Sangatkar bhavarth

  1. संगतकार के अर्थ या भावार्थ को पढ़िए क्लास 10 हिंदी क्षितिज
  2. Hindi Class 10 Notes
  3. संगतकार का सार, भावार्थ, प्रश्न उत्तर क्लास 10
  4. संगतकार कविता का सार
  5. Hindi Kshitij Class 10 Poems Summary in Hindi
  6. उत्साह और अट नहीं रही है का भावार्थ व व्याख्या, प्रश्नोत्तर,अन्य प्रश्न कक्षा 10
  7. यह दंतुरित मुस्कान और फसल Class 10 Summary, Explanation, Question Answers
  8. उत्साह और अट नहीं रही
  9. यह दंतुरित मुस्कान और फसल


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संगतकार के अर्थ या भावार्थ को पढ़िए क्लास 10 हिंदी क्षितिज

जब भी कहीं संगीत का आयोजन होता है तो मुख्य गायक के साथ संगत करने वाला अक्सर देखा जाता है। ज्यादातर लोग संगतकार पर ध्यान नहीं देते हैं और वह पृष्ठभूमि का हिस्सा मात्र बनकर रह जाता है। वह हमारे लिए एक गुमनाम चेहरा हो सकता है। हम उसके बारे में तरह-तरह की अटकलें लगा सकते हैं। लेकिन मुख्य गायक की प्रसिद्धि के आलोक में हममे से बहुत कम ही लोग उस अनजाने संगतकार की महत्वपूर्ण भूमिका पर विचार कर पाते हैं। मुख्य गायक की गरज में वह अपनी गूँज मिलाता आया है प्राचीन काल से गायक जब अंतरे की जटिल तानों के जंगल में खो चुका होता है या अपने ही सरगम को लाँघकर चला जाता है भटकता हुआ एक अनहद में तब संगतकार ही स्थायी को सँभाले रहता है जैसे समेटता हो मुख्य गायक का पीछे छूटा हुआ सामान जैसे उसे याद दिलाता हो उसका बचपन जब वह नौसिखिया था। सदियों से यह परंपरा रही है कि मुख्य गायक के सुर में संगतकार अपना सुर मिलाता आया है। मुख्य गायक की भारी आवाज के पीछे संगतकार की आवाज दब सी जाती है। लेकिन संगतकार हर क्षण अपनी भूमिका को पूरी इमानदारी से निभाता है। जब गायक अंतरे की जटिल तानों और आलापों में खो जाता है और सुर से कहीं भटक जाता है तो ऐसे समय में संगतकार स्थायी को सँभाले रहता है। उसकी भूमिका इसी तरह की होती है जैसे कि वह आगे चलने वाले पथिक का छूटा हुआ सामान बटोरकर कर अपने साथ लाता है। साथ ही वह मुख्य गायक को उसके बीते दिनों की याद भी दिलाता है जब मुख्य गायक नौसिखिया हुआ करता था। तारसप्तक में जब बैठने लगता है उसका गला प्रेरणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ आवाज से राख जैसा कुछ गिरता हुआ तभी मुख्य गायक को ढ़ाँढ़स बँधाता कहीं से चला आता है संगीतकार का स्वर जब तारसप्तक पर जाने के दौरान गायक का गला बैठने लगता है...

Hindi Class 10 Notes

There are two courses in Hindi subject: Course A and B. Each course has two textbooks. Here, in this page you will find the Hindi Class 10 Notes through which you can understand the chapters easily. Also, we have provided meanings of difficult words which will help you in improving Hindi Vocabulary. These Hindi Class 10 Summary includes all the important points of the chapters so you can revise them before the examination in less time. Kshitiz Class 10 Summary • • • • • • • • • • • • • • • • • Kritika Class 10 Summary • • • • एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा Summary • पाठ 5- मैं क्यों लिखता हूँ? Summary Sparsh Class 10 Summary • • • • • • • • • • • • • • • • • Sanchyan Class 10 Summary • हरिहर काका Summary • सपनों के से दिन Summary • टोपी शुक्ला Summary NCERT Solutions for Class 10 Hindi

