सैटेलाइट

  1. ISRO ने लांच किया नेविगेशन सैटेलाइट NVS
  2. KERALA RTC Official Website for Online Bus Ticket Booking
  3. उपग्रह
  4. first private satellite made in India will launch tomorrow from SpaceX Falcon
  5. ISRO ने नेविगेशन सैटेलाइट NVS
  6. एबीए फर्स्ट रनर: भारत में बनी पहली प्राइवेट सैटेलाइट SpaceX Transporter mission से लॉन्च, जानिए क्यों है ये बड़ी उपलब्धि
  7. सैटेलाइट क्या है और कैसे काम करता है?
  8. ISRO ने रचा इतिहास, LVM3 रॉकेट से एक साथ किए 36 सैटेलाइट लॉन्च, क्या है खासियत?
  9. अहमदाबाद स्थित निजी कंपनी स्पेस
  10. एबीए फर्स्ट रनर: भारत में बनी पहली प्राइवेट सैटेलाइट SpaceX Transporter mission से लॉन्च, जानिए क्यों है ये बड़ी उपलब्धि


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ISRO ने लांच किया नेविगेशन सैटेलाइट NVS

NavIC satellite: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने दूसरी पीढ़ी के नेविगेशन सैटेलाइट में से, पहले सैटेलाइट NVS-1 को सफलता पूर्वक लांच किया है. इसे इसरो के जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया, इस नेविगेशन सैटेलाइट की लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा से सुबह 10:42 बजे लॉन्च किया गया. इसकी मदद से देश की नेविगेशन ओर मॉनिटरिंग क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलेगी. इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) कांस्टेलेशन में सात सैटेलाइट्स में से प्रत्येक को 'नाविक' (NavIC) नाम दिया गया है. GSLV-F12/NVS-01 Mission: GSLV F12's 🚀 thunderous roar into the skies..... Turn up the volume 🔊🔊 to enjoy this tracking 📽️ by our colleagues at SDSC-SHAR, Sriharikota! NVS-1 सैटेलाइट लांच हाइलाइट्स: NVS-1 सैटेलाइट को, इसरो के GSLV F12 राकेट की मदद से लांच किया गया. जिसे इसरो की एक बड़ी कामयाबी के रूप में देखा जा रहा है. इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) कांस्टेलेशन कुल सात सैटेलाइट का समूह है, जिसका भार लिफ्टऑफ के समय करीब 1,425 किलोग्राम होता है. NavIC से जुड़े सभी सैटेलाइट को पोलर सैटेलाइट लॉन्च वीइकल (PSLV) के माध्यम से स्पेस में भेजा गया है. GSLV F12 राकेट इस सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में स्थापित किया, जहां से इसे ऑनबोर्ड मोटर्स को फायर करके आगे ले जाया गया. इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ, एसडीएससी के निदेशक राजाराजन और एलपीएससी के निदेशक वी नारायणन मिशन इस महत्वपूर्ण लॉन्चिंग के दौरान मौजूद थे. NVS-1 क्यों है खास? NVS सीरीज के सैटेलाइट्स L5 और S फ्रीक्वेंसी सिग्नल के साथ साथ L1 फ्रीक्वेंसी भी भेजने में सक्षम है, क्योंकि जीपीएस आधारित सिस्...

KERALA RTC Official Website for Online Bus Ticket Booking

യാത്രാദിവസംകേന്ദ്ര ,കേരള,കർണ്ണാടക ,തമിഴ്‌നാട്സർക്കാരുകൾഏർപ്പെടുത്തുന്നനിർദ്ദേശങ്ങൾപാലിക്കുവാൻയാത്രക്കാർബാധ്യസ്ഥരാണ് .യാത്രക്കാർഇതിനുവിസമ്മതിക്കുന്നപക്ഷംഅവരുടെടിക്കറ്റ്ചാർജ്റീഫണ്ട്ചെയ്തനൽകുന്നതാണ് Passengers are obliged to comply with the instructions issued by the Central, Kerala, Karnataka and Tamil Nadu Governments on the day of travel. പ്രസ്തുതസർവീസുകൾകേരളം,തമിഴ്‌നാട് ,കർണ്ണാടകഎന്നീസംസ്ഥാനങ്ങൾയാത്രാനുമതിനിഷേധിക്കുന്നസാഹചര്യംഉണ്ടായാൽടിക്കറ്റ്ബുക്ക്ചെയ്തയാത്രക്കാർക്ക്മുഴുവൻതുകയുംറീഫണ്ട്ചെയ്യുന്നതാണ് In case the services are denied by the States of Kerala, Tamil Nadu and Karnataka, the full amount will be refunded to the passengers who have booked the ticket.

