साखियाँ एवं सबद भावार्थ class 9

  1. कबीर की साखियाँ एवं सबद
  2. साखियाँ एवं सबद
  3. GSEB Solutions Class 9 Hindi Kshitij Chapter 9 सानियाँ एवं सबद – GSEB Solutions
  4. kabir sakhiyan class 9
  5. MP Board Class 9th Hindi Solutions Chapter 9 साखियाँ एवं सबद
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कबीर की साखियाँ एवं सबद

• मोकों कहाँ ढूँढ़े बंदे, मैं तो तेरे पास में। • ना मैं देवल ना मैं मसजिद, ना काबे कैलास में। • ना तो कौने क्रिया-कर्म में, नहीं योग बैराग में। • खोजी होय तो तुरतै मिलिहौं, पल भर की तालास में। • कहैं कबीर सुनो भई साधो, सब स्वाँसों की स्वाँस में || ( भावार्थ ) • इन पंक्तियों में कबीर दास जी कहते हैं कि ईश्वर सर्वत्र व्याप्त हैं। • लेकिन अपनी अज्ञानता वश मनुष्य ईश्वर की खोज में जीवन भर भटकता रहता है। • कभी वह मंदिर जाता है तो कभी मस्जिद पहुंच जाता हैं। • कभी काबा में तो , कभी कैलाश में ईश्वर को ढूढ़ता रहता हैं। • और कभी उस ईश्वर को पाने के लिए पूजा-पाठ, तंत्र मंत्र करता हैं • या फिर साधु का चोला पहन कर वैराग्य धारण कर लेता हैं। • और इस प्रकार वह अपना सारा जीवन ईश्वर की खोज में व्यर्थ गंवा देता है। • लेकिन ये सब बाह्य आडंबर या दिखावे से ज्यादा कुछ नहीं है। • कबीरदास जी के अनुसार भगवान तो मनुष्य के अंदर उसकी आत्मा में ही बसते हैं। • वह हर जीव के भीतर ही विध्यमान हैं। • उनसे मिलने के लिए आपको किसी बाहरी आडंबर की जरूरत नहीं है और न ही कही जाने की। • अगर मनुष्य सिर्फ अपने अंदर ही झांककर देखे तो , उसे ईश्वर पल भर में मिल जायेंगे। • यानि सरल शब्दों में इसका अर्थ यह हैं कि ईश्वर कण-कण में निवास करता है। • उसको ढूढ़ने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं हैं। • बस आपको सच्चे मन से उसे देखना होता है। • संतौं भाई आई ग्याँन की आँधी रे। • भ्रम की टाटी सबै उड़ाँनी, माया रहै न बाँधी॥ • हिति चित्त की द्वै थूँनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा। • त्रिस्नाँ छाँनि परि घर ऊपरि, कुबधि का भाँडाँ फूटा। • जोग जुगति काया का निकस्या, हरि की गति जब जाँणी॥ • आँधी पीछै जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भींनाँ। • कहै कबीर भाँन क...

साखियाँ एवं सबद

साखियाँ मानसरोवर सुभर जल, हंसा केलि कराहिं। मुकताफल मुकता चुगैं, अब उड़ि अनत न जाहिं।1। अर्थ - इस पंक्ति में कबीर ने व्यक्तियों की तुलना हंसों से करते हुए कहा है की जिस तरह हंस मानसरोवर में खेलते हैं और मोती चुगते हैं, वे उसे छोड़कहीं नही जाना चाहते ठीक उसी तरह मनुष्य भी जीवन के मायाजाल में बंधजाता है और इसे ही सच्चाई समझने लगता है। प्रेमी ढूंढ़ते मैं फिरौं, प्रेमी मिले न कोइ। प्रेमी कौं प्रेमी मिलै, सब विष अमृत होइ।2। अर्थ -यहां कबीर यह कहते हैं की प्रेमी यानी ईश्वर को ढूंढना बहुत मुश्किल है। वे उसे ढूंढ़ते फिर रहे हैं परन्तु वह उन्हें मिल नही रहा है। प्रेमी रूपी ईश्वर मिल जाने पर उनका सारा विष यानीकष्ट अमृत यानी सुख में बदल जाएगा। हस्ती चढ़िए ज्ञान कौ, सहज दुलीचा डारि। स्वान रूप संसार है, भूँकन दे झक मारि।3। अर्थ -यहां कबीर कहना चाहते हैं की व्यक्ति को ज्ञान रूपी हाथी की सवारी करनी चाहिए और सहज साधना रूपी गलीचा बिछाना चाहिए। संसार की तुलना कुत्तों से की गयी है जो आपके ऊपर भौंकते रहेंगे जिसे अनदेखा कर चलते रहना चाहिए। एक दिन वे स्वयं हीझक मारकर चुप हो जायेंगे। पखापखी के कारनै, सब जग रहा भुलान। निरपख होइ के हरि भजै, सोई संत सुजान।4। अर्थ - संतकबीर कहते हैं पक्ष-विपक्ष के कारण सारा संसार आपस में लड़ रहा है और भूल-भुलैया में पड़कर प्रभु को भूल गया है। जो ब्यक्ति इन सब झंझटों में पड़े बिना निष्पक्ष होकर प्रभु भजन में लगा है वही सही अर्थों में मनुष्य है। हिन्दू मूआ राम कहि, मुसलमान खुदाई। कहै कबीर सो जीवता, दुहुँ के निकटि न जाइ।5। अर्थ -कबीर ने कहा है की हिन्दू राम-राम का भजन और मुसलमान खुदा-खुदा कहते मरजाते हैं, उन्हें कुछ हासिल नही होता। असल में वह व्यक्ति ही जीवित के समान है जो इन ...

