वह और उत्तम बन जाता है। विनम्रता के अकारण होनेवाली अप्रिय घटनाओं, वाद-विवादों को टाला जा सकता है। विनम्रता शत्रु के क्रोध को भी शमित कर देती है। विनम्रता द्वारा व्यक्ति अपने विरोधी के लिए भी सम्माननीय बन सकता है। अत: साहस और शक्ति दो उत्तम गुणों के साथ विनम्रता का भी मेल हो जाए तो व्यक्ति बेहतर बन जाता है।