संगतकार का सार, भावार्थ, प्रश्न उत्तर क्लास 10

संगतकार कविता के कवि मंगलेश डबराल हैं| संगतकार कविता गायन में मुख्य गायक का साथ देनेवाले संगतकार की भूमिका के महत्त्व पर विचार करती है। दृश्य माध्यम की प्रस्तुतियों; जैसे-नाटक, फ़िल्म, संगीत, नृत्य के बारे में तो यह सही है ही; हम समाज और इतिहास में भी ऐसे अनेक प्रसंगों को देख सकते हैं जहाँ नायक की सफलता में अनेक लोगों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। कविता हममें यह संवेदनशीलता विकसित करती है कि उनमें से प्रत्येक का अपना-अपना महत्त्व है और उनका सामने न आना उनकी कमज़़ोरी नहीं मानवीयता है। संगीत की सूक्ष्म समझ और कविता की दृश्यात्मकता इस कविता को ऐसी गति देती है मानो हम इसे अपने सामने घटित होता देख रहे हों। संगतकार कविता का भावार्थ क्लास 10 संगतकार का प्रसंग– प्रस्तुत पद्यांश कवि मंगलेश डबराल द्वारा रचित कविता ‘संगतकार’ से अवतरित है। यहाँ कवि ने गायन में मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका के महत्त्व को समझाया है। कवि कहता है संगतकार की व्याख्या– गाने में मुख्य गायक का विश्वास भरा चट्टान की तरह अचल स्वर का साथ देने वाले की मधुर किंतु कमजोर, धीमी और काँपती आवाज आ रही थी। वह कांपता हुआ स्वर मुख्य गायक के किसी छोटे भाई का, उसके किसी शिष्य का या फिर कहीं दूर से पैदल चलकर संगीत सीखने के लिए आने वाले किसी सगे-संबंधी का था जो एक लंबे समय से मुख्य गायक की ऊँची गंभीर आवाज में अपने स्वर की मधुर गूँज मिलाता आया है। बहुत पहले से ही मुख्य गायक की आवाज में अपनी आवाज का सहयोग देता आया है। जब मुख्य गायक टेक को छोड़कर गीत के चरणों का कठिन संगीत में स्वर का विस्तार करता हुआ गहराई में तल्लीन हो जाता है या फिर अपनी ही सुर-ताल से भटककर और स्वरों की सीमा लांघकर एक गहराई में चला जाता है तब स...

संगतकार कविता का सार

Table of Contents • • • • • संगतकार Sangatkar summary Class 10 Hindi कविता का सार कवि परिचय मंगलेश डबराल इनका जन्म सन 1948 में टिहरी गढ़वाल, उत्तरांचल के काफलपानीगाँव में हुआ और शिक्षा देहरादून में। दिल्ली आकर हिंदी पेट्रियट, प्रतिपक्ष और आसपास में काम करने के बाद ये पूर्वग्रह सहायक संपादक के रूप में जुड़े। इलाहबाद और लखनऊसे प्रकाशित अमृत प्रभात में भी कुछ दिन नौकरी की, बाद में सन 1983 में जनसत्ता अखबार में साहित्य संपादक का पद संभाला। कुछ समय सहारा समय में संपादक रहने के बाद आजकल नेशनल बुक ट्रस्ट से जुड़े हैं। संगतकार Class 10 Hindi कविता का सार ( Short Summary ) ‘संगतकार’ कविता गायन के मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार के महत्त्व और उसकी अनिवार्यता की ओर संकेत करती है। वह मुख्य गायक की सफलता में अति महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। संगतकार केवल गायन के क्षेत्र में ही महत्त्वपूर्ण नहीं है बल्कि नाटक, फिल्म, संगीत, नृत्य आदि के लिए भी उपयोगी है। जब कोई मुख्य गायक अपने भारी स्वर में गाता है तब संगतकार का छोटा भाई या उसका कोई शिष्य अपनी सुंदर कमजोर कांपती आवाज़ से उसे और अधिक सुंदर बना देता है। युगों से संगतकार अपनी आवाज़ को मुख्य गायक के स्वर के साथ मिलाते ही रहे हैं। जब मुख्य गायक अंतरे की जटिल तान में खो चुका होता है या अपने ही सरगम को लांघ जाता है तब संगतकार ही स्थायी को संभाल कर आगे बढ़ाता है। जैसे वह उसे उसका बचपन याद दिला रहा हो। वही मुख्य गायक के गिरते हुए स्वर को ढाढ़स बंधाता है। कभी-कभी वह उसे यह अहसास दिलाता है कि गाने वाला अकेला नहीं है, बल्कि वह उसका साथ देने वाला था जो राग पहले गाया जा चुका है, वह फिर से गाया जा सकता है। वह मुख्य गायक के समान अपने स्वर को उँच...