GSEB Solutions Class 9 Hindi Kshitij Chapter 9 सानियाँ एवं सबद – GSEB Solutions

Gujarat Board GSEB Std 9 Hindi Textbook Solutions Kshitij Chapter 9 सानियाँ एवं सबद Std 9 GSEB Hindi Solutions सानियाँ एवं सबद Textbook Questions and Answers प्रश्न-अभ्यास सखियाँ प्रश्न 1. मानसरोवर’ से कवि का क्या आशय है ? उत्तर : ‘मानसरोवर’ से कवि का आशय हृदयरूपी पवित्र सरोवर से है, जो हमारे मन में है। प्रश्न 2. कवि ने सच्चे प्रेमी की क्या कसौटी बताई है ? उत्तर : कवि सच्चे प्रेमी की कसौटी बताते हुए कहते हैं कि उससे मिलने पर मन की विषरूपी सारी बुराइयाँ नष्ट हो जाती है और सद्भावनाएँ जाग्रत हो जाती हैं। प्रश्न 3. तीसरे दोहे में कवि ने किस प्रकार के ज्ञान को महत्त्व दिया है ? उत्तर : तीसरे दोहे में कवि ने सच्चे ज्ञान की प्राप्ति को महत्त्व दिया है। जिसे प्राप्त करने के बाद विनम्रता आ जाती है। लोगों की निंदा का असर नहीं होता है। प्रश्न 4. इस संसार में सच्चा संत कौन कहलाता है ? उत्तर : इस संसार में सच्चा संत वही है जो मोह-माया की भावना से दूर है और साम्प्रदायिक झगड़े में न पड़कर निश्चल भाव से प्रभु-भक्ति करता है। प्रश्न 5. अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने किस तरह की संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है ? उत्तर : अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने निम्नलिखित संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है – • अपने धर्म को श्रेष्ठ मानना और दूसरे के धर्म की निन्दा करना। राम-रहीम के चक्कर में पाड़कर राप्ये ईमार को न पहचानना। • कर्म की महत्ता को न समझाकर ऊँचे कुल के अहंकार में जीना।। प्रश्न 6. किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कुल से होती है या उसके कर्मों से ? तर्क सहित उत्तर दीजिए। उत्तर : संसार में जो भी महापुरुष हुए हैं यदि उन्हें आज हम याद करते हैं तो उनके उच्च कर्मों की वजह से, इसलिए नहीं कि उनका ...

