Sarojini naidu ka jivan parichay

  1. Sarojini Naidu Biography
  2. सरोजिनी नायडू जीवनी
  3. सरोजिनी नायडु जीवन परिचय
  4. Sarojini Naidu Biography
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Sarojini Naidu Biography

Sarojini Naidu Biography in hindi :- आज हम भारत कोकिला कहलाने वाली सरोजिनी नायडू के जीवन परिचय के बारे में जानेंगे। सरोजिनी नायडू एक मशहूर कवयित्री, स्वतंत्रता सेनानी और महान वक्ता रही है। सरोजिनी पहली महिला थी जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनी। साथ ही किसी प्रदेश की गवर्नर बनने वाली भी वह पहली भारतीय महिला थी। सरोजिनी को उनकी कविता के लिए भी जाना जाता है। खासकर वह बच्चों के ऊपर विशेष रूप से कविता लिखती थी। यहीं कारण है कि उन्हें भारत की बुलबुल भी कहा जाता था। तो चलिए आज जानते है कि सरोजिनी नायडू कौन थी? सरोजिनी नायडू को भारत कोकिला क्यों कहा जाता है?, सरोजिनी नायडू का जन्म कब और कहां हुआ था? (Sarojini Naidu Biography in hindi) सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ था। सरोजनी जी का जन्म एक बंगाली परिवार में हुआ था। सरोजिनी नायडू के पिता का नाम अघोरनाथ चट्टोपध्याय था। वह वैज्ञानिक व डॉक्टर थे। सरोजिनी नायडू के पिता हैदराबाद के पहले सदस्य थे जो कांग्रेस में शामिल हुए थे। आगे चलकर अघोरनाथ ने अपनी नौकरी छोड़ दी और देश की आजादी की जंग में कूद गए। सरोजिनी नायडू की माता का नाम वरद सुन्दरी देवी था। वह एक बंगाली लेखिका थी। सरोजिनी नायडू अपने 8 भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी। उनके एक भाई क्रांतिकरी थे, जिन्हें अंग्रेजों ने मार दिया था, जबकि दूसरे भाई एक्टर थे। सरोजिनी नायडू की शिक्षा (Education of Sarojini Naidu) सरोजिनी नायडू बचपन से ही एक होनहार छात्रा थी। वह उर्दू, तेलगू, इंग्लिश, बांग्ला और फारसी भाषा में निपूर्ण थी। उन्होंने 12 साल की उम्र में ही मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली थी। सरोजिनी नायडू के पिता उन्हें गणितज्ञ या वैज्ञानिक बनाना चाहते थे, लेकिन सरोजिन...

सरोजिनी नायडू जीवनी

नाम : सरोजिनी गोविंद नायडु जन्म : १३ फरवरी १८७९ हैद्राबाद पिता : डॉ. अघोरनाथ चट्टोपाध्याय माता : वरद सुंदरी पति : डॉ. गोविंद राजुलू नायडु आरंभिक जीवन : सरोजिनी नायडू का जन्म भारत के हैदराबाद नगर में हुआ था। इनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय एक नामी विद्वान तथा माँ कवयित्री थीं और बांग्ला में लिखती थीं। बचपन से ही कुशाग्र-बुद्धि होने के कारण उन्होंने १२ वर्ष की अल्पायु में ही १२हवीं की परीक्षा अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण की और १३ वर्ष की आयु में लेडी ऑफ दी लेक नामक कविता रची। वे १८९५ में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड गईं और पढ़ाई के साथ-साथ कविताएँ भी लिखती रहीं। गोल्डन थ्रैशोल्ड उनका पहला कविता संग्रह था। उनके दूसरे तथा तीसरे कविता संग्रह बर्ड ऑफ टाइम तथा ब्रोकन विंग ने उन्हें एक सुप्रसिद्ध कवयित्री बना दिया। सरोजनी जी बचपन से ही बहुत अच्छी विद्यार्थी रही, उन्हें उर्दू, तेलगु, इंग्लिश, बंगाली सारी भाषओं का बहुत अच्छे से ज्ञान था. 12 साल की उम्र में सरोजनी जी ने मद्रास यूनिवर्सिटी में मैट्रिक की परीक्षा में टॉप किया था, जिससे उनकी बहुत वाहवाही और नाम हुआ. सरोजनी जी के पिता चाहते थे की वे वैज्ञानिक बने या गडित में आगे पढाई करे, लेकिन उनकी रूचि कविता लिखने में थी, वे एक बार अपनी गडित की पुस्तक में 1300 लाइन की कविता लिख डालती, जिसे उनके पिता देख अचंभित हो जाते है और वे इसकी कॉपी बनवाकर सब जगह बंटवाते है. वे उसे हैदराबाद के नबाब को भी दिखाते है, जिसे देख वे बहुत खुश होते है और सरोजनी जी को विदेश में पढने के लिए स्कालरशिप देते है. इसके बाद वे आगे की पढाई के लिए लन्दन के किंग कॉलेज चली गई, इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के गिरतों कॉलेज से पढाई की. कॉलेज में पढाई...