Hindi Kshitij Class 10 Poems Summary in Hindi

हम आपका प्यार पाकर बहुत ही ख़ुश हैं। हम उम्मीद करते हैं, जिस तरह अभी तक आपने PoemGyan (पोएमज्ञान) को पसंद किया है, आगे भी हमेशा ऐसे ही पसंद करेंगे। हम इसी तरह से आपके लिए कविताओं के आसान भावार्थ (पोएम समरी) लिखते रहेंगे। इस लेख में हमने कक्षा 10 की हिंदी क्षितिज भाग-2(Hindi Kshitij Class 10 Poems Summary in Hindi) की सारी कविताओं के भावार्थों का लिंक दिया है। आपको जिस कविता का भावार्थ यानि समरी पढ़नी है, उस पर क्लिक करें और आसान भाषा में सब कुछ समझें। Hindi Kshitij Class 10 Poems Summary Chapter 1 : सूरदास हिंदी साहित्य में भक्ति-काल की सगुण भक्ति-शाखा के महान कवि हैं। इनके पद जन-जन के बीच बेहद प्रसिद्ध हैं और काफी सराहे जाते हैं। अपने पदों में सूरदास जी ने मुख्य रूप से श्री कृष्ण भगवान की लीलाओं का गुणगान किया है। इस पाठ में सूरदास जी के उस पद का वर्णन है, जिसमें उद्धव जी श्रीकृष्ण के वियोग में तड़प रही गोपियों के पास योग का संदेश लेकर जाते हैं। इस पर गोपियाँ उद्धव जी से किस प्रकार तर्क-वितर्क करती हैं, इसका पूरा वर्णन जानने के लिए पढ़ें: सूरदास के पद अर्थ सहित। Chapter 2 : राम लक्ष्मण परशुराम संवाद को गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस नामक प्रसिद्ध ग्रन्थ से लिया गया है। इस काव्यांश में तुलसीदास जी ने सीता माँ के स्वयंवर की उस घटना का बड़ा ही सुंदर वर्णन किया है, जब श्रीराम से जगत-प्रसिद्ध शिव-धनुष टूट जाता है। महर्षि परशुराम के क्रोध का सामना लक्ष्मण और राम जी किस तरह से करते हैं, इसकी पूरी जानकारी पाने के लिए पढ़ें: राम लक्ष्मण संवाद अर्थ सहित। Chapter 3 : कवि का पूरा नाम देवदत्त है, इन्हें हिंदी भाषा का महाकवि होने का गौरव प्राप्त है। अपने कवित्त और सवैयों में इन...

उत्साह और अट नहीं रही है का भावार्थ व व्याख्या, प्रश्नोत्तर,अन्य प्रश्न कक्षा 10

उत्साह और अट नहीं रही है का भावार्थ, प्रश्न और उत्तर,अन्य प्रश्न कक्षा 10 इस पोस्ट में हम उत्साह और अट नहीं रही है पाठ संबंधी निम्नलिखित विंदुओं पर चर्चा करेंगे। उत्साह कविता का सारांश, उत्साह कविता का भावार्थ व व्याख्या, उत्साह कविता के प्रश्न उत्तर, उत्साह कविता के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न, अट नहीं रही है कविता का सारांश, अट नहीं रही है कविता का भावार्थ व व्याख्या, अट नहीं रही है का प्रश्न उत्तर, अट नहीं रही है कविता के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न, उत्साह कविता का सार या सारांश उत्साह एक आवाह्नपरक कविता है। उत्साह कविता के कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला हैं। कवि ने बादल को उत्साह का प्रतीक मानते हुए इस कविता की सर्जना की है। कवि ने यह कविता युवावर्ग को समर्पित किया है क्योंकि युवा ही देश का भविष्य होता है।जिस प्रकार से बादल में पूरे मौसम को परिवर्तित कर देने की शक्ति होती है उसी प्रकार से युवावर्ग में देश की दशा और दिशा बदल देने की शक्ति विद्यमान होती है। कवि कहता है कि हे युवावर्ग बादल के समान गर्जना करते हुए तुम समाज में क्रांति की लहर व्याप्त करा दो जिससे पुरानी रूढ़ियाँ और परम्पराएँ दूर हो जाएँ। युवावर्ग को कवि ने क्रांति और परिवर्तन का प्रतीक माना है। उत्साह कविता का भावार्थ व व्याख्या बादल, गरजो! घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ! ललित ललित, काले घुँघराले, बाल कल्पना। के-से पाले, विद्युत छवि उर में, कवि, नवजीवन वाले वज्र छिपा नूतन कविता फिर भर दो- बादल गरजो! उत्साह कविता का संदर्भ- प्रस्तुत पद्यांश हिंदी की पाठ्य पुस्तक क्षितिज भाग दो के उत्साह नामक कविता से लिया गया है। जिसके कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला हैं। उत्साह का भावार्थ व व्याख्या– उत्साह कविता में कवि कहता है की हे ब...