kabir sakhiyan class 9

कबीर दास की साखियाँ एवं सबद (पद) | Kabir Das ki Sakhi in Hindi Class 9 क्षितिज भाग 1 कक्षा 9 पाठ 9 (NCERT Solution for class 9 kshitij bhag 1 chapter 9) कबीर दास की साखियाँ एवं सबद (पद) काव्य खंड (Kabir Das ki Sakhi and Sabad) के पठन व लेखन से सम्बंधित समस्त अध्ययन सामग्री का संग्रहण एवं प्रस्तुतिकरण - इसके अलावा पाठ में कवि के दो सबद (पदों) का संकलन है . जिसमें पहले सबद में बाह्य आडम्बरों का विरोध तथा अपने भीतर ही ईश्वर की व्याप्ति का संकेत है. दूसरे सबद में ज्ञान की आंधी रूपक के सहारे ज्ञान के महत्व का वर्णन किया गया है .कवि का मानना है कि ज्ञान की सहायता से मनुष्य अपनी सभी दुर्बलताओं पर विजय प्राप्त कर सकता है . कबीरदास जी कहते हैं कि जब मैं अपने अहंकार में भरा हुआ ईश्वर भक्त बनकर ईश्वर भक्तों को ढूंढ रहा था तो मुझे कोई नहीं मिला लेकिन जब मैंने अपने अहंकार को त्याग दिया और सच्चा ईश्वर भक्त बना तो मुझे सच्चा ईश्वर भक्त मिला और मेरे मन की बुराइयां बदल कर अच्छाइयां बन गईं . मेरा मन प्रभु भक्ति के आनंद में डूब गया. कवि ज्ञान प्राप्ति में लगे साधकों को संबोधित करते हुए कहता है कि तुम ज्ञान रूपी हाथी पर सहज समाधि रूपी आसन (कालीन) बिछाकर अपने मार्ग पर निश्चिंत होकर चलते रहो. यह संसार कुत्ते के समान है जो हाथी को आगे चलता हुआ देखकर पीछे से बिना किसी उद्येश्य के भौंकता रहता है अर्थात् साधक को ज्ञान प्राप्ति में लीन देखकर दुनियावाले अनेक तरह की उल्टी-सीधी बातें करते हैं परंतु उसे लोगों द्वारा की जाने वाली निंदा की परवाह नहीं करनी चाहिए. कबीरदास जी कहते हैं कि मैं जब राम-रहीम, हिंदू-मुसलमान के भेद से ऊपर उठ गया तो मेरे लिए काशी तथा काबा में कोई अंतर नहीं रह गया. मन के मैल के कारण ...

MP Board Class 9th Hindi Solutions Chapter 9 साखियाँ एवं सबद

जीवन-परिचय – भक्तिकाल के निर्गुण शाखा के कवियों में प्रमुख स्थान रखने वाले एवं बाह्रय आडंबरों एवं सामाजिक बुराइयों पर करारा प्रहार करने वाले कबीर जी का जन्म काशी में सन् 1398 ई. में हुआ। ऐसी मान्यता है कि उनका जन्म एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से हुआ। ब्राह्मणी ने लोकलाज के भय से बचने के लिए बालक कबीर को लहरतारा नामक तालाब के किनारे रख दिया। उसी स्थान से गुजरने वाले निःसन्तान दम्पति नीरू और नीमा नामक जुलाहे ने बालक को पड़ा हुआ देखा और उसे उठाकर अपने घर लाकर लालन-पालन किया। कबीर अनपढ़ थे। उन्होंने संतों की संगति से ज्ञान प्राप्त किया। रामानंद नामक गुरु से कबीर जी ने निर्गुण भक्ति की दीक्षा ली। कबीर जी की पत्नी का नाम लोई था। उनके कमाल और कमाली नाम की दो सन्तानें थीं। वे सन् 1518 ई. के आस पास 120 वर्ष की दीर्घायु में मगहर में परलोक सिधार गए । काव्यगत विशेषताएँ – कबीर मूलतः संत थे। उन्होंने निराकार ईश्वर के प्रति अपनी भक्ति प्रकट की। उनका विश्वास था कि सच्चे प्रेम और ज्ञान से ही ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है। उसके लिए नाम-स्मरण और गुरु – शरण दोनों आवश्यक हैं। उन्होंने गुरु को ईश्वर से उच्च स्थान प्रदान किया है। कबीर के काव्य में गुरु भक्ति, गुरु महिमा, साधु महिमा, आत्मबोध, तथा ईश्वर के प्रति अगाध प्रेम की अभिव्यक्ति हुई है। उन्होंने सामाजिक बुराइयों- मूर्तिपूजा, छुआछूत, ऊँच-नीच की भावना आदि पर करारा प्रहार किया है। उन्होंने हिन्दू मुस्लिम एकता तथा विभिन्न धर्मो के बीच समन्वय स्थापित किया। उन्होंने दोनों को सच्चे मन से प्रभु भक्ति का संदेश दिया। उन्होंने नारी और माया दोनों का प्रबल विरोध किया। ये दोनों साधक को उसके पथ से हटाते हैं। भाषा-शैली – कबीर की भाषा अनमेल खिचड़ी है। कब...

