Savinay avagya andolan ke karan

  1. सविनय अवज्ञा आंदोलन क्या है? सविनय अवज्ञा आंदोलन का उद्देश्य, कारण, कार्यक्रम, असफलता, परिणाम, मूल्यांकन
  2. सविनय अवज्ञा का अभिप्राय स्पष्ट करते हुए सविनय अवज्ञा आन्दोलन के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए।
  3. Savinay Avagya Andolan Information in Hindi
  4. savinay avagya andolan kab hua
  5. Savinay Avagya Andolan Information in Hindi
  6. सविनय अवज्ञा का अभिप्राय स्पष्ट करते हुए सविनय अवज्ञा आन्दोलन के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए।
  7. savinay avagya andolan kab hua
  8. सविनय अवज्ञा आंदोलन क्या है? सविनय अवज्ञा आंदोलन का उद्देश्य, कारण, कार्यक्रम, असफलता, परिणाम, मूल्यांकन


Download: Savinay avagya andolan ke karan
Size: 41.71 MB

सविनय अवज्ञा आंदोलन क्या है? सविनय अवज्ञा आंदोलन का उद्देश्य, कारण, कार्यक्रम, असफलता, परिणाम, मूल्यांकन

1.9 Related भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के इतिहास में सविनय अवज्ञा आंदोलन एक महत्वपूर्ण अध्याय हैं! ब्रिटिश साम्राज्य के विरूद्ध यह भारतीयों का महान संघर्ष माना जाता हैं जो मार्च 1930 ई. में प्रारंभ हुआ! इस आंदोलन का नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया! सविनय अवज्ञा आंदोलन जन असंतोष के कारण उत्पन्न हुआ था! 6 अप्रैल 1930 को गांधीजी ने दांडी पहुचकर नमक कानून का उल्लंघन किया, जिसके साथ ही सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ हो गया! सविनय अवज्ञा आंदोलन का उद्देश्य (savinay avagya andolan ka uddeshy) – सविनय अवज्ञा आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश शासन को समाप्त कर पूर्ण स्वराज्य की प्राप्ति करना था! इसके अलावासविनय अवज्ञा आंदोलन का उद्देश्य ‘नमक कर’ को समाप्त करना भी था! सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण (savinay avagya aandolan ke karan) – (1) साइमन कमीशन का विरोध – मांटेग्यू चेम्सफोर्ड अधिनियम 1919 ई. की समीक्षा हेतु भारत भेजे गए साइमन कमीशन की रिपोर्ट 1930 ई. में केंद्र में भारतीयों को किसी भी प्रकार का उत्तरदायित्व प्रदान नहीं किया जाने की बात की गई थी! इसका विरोध में कांग्रेसी नेताओं में आक्रोश था! (2) नेहरू रिपोर्ट की अस्वीकृति – कांग्रेस द्वारा साइमन कमीशन का बहिष्कार करने पर भारतीय सचिव लॉर्ड बर्केनहेड ने भारतीय को एक ऐसा संविधान बनाने की चुनौती दी थी, जिसे सभी दलों का समर्थन प्राप्त हो! इस चुनौती को स्वीकार करते हुए भारतीय नेताओं द्वारा 1928 ई. में रिपोर्ट को प्रस्तुत किया गया था, किंतु इसके कुछ प्रस्ताव पर जिन्ना को आपत्ति थी! इस कारण नेहरू रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया गया! इससे भी भारतीय नेताओं में अंग्रेजों के प्रति आक्रोश था! (3) लाहौर अधिवेशन – दिसंबर, 1929 ई. में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में...

सविनय अवज्ञा का अभिप्राय स्पष्ट करते हुए सविनय अवज्ञा आन्दोलन के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए।

