सावरकर का इतिहास क्या है

  1. Veer Savarkar Biography
  2. सावरकर का इतिहास क्या है? – ElegantAnswer.com
  3. सावरकर : अंग्रेजों को लिखे माफ़ीनामे से भारत विभाजन और गांधी जी की हत्या तक
  4. वीर सावरकर का जीवन परिचय (Biography of Veer Savarkar in Hindi)
  5. वीर सावरकर ने देश के लिए क्या किया? – ElegantAnswer.com
  6. 'हिंदुत्व' के जनक सावरकर कभी नहीं बता पाए इस शब्द का अर्थ


Download: सावरकर का इतिहास क्या है
Size: 25.40 MB

Veer Savarkar Biography

Veer Savarkar Biography – दोस्तों आज के आर्टिकल में हम बात करेंगे वीर सावरकर की जीवनी के बारे में. दोस्तों वीर सावरकर का नाम तो हम सभी ने सुना ही है. वीर सावरकर एक भारतीय राष्ट्रवादी थे. वह राष्ट्रवादी संगठन हिंदू महासभा के प्रमुख सदस्य थे. वीर सावरकर पेशे से वकील और लेखक थे. वीर सावरकर वह शख्स थे, जिसे अंग्रेजों ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह ले जाकर कालापानी की सजा दी. आजादी के इतने साल बाद आज भी वीर सावरकर भारत में एक विवादित शख्सियत है. इसका कारण यह है कि जहां एक ओर उनके समर्थक वीर सावरकर को आजादी की लड़ाई का महान सेनानी और प्रखर राष्ट्रभक्त मानते हैं जबकि दूसरी तरफ कुछ और लोग ऐसे भी हैं, जो कहते है कि सावरकर कायर और अंग्रेजों के एजेंट थे. यह बात कहने के पीछे उनकी एक अलग दलील हैं. तो चलिए दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि वीर सावरकर की माफी का सच क्या है?, वीर सावरकर की मृत्यु कैसे हुई? साथ ही जानेंगे वीर सावरकर का जीवन परिचय. वीर सावरकर की जीवनी (veer savarkar biography in hindi) वीर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को ब्रिटिश भारत के नासिक जिले के भागुर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. वीर सावरकर का असली नाम विनायक सावरकर है. वीर सावरकर के भाई-बहनों का नाम गणेश, मैनाबाई और नारायण था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जब वीर सावरकर महज 12 वर्ष के थे तब उनके गाँव में हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के बीच दंगा भड़क गया था. इस दंगे में वीर सावरकर ने अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर उत्पादी तत्वों का सामना किया और उन्हें भगा दिया. इसको लेकर कुछ लोगों का कहना है कि इस घटना से वीर सावरकर की मुस्लिम लोगों के प्रति वैमनस्य का पता चलता है. इसके उलट उनके समर्थकों का कहना है कि मुस्लिम लड़को...

