सेटेलाइट इमेज

  1. China is increasing its strength near LAC, Revealed from satellite image
  2. Uttrakhand : सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों पर शिकंजा कसेगी धामी सरकार, बना रही है सॉलिड प्लान
  3. उत्तराखंड में सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण रोकने के लिए धामी सरकार का बड़ा प्लान
  4. सैटेलाइट इमेज सिस्टम (Satellite image system) : अब किसानों को जल्दी मिलेगा कृषि लोन
  5. सरकारी जमीन पर नहीं कर पाएंगे अतिक्रमण, बनेगा डिजिटल रिकॉर्ड; बदलाव पर मिलेगा अलर्ट
  6. 80 वार्डों, पैराफेरी क्षेत्रों का ड्रोन से सर्वे होगा, चिप में रहेगी हर मकान की जानकारी
  7. China is increasing its strength near LAC, Revealed from satellite image
  8. सैटेलाइट इमेज सिस्टम (Satellite image system) : अब किसानों को जल्दी मिलेगा कृषि लोन
  9. 80 वार्डों, पैराफेरी क्षेत्रों का ड्रोन से सर्वे होगा, चिप में रहेगी हर मकान की जानकारी
  10. उत्तराखंड में सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण रोकने के लिए धामी सरकार का बड़ा प्लान


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China is increasing its strength near LAC, Revealed from satellite image

India China Relations: भारत की सीमाओं पर चीन के नापाक इरादों की एक बार फिर पोल खुली है. दरअसल बीजिंगि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास अपनी ताकत बढ़ा रहा है. ताजा सेटेलाइट तस्वीरें में यह खुलासा हुआ है. मई 2020 में एलएसी पर सैन्य गतिरोध शुरू होने के बाद से चीन ने सैनिकों की तेजी से तैनाती और हवाई क्षेत्रों, हेलीपैड, रेलवे सुविधाओं, मिसाइल ठिकानों, सड़कों और पुलों का बड़े पैमाने पर विस्तार किया है. इन तीन क्षेत्रों का है विशेष महत्व इन तीन चीनी क्षेत्रों का विशेष महत्व है क्योंकि यह भारतीय पक्ष की सामरिक स्थिति के ठीक विपरीत दिशा में स्थित है और भारत के साथ गतिरोध के बीच इनका ऑपरेशंस में उपयोग किया गया था. बता दें जून 2020 में गालवान घाटी में एक क्रूर संघर्ष में 20 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई. वहीं बड़ी संख्या में चीनी सैनिक भी मारे गए. 45 वर्षों में एलएसी पर यह पहला ऐसा संघर्ष था जिसमें जिसमे किसी की जान गई. भारतीय अधिकारियों ने इस जानकारी पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. बता दें भारत चीन को कई बार यह स्पष्ट कर चुका है कि सामान्य द्विपक्षीय संबंधों के लिए एलएसी पर सामान्य स्थिति आवश्यक है. क्या दिखा इन तीन क्षेत्रों में ? दक्षिण-पश्चिमी झिंजियांग में होतान एयरफ़ील्ड केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की राजधानी लेह से लगभग 400 किमी की दूरी पर एक सीधी रेखा में स्थित है. होतान एयरफ़ील्ड का आखिरी बार विस्तार 2002 में किया गया था. जून 2020 की एक सैटेलाइट इमेज में एयरफ़ील्ड के पास के क्षेत्र में कोई निर्माण नहीं दिखा था. लेकिन मई 2023 की एक सैटेलाइट इमेज से पता चलता है कि होटन एयरफ़ील्ड में एक नया रनवे, नए विमान और सैन्य संचालन सपोर्ट बिल्डिंग और एक नया एप्रन बन गया है. एयर ...