सरोजिनी नायडु जीवन परिचय

आपकोबतादेंकिसरोजनीनायडूनाकेवलएकअच्छीराजनीतिज्ञऔरमहानस्वतंत्रतासेनानीथीबल्किवोएकफेमिनिस्ट, कवियत्रीऔरअपनेदौरकीएकमहानवक्ताथी।जिन्हेंसुनकरबड़े- बड़ेदिग्गजभीमंत्रमुग्धहोजायाकरतेथे।इसकेअलावावेइंडियननेशनलकांग्रेसकीपहलीप्रेसिडेंटथी। इसकेसाथहीवहभारतकेउत्तरप्रदेशकेराज्यपालकेरूपमेंनियुक्तहोनेवालीपहलीभारतीयमहिलाथी।भारतीयस्वतंत्रताआंदोलनमेंउनकीएकसक्रियसहभागितारहीहै। उन्हेंभारतकीनाइटिंगेलयाभारतीयकोकिलाभीकहाजाताहैं।उनकीकवितामेंबच्चोंकीकविताओं, प्रकृतिकविताओं, देशभक्तिकविताओंऔरप्यारऔरमृत्युकीकविताएंशामिलहैं, लेकिनवहखासकरबच्चोंकेऊपर, कविताएंलिखनेकेलिएमशहूरथी। उनकीहरकवितापढ़करज्यादातरलोगअपनेबचपनमेंखोजातेहैंयाफिरउनकेकवितामेंएकचुलबुलापनहोताथा, उनकीकविताओंमेंउनकेअंदरकेबचपनकीझलकभीसाफदेखीजासकतीहै।इसलिएउन्हें‘भारतकीबुलबुल’भीकहाजाताहै। आपकोबतादेंकिइसमहानकवियित्रीनेमहज 12 सालकीउम्रमेंहीअपनीप्रतिभाकापरिचयदेदियाथा, इसनन्हींबच्चीकीकवितापढ़करहरकोईआश्चर्यचकितरहजाताथा, उन्होंनेतभीबड़ेअखबारोंमेंआर्टिकलऔरकविताएंलिखनाशुरुकरदियाथा। उनकेअंदरदेशप्रेमकीभावनाभीकूट-कूटकरभरीथीयहीवजहहैकिसरोजिनीनायडूनेराष्ट्रीयआंदोलनमेंशामिलहोकरगांधीजीकाआह्वानभीकियाऔरउनकेसाथलोकप्रियनमकमार्चमेंभीसहयोगकिया।सरोजिनीकीबेटीपद्मजाभीस्वतंत्रताआंदोलनमेंशामिलहुईंऔरभारतछोड़ोआंदोलनकाहिस्सारही। जबभीभारतकीमहानक्रांतिकारीमहिलाओंकीबातहोतीहैतोसरोजनीनायडूकानामसबसेपहलेयादकियाजाताहै।सरोजनीनायडूसभीभारतीयमहलिाओंकेलिएएकआदर्शहैं– भारतकोकिलासरोजिनीनायडूकाजीवनपरिचय– Sarojini Naidu Biography in Hindi पूरानाम (Name) सरोजिनीनायडू ( Sarojini Naidu) जन्म (Birthday) 13 फ़रवरी, 1879,हैदराबाद, आंध्रप्रदेश मृत्यु (Death) 2 मार्च, 1949, इलाहाबाद, पति (Husband Name) ड...

