Sail ki sthapna

  1. मंदिर में मूर्ति स्थापना विधि
  2. आर्य समाज की स्थापना कब और किसने की ? Arya samaj in hindi
  3. Kalasha Sthapana Vidhi
  4. भारत के चार धाम
  5. भारतीय सशस्त्र सेना
  6. अखिल भारतीय किसान कांग्रेस की स्थापना किसने की थी


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मंदिर में मूर्ति स्थापना विधि

घर में शुभ और अशुभ दो तरह की ऊर्जा पाई जाती है। घर में शुभ ऊर्जा के संचार के लिए मंदिर का होना आवश्यक है। मंदिर या पूजा का स्थान नियत होने से तमाम तरह की समस्याएं अपने आप ही दूर हो जाती हैं। विशेष रूप से स्वास्थ्य तथा मन की समस्याओं का निवारण शीघ्र होता है। इससे घर में आर्थिक समृद्धि भी बनी रहती है। इसलिए इस लेख में हम आपको मंदिर में मूर्ति स्थापना की विधि बताएंगे जो निम्न प्रकार से है…. • मंदिर की आकृति रखने की बजाय पूजा का स्थान बनाएं। • इस स्थान पर देवी देवताओं की भीड़ न लगाएं। • जिस देवी या देवता की मुख्य रूप से आप उपासना करते हैं उनके चित्र अथवा मूर्ति की स्थापना एक आसन या चौकी पर करें। अगर मूर्ति की स्थापना करनी है तो यह 12 उंगलियों से ज्यादा बड़ी नहीं होनी चाहिए। • चित्र कितना भी बड़ा हो सकता है। • पूजा स्थान पर शंख, गोमती चक्र और एक पात्र में जल भरकर जरूर रखें। इन बातों का रखे ख़ास ध्यान : • पूजा स्थान पर गंदगी न रखें। • रोज वहां पर साफ-सफाई जरूर करें। • पूजा स्थान पर पूर्वजों के चिंत्र न रखें। • शनि देव का चित्र या मूर्ति भी न रखें। • जहां तक हो सके पूजा स्थान पर अगरबत्तियां न जलाएं। • पूजा स्थान का दरवाजा बंद करके न रखें। • पूजा स्थान के साथ स्टोर रूम या रसोई न बनाएं। • आप कोई भी पूजा करते हों, अगर गुरु मंत्र नहीं मिला है तो गायत्री मंत्र का जाप जरूर करें। • पूजा के बाद अर्पित किया हुआ जल प्रसाद के रूप में ग्रहण करें

आर्य समाज की स्थापना कब और किसने की ? Arya samaj in hindi

Tense की परिभाषा : Tense क्रिया का वह रूप होता है जिससे किसी कार्य या घटना के होने के समय का पता चलता है उसे tense कहते हैं। Tense तीन प्रकार के होते हैं- Present tense (वर्तमान काल) Past tense (भूत काल) Future tense (भविष्यत काल) 1. Present tense (वर्तमान काल) किसे कहते हैं ? इन वाक्यों में कार्य का वर्तमान में होना पाया जाता है। Present tense (वर्तमान काल) कहते हैं। 2. Past tense (भूत काल) किसे कहते हैं ? इन वाक्यों में कार्य का भूतकाल में होना पाया जाता है। Past tense (भूत काल) कहते हैं। 3. Future tense (भविष्यत काल) किसे कहते हैं ? इन वाक्यों में कार्य का भविष्य में होना पाया जाता है। Future tense (भविष्यत काल) कहते हैं। Present, Past, Future tense चार - चार प्रकार के होते हैं। Present tense (वर्तमान काल) के प्रकार Present indefinite tense [अनिश्चित वर्तमान काल] Present continuous tense [अपूर्ण वर्तमान काल] Present perfect tense [पूर्ण वर्तमान काल] Present perfect continuous tense [पूर्ण - अपूर्ण वर्तमान काल] Present indefinite tense in hindi to english with examples Present in क्या है पैरामीशियम जाने हिन्दी में पैरामीशियम एक सूक्ष्म एककोशिकीय प्रोटोजोआ संघ का प्राणी है। यह तालाब, झील, नदीआदि के स्वच्छ पानी में पाया जाता है। इसका आकार स्लीपर के समान होने के कारण इसे स्लीपर जन्तुक भी कहते हैं। इसके दो सिरे पाये जाते हैं पहला सिरा कुंद जैसा होता है, तथा दूसरा सिरा नुकीला होता है। इसके शरीर पर पैलिकल का आवरण पाया जाता है, जिस पर छोटे-छोटे सिलिया होते हैं, जिसकी सहायता से यह गति करता है। पैरामीशियम (Paramecium) का वर्गीकरण (classification) प्रॉटिस्टा जगत (protozoa kingdom)...

