Sankraman tatv kise kahate hain

  1. मिश्रण क्या है? परिभाषा एवं प्रकार! ( Mishran Kya Hai )
  2. संचार किसे कहते हैं
  3. गति किसे कहते है
  4. संक्रमण तत्व किसे कहते हैं,संक्रमण तत्व क्या है, sankraman tatva kya hote hain
  5. Sankshepan (संक्षेपण)
  6. संचार किसे कहते हैं
  7. संक्रमण तत्व किसे कहते हैं,संक्रमण तत्व क्या है, sankraman tatva kya hote hain
  8. मिश्रण क्या है? परिभाषा एवं प्रकार! ( Mishran Kya Hai )
  9. Sankshepan (संक्षेपण)
  10. गति किसे कहते है


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मिश्रण क्या है? परिभाषा एवं प्रकार! ( Mishran Kya Hai )

मिश्रण क्या है? ( What is a Mixture ) मिश्रण क्या है :— दो या दो से अधिक तत्त्वों या यौगिकों के योग से बनने वाले पदार्थ को मिश्रण ( Mixture) कहा जाता है । ये किसी भी अनुपात में बिना रासायनिक संयोग से बनते हैं । इनके घटकों ( अवयव ) को सरल भौतिक तरीकों से अलग किया जा सकता है । उदाहरण :— वायु , दूध , स्याही . , पेंट , कोयला , रक्त , मक्खन , धुआँ आदि । मिश्रण के प्रकार ( Type of Mixture ) मिश्रण 2 प्रकार के होते हैं ; ( 1 ). समांग मिश्रण , ( 2 ). असमांग मिश्रण ( 1 ). समांग मिश्रण ( Homogeneous Mix ) समांग मिश्रणों के घटक एक दूसरे के साथ पूरी से तरह घुले हुए होते हैं । और इन मिश्रणों का संघटन एक समान होता है । उदाहरण :— नमक और जल का मिश्रण , चीनी और पानी का मिश्रण , वायु , नींबू – पानी , पीतल , कांसा ( काँस्य ) आदि । नोट — केवल बिलयन और मिश्रित धातु ही समांग मिश्रण होता है । विलयन ( Merger ) :— विलयन एक समांग मिश्रण होता है । विलयन में जो पदार्थ अधिक मात्रा में होता है उसे विलायक कहते हैं और जो पदार्थ कम मात्रा में होता है उसे विलेय कहते हैं । विलेय का विघटन दर तापमान के बढ़ने पर बढ़ता है एवं तापमान के कम होने पर घटता है । उदाहरण :— नमक और जल का विलयन इस मिश्रण में जल विलायक है और नमक विलेय है । जल को सार्वधिक विलायक कहा जाता है । मिश्रित धातु ( Mixed Metal ) :— मित्रित धातु , धातुओं का समांग मिश्रण होता है । मिश्रित धातु के गुण उसके घटकों के गुण से अलग होते हैं । ( 2 ). असमांग मिश्रण ( Heterogeneous Mixture ) इन मिश्रणों के घटक एक – दूसरे के साथ पूरी तरह से घुले हुए नहीं होते हैं । और इन मिश्रणों का संघटन एक समान नहीं होता है । इन मिश्रणों के घटकों को आसानी से अलग किया जा सकता...