Sarojini Naidu Biography

Category : सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय, Sarojini Naidu Biography in Hindi, सरोजिनी नायडू (१३ फरवरी १८७९ - २ मार्च १९४९) का जन्म भारत के हैदराबाद नगर में हुआ था। इनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय एक नामी विद्वान तथा माँ कवयित्री थीं और बांग्ला में लिखती थीं। बचपन से ही कुशाग्र-बुद्धि होने के कारण उन्होंने १२ वर्ष की अल्पायु में ही १२हवीं की परीक्षा अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण की और १३ वर्ष की आयु में लेडी आफ दी लेक नामक कविता रची। वे १८९५ में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड गईं और पढ़ाई के साथ-साथ कविताएँ भी लिखती रहीं। गोल्डन थ्रैशोल्ड उनका पहला कविता संग्रह था। उनके दूसरे तथा तीसरे कविता संग्रह बर्ड आफ टाइम तथा ब्रोकन विंग ने उन्हें एक सुप्रसिद्ध कवयित्री बना दिया। Advertisement १८९८ में सरोजिनी नायडू, डॉ॰ गोविंदराजुलू नायडू की जीवन-संगिनी बनीं। १९१४ में इंग्लैंड में वे पहली बार गाँधीजी से मिलीं और उनके विचारों से प्रभावित होकर देश के लिए समर्पित हो गयीं। एक कुशल सेनापति की भाँति उन्होंने अपनी प्रतिभा का परिचय हर क्षेत्र (सत्याग्रह हो या संगठन की बात) में दिया। उन्होंने अनेक राष्ट्रीय आंदोलनों का नेतृत्व किया और जेल भी गयीं। संकटों से न घबराते हुए वे एक धीर वीरांगना की भाँति गाँव-गाँव घूमकर ये देश-प्रेम का अलख जगाती रहीं और देशवासियों को उनके कर्तव्य की याद दिलाती रहीं। उनके वक्तव्य जनता के हृदय को झकझोर देते थे और देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए प्रेरित कर देते थे। वे बहुभाषाविद थी और क्षेत्रानुसार अपना भाषण अंग्रेजी, हिंदी, बंगला या गुजराती में देती थीं। लंदन की सभा में अंग्रेजी में बोलकर इन्होंने वहाँ उपस्थित सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया था। अप...

Sarojini Naidu Biography

Born: 13 February, 1879 Place of Birth: Hyderabad Parents: Aghore Nath Chattopadhyay (father) and Barada Sundari Devi (mother) Spouse: Govindarajulu Naidu Children: Jayasurya, Padmaja, Randheer, and Leilamani. Education: University of Madras; King's College, London; Girton College, Cambridge Associations: Indian National Congress Movements: Indian Nationalist Movement, Indian Independence Movement Political Ideology: Right-winged; Non-violence. Religious Beliefs: Hinduism Publications: The Golden Threshold (1905); The Bird of Time (1912); Muhammad Jinnah: An Ambassador of Unity. (1916); The Broken Wing (1917); The Sceptred Flute (1928); The Feather of the Dawn (1961) Passed Away: 2 March, 1949 Memorial: Golden Threshold, Sarojini Naidu School of Arts & Communication, University of Hyderabad, Hyderabad, India Image Credit: indiatoday.in Sarojini Naidu was an Indian independence activist, poet and politician. A renowned orator and accomplished poet, she is often known by the moniker ‘The Nightingale of India’. As a prodigious child, Naidu wrote the play "Maher Muneer", which earned her a scholarship to study abroad. She became the second woman president of the Indian National Congress. She was the first woman Governor of an Indian state after independence. Her collection of poems earned her literary acclaim. In 1905, she published her first book, a collection of poems, under the title of "Golden Threshold". A contemporary poet, Bappaditya Bandopadhyay quoted "Sarojini Naidu ...