सावरकर का इतिहास क्या है? – ElegantAnswer.com

सावरकर का इतिहास क्या है? इसे सुनेंरोकेंविनायक दामोदर सावरकर (जन्म: 28 मई 1883 – मृत्यु: 26 फरवरी 1966) भारत के महान क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी, समाजसुधारक, इतिहासकार, राष्ट्रवादी नेता तथा विचारक थे। उन्हें प्रायः स्वातन्त्र्यवीर , वीर सावरकर के नाम से सम्बोधित किया जाता है। सावरकर कब रिहा हुए? इसे सुनेंरोकेंजो कैदी इस तरह का हलफनामा देने को देश के साथ गद्दारी समझते थे, सावरकर उन्हें भी यही समझाया करते कि किसी भी काग़ज़ पर दस्तखत कर दें, अगर उससे रिहाई हासिल होती है। सावरकर ने न सिर्फ काला पानी से रिहा होने के लिए बल्कि 1924 में रत्नागिरी जेल से रिहा होने के लिए भी इस तरह के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए थे। सावरकर वीर कैसे? इसे सुनेंरोकेंहिंदू धर्म और हिंदू आस्था से अलग, राजनीतिक ‘हिंदुत्व’ की स्थापना करने वाले विनायक दामोदर सावरकर की आज (28 मई) को जन्मतिथि है, जिन्हें वीर सावरकर के नाम से भी जाना जाता है. केंद्र और देश के कई महत्वपूर्ण राज्यों में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा हिंदुत्व की इस विचारधारा की राजनीति करती है. सावरकर माफीनामा पत्र कब लिखा? इसे सुनेंरोकेंसावरकर ने जब पहली याचिका या अपना पहला माफीनामा लिखा था तो वो तारीख थी 14 नवंबर, 1913. सावरकर की मृत्यु कब और कैसे हुई? इसे सुनेंरोकेंवीर सावरकर की निधन 26 फरवरी 1966 को हुआ था. जब उनका निधन हुआ, उस समय वह 82 साल के थे. आम तौर पर माना जाता है कि उन्होंने खुद अपने लिए इच्छामृत्यु चुनी थी. काला पानी जेल में कितने कैदी हैं? इसे सुनेंरोकेंसेल्यूलर जेल अंग्रेजों द्वारा भारत के स्वतंत्रता सेनानियों पर किए गए अत्याचारों की मूक गवाह है। इस जेल की नींव 1897 ईस्वी में रखी गई थी और 1906 में यह बनकर तैयार हो गई थी। इस जेल में कु...

सावरकर : अंग्रेजों को लिखे माफ़ीनामे से भारत विभाजन और गांधी जी की हत्या तक

वीडी सावरकर का 28 मई 1883 को भागुर, नासिक में जन्म हुआ था। उन्हें वीर सावरकर के नाम से पुकारा जाता है। हालांकि उन्हें वीर कब कहा गया और किसने कहा इस पर भी विवाद है। भारतीय स्वाधीनता संग्राम (Indian freedom struggle) जिसका प्रारम्भ 1857 से माना जाय तो, 1947 तक, इसके नब्बे साल के इतिहास में भारत के किसी भी स्वाधीनता संग्राम सेनानी को वीर नहीं कहा गया है। एक समय सावरकर ब्रिटिश सरकार के खिलाफ खुल कर खड़े होते हैं तो दूसरे कालखंड में मिमियाते हुए अंग्रेजी राज की पेंशन पर जीते हैं तथा फूट डालो औऱ राज करो, की विभाजनकारी ब्रिटिश नीति का औजार बन जाते हैं। सावरकर 1910 में इंडिया हाउस के क्रांतिकारी गतिविधियों के सम्बंध में गिरफ्तार और आजीवन कारावास के दंड से दंडित हो 1911 में अंडमान की जेल में सज़ा काटने के लिये भेजे जा चुके थे। अंडमान कोई साधारण कारागार नहीं था। वह नाज़ी जर्मनी के कंसन्ट्रेशन कैम्प और साइबेरिया के ठंडे रेगिस्तान के यातनापूर्ण शिविरों जैसा तो नहीं था, पर यातनाएं वहां भी खूब दी जाती हैं। कहा जाता है, सावरकर यातना सह नहीं पाए, वह टूट गए और उन्होंने 6 माफीनामें भेजे। उसी में से, एक सावरकर का माफीनामा जो प्रख्यात इतिहासकार डॉ आरसी मजूमदार द्वारा लिखी गयी इतिहास की पुस्तक से है, मैं उसे उद्धृत कर रहा हूँ, आप उसे पढ़ें। आरसी मजूमदार, वामपंथी इतिहासकार नहीं हैं, यहां इसे भी समझ लेना चाहिए। ■ सेवा में, गृह सदस्य, भारत सरकार मैं आपके सामने दयापूर्वक विचार के लिए निम्नलिखित बिंदु प्रस्तुत करने की याचना करता हूं 1911 के जून में जब मैं यहां आया, मुझे अपनी पार्टी के दूसरे दोषियों के साथ चीफ कमिश्नर के ऑफिस ले जाया गया. वहां मुझे ‘डी’ यानी डेंजरस (ख़तरनाक) श्रेणी के क़ैदी के तौर ...