उपग्रह

अनुक्रम • 1 इतिहास • 1.1 पूर्व अवधारणाएँ • 1.2 कृत्रिम उपग्रहों का इतिहास • 2 ध्रुवीय उपग्रह • 3 अंतरिक्ष निगरानी नेटवर्क • 4 गैर सैन्य उपग्रह सेवाएं • 4.1 नियत उपग्रह सेवा • 4.2 मोबाइल उपग्रह प्रणालियाँ • 4.3 वैज्ञानिक अनुसंधान सैटेलाइट (वाणिज्यिक और अवाणिज्यिक) • 5 प्रकार • 6 कक्षा के प्रकार • 6.1 केंद्रीय वर्गीकरण • 6.2 ऊँचाई का वर्गीकरण • 6.3 झुकाव के वर्गीकरण • 6.4 विकेंद्रों के वर्गीकरण • 6.5 समकीय वर्गीकरण • 6.6 विशेष वर्गीकरण • 6.7 कृत्रिम-कक्षीय वर्गीकरण • 7 उपग्रह मॉड्यूल्स • 7.1 अंतरिक्ष यान बस या सेवा मॉड्यूल • 7.2 संचार पेलोड • 8 प्रक्षेपण-सक्षम देश • 9 उपग्रहों पर हमले • 9.1 जाममिंग • 10 उपग्रह सेवाएँ • 11 इन्हें भी देखें • 12 सन्दर्भ • 13 बाहरी कड़ियाँ इतिहास [ ] पूर्व अवधारणाएँ [ ] एक उपग्रह के कक्षा में प्रक्षेपण की पहली काल्पनिक चित्रण 1903 में दी एक्सप्लोरेशन ऑफ़ कॉस्मिक स्पेस बाए मीन्स ऑफ़ रीअक्शन दिवायेसिस प्रकाशित किया, जो 1928 में दस प्रॉब्लम देर बेफह्रुंग देस वेल्त्रौम्स - देर रकेतें-मोटर ( दी प्रॉब्लम ऑफ़ स्पेस ट्रेवल — दी रॉकेट मोटर), यह अंतरिक्ष में एक सफलता और वहाँ स्थायी मानव उपस्थिति के लिए एक योजना है। उन्होंने अन्तरिक्ष स्टेशन का विस्तार से अध्ययन की और अपने 1945 में कृत्रिम उपग्रहों का इतिहास [ ] पहला कृत्रिम उपग्रह स्पुतनिक 1 ने अपनी कक्षा के परिवर्तन के माप से स्पुतनिक 1 के लिए भी स्पुतनिक 1' की सफलता की अप्रत्याशित घोषणा ने मई, 1946 में, [ ध्रुवीय उपग्रह [ ] अंतरिक्ष निगरानी नेटवर्क [ ] गैर सैन्य उपग्रह सेवाएं [ ] गैर-सैन्य उपग्रह सेवाएं की तीन बुनियादी श्रेणियों हैं: नियत उपग्रह सेवा [ ] नियत उपग्रह सेवाएं, पृथ्वी की सतह पर कुछ बिंदुओं ...

first private satellite made in India will launch tomorrow from SpaceX Falcon

भारत में पूरे तरीके से निजी तौर पर बना पहला प्राइवेट सैटेलाइट ABA First Runner (AFR) मंगलवार की अहले सुबह करीब 2.49 बजे स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से लॉन्च होगा। इस सैटेलाइट को अज़ीस्ता बीएसटी एयरोस्पेस (ABA), ने बनाया है, जिसका उद्देश्य वैश्विक बाजार के लिए भारत में बड़े पैमाने पर सैटेलाइट का निर्माण करना है। ABA एज़िस्ता इंडस्ट्रीज और बर्लिन स्पेस टेक्नोलॉजीज का एक संयुक्त उद्यम है। यह फर्म छोटे उपग्रहों के निर्माण के लिए अहमदाबाद में एक कारखाने का संचालन करती है। बता दें कि भारतीय निजी कंपनियों ने अभी तक कोई ऐसा उपग्रह लॉन्च नहीं किया है। फर्म ने कहा है,"हमारी स्थापित वार्षिक उत्पादन क्षमता 100 माइक्रोसैटलाइट्स की है, जो हमें भारत में सबसे बड़ी उपग्रह निर्माता फर्म बनाती है। हम अत्यधिक विश्वसनीय अंतरिक्ष प्रणालियों के विकास और निर्माण के लिए अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे के साथ 50,000 वर्ग फीट क्षेत्र में कार्य का संचालन करते हैं।" फर्म ने कहा कि प्रति सप्ताह दो उपग्रहों के उत्पादन में वह सक्षम है। फर्म ने कहा कि लॉन्च होने वाला छोटा सैटेलाइट AFR नागरिक और रक्षा उद्देश्यों के लिए बनाया गया है। यह विभिन्न महत्वपूर्ण अनुप्रयोगों का समर्थन करने में सक्षम है और भारत में निजी अंतरिक्ष उद्योग द्वारा निर्मित अपने आकार और प्रदर्शन के लिहाज से पहला उपग्रह है। फर्म ने कहा: "AFR एक मॉड्यूलर बस प्लेटफॉर्म पर निर्मित 80 किलोग्राम का उपग्रह है और पैनक्रोमेटिक और मल्टीस्पेक्ट्रल इमेजिंग क्षमताओं के साथ एक वाइड-स्वाथऑप्टिकल रिमोट सेंसिंग पेलोड होस्ट करता है। ABA के प्रबंध निदेशक श्रीनिवास रेड्डी माले ने कहा कि AFR का प्रक्षेपण विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए उपग्रह समूहों की प्राप्ति का समर्थन...

