सावित्रीबाई फुले का जन्म कब हुआ

  1. सावित्रीबाई फुले
  2. सावित्रीबाई फुले की जीवनी
  3. सावित्रीबाई फुले जयंती व जीवनी
  4. Savitribai Phule Death Anniversary: Who was Savitribai Phule life know first women teacher of india
  5. savitribai phule jayanti : who is savitribai phule speech in hindi nibandh essay first women teacher


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सावित्रीबाई फुले

अनुक्रम • 1 परिचय • 2 hjeksjjwlwkwb b!#929374839#:+₹(*!"((}=¥==¥={•{^{•[=ixix विद्यालय की स्थापना = [ ] 5 सितंबccpcyxogर 1848 में निधन [ ] 10 मार्च 1897 को सावित्रीबाई फुले पर प्रकाशित साहित्य [ ] • क्रांतिज्योती सावित्रीबाई फुले (लेखिका: शैलजा मोलक) • क्रांतिज्योती सावित्रीबाई फुले (लेखक: ना.ग. पवार) • क्रांतिज्योती सावित्रीबाई फुले (लेखक: नागेश सुरवसे) • क्रांतिज्योती सावित्रीबाई फुले (विद्याविकास) (लेखक: ज्ञानेश्वर धानोरकर) • त्या होत्या म्हणून (लेखिका: डॉ. विजया वाड) • 'व्हय मी सावित्रीबाई फुले' हे नाटक (एकपात्री प्रयोगकर्ती आद्य अभिनेत्री: सुषमा देशपांडे) (अन्य सादरकर्त्या - डॉ. वैशाली झगडे) • साध्वी सावित्रीबाई फुले (लेखिका: फुलवंता झोडगे) • सावित्रीबाई फुले (लेखक: अभय सदावर्ते) • सावित्रीबाई फुले (लेखिका: निशा डंके) • सावित्रीबाई फुले (लेखक: डी.बी. पाटील ) • सावित्रीबाई फुले - श्रध्दा (लेखक: मोहम्मद शाकीर) • सावित्रीबाई फुले (लेखिका: प्रतिमा इंगोले ) • सावित्रीबाई फुले (लेखक: जी.ए. उगले) • सावित्रीबाई फुले (लेखिका: मंगला गोखले) • सावित्रीबाई फुले: अष्टपैलू व्यक्तिमत्त्व (लेखक: ना.ग. पवार) • 'हाँ मैं सावित्रीबाई फुले' (हिंदी), (प्रकाशक: अझिम प्रेमजी विद्यापीठ) • ज्ञान ज्योती माई सावित्री फुले (लेखिका: विजया इंगोले) • ज्ञानज्योती सावित्रीबाई फुले (लेखिका उषा पोळ-खंदारे) • Savitribai - Journey of a Trailblazer (Publisher: Azim Premji University) • Shayera.Savitri Bai Phule (in urdu)Author Dr.Nasreen Ramzan Sayyed गूगल डूडल [ ] 3 जनवरी 2017 को उनके 189 वे जन्मदिवस पर सन्दर्भ [ ] •

सावित्रीबाई फुले की जीवनी

विषय सूची • • • • • • • • • • Savitribai Phule ki Jivani आधी आबादी के हक़ और सम्मान की लड़ाई जीवनपर्यंत लड़ने वाले सावित्रीबाई फुले के नाम से हर कोई परिचित होगा। पर क्या आप जानते है कि उन्होंने अपने जीवन के आखिरी समय को भी मानव जाति की सेवा में ही लगा दिया था। इतना ही नहीं यह उनके ही प्रयासों की वजह से संभव हो पाया कि समाज में स्त्रियों को शिक्षा का समान अधिकार प्राप्त है। सावित्रीबाई फुले का आरम्भिक जीवन महान् समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी को साल 1831 में महाराष्ट्र राज्य के सतारा जिले के नायगांव में हुआ था। इनके पिता का नाम खन्दोज़ी नेवसे था जोकि एक किसान थे। इनकी माता का नाम लक्ष्मीबाई था। सावित्रीबाई फुले पढ़ी लिखी नही थीं। एक बार की बात है जब वह अंग्रेजी की किताब के पन्ने पलट रही थीं कि तभी उनके पिता ने उनके हाथ से किताब छीनकर फेंक दी। साथ ही यह कहकर उन्हें शांत करा दिया कि हमारे समाज में पढ़ने का अधिकार सिर्फ ऊंची जाति के पुरुषों को ही है। सावित्रीबाई फुले के मन में तभी से समाज के शोषित वर्ग को आगे ले जाने की चेतना जाग्रत हो गई। परन्तु मात्र 9 साल की उम्र में ही सावित्रीबाई फुले का विवाह पूना निवासी एक समाज सुधारक ज्योतिबा फुले के साथ कर दिया गया था। उस वक्त ज्योतिबा फुले भी मात्र तीसरी कक्षा तक ही पढ़े थे लेकिन मराठा भाषा का उन्हें अच्छा ज्ञान था। ऐसे में आगे चलकर उन्होंने सावित्रीबाई फुले को पढ़ाने लिखाने में सहयोग प्रदान किया। इसके अलावा सावित्रीबाई फुले और उनके पति ज्योतिबा फुले की कोई संतान नहीं थी। जिसके चलते उन्होंने एक विधवा ब्राह्मण के बेटे यशवंतराव को पाला था। इतना ही नहीं सावित्रीबाई फुले और ज्योतिबा फुले के इस फैसले का उनके परिवार वालों ने ...

