Sam sankhya ki paribhasha

  1. योग की परिभाषा, इतिहास, उद्देश्य, प्रकार और लक्ष्य
  2. संख्या की परिभाषा क्या है? » Sankhya Ki Paribhasha Kya Hai
  3. सम संख्या किसे कहते है? परिभाषा व सभी सूत्र
  4. संज्ञा
  5. प्राकृतिक संख्या की परिभाषा, सूत्र, तथ्य और उदाहरण
  6. समास


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योग की परिभाषा, इतिहास, उद्देश्य, प्रकार और लक्ष्य

योग यदि पुरुष योग सिखाते हैं, तो वह योगी कहलाते हैं और यदि स्त्रियाँ सिखाती हैं, तो वह योगिनी कहलाती हैं। योग सूत्र 2000 साल पुरानी किताब है। यही एकमात्र ग्रंथ है जिसमें योग के लिखित प्रमाण मिले हैं। यह किताब योग के बारे में सबसे पुरानी किताब है। इस ग्रंथ में योग दर्शन का वर्णन किया गया है। कोई कैसे अपने मन, अपनी भावनाओं को नियंत्रित कर अध्यात्म में विलीन हो सकता है, इस बारे में बहुत सारी विधियों से अवगत कराया गया है। योग की उत्पत्ति योग की उत्पत्ति पर एक सटीक समय अवधि पर कोई सहमति नहीं है। कुछ शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि इसकी उत्पत्ति सिंधु घाटी सभ्यता काल के दौरान हुई थी, दूसरों का कहना है कि इसकी उत्पत्ति पूर्वी भारत में पूर्व-वैदिक युग से हुई थी। कुछ विशेषज्ञों का मानना ​​है कि इसकी उत्पत्ति वैदिक युग में हुई थी। मोहनजोदड़ो से खनन के दौरान प्राप्त पशुपति मुहर से पता चलता है कि मूलबंधासन (योग में बैठने की मुद्रा) में बैठे हुए एक आकृति है, और इसलिए कुछ शोधकर्ता इसे सिंधु घाटी मूल के योग के प्रमाण के रूप में देते हैं। योग शब्द का सबसे पहला प्रयोग ऋग्वेद से लेकर एक श्लोक में प्रातः उगते आधुनिक युग में, रामकृष्ण परमहंस, परमहंस योगानंद, स्वामी विवेकानंद, रमण महर्षि आदि जैसे गुरुओं ने पूरे विश्व में योग के विकास और लोकप्रिय बनाने में योगदान दिया। पतंजलि का योग सूत्र संस्कृत में लिखे गए लगभग 195 सूत्रों या सूत्र का संग्रह है। यह ऋषि पतंजलि द्वारा योग पर पिछले कार्यों और पुरानी परंपराओं पर आधारित था। इस ग्रंथ में, पतंजलि ने योग को आठ अंगों (अष्टांग) के रूप में बताया है। वह हैं यम (संयम), नियम (पालन), आसन (योग मुद्राएं), प्राणायाम (श्वास नियंत्रण), प्रत्याहार (इंद्रियों को वापस ...

संख्या की परिभाषा क्या है? » Sankhya Ki Paribhasha Kya Hai

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। दोस्त आपका प्रश्न है संख्या किसे कहते हैं आपको बता दें कि आंकिक मांगू संख्या कहा जाता है अर्थात गिनती की वह अंक क्वेश्चन क्या कहते हैं जो जीरो से शुरू हो और संख्या कई प्रकार के होते हैं फंक्शन dost aapka prashna hai sankhya kise kehte hain aapko bata de ki ankika maangu sankhya kaha jata hai arthat ginti ki vaah ank question kya kehte hain jo zero se shuru ho aur sankhya kai prakar ke hote hain function दोस्त आपका प्रश्न है संख्या किसे कहते हैं आपको बता दें कि आंकिक मांगू संख्या कहा जाता है अ

