सौभाग्यवती भव का अर्थ

  1. सौभाग्य शब्द के अर्थ
  2. शादी के कार्ड में चि. और सौ. का क्या मतलब होता है ?
  3. (Saubhagyavati) सौभाग्यवती meaning in hindi
  4. दिल से दी दुआ... सौभाग्यवती भवः?
  5. तुम्हारे ससुर जी तुम्हें नहीं पहचानते क्या??
  6. सौभाग्यवती भवऽ – Anjoria
  7. गोरखपुर कथा
  8. सौभाग्यवती का हिंदी अर्थ


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सौभाग्य शब्द के अर्थ

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शादी के कार्ड में चि. और सौ. का क्या मतलब होता है ?

शादी के कार्ड में दूल्हा दुल्हन के नाम के साथ चि. और सौ. क्यों लिखा जाता है:- अगर आप राजस्थान से है तो आपने शादी के कार्ड्स में दूल्हा दुल्हन के नाम के आगे चि. और सौ. शब्द जरूर देखें होंगे। लेकिन बहुत ही कम लोग इन शब्दों का मतलब जानते हैं। अगर आप भी इन शब्दों का मतलब जानना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही स्थान पर आए हैं क्योंकि इस लेख में हम आपको शादी के कार्ड में चि. और सौ. का क्या मतलब होता है ? इसके बारे में बताने वाले हैं। दोस्तों आपको शादी के कार्ड में लिखे जाने वाले चि. और सौ. शब्द का मतलब पता होना बहुत जरूरी है क्योंकि यह जनरल नॉलेज की बात है और बहुत सारे लोगों को इन शब्दों में को लेकर गलत जानकारी होती है इसलिए बहुत सारे लोग इन शब्दों का मतलब भी गलत बताते हैं। इसलिए यहां पर हम आपको इन शब्दों का एक दम सही अर्थ बता रहे हैं। • • शादी के कार्ड में चि. का मतलब क्या होता है ? जब भी शादी का कार्ड तैयार करवाया जाता है तो उसमें दूल्हे के नाम के आगे चि. लिखा हुआ होता है। चि. शब्द का मतलब चिरंजीवी होता है, जिसका अर्थ 'लंबी आयु वाला' होता है। इस प्रकार से यह शब्द दूल्हे के लिए एक आशीर्वाद होता है और लगभग सभी शादी के कार्डों में दूल्हे के नाम के आगे चि. यानी कि चिरंजीवी शब्द लिखा हुआ होता है। हालांकि आजकल कुछ लोग दूल्हे के नाम के आगे आयुष्मान शब्द भी लिखवाते हैं जिसका अर्थ भी दीर्घायु, चिरंजीवी या लंबी आयु वाला होता है। शादी के कार्ड में सौ. का मतलब क्या होता है ? शादी के कार्ड में दुल्हन के नाम के आगे जो सौ. शब्द लिखा हुआ होता है बहुत सारे लोगों का मानना होता है कि सौ. का मतलब सौभाग्यवती होता है। लेकिन सही मायने में देखें तो यह एक गलतफहमी है क्योंकि सौभाग्यवती आशीर्वाद एक सुहागिन म...

(Saubhagyavati) सौभाग्यवती meaning in hindi

सौभाग्यवती - मतलब हिंदी में Get definition, translation and meaning of सौभाग्यवती in hindi. Above is hindi meaning of सौभाग्यवती. Yahan सौभाग्यवती ka matlab devanagari hindi dictionary bhasha mai (सौभाग्यवती मतलब हिंदी में) diya gaya hai. What is Hindi definition or meaning of सौभाग्यवती ? ( Recently Viewed Hindi Words

दिल से दी दुआ... सौभाग्यवती भवः?