Uttrakhand : सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों पर शिकंजा कसेगी धामी सरकार, बना रही है सॉलिड प्लान

उत्तराखंड में सरकारी जमीनों और अन्य परिसंपत्तियों पर अतिक्रमण अब सेटेलाइट इमेज के जरिए भी चिन्हित किया जाएगा. इसके लिए आईटीडीए ने पोर्टल बनाने का काम शुरू कर दिया है. सभी विभागों की जमीनों की सेटेलाइट इमेज सुरक्षित रखी जाएगी. इसमें 30 सेंटीमीटर तक बदलाव पर पोर्टल खुद अलर्ट जारी कर देगा. प्रदेश के शहरों की बेशकीमती भूमि से लेकर जंगलात की आरक्षित जमीन पर तक कब्जे की शिकायतें आम हैं, विभाग समय-समय पर अतिक्रमण हटाने का अभियान तो चलाता है, लेकिन कुछ समय बाद फिर अतिक्रमण हो जाता है. इसलिए सरकारी जमीनों पर कब्जों की रोकथाम के लिए मुख्य सचिव ने सभी विभागों को अपनी जमीनों का चिन्हीकरण करते हुए, उनकी डिजिटल इमेज सुरक्षित करने के निर्देश दिए हैं. इसी क्रम में आईटीडीए ने जमीनों का डिजिटल रिकॉर्ड रखने के लिए पोर्टल बनाने का काम शुरू कर दिया है. इस पोर्टल में सभी विभाग अपने डिजिटल रिकॉर्ड उपलब्ध कराएंगे. आईटीडीए की निदेशक नीतिका खंडेलवाल के मुताबिक, गुरुग्राम सहित देश के कुछ शहरों में पहले से ही यह व्यवस्था लागू है, जहां अतिक्रमण पर रोकथाम के अच्छे नतीजे सामने आए हैं. यही तकनीक अब उत्तराखंड में लागू की जा रही है. एक महीने में सभी विभागों को सेटेलाइट इमेज उपलब्ध कराने के निर्देश जारी किए गए हैं. यह भी पढ़ेंं- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार राज्य की समस्याओं और करप्शन को लेकर कार्रवाई कर रहे हैं. हाल ही में धामी सरकार ने उन शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए थे, जो बिना किसी सूचना के ड्यूटी से गायब चल रहे हैं. ऐसे शिक्षकों की सूची बनाकर जल्द दी जबरिया रिटायरमेंट देनी की तैयारी की जा रही है. जिसकी जानकारी प्रदेश के शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत ने दी थी. -भारत एक्सप्रेस • आधार कार्ड...

उत्तराखंड में सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण रोकने के लिए धामी सरकार का बड़ा प्लान

देहरादून: उत्तराखंड में सरकारी जमीनों और अन्य परिसंपत्तियों पर अतिक्रमण अब सेटेलाइट इमेज के जरिए भी चिन्हित किया जाएगा। इसके लिए आईटीडीए ने पोर्टल बनाने का काम शुरू कर दिया है। सभी विभागों की जमीनों की सेटेलाइट इमेज सुरक्षित रखी जाएगी। इसमें 30 सेंटीमीटर तक बदलाव पर पोर्टल खुद अलर्ट जारी कर देगा। प्रदेश के शहरों की बेशकीमती भूमि से लेकर जंगलात की आरक्षित जमीन पर तक कब्जे की शिकायतें आम हैं, विभाग समय-समय पर अतिक्रमण हटाने का अभियान तो चलाता है, लेकिन कुछ समय बाद फिर अतिक्रमण हो जाता है। इसलिए सरकारी जमीनों पर कब्जों की रोकथाम के लिए मुख्य सचिव ने सभी विभागों को अपनी जमीनों का चिन्हीकरण करते हुए, उनकी डिजिटल इमेज सुरक्षित करने के निर्देश दिए हैं। इसी क्रम में आईटीडीए ने जमीनों का डिजिटल रिकॉर्ड रखने के लिए पोर्टल बनाने का काम शुरू कर दिया है। इस पोर्टल में सभी विभाग अपने डिजिटल रिकॉर्ड उपलब्ध कराएंगे। आईटीडीए की निदेशक नीतिका खंडेलवाल के मुताबिक, गुरुग्राम सहित देश के कुछ शहरों में पहले से ही यह व्यवस्था लागू है, जहां अतिक्रमण पर रोकथाम के अच्छे नतीजे सामने आए हैं। यही तकनीक अब उत्तराखंड में लागू की जा रही है। एक महीने में सभी विभाग सेटेलाइट इमेज उपलब्ध करा देंगे। डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