सविनय अवज्ञा का अभिप्राय स्पष्ट करते हुए सविनय अवज्ञा आन्दोलन के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए। सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न • सविनय अवज्ञा से आप क्या समझते हैं ? • स्वतन्त्रता दिवस की घोषणा (1929 ई.) पर टिप्पणी कीजिए। • सोचनीय आर्थिक स्थिति किस प्रकार सविनय अवज्ञा आन्दोलन की प्रेरक बनी ? . सविनय अवज्ञा आंदोलन से अभिप्राय सविनय अवज्ञा का सीधा सा अभिप्राय उस स्थिति या व्यवहार से है जिसके अन्तर्गत आज्ञापालक, आज्ञादाता की आज्ञा को विनम्रता पूर्वक मानने से मना कर दे। इसके अन्तर्गत जनता द्वारा सरकार की विभिन्न अनुचित आज्ञाओं की उपेक्षा की जाती है तथा सीधी अवज्ञा से बचते हुए अप्रत्यक्ष अवज्ञा की जाती है। अर्थात् आज्ञापालक शासन के कानूनों का तो सम्मान करता है और समग्र विद्रोह नहीं करता है परन्तु अनुचित कानूनों का प्रतिकार असहयोग का रूप में आवश्य करता है, जैसे - 'कर' न देना, इत्यादि। सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कारण सविनय अवज्ञा आन्दोलन के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी माने जा सकते हैं - • भारतीय जनता की दयनीय आर्थिक स्थिति - गाँधी जी द्वारा चलाये गये सविनय अवज्ञा आन्दोलन के लिये भारतीयों की दयनीय आर्थिक दशा विशेष रूप से उत्तरदायी थी। सन् 1930 ई. के आसपास देश में भारी मन्दी और व्यापक रोजगार के कारण भारतीयों, में असन्तोष व्याप्त था। मजदूर, व्यापारी, किसान और सामान्य जनता इनसे परेशान थी। सरकार ने आर्थिक सुधारों की गाँधी जी की न्यूनतम माँगों को भी अस्वीकार कर दिया था। ऐसी स्थिति में गाँधीजी ने पुनः आन्दोलन चलाने का निर्णय किया। • असन्तोष और उत्तेजना का वातावरण - देश में असन्तोष और उत्तेजना का वातावरण तेजी से फैलता जा रहा था। राजनीति में नवयुवक वर्ग अधिक सक्रिय हो गया था। सरकार ने श्रमिक ...

Savinay Avagya Andolan Information in Hindi

सविमय अवज्ञा आंदोलन – Savinay Avagya Andolan Information in Hindi 12 मार्च 1930 में साबरमती आश्रम से महात्मा गाँधी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आन्दोलन (Savinay Avagya Andolan) की शुरुआत की गयी थी। गाँधी जी और आश्रम के 78 अन्य सदस्यों ने दांडी, अहमदाबाद से 241 मील दूर स्थित भारत के पश्चिमी तट पर स्थित एक गाँव, के लिए पैदल यात्रा आरम्भ की थी। जिसका प्रारंभ गाँधी जी के प्रसिद्ध दांडी मार्च से हुआ| जिसका उद्देश्य कुछ विशिष्ट प्रकार के ग़ैर-क़ानूनी कार्य सामूहिक रूप से करके ब्रिटिश सरकार को झुका देना था। सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरुआत नमक कानून के उल्लंघन से हुई. उन्होंने समुद्र तट के एक गाँव दांडी जाकर नमक कानून को तोड़ा. जिससे सारा देश जाग उठा. हर आदमी गाँधीजी के नेतृत्व की राह देख रहा था. यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध चलाये गय़े आन्दोलनो में से एक था। 1929 ई. तक भारत को ब्रिटेन के इरादों पर शक होने लगा था. 1930 ई. तक कांग्रेस ने भारत की स्वतंत्रता के लिए सरकार से कई माँगें कीं, लेकिन कांग्रेस की सभी माँगें सरकार द्वारा ठुकरा दी जाती थीं. जनता के मन में यह बात घर कर गई थी कि सरकार को कुछ करने के लिए मजबूर किया ही जाना चाहिए. ब्रिटिश सरकार ने नेहरु रिपोर्ट को भी अस्वीकृत कर भारतीयों को क्रुद्ध कर दिया था. अंततः 1930 ई. में कांग्रेस की कार्यकारिणी ने महात्मा गाँधी को Savinay Avagya Andolan चलाने का अधिकार प्रदान किया. ब्रिटिश सरकार द्वारा नमक पर नमक पर आबकारी कर लगा देने से उसके खजाने में बहुत अधिक इजाफा होने लगा. वहीं सरकार के पास नमक बनाने का एकाधिकार भी था. गाँधीजी का ध्येय था नमक-कर पर जोरदार वार करना और इस अनावश्यक कानून को ध्वस्त कर देन...

savinay avagya andolan kab hua

People Also Read: What is सविनय अवज्ञा आंदोलन | Savinay avagya andolan kab hua | Class 10 history सविनय अवज्ञा आंदोलन | Savinay avagya andolan kab hua | Class 10 history chapter 2 . Yeh video सविनय अवज्ञा आंदोलन – savinay. में कलकत्ता में मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ । उसमें. How to use (सविनय अवज्ञा आंदोलन) Civil Disobedience Movement in Hindi गाँधी जी के नेतृत्व में 6 अप्रैल in 1930 को Civil Disobedience Movement की औपचारिक शुरुआत हुई । इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य. सविनय अवज्ञा आंदोलन साबरमती से शुरू हुआ था। 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से गाँधी जी और आश्रम के 78 अन्य सदस्यों ने दांडी, अहमदाबाद से 385 किमी. दूर स्थित भारत के पश्चिमी तट पर स्थित एक गाँव, के लिए. सविनय अवज्ञा आंदोलन कब चलाया गया – savinay awagya andolan kab chalaya gaya ; सविनय अवज्ञा आंदोलन कब शुरू हुआ था – savinay awagya andolan kab shuru hua tha ; सविनय अवज्ञा आंदोलन – savinay awagya andolan. दिसंबर,1921 में कांग्रेस के अहमदाबाद अधिवेशन में आंदोलन को तेज करने का निर्णय लिया गया। सविनय अवज्ञा आंदोलन( savinay avagya aandolan ) शुरू करने की अनुमति प्रदान कर दी गई।.