संचार किसे कहते हैं

संचार किसे कहते हैं- संचार किसे कहते हैं परिभाषा व प्रकार | Sanchar Kise Kahate Hain (Sanchar Kya hai) प्यारे मित्रों, क्या आप भी यूजीसीनेट परीक्षाकी तैयारी कर रहे हैं? क्या आप भी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होना चाहते हैं? जी हाँ, आज हम आपको बताने वाले हैं- संचार, संचार किसे कहते हैं? ( Sanchar Kise Kahate Hain) संचार की परिभाषा क्या है? संचार कितने प्रकार के होते हैं? संचार अर्थात् Communication यह एक ऐंसा टाॅपिक है जो कि विभिन्न परीक्षाओं में पूछा जाता है। जी हाँ, आज हम विशेष रूप से विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं तथा UGC NET PAPER 1 SYLLABUS के आधार पर तीसरी यूनिट में रखा गया विषय- संचार, इसकी विस्तृत रूप से चर्चा करेंगे। संचार क्या है (Sanchar Kya Hai)? संचार किसे कहते हैं? संचार से पूछे गये प्रश्न, आदि विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा करने जा रहे हैं। तो आइये, स्वागत है आपका! दिल की गहराइयों से! इसे भी देखें- संचार किसे कहते हैंं- परिभाषा, अर्थ, प्रकार , उदाहरण - सब कुछ पाओ(Communication) इस लेख में संचार किसे कहते हैं (Sanchar Kya Hai) संचार किसे कहते हैं- परिभाषा प्रभावी संचार किस कहते हैं संचार माध्यम किसे कहते हैं संचार के मूल तत्व कौन-कौन से हैं संचार कितने प्रकार के होते हैं संचार किसे कहते हैं (Sanchar Kiss Kahate Hain) दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य सूचनाओं अथवा सन्देशों व विचारों का आदान-प्रदान ही संचार कहलाता है। संचार अथवा सम्प्रेषण को संदेशवाहन, सन्देश, एवं अंग्रेजी में Communication आदि नामों से भी जाना जाता है। सम्प्रेषण अथवा संचार शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के कम्यूनिस (Communi s) शब्द से हुई। कहा जाता है कि संचार शब्द लैटिन भाषा के कम्यूनि...

गति किसे कहते है

Table of Contents • • • • Gati Kise Kahate Hain In Hindi गति किसे कहते है (Gati Kise Kahate Hain) :– किसी कण की स्थिति में समय के साथ जो परिवर्तन होता है। उसे “गति” कहते है। गति का सूत्र :- गति = विस्थापन /समय Gati Ke Prakar गति के प्रकार :- गति निम्न प्रकार की होती है। • सरल रेखीय गति :-यदि कोई वस्तु एक सरल रेखा के अनुदिश गति करती है। तो उसे सरल रेखीय गति कहते है। इस प्रकार गति को प्रदर्शित करने के लिए एल निर्देश अक्ष का उपयोग करते है। जैसे – एक सीधे लम्बे पाइप में गेंद की गति, बन्दूक की गोली आदि। • एक समान गति :-यदि कोई वस्तु एक निश्चित दिशा में एक समान समय अंतराल में एक घंटे में 40 किलोमीटर की दूरी, तथा दूसरे घंटे में भी 40 किलोमीटर की दूरी व तीसरे घंटे में भी 40 किलोमीटर की दूरी तय करे • असमान गति :-यदि कोई वस्तु समान समय अंतराल में भिन्न भिन्न दुरी तय करे। तो उस गति को असमान गति कहते है। जैसे – कार की गति। • अनियमित गति :- यदि कोई वस्तु गतिमान अवस्था में अपनी दिशा निरंतर बदलती रहती है। तो उस गति को अनियमित गति कहते है। जैसे – फूलों पर मंडराती तितलियां। • दोलन गति :- जब कोई वस्तु अपनी माध्य स्थिति के इर्द गिर्द गति करें तो इस प्रकार की गति को दोलन या कंपन गति कहते है। जैसे- दीवार घड़ी के लोलक की गति आदि। • स्थानांतरित गति :- जब कोई वस्तु किसी निर्देश तंत्र के सापेक्ष एक स्थान से दूसरे स्थान पर गति करके स्थानांतरित होती है, तो इस प्रकार की गति स्थानांतरित गति कहलाती है। जैसे -एक सीधी सड़क पर चलने वाली गाड़ी। • घूर्णन गति :- जब कोई कणों का निकाय किसी निश्चित अक्ष के परित परिक्रमण करता है तो इस प्रकार की गति घूर्णन गति कहलाती है। जैसे – चलते हुए पंखे की गति। • वृत्तीय गति...