सावित्रीबाई फुले जयंती व जीवनी

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Savitribai Phule Death Anniversary: Who was Savitribai Phule life know first women teacher of india

सावित्रीबाई फुले पुण्यतिथि : लड़कियों को पढ़ाने जाती थीं तो लोग गोबर फेंकते थे, पढ़ें पहली महिला टीचर के संघर्ष की कहानी Savitribai Phule Death Anniversary: आज भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका, समाज फैली कुरीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाली कवयित्री क्रांतिज्योती सावित्रीबाई फुले जी की पुण्यतिथि है। Savitribai Phule Death Anniversary: आज भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका, समाज फैली कुरीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाली कवयित्री क्रांतिज्योती सावित्रीबाई फुले जी की पुण्यतिथि है। आज देश उन्हें याद कर श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है। 1897 में 10 मार्च के दिन उनका निधन हुआ था। सावित्रीबाई फुले ( Savitribai Phule ) अपन जीवन में महिला अधिकार के लिए सदैव संघर्षरत रहीं। वह नारी सशक्तिकरण की प्रतीक और नारी मुक्ति आंदोलन की प्रणेता हैं। उन्होंने समाज के प्रत्येक वर्ग में बालिका शिक्षा के प्रति जागृति लाने का प्रयास किया। साथ ही विधवा महिलाओं को पुनर्विवाह के लिए प्रोत्साहित किया। सावित्रीबाई फुले का जन्म महाराष्ट्र के सतारा जिले के एक छोटे से गांव नयागांव में 3 जनवरी 1831 को हुआ था। वह दलित परिवार में जन्मी थीं। सावित्री बाई फुले को भारत की पहली शिक्षिका होने का श्रेय जाता है। उन्होंने यह उपलब्धि तब हासिल की जब महिलाओं का शिक्षा ग्रहण करना तो दूर की बात थी, उनका घर से निकलना भी दूभर था। यहां जानें सावित्रीबाई फुले के बारे में कुछ खास बातें - देश के स्वतंत्र होने से पहले भारतीय समाज में महिलाओं के साथ काफी भेदभाव होता था। समाज में दलितों की स्थिति अच्छी नहीं थी। महिला दलित होती थी तो यह भेदभाव और भी बड़ा होता था। जब सावित्री बाई स्कूल जाती थीं, तो लोग उन्हें पत...

savitribai phule jayanti : who is savitribai phule speech in hindi nibandh essay first women teacher

Savitribai Phule Jayanti : आज भारत की पहली शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की जयंती है। महाराष्ट्र में महिलाओं की शिक्षा के प्रति अपना जीवन समर्पित करने वाली सावित्रीबाई फुले का जन्म महाराष्ट्र के सतारा जिले के एक छोटे से गांव नयागांव में 3 जनवरी 1831 को हुआ था। वह दलित परिवार में जन्मी थीं। उनके पिता का नाम खंदोजी नैवेसे और मां का नाम लक्ष्मीबाई था। सावित्री बाई फुले को भारत की पहली शिक्षिका होने का श्रेय जाता है। उन्होंने यह उपलब्धि तब हासिल की जब महिलाओं का शिक्षा ग्रहण करना तो दूर की बात थी, उनका घर से निकलना भी दूभर था। यहां जानें सावित्रीबाई फुले के बारे में कुछ खास बातें - आजादी से पहले भारत में महिलाओं के साथ काफी भेदभाव होता था। समाज में दलितों की स्थिति अच्छी नहीं थी। महिला दलित होती थी तो यह भेदभाव और भी बड़ा होता था। जब सावित्री बाई स्कूल जाती थीं, तो लोग उन्हें पत्थर मारते थे। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और कड़ा संघर्ष करते हुए शिक्षा हासिल की।सावित्रीबाई फुले का जीवन महिला सशक्तिकरण के लिए समर्पित था। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जमकर उठाई आवाज। - जब वह महज 9 वर्ष की थीं जबउनका विवाह 13 साल के ज्योतिराव फुले से कर दिया गया था। जिस समय सावित्रीबाई फुले की शादी हुई थी उस समय वह अनपढ़ थीं। पढ़ाई में उनकी लगन देखकर ज्योतिराव फुले प्रभावित हुए और उन्होंने सावित्रीबाई को आगे पढ़ाने का मन बनाया। ज्योतिराव फुले भी शादी के दौरान कक्षा तीन के छात्र थे, लेकिन तमाम सामाजिक बुराइयों की परवाह किए बिना सावित्रीबाई की पढ़ाई में पूरी मदद की।सावित्रीबाई ने अहमदनगर और पुणे में टीचर की ट्रेनिंग ली और शिक्षक बनीं। - पति के साथ मिलकर सावित्रीबाई फुले ने 1848 में पुणे में लड़कि...