ISRO ने नेविगेशन सैटेलाइट NVS

इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन यानी इसरो (ISRO) का जिओसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल यानी जीएसएलवी (GSLV) राकेट सोमवार को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित स्पेस सेंटर से नेविगेशन सैटेलाइट NVS-01 को लेकर रवाना हुआ. इसरो ने बताया कि GSLV-F12 ने नेविगेशन सैटेलाइट NVS-01 को सफलतापूर्वक निर्धारित ऑर्बिट में स्थापित कर दिया. स्पेस एजेंसी का मकसद इस प्रक्षेपण के जरिए नाविक (NavIC) सेवाओं (GPS की तरह भारत की स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम) की निरंतरता सुनिश्चित करना है. यह सैटेलाइट देश और बार्डर के आसपास लगभग 1,500 किलोमीटर के क्षेत्र में तात्कालिक स्थिति और समय संबंधी सेवाएं प्रदान करेगा. मतलब ये कि यह सैटेलाइट देश की सीमा पर नजर बनाए रखेगा. नेविगेशन सैटेलाइट देश की सीमा की करेगा निगरानी चेन्नई से करीब 130 किलोमीटर दूर स्थित श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से 51.7 मीटर लंबे रॉकेट को प्रक्षेपित किया गया. यह पूर्व निर्धारित समय पूर्वाह्न 10 बजकर 42 मिनट पर साफ आसमान में अपने लक्ष्य की ओर रवाना हुआ. दूसरी पीढ़ी की इस नेविगेशन सैटेलाइट सीरीज को अहम प्रक्षेपण माना जा रहा है क्योंकि इससे NavIC सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित होगी. यह सैटेलाइट भारत और मुख्य भूमि के आसपास लगभग 1,500 किलोमीटर के क्षेत्र में तात्कालिक स्थिति और समय संबंधी सेवाएं प्रदान करेगा. ISRO succesfully launches advanced navigation satellite NVS-01 Read Also Read: Mahindra Thar 5 Door SUV, Maruti Suzuki Jimny को देगी कड़ी टक्कर कम समय में देगा सटीक जानकारी इसरो ने बताया कि NavIC (नेविगेशन विद इंडियन कॉन्सेलेशन) को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि संकेतों की मदद से यूजर्स की 20 मीटर के दायरे में स्थिति और 50 नैनोसे...

एबीए फर्स्ट रनर: भारत में बनी पहली प्राइवेट सैटेलाइट SpaceX Transporter mission से लॉन्च, जानिए क्यों है ये बड़ी उपलब्धि

ये उपग्रह मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारतकी पहल को लेकर प्रतिबद्ध है. कंपनी का लक्ष्य भारत को उपग्रहों के बड़े पैमाने पर निर्माण का केंद्र बनाना है. अज़ीस्ता बीएसटी एयरोस्पेसका दावा है कि कंपनी हर सप्ताह 2 उपग्रह बना सकती है. कंपनी का परिसर 50 हजार वर्गफुट में फैला है. लॉन्चिंग के दौरान भारत के AFR के साथ-साथ रॉकेट पर क्यूबसैट, माइक्रोसैट सहित 72 अंतरिक्ष यान थे. कंपनी ने इसे कई तकनीकों से लैस किया है.भारतीय निजी कंपनियों ने अभी तक ऐसी कोई सैटेलाइट लॉन्च नहीं की है. अगले एक साल में कंपनी का लक्ष्य 10 सैटेलाइन के उत्पादन का है. ये 80 किलो का पहला उपग्रह है. कंपनी साल में 100 छोटे उपग्रह निर्माण की क्षमता रखती है. भारत को सैटेलाइट मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा में यह पहला कदम है.