वीर सावरकर का जीवन परिचय (Biography of Veer Savarkar in Hindi)

“ वीर सावरकर का जीवन परिचय” सावरकर जी भारतीय इतिहास के नायक हैं। स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में वो हमेशा सभी रास्तों में आगे रहते थे। उन्होंने हिंदुओं के ठंडे खून को गर्म करने के लिए हथियारों का सहारा लिया। “वीर सावरकर का जीवन परिचय (Veer Savarkar ka Jivan Parichay)”। एक जर्जरित समाज का आधुनिकीकरण करने के लिए ये किया था। उसे एक वैज्ञानिक दिशा दी, रूढ़ियों से मुक्त करने के लिए छुआ-छूत से मुक्त करने का अभियान चलाया। साहित्य एवं पत्रकारिता को आधार बना कर जन जागरूकता की लहर पैदा की। इन सब से बढ़ कर हिन्दूओं को हिन्दुत्व के दर्शन कराके उन्हें जीने की शिक्षा दी। साहसपूर्वक यह कहना सिखलाया कि “ गर्व से कहो हम हिंदू हैं“। “वीर सावरकर का जीवन परिचय” एक जर्जरित समाज का आधुनिकीकरण करने के लिए ये किया था। उसे एक वैज्ञानिक दिशा दी, रूढ़ियों से मुक्त करने के लिए छुआ-छूत से मुक्त करने का अभियान चलाया। साहित्य एवं पत्रकारिता को आधार बना कर जन जागरूकता की लहर पैदा की। साहसपूर्वक यह कहना सिखलाया कि “गर्व से कहो हम हिंदू हैं।” वीर सावरकर की जीवनी Veer Savarkar ki Jivani Hindi “ वीर सावरकर का जीवन परिचय” आज हम “ वीर सावरकर का जीवन परिचय” से सम्बन्धित उन तमाम सवालों को जानेंगे जो हमारे पाठको को आधा अधुरा ज्ञान मिलता है। मै अपने पाठको को “ वीर सावरकर” (Veer Savarkar in Hindi) के जीवन का वह अछूता अंग के बारे में जानकारी दूंगी। जो आज तक वह “ वीर सावरकर” (Veer Savarkar in Hindi) के बारे में गलत-गलत जानकरियो पर उन्हें आंक लेते है। हमारे मन में हमेशा हर तरह का सवाल पैदा होते रहता है। जैसे की “वीर सावरकर” (Veer Savarkar in Hindi) से जुडी सवाल- “वीर सावरकर का जीवन परिचय (Veer Savarkar ka Jivan Parich...