सरोजिनी नायडू जीवनी

नाम : सरोजिनी गोविंद नायडु जन्म : १३ फरवरी १८७९ हैद्राबाद पिता : डॉ. अघोरनाथ चट्टोपाध्याय माता : वरद सुंदरी पति : डॉ. गोविंद राजुलू नायडु आरंभिक जीवन : सरोजिनी नायडू का जन्म भारत के हैदराबाद नगर में हुआ था। इनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय एक नामी विद्वान तथा माँ कवयित्री थीं और बांग्ला में लिखती थीं। बचपन से ही कुशाग्र-बुद्धि होने के कारण उन्होंने १२ वर्ष की अल्पायु में ही १२हवीं की परीक्षा अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण की और १३ वर्ष की आयु में लेडी ऑफ दी लेक नामक कविता रची। वे १८९५ में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड गईं और पढ़ाई के साथ-साथ कविताएँ भी लिखती रहीं। गोल्डन थ्रैशोल्ड उनका पहला कविता संग्रह था। उनके दूसरे तथा तीसरे कविता संग्रह बर्ड ऑफ टाइम तथा ब्रोकन विंग ने उन्हें एक सुप्रसिद्ध कवयित्री बना दिया। सरोजनी जी बचपन से ही बहुत अच्छी विद्यार्थी रही, उन्हें उर्दू, तेलगु, इंग्लिश, बंगाली सारी भाषओं का बहुत अच्छे से ज्ञान था. 12 साल की उम्र में सरोजनी जी ने मद्रास यूनिवर्सिटी में मैट्रिक की परीक्षा में टॉप किया था, जिससे उनकी बहुत वाहवाही और नाम हुआ. सरोजनी जी के पिता चाहते थे की वे वैज्ञानिक बने या गडित में आगे पढाई करे, लेकिन उनकी रूचि कविता लिखने में थी, वे एक बार अपनी गडित की पुस्तक में 1300 लाइन की कविता लिख डालती, जिसे उनके पिता देख अचंभित हो जाते है और वे इसकी कॉपी बनवाकर सब जगह बंटवाते है. वे उसे हैदराबाद के नबाब को भी दिखाते है, जिसे देख वे बहुत खुश होते है और सरोजनी जी को विदेश में पढने के लिए स्कालरशिप देते है. इसके बाद वे आगे की पढाई के लिए लन्दन के किंग कॉलेज चली गई, इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के गिरतों कॉलेज से पढाई की. कॉलेज में पढाई...

Sarojini Naidu

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Sarojini Naidu Biography

Category : सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय, Sarojini Naidu Biography in Hindi, सरोजिनी नायडू (१३ फरवरी १८७९ - २ मार्च १९४९) का जन्म भारत के हैदराबाद नगर में हुआ था। इनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय एक नामी विद्वान तथा माँ कवयित्री थीं और बांग्ला में लिखती थीं। बचपन से ही कुशाग्र-बुद्धि होने के कारण उन्होंने १२ वर्ष की अल्पायु में ही १२हवीं की परीक्षा अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण की और १३ वर्ष की आयु में लेडी आफ दी लेक नामक कविता रची। वे १८९५ में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड गईं और पढ़ाई के साथ-साथ कविताएँ भी लिखती रहीं। गोल्डन थ्रैशोल्ड उनका पहला कविता संग्रह था। उनके दूसरे तथा तीसरे कविता संग्रह बर्ड आफ टाइम तथा ब्रोकन विंग ने उन्हें एक सुप्रसिद्ध कवयित्री बना दिया। Advertisement १८९८ में सरोजिनी नायडू, डॉ॰ गोविंदराजुलू नायडू की जीवन-संगिनी बनीं। १९१४ में इंग्लैंड में वे पहली बार गाँधीजी से मिलीं और उनके विचारों से प्रभावित होकर देश के लिए समर्पित हो गयीं। एक कुशल सेनापति की भाँति उन्होंने अपनी प्रतिभा का परिचय हर क्षेत्र (सत्याग्रह हो या संगठन की बात) में दिया। उन्होंने अनेक राष्ट्रीय आंदोलनों का नेतृत्व किया और जेल भी गयीं। संकटों से न घबराते हुए वे एक धीर वीरांगना की भाँति गाँव-गाँव घूमकर ये देश-प्रेम का अलख जगाती रहीं और देशवासियों को उनके कर्तव्य की याद दिलाती रहीं। उनके वक्तव्य जनता के हृदय को झकझोर देते थे और देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए प्रेरित कर देते थे। वे बहुभाषाविद थी और क्षेत्रानुसार अपना भाषण अंग्रेजी, हिंदी, बंगला या गुजराती में देती थीं। लंदन की सभा में अंग्रेजी में बोलकर इन्होंने वहाँ उपस्थित सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया था। अप...