सैटेलाइट क्या है और कैसे काम करता है?

अनुक्रम • • • • • • • • • • Satellite क्या है (Satellite in Hindi). सैटेलाइट के बारे में तो आपने जरुर सुना होगा. टीवी न्यूज़ में अक्सर सैटेलाइट लॉन्च के बारे में सुनने को मिलता है, जिन्हें विभिन्न अंतरिक्ष एजेंसियों जैसे नासा या सैटेलाइट क्या हैं और अंतरिक्ष में कैसे उड़ते हैं और इनका काम क्या होता है? आज इन्ही सवालों के जवाब के साथ आपको हिंदीवाइब पर यह खास लेख पढ़ने को मिलेगा. इस लेख में आपको सैटेलाइट क्या होता है, सैटेलाइट कैसे काम करता है, सैटेलाइट के प्रकार इत्यादि के बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी. तो चलिए आगे बढ़ते हैं बिना किसी विलंब के और जानते हैं सैटेलाइट से जुड़ी पूरी जानकरी. Satellite क्या है? – What is Satellite in Hindi सैटेलाइट अंतरिक्ष में मौजूद उस वस्तु को कहते हैं जो किसी ग्रह या तारे के चारों तरफ परिक्रमा करती है. सैटेलाइट (उपग्रह) प्राकृतिक भी हो सकते हैं और कृत्रिम भी (manmade या artificial). जैसे चंद्रमा पृथ्वी के चारों तरफ परिक्रमा करता है तो यह पृथ्वी का satellite है, और पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है तो यह सूर्य का satellite है. इसी प्रकार International Space Station (ISS) एक artificial satellite है जो पृथ्वी की परिक्रमा करता है. हमारे सौर मंडल में दर्जनों प्राकृतिक उपग्रह हैं जो किसी ग्रह की परिक्रमा करते हैं. वहीं हजारों की संख्या में artificial satellites हैं जो पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं. कुछ satellites पृथ्वी की फोटो लेते रहते हैं, जिससे मौसम वैज्ञानिकों को मौसम के बारे में जानकारी मिलती रहती है. जबकि कुछ सैटेलाइट्स दूसरे ग्रहों, सूर्य, ब्लैक होल्स और दूर स्थित आकाश गंगाओं की फोटो लेते रहते हैं. इन फोटो की मदद से वैज्ञानिकों को सौरमंडल और ब...

ISRO ने रचा इतिहास, LVM3 रॉकेट से एक साथ किए 36 सैटेलाइट लॉन्च, क्या है खासियत?

ISRO Successfully Launches LVM 3- M3 /One Web India-2 Mission Rocket from Sathish Dhawan Space Centre: इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी इसरो (ISRO) ने फिर से एक नई उपलब्धि हासिल की है. ISRO ने रविवार 26 मार्च यानी आज सुबह 9 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्चपैड से अपने लॉन्च व्हीकल मार्क (LVM 3-M3) से एक और रॉकेट सफलतापूर्वक लॉन्च किया. इसरो ने ब्रिटेन के नेटवर्क एक्सेस एसोसिएटेड लिमिटेड (वनवेब) के 36 सैटेलाइट को ले जाने वाले अपने लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM-III) रॉकेट लॉन्च किया. यह रॉकेट सभी विदेशी 36 सैटेलाइट को अंतरिक्ष में ले गया. इस मिशन को LVM3-M3/वनवेब इंडिया 2 नाम दिया गया है. इसरो और वनवेब ग्रुप के सहयोगी मिशन का है दूसरा हिस्सा लॉन्चिंग को YouTube, Facebook और Twitter जैसे विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लाइव-स्ट्रीम किया गया था. 2022 में भारती ग्रुप ने इसरो की कॉमर्शियल ब्रांच न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NewSpace India Ltd) के साथ कुल 72 सैटेलाइट को लॉन्च करने के लिए 100 करोड़ रुपये के लॉन्च फीस के साथ एक डील की थी. यह न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड के सहयोग से इसरो और यूके के वनवेब ग्रुप के सहयोगी मिशन का दूसरा हिस्सा है, इसने अपने पहले मिलियन के समान, पृथ्वी की लोअर ऑर्बिट में एडिशनल 36 सैटेलाइट शामिल किए. जहां, इसने अक्टूबर 2022 में पहले 36 सैटेलाइट लोअर ऑर्बिट (LEO) में जोड़े थे. LVM3-M3🚀/OneWeb 🛰 India-2 mission: The countdown has commenced. The launch can be watched LIVE from 8:30 am IST on March 26, 2023https://t.co/osrHMk7MZLhttps://t.co/zugXQAYy1y https://t.co/WpMdDz03Qy वन वेब भी भारती ग्रुप द्वारा समर्थित है, ज...