सम संख्या किसे कहते है? परिभाषा व सभी सूत्र

11.11. Q.11. 1 से 100 तक सम संख्याएं कितनी है? दोस्तों आज का हमारा पोस्ट सम संख्या क्या होती है?, सम संख्या की परिभाषा क्या है? सम संख्याओं की पहचान कैसे करें?, सम संख्याओं का गुण, Sam sankhya ka yog nikalne ka formula, सम संख्या के वर्गों का योग, सम संख्या के घनों का योग, सम संख्याओं का औसत, सम संख्याओं के उदाहरण तथा सम संख्याओं से संबंधित कुछ प्रश्न इत्यादि के बारे में विस्तृत जानकारी दी है। उदाहरण सहित इन सब चीजों के बारे में आपको इस पोस्ट में बताया गया है। तो इसको अच्छी तरह समझने के लिए तथा इस टॉपिक के ऊपर अपनी अच्छी पकड़ बनाने के लिए आप सभी पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें। जिससे कि आपको Sam Sankhya से संबंधित प्रश्नों को हल करने में कोई परेशानी न हो तथा आप आसानी से इनके प्रश्नों को हल कर पाएं। तो आइए जानते हैं :- सम संख्या क्या होती है – Sam Sankhya Kya Hoti Hai वैसी सभी पूर्णांक संख्याएं, जिसमें ‘2’ से पूरा-पूरा भाग लग जाए या ‘2’ से विभाजित करने पर शेषफल शून्य प्राप्त हो जाए, “सम संख्या” कहलाती है। जैसे- 2,4,6,8,10,18,24,50,100 आदि। ये सभी संख्याएं 2 से विभाजित हो जाती है, इसलिए यह सम संख्याएं है। सम संख्या की परिभाषा क्या है – Sam Sankhya Ki Paribhasha वे सभी संख्याएं जो ‘2’ का गुणज होती है अर्थात वैसे सभी संख्याएं जो ‘2’ से पूर्णतः विभाजित हो जाती है, ऐसी संख्या को हमलोग “सम संख्या ( Even Number )” कहते हैं। जैसे- 12,14,16,34,44,52,60 इत्यादि। सम संख्याओं की पहचान कैसे करें? सम संख्याओं की पहचान करने के लिए हमलोग 2 तरीकों का उपयोग करके पता सकते हैं। जिसमें पहला तरीका है :- अंतिम अंक या इकाई अंक देखकर – जब हमें Sam Sankhya की पहचान करनी हो तो सबसे पहले हम उस संख्या के अं...

Sanghya

Hindi Grammer Ke Important Topics: संज्ञा की परिभाषा संज्ञा का शाब्दिक अर्थ होता है – नाम। किसी व्यक्ति , गुण, प्राणी, व् जाति, स्थान , वस्तु, क्रिया और भाव आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं। संज्ञा के उदाहरण रमेश परीक्षा में प्रथम आया था। इसलिए वह दौड़ता हुआ स्कूल से घर पहुंचा, इस बात से वह बहुत खुश था। उसने यह बात अपने माता- पिता को बताई। यह समाचार सुन वह इतने आनंदित हुए कि उन्होंने उसे गले लगा लिया। 5. द्रव्यवाचक संज्ञा 1. जातिवाचक संज्ञा क्या होती है :- जिस शब्द से एक ही जाति के अनेक प्राणियों , वस्तुओं का बोध हो उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं अथार्त जिस शब्द से किसी जाति का सम्पूर्ण बोध होता हो यह उसकी पूरी श्रेणी और पूर्ण वर्ग का ज्ञान होता है उस संज्ञा शब्द को जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। उदहारण :- मोटर साइकिल, कार, टीवी, पहाड़, तालाब, गॉंव,लड़का, लडकी,घोडा, शेर। 2. भाववाचक संज्ञा क्या होती है :- जिस संज्ञा शब्द से किसी के गुण, दोष, दशा, स्वाभाव , भाव आदि का बोध हो वहाँ पर भाववाचक संज्ञा कहते हैं। अथार्त जिस शब्द से किसी वस्तु , पदार्थ या प्राणी की दशा , दोष, भाव , आदि का पता चलता हो वहाँ पर भाववाचक संज्ञा होती है। उदहारण:- गर्मी, सर्दी, मिठास, खटास, हरियाली, सुख। भाववाचक संज्ञा बनाना :- भाववाचक संज्ञा चार प्रकार से बनाई जा सकती हैं — 1. जातिवाचक संज्ञा से 2. सर्वनाम से 3. विशेषण से 4. क्रिया से 1. जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाना :- मित्र = मित्रता पुरुष = पुरुषत्व पशु = पशुता पंडित = पांडित्य दनुज = दनुजता सेवक = सेवा नारी = नारीत्व भाई = भाईचारा 2. सर्वनाम से भाववाचक संज्ञा बनाना :- पराया = परायापन सर्व = सर्वस्व निज = निजत्व यह भी पढ़ें : 3. विशेषण से संज्ञा बनाना :- ...