दिल से दी दुआ... सौभाग्यवती भवः? लेखक अंशुमान सिन्हा बिजेश जयराजन अनिल नागपाल निर्देशक संतोष कोहली प्रसाद गोवंडी इस्माइल उमर खान सितारे 'थीम' संगीत निर्देशक राजीव भट्ट निर्माण का देश भारत मूल भाषा(एं) हिन्दी सत्र संख्या 1 प्रकरणों की संख्या 326 निर्माण कार्यकारी निर्माता विशाल विवेक तरुणी माथुर निर्माता विकास सेठ महेश पांडे संपादक Sachin Shinde स्थल छायांकन अशोक सलियन राजू गुलाई प्रसारण अवधि लगभग 22 मिनट निर्माण कंपनी त्रिशूला प्रोडक्शंस प्रसारण मूल चैनल छवि प्रारूप अनुक्रम • 1 कथानक • 2 कलाकार • 2.1 मुख्य • 2.2 अन्य कलाकार • 3 संदर्भ • 4 बाहरी संबंध कथानक [ ] विराज डोबरियाल एक अमीर और शक्तिशाली बिजनेस टाइकून है, जिसे जाह्नवी शर्मा नाम की एक शिक्षित, सरल और मध्यम वर्ग की लड़की से प्यार हो जाता है और उससे शादी कर लेता है। धीरे-धीरे, उसे पता चलता है कि जब वह घरेलू शोषण का सामना करती है तो वह अति-अधिकार और अपमानजनक होता है। विराज, जिसका बचपन गाली-गलौज था, लोगों के सामने मधुर, विनम्र और अच्छा होने के साथ-साथ तर्कहीन रूप से हावी हो रहा है (उसे ओसीडी का निदान किया गया है)। विराज एक दिन जाह्नवी को संजय के साथ देखता है जब जाह्नवी विराज के लिए एक उपहार खरीदने के लिए खरीदारी करने गई थी। संजय जाह्नवी को घर छोड़ते हैं. इस बीच, विराज संजय को उसका हाथ पकड़े देखता है। जाह्नवी घर को मोमबत्तियों और फूलों से सजाती है और विराज के लिए केक बनाती है. जब विराज घर आता है, तो संजय के साथ होने पर उससे नाराज होकर, वह उसके साथ मारपीट करता है और उसके साथ बलात्कार करता है। वह विराज के बच्चे के साथ गर्भवती हो जाती है। जाह्नवी की दादी को घर में देखकर विराज खुश नहीं है. वह उसकी मां को घर से बाहर निकालने क...

तुम्हारे ससुर जी तुम्हें नहीं पहचानते क्या??

"सौभाग्यवती भव, पुत्रवती भव," अंकिता ने जैसे ही निकिता के ससुर के पांव छुए, उन्होंने सर पर हाथ रखा और, आशीष भरे शब्द कहे। वो कुछ मिनट पहले ही अपनी नई बहू निकिता से कोई विशेष काम से मिलने आये थे। अंकिता कॉलेज से सांस्कृतिक-कार्यक्रम से घर आयी। तो दरवाजे पर निकिता के ससुर जी आए हुए थे। तो उन्हें प्रणाम(उनका पैर छूकर) करते हुए, वह घर के अंदर चली गई। अंकिता साड़ी पहने हुए थी, क्योंकि कॉलेज में सांस्कृतिक प्रोग्राम जो था। जबकि उसकी शादी नहीं हुई थी। निकिता मायके में ही थी, बेफिक्रे सी स्वेटर, टोपी लगाए, ठंडी का आनंद ले रही थी। उसे देख पहली नजर में कोई नहीं कह सकता था, कि वह शादीशुदा है। अंकिता ने अंदर आते ही कहा, दीदी तुम्हारे ससुर ने मुझे सौभाग्यवती भव, पुत्रवती भव का आशीर्वाद दिया। क्यों?? मेरी तो अभी शादी भी नहीं हुई है। निकिता जोर जोर से हंसने लगी। ओहो! पापा जी ने समझ लिया होगा, कि मैं हूं। क्या तुम्हारे ससुर जी तुम्हें नहीं पहचानते? शादी में एक बार देखे हैं, बार-बार बहू पर नजर थोड़ी रहती है। तुमने साड़ी पहन रखा था, और दोनों बहन का तो चेहरा भी मिलता है। तो पापा जी सोच रहे होंगे, कि निकिता ही है। कोई बात नहीं, मैं पापा जी का कन्फ्यूजन बनाए रखती हूं। और निकिता, बिना सर पर दुपट्टा रखे, स्वेटर, टोपी लगाए, ससुर जी को प्रणाम कर आई। प्रणाम करने पर ससुर जी ने सोचा, यह बहू की छोटी बहन अंकिता है। उन्होंने कहा, खुश रहो, मस्त रहो, खूब पढ़ो, खूब बढ़ो आनंद रहो, आशीर्वाद दिया। निकिता भी इस मजेदार माहौल को बनाये रखना चाहती थी। ससुर ने पूछा, पढ़ाई कैसी चल रही है। बहुत अच्छी, मुस्कुराती हुई निकिता ने कहा। अंकिता और निकिता के पापा इस पल को देख माजरा नहीं समझ पा रहे थे। पर निकिता की नजर जैसे ही...