यह दंतुरित मुस्कान और फसल Class 10 Summary, Explanation, Question Answers

यह दंतुरित मुस्कान और फसल पाठ सार, पाठ-व्याख्या, कठिन शब्दों के अर्थ और NCERT की पुस्तक के अनुसार प्रश्नों के उत्तर Yah Danturit Muskan Aur Fasal Summary of CBSE Class 10 Hindi (Course A) Kshitij Bhag-2 Chapter 6 and detailed explanation of the lesson along with meanings of difficult words. Here is the complete explanation of the lesson, along with all the exercises, Questions and Answers given at the back of the lesson. इस लेख में हम हिंदी कक्षा 10 - अ " क्षितिज भाग - 2 " के पाठ - 6 " यह दंतुरित मुस्कान ” और “ फसल " के पाठ - प्रवेश , पाठ - सार , पाठ - व्याख्या , कठिन - शब्दों के अर्थ और NCERT की पुस्तक के अनुसार प्रश्नों के उत्तर , इन सभी के बारे में चर्चा करेंगे - “ यह दंतुरित मुस्कान ” यह दंतुरित मुस्कान पाठ प्रवेश प्रस्तुत कविता “ यह दंतुरित मुसकान ” के कवि नागार्जुन जी हैं। यह दंतुरित मुस्कान कविता में कवि ने एक बच्चे की मुस्कान का बड़ा ही मनमोहक चित्रण किया है। कवि के अनुसार एक बच्चे की मुस्कान को देखकर , हम अपने सब दुःख भूल जाते हैं और हमारा अंतर्मन प्रसन्न हो जाता है। कवि ने यहाँ बाल - अवस्था में एक बालक द्वारा की जाने वाली नटखट और प्यारी हरकतों का बहुत ही सुन्दर वर्णन किया है। इस कविता में छोटे बच्चे की मन को हरने वाली मुस्कान को देखकर कवि के मन में जो भाव उमङते है , उन्हें कवि ने कविता में अनेक बिम्बों के माध्यम से प्रकट किया है। कवि का मानना है कि सुन्दरता में ही जीवन का संदेश होता है। इस सुन्दरता का विस्तार ऐसा है कि कठोर मन को भी पिघला देती है। कहने का तात्पर्य यह है कि कवि उस छोटे बच्चे की मुस्कान को अपने जीवन की सुंदरता बता रहे हैं और उस छोटे बच्चे की मुस्करा...