अहमदाबाद स्थित निजी कंपनी स्पेस

June 05, 2023 | 05:25 pm 1 मिनट में पढ़ें अजीस्ता BST एयरोस्पेस इस महीने अपना पहला सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए तैयार है (तस्वीर: फेसबुक/AzistaAerospace) अहमदाबाद स्थित अजीस्ता BST एयरोस्पेस इस महीने यह लॉन्च ऐसे समय में हो रहा है, जब भारतीय अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी का ईकोसिस्टम तेजी से बढ़ रहा है। अजिस्ता BST एयरोस्पेस (ABA) की बात करें तो यह अजिस्ता इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड और बर्लिन स्पेस टेक्नोलॉजी GmbH के बीच एक ज्वाइंट वेंचर है। सैटेलाइट को लेकर कंपनी ने किया ये दावा गुजरात के AFR 80 किलोग्राम का सैटेलाइट है और इसमें पैनक्रोमेटिक और मल्टीस्पेक्ट्रल इमेजिंग क्षमताओं के साथ एक ऑप्टिकल रिमोट सेंसिंग पेलोड है। AFR भारत में निजी अंतरिक्ष उद्योग द्वारा निर्मित अपने आकार और प्रदर्शन का पहला सैटेलाइट होने का दावा करता है, जो नागरिक और रक्षा उद्देश्यों के लिए विभिन्न प्रकार के इस्तेमाल किए जाने में सक्षम है। 2024 में 10 सैटेलाइट के प्रोडक्शन के लिए पहले से तैयार ABA के प्रबंध निदेशक श्रीनिवास रेड्डी माले ने कहा कि AFR का लॉन्च रोमांचक शुरुआत है और यह सैटेलाइट समूहों के साथ विभिन्न प्रकार से इस्तेमाल किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि अहमदाबाद में स्थित उनका कारखाना 2024 में इनमें से 10 सैटेलाइट के प्रोडक्शन के लिए पहले से ही तैयार है। आपको बता दें कि कई सैटेलाइटों का समूह एक सिस्टम की तरह काम करता है, जबकि अकेला सैटेलाइट इस काम में सक्षम नहीं होता। सैटेलाइट के समूह से ही मिलती है GPS सर्विस उदाहरण के लिए मिलेगा नया सैटेलाइट डाटा ABA के निदेशक सुनील इंदुर्ती ने कहा, "अजीस्ता BST एयरोस्पेस विभिन्न भू-अनुप्रयोगों के लिए नए सैटेलाइट डाटा में रुचि रखने वाले शोधकर्ता और संगठन हमसे संपर्क कर...

एबीए फर्स्ट रनर: भारत में बनी पहली प्राइवेट सैटेलाइट SpaceX Transporter mission से लॉन्च, जानिए क्यों है ये बड़ी उपलब्धि

ये उपग्रह मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारतकी पहल को लेकर प्रतिबद्ध है. कंपनी का लक्ष्य भारत को उपग्रहों के बड़े पैमाने पर निर्माण का केंद्र बनाना है. अज़ीस्ता बीएसटी एयरोस्पेसका दावा है कि कंपनी हर सप्ताह 2 उपग्रह बना सकती है. कंपनी का परिसर 50 हजार वर्गफुट में फैला है. लॉन्चिंग के दौरान भारत के AFR के साथ-साथ रॉकेट पर क्यूबसैट, माइक्रोसैट सहित 72 अंतरिक्ष यान थे. कंपनी ने इसे कई तकनीकों से लैस किया है.भारतीय निजी कंपनियों ने अभी तक ऐसी कोई सैटेलाइट लॉन्च नहीं की है. अगले एक साल में कंपनी का लक्ष्य 10 सैटेलाइन के उत्पादन का है. ये 80 किलो का पहला उपग्रह है. कंपनी साल में 100 छोटे उपग्रह निर्माण की क्षमता रखती है. भारत को सैटेलाइट मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा में यह पहला कदम है.