सैटेलाइट इमेज सिस्टम (Satellite image system) : अब किसानों को जल्दी मिलेगा कृषि लोन

क्या है सेटेलाइट इमेज सिस्टम और इससे क्या है फायदा, जानें पूरी जानकारी अब किसानों को कम समय में कृषि लोन मिल जाएगा। पहले किसानों को लोन के लिए आवेदन करने के बाद बैंक की ओर से किसान की आर्थिक स्थिति का पता में काफी समय लग जाता था और किसान को करीब 15 दिन से एक माह या उससे भी अधिक का समय बाद लोन को मंजूरी दी जाती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब बैंक से किसानों को कृषि के लिए 15 दिन से भी कम समय में लोन मुहैया कराया जाएगा। इसके लिए बैंक सेटेलाइट इमेज सिस्टम का इस्तेमाल कर किसान की आर्थिक स्थिति का पता लगा कर उन्हें कुछ ही दिनों में लोन उपलब्ध कराएगा। कृषि लोन देने के लिए आईसीआईसीआई बैंक ने इस तकनीक का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। आईसीआईसीआई देश का ऐसा चौथा बैंक है जो सेटेलाइट इमेज तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रेक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1 क्या है सैटेलाइट इमेज सिस्टम तकनीक ( Satellite image system ) इस तकनीक के माध्यम से बैंक सेटेलाइट से किसान की खेत की जमीन की तस्वीर प्राप्त करता है और उसे विश्लेषण के लिए थर्ड पार्टी को भेजता है। इस टेक्नोलॉजी में 40 पैमानों पर लोन लेने के लिए किसान की क्षमता का पता लगाया जाता है। इसका इस्तेमाल एक तरह के कृषि लोन के लिए किया जा रहा है। सेटेलाइट इमेज का इस्तेमाल से कम खर्च पर हो जाता है काम आम तौर पर किसानों को लोन देने से पहले बैंक के अधिकारी सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा के बाद फसल की क्वालिटी, सिंचाई की व्यवस्था और जमीन की स्थिति का जायजा लेते हैं। इससे उन्हें खेती से होने वाली आय का अंदाजा लगाने में मदद मिलती है। पर इस सारी प्रक्रिया में काफी समय और खर्चा अधिक आ...

सरकारी जमीन पर नहीं कर पाएंगे अतिक्रमण, बनेगा डिजिटल रिकॉर्ड; बदलाव पर मिलेगा अलर्ट