Savinay Avagya Andolan Information in Hindi

सविमय अवज्ञा आंदोलन – Savinay Avagya Andolan Information in Hindi 12 मार्च 1930 में साबरमती आश्रम से महात्मा गाँधी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आन्दोलन (Savinay Avagya Andolan) की शुरुआत की गयी थी। गाँधी जी और आश्रम के 78 अन्य सदस्यों ने दांडी, अहमदाबाद से 241 मील दूर स्थित भारत के पश्चिमी तट पर स्थित एक गाँव, के लिए पैदल यात्रा आरम्भ की थी। जिसका प्रारंभ गाँधी जी के प्रसिद्ध दांडी मार्च से हुआ| जिसका उद्देश्य कुछ विशिष्ट प्रकार के ग़ैर-क़ानूनी कार्य सामूहिक रूप से करके ब्रिटिश सरकार को झुका देना था। सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरुआत नमक कानून के उल्लंघन से हुई. उन्होंने समुद्र तट के एक गाँव दांडी जाकर नमक कानून को तोड़ा. जिससे सारा देश जाग उठा. हर आदमी गाँधीजी के नेतृत्व की राह देख रहा था. यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध चलाये गय़े आन्दोलनो में से एक था। 1929 ई. तक भारत को ब्रिटेन के इरादों पर शक होने लगा था. 1930 ई. तक कांग्रेस ने भारत की स्वतंत्रता के लिए सरकार से कई माँगें कीं, लेकिन कांग्रेस की सभी माँगें सरकार द्वारा ठुकरा दी जाती थीं. जनता के मन में यह बात घर कर गई थी कि सरकार को कुछ करने के लिए मजबूर किया ही जाना चाहिए. ब्रिटिश सरकार ने नेहरु रिपोर्ट को भी अस्वीकृत कर भारतीयों को क्रुद्ध कर दिया था. अंततः 1930 ई. में कांग्रेस की कार्यकारिणी ने महात्मा गाँधी को Savinay Avagya Andolan चलाने का अधिकार प्रदान किया. ब्रिटिश सरकार द्वारा नमक पर नमक पर आबकारी कर लगा देने से उसके खजाने में बहुत अधिक इजाफा होने लगा. वहीं सरकार के पास नमक बनाने का एकाधिकार भी था. गाँधीजी का ध्येय था नमक-कर पर जोरदार वार करना और इस अनावश्यक कानून को ध्वस्त कर देन...

सविनय अवज्ञा का अभिप्राय स्पष्ट करते हुए सविनय अवज्ञा आन्दोलन के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए।

सविनय अवज्ञा का अभिप्राय स्पष्ट करते हुए सविनय अवज्ञा आन्दोलन के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए। सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न • सविनय अवज्ञा से आप क्या समझते हैं ? • स्वतन्त्रता दिवस की घोषणा (1929 ई.) पर टिप्पणी कीजिए। • सोचनीय आर्थिक स्थिति किस प्रकार सविनय अवज्ञा आन्दोलन की प्रेरक बनी ? . सविनय अवज्ञा आंदोलन से अभिप्राय सविनय अवज्ञा का सीधा सा अभिप्राय उस स्थिति या व्यवहार से है जिसके अन्तर्गत आज्ञापालक, आज्ञादाता की आज्ञा को विनम्रता पूर्वक मानने से मना कर दे। इसके अन्तर्गत जनता द्वारा सरकार की विभिन्न अनुचित आज्ञाओं की उपेक्षा की जाती है तथा सीधी अवज्ञा से बचते हुए अप्रत्यक्ष अवज्ञा की जाती है। अर्थात् आज्ञापालक शासन के कानूनों का तो सम्मान करता है और समग्र विद्रोह नहीं करता है परन्तु अनुचित कानूनों का प्रतिकार असहयोग का रूप में आवश्य करता है, जैसे - 'कर' न देना, इत्यादि। सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कारण सविनय अवज्ञा आन्दोलन के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी माने जा सकते हैं - • भारतीय जनता की दयनीय आर्थिक स्थिति - गाँधी जी द्वारा चलाये गये सविनय अवज्ञा आन्दोलन के लिये भारतीयों की दयनीय आर्थिक दशा विशेष रूप से उत्तरदायी थी। सन् 1930 ई. के आसपास देश में भारी मन्दी और व्यापक रोजगार के कारण भारतीयों, में असन्तोष व्याप्त था। मजदूर, व्यापारी, किसान और सामान्य जनता इनसे परेशान थी। सरकार ने आर्थिक सुधारों की गाँधी जी की न्यूनतम माँगों को भी अस्वीकार कर दिया था। ऐसी स्थिति में गाँधीजी ने पुनः आन्दोलन चलाने का निर्णय किया। • असन्तोष और उत्तेजना का वातावरण - देश में असन्तोष और उत्तेजना का वातावरण तेजी से फैलता जा रहा था। राजनीति में नवयुवक वर्ग अधिक सक्रिय हो गया था। सरकार ने श्रमिक ...