संक्रमण तत्व किसे कहते हैं,संक्रमण तत्व क्या है, sankraman tatva kya hote hain

यहाँ पर आपको संक्रमण तत्व की बहुत सरल परिभाषा देखने को मिलेगी (sankraman tatva kya hote hain) sankraman tatva kya hain... संक्रमण तत्व किसे कहते हैं ? (sankraman tatva ) संक्रमण तत्व की यहां पर आपको बहुत ही सरल परिभाषा देखने को मिलेगी यह सभी परीक्षाओं के लिए मानी जाती है यहां पर संक्रमण तत्व की पूरी विशेषताएं बताई गई है उत्तरसंक्रमण तत्त्व (Transition Elements)- (sankraman tatva kya hote hain) sankraman tatva kya hain... आवर्त सारणी में। तथा d-ब्लॉक के तत्वों को जोड़ने वाले तत्व, संक्रमण तत्व कहलाते हैं। आधुनिक परिभाषा के अनुसार वे तत्व जिनमें परमाण्वीय अवस्था में या उस तत्व की किसी सामान्य ऑक्सीकरण अवस्था में d-या F-उपकोश आंशिक रूप से भरे जाएँ, संक्रमण तत्व कहलाते हैं। इलेक्ट्रॉनीय विन्यासों के आधार पर इन तत्वों को दो मुख्य भागों में विभाजित किया गया है 1. मुख्य संक्रमण तत्व- इनका सामान्य इलैक्ट्रॉनीय विन्यास (n-1)d¹–⁹ns¹–² होता है। आवर्त सारणी के d- ब्लॉक के तत्वों में Zn, Cd तथा Hg को छोडकर शेष सभी तत्व मुख्य संक्रमण श्रेणी में आते हैं। इन तत्वों को चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है (i) प्रथम या 3d संक्रमण श्रेणी--Sc से Cu तक (ii) द्वितीय या 4d संक्रमण श्रेणी-Y से Ag तक (iii) तृतीय या 5d संक्रमण श्रेणी-La से Hf से Au तक (iv) चतुर्थ या 6d संक्रमण श्रेणी-A, Rf, Ha 2. आन्तरिक संक्रमण तत्व इन तत्वों का सामान्य इलैक्ट्रॉनीय विन्यास (n-2)f¹–¹⁴(n-1)s² (n-1)p⁶(n-1)d⁰–¹ ns² bहोता है। इन तत्वों में अन्तिम इलैक्ट्रॉन, अन्तिम दो कोश से पूर्व कोश में उपकोश में भरे जाते हैं। आवर्त सारणी के छठे आवर्त में La (57) के पश्चात् चौदह तत्व Ce से Lu तक इलैक्ट्रॉन 4f- उपकोश में भरे जाते है...

Sankshepan (संक्षेपण)

Sankshepan (संक्षेपण) संक्षेपण(Sankshepan)की परिभाषा किसी विस्तृत विवरण, सविस्तार व्याख्या, वक्तव्य, पत्रव्यवहार या लेख के तथ्यों और निर्देशों के ऐसे संयोजन को 'संक्षेपण' कहते है, जिसमें अप्रासंगिक, असम्बद्ध, पुनरावृत्त, अनावश्यक बातों का त्याग और सभी अनिवार्य, उपयोगी तथा मूल तथ्यों का प्रवाहपूर्ण संक्षिप्त संकलन हो। इस परिभाषा के अनुसार, संक्षेपण एक स्वतःपूर्ण रचना है। उसे पढ़ लेने के बाद मूल सन्दर्भ को पढ़ने की कोई आवश्यकता नहीं रह जाती। सामान्यतः संक्षेपण में लम्बे-चौड़े विवरण, पत्राचार आदि की सारी बातों को अत्यन्त संक्षिप्त और क्रमबद्ध रूप में रखा जाता है। इसमें हम कम-से-कम शब्दों में अधिक-से-अधिक विचारों भावों और तथ्यों को प्रस्तुत करते है। वस्तुतः, संक्षेपण किसी बड़े ग्रन्थ का संक्षिप्त संस्करण बड़ी मूर्ति का लघु अंकन और बड़े चित्र का छोटा चित्रण है। इसमें मूल की कोई भी आवश्यक बात छूटने नहीं पाती। अनावश्यक बातें छाँटकर निकाल दी जाती है और मूल बातें रख ली जाती हैं। यह काम सरल नहीं। इसके लिए निरन्तर अभ्यास की आवश्यकता है। संक्षेपण के गुण संक्षेपण एक प्रकार का मानसिक प्रशिक्षण है, मानसिक व्यायाम भी। उत्कृष्ट संक्षेपण के निम्नलिखित गुण है- (1) पूर्णता- संक्षेपण स्वतः पूर्ण होना चाहिए। संक्षेपण करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसमें कहीं कोई महत्त्वपूर्ण बात छूट तो नहीं गयी। आवश्यक और अनावश्यक अंशों का चुनाव खूब सोच-समझकर करना चाहिए। यह अभ्यास से ही सम्भव है। संक्षेपण में उतनी ही बातें लिखी जायँ, जो मूल अवतरण या सन्दर्भ में हों, न तो अपनी ओर से कहीं बढ़ाई जाय और न घटाई जाय तथा न मुख्य बात कम की जाय। मूल में जिस विषय या विचार पर जितना जोर दिया गया है, उसे उसी अनुपात में, सं...