सौभाग्यवती भवऽ – Anjoria

• इंदिरा राय अम्मा के सहेलियन के एकाध सिसकी, बहरि बाँस के टिकठी बनावे के ठक-ठक आवाज आ बीच-बीच में ठेठ पूरबी अन्दाज में कुसुमी के “अरे मोर भउजी” के स्वर भीड़ भरल सन्नाटा के भेदत रहल. अम्मा के अँकड़ल गोड़न में महावर लगावत नीरा शायद अपना आँखिन के लिहले रहल. शायद जबरन लोर ढरकावे का कोशिस में. महावर लगल नीरा के आँख लाल टुहठुह अड्हुल के फूल जइसन लउकत रहल. कुसुमी सब कुछ भुलाके नीरा के दुलरवलसि –‘जा दुलहिन, आँख धो आवऽ, सवेरे से रोअत-रोअत का हाल भइल…” तबहिंए केहू पूछल – “सिन्होरा कहाँ बा?” दुछत्ता पर राखल कबाड़ वाला लकड़ी के बक्सा में पड़ल अम्मा के सिन्होरा के जानकारी बस हमरे रहल. बचपन में आला में राखल कलावा से बन्हाइल चमकत लाल रंग के सिन्होरा हमरा आँखिन के सटा लेत रहुवे. एक दिन अम्मा के ओह सिन्होरा के बेरहमी से उठा के दुछत्ती पर फेंकत देखले रहीं. बाद में ना जाने कब ओकराहहह कबाड़ का बक्सा में जगह मिल गइल रहुवे. कबाड़ वाला बक्सा में ढेर खोजे के ना पड़ल रहे. समय के मार ओह सिन्होरो के भदरंग बना दिहले रहल. तबले मौसी बाबू जी के बोला ले आइल रहुवे. “जीजा जी, अपना हाथ से दिदिया के माङ भर दऽ.“ बाबू जी के चेहरा तमतमा गइल रहल. काँपत हाथ से सिन्होरा के इर्द-गिर्द चिपकल सेनूर से ऊ अम्मा के माङ भरलन त बरिसन से सून माङ जगमगा गइल. माङ में सेनूर भरल अम्मा ना जाने कब के छोड़ दिहले रहल. केहू कबो टोके त कह देव – सेनूर लगवला से माङ में जलन होखे लागेला. लाल चुनरी में लपटाइल प्राण विहीन देह में ना जाने कहवाँ के सौन्दर्य उमड़ पड़ल रहल. वइसे पहिरे ओढ़े के शौकीन रहली अम्मा. कड़कड़ात कलफ के रंगीन सूती साड़ी पहिर के मुँह में पान दबवले जब अपना सहेलियन बीच बइठे त गरिमापूर्ण व्यक्तित्व से अम्मा सबसे अलगा लउके. ब...