वीर सावरकर ने देश के लिए क्या किया? – ElegantAnswer.com

वीर सावरकर ने देश के लिए क्या किया? भारतीयविनायक दामोदर सावरकर / राष्ट्रीयता जेल से छूटने के बाद सावरकर ने क्या किया? इसे सुनेंरोकेंइसी किताब के अंग्रेज़ी संस्करण का नाम है ‘सावरकर अनमास्क्ड’. सावरकर के प्रशंसक अक्सर कहते हैं कि “उन्होंने जेल में मरने की जगह राष्ट्रसेवा करने का रास्ता चुना इसीलिए माफ़ीनामे की चाल चली”. लेकिन शम्सुल इस्लाम कहते हैं, “सावरकर ने अपनी रिहाई के बाद का सारा समय महात्मा गाँधी के खिलाफ माहौल बनाने में बिताया. नासिक षड्यंत्र केस क्या था? इसे सुनेंरोकें21 दिसम्बर, 1909 को अभिनव भारत सोसाइटी के एक सदस्य अनंत लक्ष्मण करकरे ने ए. एम.टी. जैक्सन नामक ब्रिटिश न्यायाधीश की हत्या कर दी। इस हत्या को नासिक षड़यंत्र के नाम से जाना जाता है, इस केस के सम्बन्ध में अभिनव भारत के 27 सदस्यों को सजा दी गयी थी। अंडमान की सेलुलर जेल में कालापानी की सजा काटने वाले महान नेता कौन थे? इसे सुनेंरोकेंजो कैदी इस तरह का हलफनामा देने को देश के साथ गद्दारी समझते थे, सावरकर उन्हें भी यही समझाया करते कि किसी भी काग़ज़ पर दस्तखत कर दें, अगर उससे रिहाई हासिल होती है। सावरकर ने न सिर्फ काला पानी से रिहा होने के लिए बल्कि 1924 में रत्नागिरी जेल से रिहा होने के लिए भी इस तरह के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए थे। सावरकर जेल से कब छूटे? इसे सुनेंरोकेंसावरकर ने 13 मार्च, 1910 को आत्मसमर्पण कर दिया. फिर उन्हें भारत लाया गया. जैक्सन की हत्या और अंग्रेजी शासन के खिलाफ विद्रोह के आरोप में सावरकर को भी दो बार की कालापानी की सजा सुनाई गई. यानी उन्हें कुल 50 साल अंडमान की जेल में रहना था. मित्र मेला संस्था के संस्थापक कौन थे? इसे सुनेंरोकेंसावरकर द्वारा नासिक में ‘मित्र मेला’ की स्थापना की गई। विना...

'हिंदुत्व' के जनक सावरकर कभी नहीं बता पाए इस शब्द का अर्थ

— योगेन्द्र यादव — हिंदुत्व नाम की राजनीतिक परियोजना को हमेशा एक बुनियादी अंतर्विरोध का सामना करना पड़ता है : कथनी में यह कि ‘हम सबके हैं, सब हमारे हैं’ और करनी में यह कि बस ‘एक ही हमारा अपना है, बाकी सब पराये हैं’। अगर आप भारत की संपूर्ण सभ्यतागत विरासत पर दावा जताना चाहते हैं तो आपको इसके लायक नैतिक और सांस्कृतिक वैधता हासिल होनी चाहिए। इस जरूरत के नाते हिंदुत्व का अपने आधार में उदार होना जरूरी है। लेकिन हिंदुत्व की राजनीतिक मजबूरी उसे संकीर्णता की तरफ धकेलती है ताकि बस उस एक का ही राजनीतिक समुदाय बनाया जा सके जिसे हिंदू कहा जाता है और जो भारत में बहुसंख्यक है। क्या इस कठिनाई से बच निकलने का कोई रास्ता है, सिवाय उस पाखंड और स्वेच्छाचार के, जो भारतीय जनता पार्टी और उसके साथी संगठनों की इन दिनों पहचान बनी हुई है? पिछले महीने बड़ी बारीकी और तटस्थता के साथ लिखी हुई विनायक दामोदर सावरकर की एक परिपूर्ण बौद्धिक जीवनी प्रकाशित हुई है और यह जीवनी समझाने की कोशिश करती है कि हिंदुत्व नाम की विचारधारा के साथ हमें पूरी गंभीरता के साथ संवाद करने की जरूरत है। इस क्रम में किताब हिंदुत्व की विचारधारा में निहित सैद्धांतिक उलझाव, ऐतिहासिक भ्रांति, उपनिवेशवाद के मसले पर राजनीतिक दुविधा और हिंसा के बर्ताव की नैतिक स्वीकृति का खुलासा करती चलती है.। बुनियाद में ही अंतर्विरोध है … आइए, जरा बुनियादी अंतर्विरोध को समझ लें। हर राष्ट्रवाद की तरह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (और इसके पहले की हिंदू महासभा) का राष्ट्रवाद भी भारत के उपनिवेश बनने के पहले के सभ्यतागत वैभव पर दावा जताता और इस क्रम में भारत को राष्ट्ररूप में सनातन से कायम मानता है। ऐसे में, यह बौद्धिक परियोजना स्पष्ट ही दो बड़ी कठिनाइयों में फॅ...