संचार किसे कहते हैं

संचार किसे कहते हैं- संचार किसे कहते हैं परिभाषा व प्रकार | Sanchar Kise Kahate Hain (Sanchar Kya hai) प्यारे मित्रों, क्या आप भी यूजीसीनेट परीक्षाकी तैयारी कर रहे हैं? क्या आप भी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होना चाहते हैं? जी हाँ, आज हम आपको बताने वाले हैं- संचार, संचार किसे कहते हैं? ( Sanchar Kise Kahate Hain) संचार की परिभाषा क्या है? संचार कितने प्रकार के होते हैं? संचार अर्थात् Communication यह एक ऐंसा टाॅपिक है जो कि विभिन्न परीक्षाओं में पूछा जाता है। जी हाँ, आज हम विशेष रूप से विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं तथा UGC NET PAPER 1 SYLLABUS के आधार पर तीसरी यूनिट में रखा गया विषय- संचार, इसकी विस्तृत रूप से चर्चा करेंगे। संचार क्या है (Sanchar Kya Hai)? संचार किसे कहते हैं? संचार से पूछे गये प्रश्न, आदि विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा करने जा रहे हैं। तो आइये, स्वागत है आपका! दिल की गहराइयों से! इसे भी देखें- संचार किसे कहते हैंं- परिभाषा, अर्थ, प्रकार , उदाहरण - सब कुछ पाओ(Communication) इस लेख में संचार किसे कहते हैं (Sanchar Kya Hai) संचार किसे कहते हैं- परिभाषा प्रभावी संचार किस कहते हैं संचार माध्यम किसे कहते हैं संचार के मूल तत्व कौन-कौन से हैं संचार कितने प्रकार के होते हैं संचार किसे कहते हैं (Sanchar Kiss Kahate Hain) दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य सूचनाओं अथवा सन्देशों व विचारों का आदान-प्रदान ही संचार कहलाता है। संचार अथवा सम्प्रेषण को संदेशवाहन, सन्देश, एवं अंग्रेजी में Communication आदि नामों से भी जाना जाता है। सम्प्रेषण अथवा संचार शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के कम्यूनिस (Communi s) शब्द से हुई। कहा जाता है कि संचार शब्द लैटिन भाषा के कम्यूनि...

संक्रमण तत्व किसे कहते हैं,संक्रमण तत्व क्या है, sankraman tatva kya hote hain

यहाँ पर आपको संक्रमण तत्व की बहुत सरल परिभाषा देखने को मिलेगी (sankraman tatva kya hote hain) sankraman tatva kya hain... संक्रमण तत्व किसे कहते हैं ? (sankraman tatva ) संक्रमण तत्व की यहां पर आपको बहुत ही सरल परिभाषा देखने को मिलेगी यह सभी परीक्षाओं के लिए मानी जाती है यहां पर संक्रमण तत्व की पूरी विशेषताएं बताई गई है उत्तरसंक्रमण तत्त्व (Transition Elements)- (sankraman tatva kya hote hain) sankraman tatva kya hain... आवर्त सारणी में। तथा d-ब्लॉक के तत्वों को जोड़ने वाले तत्व, संक्रमण तत्व कहलाते हैं। आधुनिक परिभाषा के अनुसार वे तत्व जिनमें परमाण्वीय अवस्था में या उस तत्व की किसी सामान्य ऑक्सीकरण अवस्था में d-या F-उपकोश आंशिक रूप से भरे जाएँ, संक्रमण तत्व कहलाते हैं। इलेक्ट्रॉनीय विन्यासों के आधार पर इन तत्वों को दो मुख्य भागों में विभाजित किया गया है 1. मुख्य संक्रमण तत्व- इनका सामान्य इलैक्ट्रॉनीय विन्यास (n-1)d¹–⁹ns¹–² होता है। आवर्त सारणी के d- ब्लॉक के तत्वों में Zn, Cd तथा Hg को छोडकर शेष सभी तत्व मुख्य संक्रमण श्रेणी में आते हैं। इन तत्वों को चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है (i) प्रथम या 3d संक्रमण श्रेणी--Sc से Cu तक (ii) द्वितीय या 4d संक्रमण श्रेणी-Y से Ag तक (iii) तृतीय या 5d संक्रमण श्रेणी-La से Hf से Au तक (iv) चतुर्थ या 6d संक्रमण श्रेणी-A, Rf, Ha 2. आन्तरिक संक्रमण तत्व इन तत्वों का सामान्य इलैक्ट्रॉनीय विन्यास (n-2)f¹–¹⁴(n-1)s² (n-1)p⁶(n-1)d⁰–¹ ns² bहोता है। इन तत्वों में अन्तिम इलैक्ट्रॉन, अन्तिम दो कोश से पूर्व कोश में उपकोश में भरे जाते हैं। आवर्त सारणी के छठे आवर्त में La (57) के पश्चात् चौदह तत्व Ce से Lu तक इलैक्ट्रॉन 4f- उपकोश में भरे जाते है...