गोरखपुर कथा

दुछत्ते पर रखे कबाड़ वाले काठ के बक्से में पड़े अम्मा के सिंधौरा की जानकारी केवल मुझे थी। बचपन में आले में रखा कलावे से बँधा चमकीले लाल रंग का सिंधौरा मेरी दृष्टि को चिपका लेता था, एक दिन उसे ही बेरहमी से उठा कर अम्मा को दुछत्ती पर फेंकते देखा था-बाद में न जाने कब उसे कबाड़ के बक्स में स्थान मिल गया। कबाड़ वाले बक्से में ज्यादा ढूढ़ना नहीं पड़ा। समय की मार ने सिंधौरा को भी भदरंग बना दिया था। तब तक मौसी बाबू जी को बुला लाई थीं। लाल चुनरी में लिपटी प्राण विहीन देह में न जाने कहाँ का सौन्दर्य उमड़ पड़ा था। वैसे पहनने ओढ़ने की अम्मा शौकीन थीं। कड़कड़े कलक की रंगीन सूती साड़ी पहन कर मुख में पान दबा कर अपनी सहेलियों में जब वह बैठती तो अपने गरिमापूर्ण व्यक्तित्व से सबसे अलग-धलग दिखती थीं-परन्तु इस समय तो वे बीरबधूटी से दबी जूही की मुरझाई पंखुरी जैसी लग रही थीं। का उनका अनथक प्रयास, कितना तराशने वाला अनुभव था। इसे मुझसे अधिक कौन जान सकता है? क् ‍या बाबू जी और अनुपम जो नित्य निकल पहुँचती हुई मृत्यु की प्रतीक्षा में ऊबे हुए थे? फिर अब यह रोना धोना कैसा? अपने इस बेपनाह झरते हुए आँसुओं के बीच मेरा मन इतना क्रूर शल्य चिकित्सक क्यों होता जा रहा है-क्या अन्तिम यात्रा के समय सारे राग-द्वेष गर्भगृह में बंद हो जाते हैं। रह जाती है विशुद्ध रागात्मक अनुभूति…’बबुआ मत रोवो, भउजी भरल पुरल गइलीं, रोइले से उन कर आतमा के कष्ट होई। कुसुमी ने लम्बे चौड़े अनुपम को अँकवार में समेटना चाहा…. ‘राम नाम सत्य है” अर्थी उठ गई। अब अम्मा का मुख कभी नही देख पाऊँगी, उनके स्पर्श, गंध और स्वर से वंचित होने की कल्पना से वेग से फूटती रुलाई को दाँत भींच कर मैंने रोका-मुझे कुसुमी की लिजलिजीं सान्त्वना नहीं चाहिए। अपने ...

सौभाग्यवती का हिंदी अर्थ

संस्कृत शब्दकोश : शब्द सौभाग्यवती (Blessed) काहिन्दी मेअर्थ ( Sanskrit to Hindi Dictionary) , संस्कृत शब्द सौभाग्यवती का हिंदी में मतलब- translationand definition inHindilanguage. Sanskrit Hindi Free Dictionary. , Meaning of सौभाग्यवती (Blessed) in Hindi सौभाग्यवती का हिंदी अर्थ- meaning of sanskrit to hindi word Blessed सौभाग्यवती :- विवाहिती स्त्री के नाम के पहले लगने वाली उपाधि संस्कृत शब्द सौभाग्यवती का हिंदी में मतलब विवाहिती स्त्री के नाम के पहले लगने वाली उपाधि होता है। Sanskrit Word Blessed (सौभाग्यवती ) Meaning in Hindi is Mrs (विवाहिती स्त्री के नाम के पहले लगने वाली उपाधि) find all sanskrit words on this website, if found any wrong word please comment in below comment box. • 11 • 9276 • 976 • 1746 • 329 • 68 • 18 • 246 • 16 • 17 • 54 • 6 • 4 • 9 • 600 • 874 • 65 • 109 • 35 • 213 • 22 • 160 • 374 • 27 • 185 • 48 • 2 • 3 • 3 • 270 • 1241 • 35 • 394 • 134 • 408 • 948 • 1994 • 17 • 215 • 289 • 525 • 243 • 1389 • 228 • 124 • 794 • 292 • 1546 • 75 • 12 • 1043 • 1746 • 983 • 374 • 3 • 1241 • 1994 • 1389 • 1546 • 124

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