NCERT Solutions Class 9th Hindi क्षितिज Chapter

Last Doubt NCERT Solutions Class 9th Hindi क्षितिज Chapter – 9 साखियाँ एवं सबद Textbook NCERT Class 9 th Subject Hindi Chapter 9 th Chapter Name साखियाँ एवं सबद Category Class 9 th Hindi (क्षितिज) Medium Hindi Source NCERT Solutions Class 9th Hindi क्षितिज Chapter – 9 साखियाँ एवं सबद प्रश्न – उत्तर जिसमे हम कबीर की साखियाँ का अर्थ?, साखियाँ और सबद के कवि कौन है?, सबद का अर्थ क्या होता है?, साखियाँ शब्द का क्या अर्थ होता है?, कबीर दास जी ने प्रेमी किसे कहा है?, साखियाँ और सबद में क्या अंतर है?, इस संसार में सच्चा संत कौन होता है?, कबीर दास ने संत सुजान किसे बताया है? आदि के बारे में पढ़ेंगे। साथ-साथ हम NCERT Solutions Class 9th Hindi क्षितिज Chapter – 9 साखियाँ एवं सबद प्रश्न – उत्तर करेंगे NCERT Solutions Class 9th Hindi क्षितिज Chapter – 9 साखियाँ एवं सबद Chapter – 9 साखियाँ एवं सबद प्रश्न – उत्तर प्रश्न-अभ्यास साखियाँ प्रश्न 1. ‘मानसरोवर’ से कवि का क्या आशय है ? उत्तर – मानसरोवर के दो अर्थ हैं – • एक • पवित्र मन या मानस। प्रश्न 2. कवि ने सच्चे प्रेमी की क्या कसौटी बताई है ? उत्तर – कवि ने सच्चे प्रेमी की यह कसौटी बताई है कि उसका मन विकारों से दूर तथा पवित्र होता है। इस पवित्रता का असर मिलने वाले पर पड़ता है। ऐसे प्रेमी से मिलने पर मन की पवित्रता और सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। प्रश्न 3. तीसरे दोहे में कवि ने किस प्रकार के ज्ञान को महत्त्व दिया है ? उत्तर – इस दोहे में अनुभव से प्राप्त आध्यात्मिक ज्ञान को महत्त्व दिया गया है। प्रश्न 4. इस संसार में सच्चा संत कौन कहलाता है ? उत्तर – इस संसार में सच्चा संत वही है जो जाति- प्रश्न 5. अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने किस तरह क...

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Chapter 9

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Chapter 9 साखियाँ एवं सबद are provided here with simple step-by-step explanations. These solutions for साखियाँ एवं सबद are extremely popular among Class 9 students for Hindi साखियाँ एवं सबद Solutions come handy for quickly completing your homework and preparing for exams. All questions and answers from the NCERT Book of Class 9 Hindi Chapter 9 are provided here for you for free. You will also love the ad-free experience on Meritnation’s NCERT Solutions. All NCERT Solutions for class Class 9 Hindi are prepared by experts and are 100% accurate. Answer: प्रस्तुत दोहों में कबीरदास जी ने धार्मिक एकता तथा साम्प्रदायिक सद्भावना के विचार को व्यक्त किया है। उन्होंने हिंदु- मुस्लिम एकता का समर्थन किया तथा धार्मिक कुप्रथाओं जैसे - मूर्तिपूजा का विरोध किया है। ईश्वर मंदिर, मस्जिद तथा गुरुद्वारे में नहीं होते हैं बल्कि मनुष्य की आत्मा में व्याप्त हैं। कबीरदास जी का उद्देश्य समाज में एकता स्थापित कर कुप्रथाओं को नष्ट करना था। इसी संदर्भ में कबीरदास जी कहते हैं - " जाति- पाति पूछै नही कोए। हरि को भजै सो हरि का होए।" Page No 93: Answer: व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्धारण उसकी जाति या धर्म से न होकर उसके कर्मों के आधार पर होती है। कबीर ने स्वर्ण कलश और सुरा ( शराब) के माध्यम से अपनी बात स्पष्ट की है। जिस प्रकार सोने के कलश में शराब भर देने से शराब का महत्व बढ़ नहीं जाता तथा उसकी प्रकृति नहीं बदलती। उसी प्रकार श्रेष्ठ कुल में जन्म लेने मात्र से किसी भी व्यक्ति का गुण निर्धारित नहीं किया जा सकता। मनुष्य के गुणों की पहचान उनके कर्म से होती है। अपने कर्म के माध...

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Chapter 9 साखियाँ एवं सबद

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