मिश्रण क्या है? परिभाषा एवं प्रकार! ( Mishran Kya Hai )

मिश्रण क्या है? ( What is a Mixture ) मिश्रण क्या है :— दो या दो से अधिक तत्त्वों या यौगिकों के योग से बनने वाले पदार्थ को मिश्रण ( Mixture) कहा जाता है । ये किसी भी अनुपात में बिना रासायनिक संयोग से बनते हैं । इनके घटकों ( अवयव ) को सरल भौतिक तरीकों से अलग किया जा सकता है । उदाहरण :— वायु , दूध , स्याही . , पेंट , कोयला , रक्त , मक्खन , धुआँ आदि । मिश्रण के प्रकार ( Type of Mixture ) मिश्रण 2 प्रकार के होते हैं ; ( 1 ). समांग मिश्रण , ( 2 ). असमांग मिश्रण ( 1 ). समांग मिश्रण ( Homogeneous Mix ) समांग मिश्रणों के घटक एक दूसरे के साथ पूरी से तरह घुले हुए होते हैं । और इन मिश्रणों का संघटन एक समान होता है । उदाहरण :— नमक और जल का मिश्रण , चीनी और पानी का मिश्रण , वायु , नींबू – पानी , पीतल , कांसा ( काँस्य ) आदि । नोट — केवल बिलयन और मिश्रित धातु ही समांग मिश्रण होता है । विलयन ( Merger ) :— विलयन एक समांग मिश्रण होता है । विलयन में जो पदार्थ अधिक मात्रा में होता है उसे विलायक कहते हैं और जो पदार्थ कम मात्रा में होता है उसे विलेय कहते हैं । विलेय का विघटन दर तापमान के बढ़ने पर बढ़ता है एवं तापमान के कम होने पर घटता है । उदाहरण :— नमक और जल का विलयन इस मिश्रण में जल विलायक है और नमक विलेय है । जल को सार्वधिक विलायक कहा जाता है । मिश्रित धातु ( Mixed Metal ) :— मित्रित धातु , धातुओं का समांग मिश्रण होता है । मिश्रित धातु के गुण उसके घटकों के गुण से अलग होते हैं । ( 2 ). असमांग मिश्रण ( Heterogeneous Mixture ) इन मिश्रणों के घटक एक – दूसरे के साथ पूरी तरह से घुले हुए नहीं होते हैं । और इन मिश्रणों का संघटन एक समान नहीं होता है । इन मिश्रणों के घटकों को आसानी से अलग किया जा सकता...

Sankshepan (संक्षेपण)