उत्साह और अट नहीं रही

उत्साह प्रस्तुत कविता एक आह्वाहन गीत है। इसमें कवि बादल से घनघोर गर्जन के साथ बरसने की अपील कर रहे हैं। बादल बच्चों के काले घुंघराले बालों जैसे हैं। कवि बादल से बरसकर सबकी प्यास बुझाने और गरज कर सुखी बनाने का आग्रह कर रहे हैं। कवि बादल में नवजीवन प्रदान करने वाला बारिशतथा सबकुछ तहस-नहस कर देने वाला वज्रपात दोनों देखते हैं इसलिए वे बादल से अनुरोध करते हैं किवह अपने कठोर वज्रशक्ति को अपने भीतर छुपाकरसब में नई स्फूर्ति और नया जीवन डालने के लिए मूसलाधार बारिश करे। आकाश में उमड़ते-घुमड़ते बादल को देखकर कवि को लगता है की वे बेचैन से हैं तभी उन्हें याद आता है कि समस्त धरती भीषण गर्मी से परेशान है इसलिए आकाश की अनजान दिशा से आकर काले-काले बादल पूरी तपती हुईधरती को शीतलता प्रदान करने के लिए बेचैन हो रहे हैं। कवि आग्रह करते हैं की बादल खूब गरजे और बरसे और सारे धरती को तृप्त करे। अट नहीं रही प्रस्तुत कविता में कवि ने फागुन का मानवीकरण चित्र प्रस्तुत किया है। फागुन यानी फ़रवरी-मार्च के महीने में वसंत ऋतू का आगमन होता है। इस ऋतू में पुरानेपत्ते झड़ जाते हैं और नए पत्ते आते हैं। रंग-बिरंगे फूलों की बहार छाजाती है और उनकी सुगंध से सारा वातावरण महक उठता है। कवि को ऐसा प्रतीत होता है मानो फागुन के सांस लेने पर सब जगह सुगंध फैल गयी हो। वे चाहकर भी अपनी आँखे इस प्राकृतिक सुंदरता से हटा नही सकते। इस मौसम में बाग़-बगीचों, वन-उपवनों के सभी पेड़-पौधे नए-नए पत्तों से लदगए हैं, कहीं यहीं लाल रंग के हैं तो कहीं हरे और डालियाँ अनगिनत फूलों सेलद गए हैं जिससे कवि को ऐसा लग रहा हैजैसे प्रकृति देवी ने अपने गले रंग बिरंगे और सुगन्धित फूलों की माला पहन रखी हो। इस सर्वव्यापी सुंदरता का कवि को कहीं ओऱ-छोर नजर नही...

यह दंतुरित मुस्कान और फसल

यह दंतुरित मुस्कान इस कविता में कवि ने नवजात शिशुके मुस्कान के सौंदर्य के बारे में बताया है। कवि कहते हैं की शिशुकी मुस्कान इतनी मनमोहक और आकर्षक होती है कीकिसी मृतक में भी जान डाल दे। खेलने के बाद धूल से भरा तुम्हारा शरीर देखकर ऐसा लगता है मानो कमल का फूल तालाब छोड़कर मेरी झोपड़ी में आकर खिल गए हों। तुम्हारे स्पर्श को पाकर पत्थर भी मानो पिघलकर जल हो गया हो यानी तुम्हारे जैसे शिशु की कोमल स्पर्श पाकर किसी भी पत्थर-हृदय व्यक्ति का दिल पिघल जाएगा। कवि कहते हैं की उनका मन बांस और बबूलकी भांति नीरस और ठूँठ हो गया था परन्तु तुम्हारे कोमलताका स्पर्श मात्र पड़ते ही हृदय भी शेफालिका के फूलों की भांति झड़ने लगा। कवि के हृदय में वात्सल्य की धारा बहनिकली और वे अपने शिशु से कहते हैं की तुमने मुझे आज से पूर्व नहींदेखा है इसलिए मुझे पहचान नही रहे। वे कहते हैं की तुम्हे थकान से उबारने के लिए मैं अपनी आँखे फेर लेता हूँ ताकि तुम भी मुझे एकटक देखने के श्रम से बच सको। कवि कहते हैं की क्या हुआ यदि तुम मुझे पहचान नही पाए। यदि आज तुम्हारी माँ न होती तो आज मैं तुम्हारी यह मुस्कान भी ना देख पाता। वे अपनी पत्नी का आभार जताते हुए की तुम्हारा मेरा क्या सम्बन्ध यह तुम इसलिए नही जानते क्योंकि मैं इधर उधर भटकता रहा, तुम्हारी ओर ध्यान ना दिया। तुम्हारी माँ ने ही सदा तुम्हेंस्नेह-प्रेम दिया और देखभाल किया। पर जब भी हम दोनों की निगाहें मिलती हैं तब तुम्हारी यह मुस्कान मुझे आकर्षित कर लेती हैं। फ़सल इस कविता में कवि ने फसल क्या हैसाथ ही इसे पैदा करने मेंकिनका योगदान रहता है उसे स्पष्ट किया है। वे कहते हैं की इसे पैदा करने मेंएक नदी या दो नदी का पानी नही होताबल्कि ढेर सारीनदियों का पानी का योगदान होता है अर्थात ...