Kalasha Sthapana Vidhi

Om Varunaya Namah Padayoh Padyam Samarpayami। Om Varunaya Namah Shirasi Arghyam Samarpayami। Om Varunaya Namah Gandhakshatam Samarpayami। Om Varunaya Namah Pushpam Samarpayami। Om Varunaya Namah Dhupam Samarpayami। Om Varunaya Namah Dipam Samarpayami। Om Varunaya Namah Naivedyam Samarpayami। Om Varunaya Namah Achamaniyam Samarpayami। Om Varunaya Namah Tambulam Samarpayami। Om Varunaya Namah Dakshinam Samarpayami। Om Saritah Sagarah Shailastirthani Jalada Nadah। Ayantu Mama Bhaktasya Durita-Kshaya-Karakah॥1॥ Kalashasya Mukhe Vishnuh Kantham Rudrah Samashritah। Mule Tasya Sthito Brahma Madhye Matri-Ganah Smritah॥2॥ Kukshau Tu Sagarah Sapta Sapta-Dwipa Vasundhara। Rigvedoatha Yajurvedah Sama-Vedopyatharvanah॥3॥ Angaishcha Sahitah Sarve Kalasham Tu Samashritah। Deva-Danava-Samvade Mathyamane Mahodadhau॥4॥ Utpannoasi Tada Kumbha! Vidhrito Vishnuna Swayam। Tvattah Sarvani Tirthani Devah Sarve Tvayi Sthitah॥5॥ Tvayi Tishthanti Bhutani Tvayi Pranah Pratishthitah। Shivah Swayam Tvamevasi Vishnustvam Cha Prajapatih॥6॥ Aditya Vasavo Rudra Vishvedevah Sa-Paitrikah। Tvayi Tishthanti Sarveapi Yatah Kama-Phala-Pradah॥7॥ Tvat-Prasadadimam Karma Kartumihe Jalodbhava! Sannidhyam Kuru Me Deva! Prasanno Bhava Sarvada॥8॥

भारत के चार धाम

Read in English आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा परिभाषित चार वैष्णव तीर्थ हैं। जहाँ हर हिंदू को अपने जीवन काल मे अवश्य जाना चाहिए, जो हिंदुओं को मोक्ष प्राप्त करने में मदद करेंगे। इसमें उत्तर दिशा मे बद्रीनाथ, पश्चिम की ओर द्वारका, पूर्व दिशा मे जगन्नाथ पुरी और दक्षिण मे रामेश्वरम धाम है। हिंदू पुराणों में हरि यानी विष्णु और हर या शिव को शाश्वत मित्र कहा जाता है। ऐसा माना गया है कि जहाँ भगवान विष्णु का निवास करते हैं वहीं भगवान शिव भी पास में रहते हैं। ये चार धाम भी इसके अपवाद नहीं माने गये हैं। अतः केदारनाथ को बद्रीनाथ की जोड़ी, रंगनाथ स्वामी को रामेश्वरम की, सोमनाथ को द्वारका, लिंगराज को पुरी की जोड़ी के रूप में माना जाता है। हालांकि यहां एक बात भी है.. ध्यान देने वाला तथ्य यह है कि, भारत के चार धाम और उत्तराखंड राज्य के चार धाम अलग-अलग है। उत्तराखंड के चार धाम छोटा चार धाम के नाम से भी जाना जाता है। चार धाम कहाँ कहाँ स्थित है? द्वारका धाम @द्वारका, गुजरात मठ: शारदा मठ | महावाक्य: वेद: सामवेद | सन्यासी नाम: सरस्वती, तीर्थ, आश्रम | प्रथम मठाधीश: हस्तामलक (पृथ्वीधर) | दिशा: पश्चिम | सहायक शिव मंदिर: कुंभ: उज्जैन जगन्नाथ धाम, @पुरी, ओडिशा मठ: गोवर्धन मठ | महावाक्य: वेद: ऋग्वेद | सन्यासी नाम: आरण्य | प्रथम मठाधीश: पद्मपाद | दिशा: पूर्व | सहायक शिव मंदिर: कुंभ: रामेश्वरम धाम @रामेश्वरम, तमिलनाडु मठ: वेदान्त ज्ञानमठ | महावाक्य: वेद: यजुर्वेद | सन्यासी नाम: भारती, पुरी | प्रथम मठाधीश: आचार्य सुरेश्वरजी | दिशा: दक्षिण | सहायक शिव मंदिर: रंगनाथ स्वामी मंदिर | कुंभ: नाशिक बद्रीनाथ धाम @उत्तराखण्ड मठ: ज्योतिर्मठ | महावाक्य: वेद: अथर्ववेद | सन्यासी नाम: गिरि,पर्वत, सागर | प्रथम मठाधीश: आ...