विश्व कप में खूंखार खिलाड़ी को वापस लाने की तैयारी, BCCI ने लगाया पूरा जोर सरकारी जमीनों और अन्य परिसंपत्तियों पर अतिक्रमण अब सेटेलाइट इमेज के जरिए भी चिन्हित किया जाएगा। इसके लिए आईटीडीए ने पोर्टल बनाने का काम शुरू कर दिया है, जहां सभी विभागों की जमीनों की सेटेलाइट इमेज सुरक्षित रहेगी। इसमें 30 सेंटीमीटर तक बदलाव पर पोर्टल खुद अलर्ट जारी कर देगा। प्रदेश के शहरों की बेशकीमती भूमि से लेकर जंगलात की आरक्षित जमीन पर तक कब्जे की शिकायतें आम हैं, विभाग समय-समय पर अतिक्रमण हटाने का अभियान तो चलाते हैं, लेकिन कुछ समय बाद फिर अतिक्रमण हो जाता है। इसलिए सरकारी जमीनों पर कब्जों की रोकथाम के लिए मुख्य सचिव ने सभी विभागों को अपनी जमीनों का चिन्हीकरण करते हुए, उनकी डिजिटल इमेज सुरक्षित करने के निर्देश दिए हैं। इसी क्रम में आईटीडीए ने जमीनों का डिजिटल रिकॉर्ड रखने के लिए पोर्टल बनाने का काम प्रारंभ कर दिया है। इस पोर्टल में सभी विभाग अपने डिजिटल रिकॉर्ड उपलब्ध कराएंगे। आईटीडीए की निदेशक नीतिका खंडेलवाल ने कहा, 'सभी विभागों को अपनी जमीन चिन्हित करते हुए, इमेज पोर्टल पर डालने के आदेश जारी किए गए हैं। सैटेलाइट मैपिंग यूसैक के जरिए की जा रही है, जबकि आईटीडीए इसमें तकनीकी सहयोग देगा। इस तकनीकी से 30 सेंटीमीटर तक के अतिक्रमण का चिन्हीकरण हो सकता है।' देश के कुछ ही शहरों में लागू है यह व्यवस्था आईटीडीए की निदेशक नीतिका खंडेलवाल के मुताबिक, गुरुग्राम सहित देश के कुछ शहरों में पहले से ही यह व्यवस्था लागू है, जहां अतिक्रमण पर रोकथाम के अच्छे नतीजे सामने आए हैं। यही तकनीकी अब उत्तराखंड में लागू की जा रही है। एक महीने में सभी विभाग सेटेलाइट इमेज उपलब्ध करा देंगे।

80 वार्डों, पैराफेरी क्षेत्रों का ड्रोन से सर्वे होगा, चिप में रहेगी हर मकान की जानकारी

निगम प्रशासन ने इसके लिए 5 लाख रुपए का टेंडर जारी किया है। सर्वे पूरा हाेने के बाद निगम प्रशासन के पास कमर्शियल, आवासीय, शहर के चारदीवारी के अंदर व बाहर की स्थिति सहित नई काॅलाेनियाें के मकान, खाली प्लाट का पूरा रिकॉर्ड रहेगा। हर मकान के बाहर एक इलेक्ट्रिक जीपीएस टैगिंग वाली प्लेट लगाई जाएगी। इस प्लेट में मकान की पूरी जानकारी रहेगी। सर्वे के बाद हर मकान को एक यूनिक बार नंबर मिलेगा, यह अधिकतम 16 अंकों का होगा। किस व्यक्ति के नाम कितनी जमीन है, किस प्रॉपर्टी को कितनी बार खरीदा-बेचा गया है, सब पता चल सकेगा। पिछला सर्वे 2005 में, परिसीमन के बाद दाे बार सीमा विस्तार पहले वार्ड 45 थे, फिर 60 हुए, अब 80 हैं। पहले 80 वार्डों का नक्शा तैयार होगा। पहले कमर्शियल क्षेत्राें काे चुनंेगे। जैसे दरगाह बाजार, उतार घसेटी, नला बाजार, डिग्गी बाजार, मूंदड़ी मोहल्ला, दिल्ली गेट। निगम के पास 15898 यूडी टैक्स प्राॅपर्टी। मकान की लाेकेशन जीपीएस से रिकॉर्ड में रखेंगे, सेटेलाइट इमेज तैयार होगी। मकान, उसमें बने कमरे, क्षेत्रफल व आसपास की स्थिति की फाेटाे रिकॉर्ड में रखेंगे। किसी भी वार्ड में कितने हाेटल और आवासीय मकान हैं, कमर्शियल गतिविधियां सहित गलियों का डायरेक्शन भी सर्वे में जानेंगे। } निगम सीमा या बाहर कितने क्षेत्राें में नालियां, सड़कें या मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। सर्वे टीम हर बिंदु की जानकारी जुटाएगी। जिला परिषद ग्राम पंचायतों में करवा रही है ड्रोन से मैपिंग नगर निगम से पूर्व जिला परिषद ग्राम पंचायतों में हर मकान को एक यूनिट आईडी नंबर देने के लिए ड्रोन से सर्वे करवा रही है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत राजस्थान की 33 जिला परिषदों से जुड़ी 352 पंचायत समितियों की 11,283 ग्राम पंचायतों का सर्वे किया...