Sarojini Naidu Biography

Born: 13 February, 1879 Place of Birth: Hyderabad Parents: Aghore Nath Chattopadhyay (father) and Barada Sundari Devi (mother) Spouse: Govindarajulu Naidu Children: Jayasurya, Padmaja, Randheer, and Leilamani. Education: University of Madras; King's College, London; Girton College, Cambridge Associations: Indian National Congress Movements: Indian Nationalist Movement, Indian Independence Movement Political Ideology: Right-winged; Non-violence. Religious Beliefs: Hinduism Publications: The Golden Threshold (1905); The Bird of Time (1912); Muhammad Jinnah: An Ambassador of Unity. (1916); The Broken Wing (1917); The Sceptred Flute (1928); The Feather of the Dawn (1961) Passed Away: 2 March, 1949 Memorial: Golden Threshold, Sarojini Naidu School of Arts & Communication, University of Hyderabad, Hyderabad, India Image Credit: indiatoday.in Sarojini Naidu was an Indian independence activist, poet and politician. A renowned orator and accomplished poet, she is often known by the moniker ‘The Nightingale of India’. As a prodigious child, Naidu wrote the play "Maher Muneer", which earned her a scholarship to study abroad. She became the second woman president of the Indian National Congress. She was the first woman Governor of an Indian state after independence. Her collection of poems earned her literary acclaim. In 1905, she published her first book, a collection of poems, under the title of "Golden Threshold". A contemporary poet, Bappaditya Bandopadhyay quoted "Sarojini Naidu ...

सरोजिनी नायडु जीवन परिचय

आपकोबतादेंकिसरोजनीनायडूनाकेवलएकअच्छीराजनीतिज्ञऔरमहानस्वतंत्रतासेनानीथीबल्किवोएकफेमिनिस्ट, कवियत्रीऔरअपनेदौरकीएकमहानवक्ताथी।जिन्हेंसुनकरबड़े- बड़ेदिग्गजभीमंत्रमुग्धहोजायाकरतेथे।इसकेअलावावेइंडियननेशनलकांग्रेसकीपहलीप्रेसिडेंटथी। इसकेसाथहीवहभारतकेउत्तरप्रदेशकेराज्यपालकेरूपमेंनियुक्तहोनेवालीपहलीभारतीयमहिलाथी।भारतीयस्वतंत्रताआंदोलनमेंउनकीएकसक्रियसहभागितारहीहै। उन्हेंभारतकीनाइटिंगेलयाभारतीयकोकिलाभीकहाजाताहैं।उनकीकवितामेंबच्चोंकीकविताओं, प्रकृतिकविताओं, देशभक्तिकविताओंऔरप्यारऔरमृत्युकीकविताएंशामिलहैं, लेकिनवहखासकरबच्चोंकेऊपर, कविताएंलिखनेकेलिएमशहूरथी। उनकीहरकवितापढ़करज्यादातरलोगअपनेबचपनमेंखोजातेहैंयाफिरउनकेकवितामेंएकचुलबुलापनहोताथा, उनकीकविताओंमेंउनकेअंदरकेबचपनकीझलकभीसाफदेखीजासकतीहै।इसलिएउन्हें‘भारतकीबुलबुल’भीकहाजाताहै। आपकोबतादेंकिइसमहानकवियित्रीनेमहज 12 सालकीउम्रमेंहीअपनीप्रतिभाकापरिचयदेदियाथा, इसनन्हींबच्चीकीकवितापढ़करहरकोईआश्चर्यचकितरहजाताथा, उन्होंनेतभीबड़ेअखबारोंमेंआर्टिकलऔरकविताएंलिखनाशुरुकरदियाथा। उनकेअंदरदेशप्रेमकीभावनाभीकूट-कूटकरभरीथीयहीवजहहैकिसरोजिनीनायडूनेराष्ट्रीयआंदोलनमेंशामिलहोकरगांधीजीकाआह्वानभीकियाऔरउनकेसाथलोकप्रियनमकमार्चमेंभीसहयोगकिया।सरोजिनीकीबेटीपद्मजाभीस्वतंत्रताआंदोलनमेंशामिलहुईंऔरभारतछोड़ोआंदोलनकाहिस्सारही। जबभीभारतकीमहानक्रांतिकारीमहिलाओंकीबातहोतीहैतोसरोजनीनायडूकानामसबसेपहलेयादकियाजाताहै।सरोजनीनायडूसभीभारतीयमहलिाओंकेलिएएकआदर्शहैं– भारतकोकिलासरोजिनीनायडूकाजीवनपरिचय– Sarojini Naidu Biography in Hindi पूरानाम (Name) सरोजिनीनायडू ( Sarojini Naidu) जन्म (Birthday) 13 फ़रवरी, 1879,हैदराबाद, आंध्रप्रदेश मृत्यु (Death) 2 मार्च, 1949, इलाहाबाद, पति (Husband Name) ड...