भारतीय सशस्त्र सेना

vivaran sthapana prakar sena akar 1,129,900 sakriy karmi 960,000 rizarv karmi bhag raksha mantralay aur bharatiy sashastr bal mukhyalay uddeshy rang sunahara, lal aur kala thal senadhyaksh janaral bikram sianh virata puraskar sanbandhit lekh bahari k diyaan bharat ki sanyukt sashastr sena parampara v itihas sena ki lanbi parampara v itihas hai. aranbh mean yah keval bharat ke prakshepastr kram prakshepastr prakar marak kshamata ayudh vajan kshamata pratham parikshan lagat vikas sthiti 1 agni-1 satah se satah par marak (iantaramidiet bailistik prakshepastr) 1200 se 1500 kilomitar 1000 kilogram 22 mee, 1989 8 karo d roo. vikasit evan tainat 2 agni-2 satah se satah par marak (iantaramidiet bailistik prakshepastr) 1500 se 2000 kilomitar 1000 kilogram (paramparagat evan paramanvik) 8 karo d roo. vikasit evan pradarshit 3 agni-3 iantaramidiet bailistik prakshepastr 3000 kilomitar 1500 kilogram nirmanadhin 4 prithvi satah se satah par marak alp doori ke taiktikal baital phild prakshepastr 150 se 250 kilomitar 500 kilogram 3 karo d roo. vikasit evan tainat 5 trishool satah se vayu mean marak lo level klin riekshan alp doori ke prakshepastr 500 mitar se 9 kilomitar 15 kilogram 45 lakh roo. vikasit evan tainat 6 nag satah se satah par marak taiank bhedi prakshepastr 4 kilomitar 10 kilogram 25 lakh roo. vikasit evan tainat 7 akash satah se vayu mean marak bahulakshak prakshepastr 25 se 30 kilomitar 55 kilogram 1 karo d roo. vikasit evan tainat 8 astr vayu se vayu mean marak prakshepa...

अखिल भारतीय किसान कांग्रेस की स्थापना किसने की थी

अनुक्रम • • • अखिल भारतीय किसान कांग्रेस की स्थापना किसने की थी | akhil bhartiya kisan congress ki sthapna kisne ki अखिल भारतीय किसान कांग्रेस का अन्य नाम अखिल भारतीय संघ भी है. इसकी स्थापना 11 अप्रैल 1936 को हुई थी. इसके संस्थापक स्वामी सहजानंद सरस्वती के नेतृत्व में बिहार में सन 1923 में किसान आन्दोलन की शुरुआत हुई थी. तथा बिहार की प्रांतीय किसान सभा ने किसानो से जमीदारो के खिलाफ़ उनकी शिकायत लेने का कार्य शुरू किया. तथा इस कार्य में देश भर के किसानो के बिच गतिविधियो ने सब को अचंभित कर दिया था. पाटलीपुत्र नगर की स्थापना किसने की थी | पटना का इतिहास धीरे धीरे यह आन्दोलन पूरी देश में फैल गया. सन 1934 में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की गई. जिसमे कम्युनिस्ट ने भी साथ दिया था. इसके पश्चात् सन 1935 में स्वानी सहजानंद सरस्वती के नेतृत्व में अखिल भारतीय किसान संभा की स्थापना लखनऊ में की गई थी. इस संभा के अन्य बड़े नेता जयप्रकाश नारायण, राम मोहन लोहिया, यमुना करजी, करिनंद शर्मा इत्यादि थे. इस सभा ने सन 1936 में जमीदार प्रणाली को ख़त्म करने तथा ग्रामीण किसानो के ऋण माफ़ करनी की मांग की. तथा इसके साथ सन 1937 में इस संभा ने लाल झंडे को अपने बैनर के रूप में अपनाया था. इसके पश्चात् इस पर कम्युनिस्ट का प्रभाव बढ़ता गया. और यह कांग्रेस से दूर होते गए. इस संभा ने आगे चलकर भारत छोड़ो आन्दोलन से भी दूर होने का निर्णय लिया. इससे बहुत से बड़े नेताओ ने संभा को छोड़ दिया था. स्वामी सहजानंद सरस्वती कौन थे स्वामी सहजानंद सरस्वती भारत में किसान आन्दोलन के जनक माने जाते थे. इसके साथ वह स्वंत्रता संग्राम के बहुत बड़े नेता भी थे. उनका जन्म उत्तर प्रदेश राज्य के गाजीपुर जिले देवा ग्राम में हुआ था. तथा...