संज्ञा

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प्राकृतिक संख्या की परिभाषा, सूत्र, तथ्य और उदाहरण

विषय सूची • • • • • • • प्राकृतिक संख्या किसे कहते हैं? (Prakrit Sankhya Kise Kahate Hain) गणना करने वाले सभी संख्या को प्राकृत संख्या कहते हैं। या हम यूं भी कह सकते हैं कि वह सभी पूर्णांक जो 0 से बड़े हैं, उन्हें प्राकृत संख्या कहा जाता है। जैसा कि हमने आपको बताया गणित के अध्याय की शुरुआत तो संख्या से हुई है और सबसे पहले प्राकृतिक संख्या को खोजा गया ताकि गिनती करना आसान हो सके। आप यह समझते होंगे कि किसी भी चीज की गिनती 0 से शुरू नहीं होती, इस वजह से प्राकृतिक संख्या में 0 को नहीं रखा गया था। बाद में संख्या का अधिक इस्तेमाल करने पर शून्य और इसके साथ अलग-अलग संख्याएं आई। प्राकृत संख्या गणित का बहुत पुराना अध्याय है, जिस वजह से अलग-अलग क्षेत्र में इस संख्या के अलग-अलग नाम है। उपयोगिता के अनुसार प्राकृत संख्या को घन पूर्णांक संख्या भी कहा जाता है। बहुत पुराना होने की वजह से इसे हिंदू अरबी संख्या के नाम से भी कई जगहों पर संबोधित किया गया है। प्राकृत संख्या के सूत्र प्राकृत संख्या से जुड़े विभिन्न प्रकार के प्रश्न अलग-अलग क्षेत्र में पूछे जाते हैं, जिस वजह से आपको प्राकृत संख्या से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सूत्र की जानकारी होनी चाहिए, जिसकी सूची नीचे प्रस्तुत की गई है: • प्रथम n प्राकृतिक सम संख्याओं का औसत = n+1 • लगातार n तक विषम प्राकृतिक संख्याओं का औसत = (n+1) /2 • प्रथम n प्राकृतिक संख्याओं का औसत = (n+1) /2 • लगातार n तक विषम प्राकृतिक संख्या का योग = (n/2+1) • प्रथम n प्राकृतिक विषम संख्याओं का औसत = n प्राकृत संख्या के ट्रिक और इसके तथ्य प्राकृत संख्या से जुड़े बहुत सारे तथ्य हैं, जिन्हें आप ट्रिक्स के आधार पर इस्तेमाल कर सकते हैं। कुछ प्रश्नों का हल ढूंढने के लिए प्राकृत ...

समास

Samas (समास) समास (Samas In Hindi): समास का तात्पर्य है ‘ संक्षिप्तीकरण’। हिन्दी व्याकरण में समास का शाब्दिक अर्थ होता है छोटा रूप; अर्थात जब दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर जो नया और छोटा शब्द बनता है उस शब्द को हिन्दी में समास कहते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो समास वह क्रिया है, जिसके द्वारा हिन्दी में कम-से-कम शब्दों मे अधिक-से-अधिक अर्थ प्रकट किया जाता है। समास के उदाहरण • रसोई के लिए घर इसे हम रसोईघर भी कह सकते हैं। • ‘राजा का पुत्र’– राजपुत्र वन्द्वो द्विगुरपि चाहं मद्गेहे नित्यमव्ययीभावः। तत् पुरुष कर्म धारय येनाहं स्यां बहुव्रीहिः॥ समास रचना में दो पद होते हैं , पहले पद को ‘पूर्वपद ‘ कहा जाता है और दूसरे पद को ‘ उत्तरपद ‘ कहा जाता है। इन दोनों से जो नया शब्द बनता है वो समस्त पद कहलाता है। जैसे :- • रसोई के लिए घर = रसोईघर • हाथ के लिए कड़ी = हथकड़ी • नील और कमल = नीलकमल • रजा का पुत्र = राजपुत्र Samas In Hindi सामासिक शब्द (Samasik shabd) समास के नियमों से निर्मित शब्द सामासिक शब्द कहलाता है। इसे समस्तपद भी कहते हैं। समास होने के बाद विभक्तियों के चिह्न (परसर्ग) लुप्त हो जाते हैं। • जैसे-राजपुत्र। समास-विग्रह (Samas vigrah in hindi) सामासिक शब्दों के बीच के संबंधों को स्पष्ट करना समास-विग्रह कहलाता है। विग्रह के पश्चात सामासिक शब्दों का लोप हो जाता है। • जैसे- राज+पुत्र-राजा का पुत्र। पूर्वपद और उत्तरपद (Poorvpad aur uttarpad in samas) समास में दो पद (शब्द) होते हैं। पहले पद को पूर्वपद और दूसरे पद को उत्तरपद कहते हैं। जैसे-गंगाजल। इसमें गंगा पूर्वपद और जल उत्तरपद है। समास के भेद (Samas ke bhed) • • • • • • प्रयोग की दृष्टि से समास के भेद- • संयोगमूलक समास • आश्र...