savinay avagya andolan kab hua

People Also Read: What is सविनय अवज्ञा आंदोलन | Savinay avagya andolan kab hua | Class 10 history सविनय अवज्ञा आंदोलन | Savinay avagya andolan kab hua | Class 10 history chapter 2 . Yeh video सविनय अवज्ञा आंदोलन – savinay. में कलकत्ता में मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ । उसमें. How to use (सविनय अवज्ञा आंदोलन) Civil Disobedience Movement in Hindi गाँधी जी के नेतृत्व में 6 अप्रैल in 1930 को Civil Disobedience Movement की औपचारिक शुरुआत हुई । इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य. सविनय अवज्ञा आंदोलन साबरमती से शुरू हुआ था। 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से गाँधी जी और आश्रम के 78 अन्य सदस्यों ने दांडी, अहमदाबाद से 385 किमी. दूर स्थित भारत के पश्चिमी तट पर स्थित एक गाँव, के लिए. सविनय अवज्ञा आंदोलन कब चलाया गया – savinay awagya andolan kab chalaya gaya ; सविनय अवज्ञा आंदोलन कब शुरू हुआ था – savinay awagya andolan kab shuru hua tha ; सविनय अवज्ञा आंदोलन – savinay awagya andolan. दिसंबर,1921 में कांग्रेस के अहमदाबाद अधिवेशन में आंदोलन को तेज करने का निर्णय लिया गया। सविनय अवज्ञा आंदोलन( savinay avagya aandolan ) शुरू करने की अनुमति प्रदान कर दी गई।.

सविनय अवज्ञा आंदोलन क्या है? सविनय अवज्ञा आंदोलन का उद्देश्य, कारण, कार्यक्रम, असफलता, परिणाम, मूल्यांकन

1.9 Related भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के इतिहास में सविनय अवज्ञा आंदोलन एक महत्वपूर्ण अध्याय हैं! ब्रिटिश साम्राज्य के विरूद्ध यह भारतीयों का महान संघर्ष माना जाता हैं जो मार्च 1930 ई. में प्रारंभ हुआ! इस आंदोलन का नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया! सविनय अवज्ञा आंदोलन जन असंतोष के कारण उत्पन्न हुआ था! 6 अप्रैल 1930 को गांधीजी ने दांडी पहुचकर नमक कानून का उल्लंघन किया, जिसके साथ ही सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ हो गया! सविनय अवज्ञा आंदोलन का उद्देश्य (savinay avagya andolan ka uddeshy) – सविनय अवज्ञा आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश शासन को समाप्त कर पूर्ण स्वराज्य की प्राप्ति करना था! इसके अलावासविनय अवज्ञा आंदोलन का उद्देश्य ‘नमक कर’ को समाप्त करना भी था! सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण (savinay avagya aandolan ke karan) – (1) साइमन कमीशन का विरोध – मांटेग्यू चेम्सफोर्ड अधिनियम 1919 ई. की समीक्षा हेतु भारत भेजे गए साइमन कमीशन की रिपोर्ट 1930 ई. में केंद्र में भारतीयों को किसी भी प्रकार का उत्तरदायित्व प्रदान नहीं किया जाने की बात की गई थी! इसका विरोध में कांग्रेसी नेताओं में आक्रोश था! (2) नेहरू रिपोर्ट की अस्वीकृति – कांग्रेस द्वारा साइमन कमीशन का बहिष्कार करने पर भारतीय सचिव लॉर्ड बर्केनहेड ने भारतीय को एक ऐसा संविधान बनाने की चुनौती दी थी, जिसे सभी दलों का समर्थन प्राप्त हो! इस चुनौती को स्वीकार करते हुए भारतीय नेताओं द्वारा 1928 ई. में रिपोर्ट को प्रस्तुत किया गया था, किंतु इसके कुछ प्रस्ताव पर जिन्ना को आपत्ति थी! इस कारण नेहरू रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया गया! इससे भी भारतीय नेताओं में अंग्रेजों के प्रति आक्रोश था! (3) लाहौर अधिवेशन – दिसंबर, 1929 ई. में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में...