Sankshepan (संक्षेपण) संक्षेपण(Sankshepan)की परिभाषा किसी विस्तृत विवरण, सविस्तार व्याख्या, वक्तव्य, पत्रव्यवहार या लेख के तथ्यों और निर्देशों के ऐसे संयोजन को 'संक्षेपण' कहते है, जिसमें अप्रासंगिक, असम्बद्ध, पुनरावृत्त, अनावश्यक बातों का त्याग और सभी अनिवार्य, उपयोगी तथा मूल तथ्यों का प्रवाहपूर्ण संक्षिप्त संकलन हो। इस परिभाषा के अनुसार, संक्षेपण एक स्वतःपूर्ण रचना है। उसे पढ़ लेने के बाद मूल सन्दर्भ को पढ़ने की कोई आवश्यकता नहीं रह जाती। सामान्यतः संक्षेपण में लम्बे-चौड़े विवरण, पत्राचार आदि की सारी बातों को अत्यन्त संक्षिप्त और क्रमबद्ध रूप में रखा जाता है। इसमें हम कम-से-कम शब्दों में अधिक-से-अधिक विचारों भावों और तथ्यों को प्रस्तुत करते है। वस्तुतः, संक्षेपण किसी बड़े ग्रन्थ का संक्षिप्त संस्करण बड़ी मूर्ति का लघु अंकन और बड़े चित्र का छोटा चित्रण है। इसमें मूल की कोई भी आवश्यक बात छूटने नहीं पाती। अनावश्यक बातें छाँटकर निकाल दी जाती है और मूल बातें रख ली जाती हैं। यह काम सरल नहीं। इसके लिए निरन्तर अभ्यास की आवश्यकता है। संक्षेपण के गुण संक्षेपण एक प्रकार का मानसिक प्रशिक्षण है, मानसिक व्यायाम भी। उत्कृष्ट संक्षेपण के निम्नलिखित गुण है- (1) पूर्णता- संक्षेपण स्वतः पूर्ण होना चाहिए। संक्षेपण करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसमें कहीं कोई महत्त्वपूर्ण बात छूट तो नहीं गयी। आवश्यक और अनावश्यक अंशों का चुनाव खूब सोच-समझकर करना चाहिए। यह अभ्यास से ही सम्भव है। संक्षेपण में उतनी ही बातें लिखी जायँ, जो मूल अवतरण या सन्दर्भ में हों, न तो अपनी ओर से कहीं बढ़ाई जाय और न घटाई जाय तथा न मुख्य बात कम की जाय। मूल में जिस विषय या विचार पर जितना जोर दिया गया है, उसे उसी अनुपात में, सं...

गति किसे कहते है

Table of Contents • • • • Gati Kise Kahate Hain In Hindi गति किसे कहते है (Gati Kise Kahate Hain) :– किसी कण की स्थिति में समय के साथ जो परिवर्तन होता है। उसे “गति” कहते है। गति का सूत्र :- गति = विस्थापन /समय Gati Ke Prakar गति के प्रकार :- गति निम्न प्रकार की होती है। • सरल रेखीय गति :-यदि कोई वस्तु एक सरल रेखा के अनुदिश गति करती है। तो उसे सरल रेखीय गति कहते है। इस प्रकार गति को प्रदर्शित करने के लिए एल निर्देश अक्ष का उपयोग करते है। जैसे – एक सीधे लम्बे पाइप में गेंद की गति, बन्दूक की गोली आदि। • एक समान गति :-यदि कोई वस्तु एक निश्चित दिशा में एक समान समय अंतराल में एक घंटे में 40 किलोमीटर की दूरी, तथा दूसरे घंटे में भी 40 किलोमीटर की दूरी व तीसरे घंटे में भी 40 किलोमीटर की दूरी तय करे • असमान गति :-यदि कोई वस्तु समान समय अंतराल में भिन्न भिन्न दुरी तय करे। तो उस गति को असमान गति कहते है। जैसे – कार की गति। • अनियमित गति :- यदि कोई वस्तु गतिमान अवस्था में अपनी दिशा निरंतर बदलती रहती है। तो उस गति को अनियमित गति कहते है। जैसे – फूलों पर मंडराती तितलियां। • दोलन गति :- जब कोई वस्तु अपनी माध्य स्थिति के इर्द गिर्द गति करें तो इस प्रकार की गति को दोलन या कंपन गति कहते है। जैसे- दीवार घड़ी के लोलक की गति आदि। • स्थानांतरित गति :- जब कोई वस्तु किसी निर्देश तंत्र के सापेक्ष एक स्थान से दूसरे स्थान पर गति करके स्थानांतरित होती है, तो इस प्रकार की गति स्थानांतरित गति कहलाती है। जैसे -एक सीधी सड़क पर चलने वाली गाड़ी। • घूर्णन गति :- जब कोई कणों का निकाय किसी निश्चित अक्ष के परित परिक्रमण करता है तो इस प्रकार की गति घूर्णन गति कहलाती है। जैसे – चलते हुए पंखे की गति। • वृत्तीय गति...