China is increasing its strength near LAC, Revealed from satellite image

India China Relations: भारत की सीमाओं पर चीन के नापाक इरादों की एक बार फिर पोल खुली है. दरअसल बीजिंगि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास अपनी ताकत बढ़ा रहा है. ताजा सेटेलाइट तस्वीरें में यह खुलासा हुआ है. मई 2020 में एलएसी पर सैन्य गतिरोध शुरू होने के बाद से चीन ने सैनिकों की तेजी से तैनाती और हवाई क्षेत्रों, हेलीपैड, रेलवे सुविधाओं, मिसाइल ठिकानों, सड़कों और पुलों का बड़े पैमाने पर विस्तार किया है. इन तीन क्षेत्रों का है विशेष महत्व इन तीन चीनी क्षेत्रों का विशेष महत्व है क्योंकि यह भारतीय पक्ष की सामरिक स्थिति के ठीक विपरीत दिशा में स्थित है और भारत के साथ गतिरोध के बीच इनका ऑपरेशंस में उपयोग किया गया था. बता दें जून 2020 में गालवान घाटी में एक क्रूर संघर्ष में 20 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई. वहीं बड़ी संख्या में चीनी सैनिक भी मारे गए. 45 वर्षों में एलएसी पर यह पहला ऐसा संघर्ष था जिसमें जिसमे किसी की जान गई. भारतीय अधिकारियों ने इस जानकारी पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. बता दें भारत चीन को कई बार यह स्पष्ट कर चुका है कि सामान्य द्विपक्षीय संबंधों के लिए एलएसी पर सामान्य स्थिति आवश्यक है. क्या दिखा इन तीन क्षेत्रों में ? दक्षिण-पश्चिमी झिंजियांग में होतान एयरफ़ील्ड केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की राजधानी लेह से लगभग 400 किमी की दूरी पर एक सीधी रेखा में स्थित है. होतान एयरफ़ील्ड का आखिरी बार विस्तार 2002 में किया गया था. जून 2020 की एक सैटेलाइट इमेज में एयरफ़ील्ड के पास के क्षेत्र में कोई निर्माण नहीं दिखा था. लेकिन मई 2023 की एक सैटेलाइट इमेज से पता चलता है कि होटन एयरफ़ील्ड में एक नया रनवे, नए विमान और सैन्य संचालन सपोर्ट बिल्डिंग और एक नया एप्रन बन गया है. एयर ...

सैटेलाइट इमेज सिस्टम (Satellite image system) : अब किसानों को जल्दी मिलेगा कृषि लोन

क्या है सेटेलाइट इमेज सिस्टम और इससे क्या है फायदा, जानें पूरी जानकारी अब किसानों को कम समय में कृषि लोन मिल जाएगा। पहले किसानों को लोन के लिए आवेदन करने के बाद बैंक की ओर से किसान की आर्थिक स्थिति का पता में काफी समय लग जाता था और किसान को करीब 15 दिन से एक माह या उससे भी अधिक का समय बाद लोन को मंजूरी दी जाती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब बैंक से किसानों को कृषि के लिए 15 दिन से भी कम समय में लोन मुहैया कराया जाएगा। इसके लिए बैंक सेटेलाइट इमेज सिस्टम का इस्तेमाल कर किसान की आर्थिक स्थिति का पता लगा कर उन्हें कुछ ही दिनों में लोन उपलब्ध कराएगा। कृषि लोन देने के लिए आईसीआईसीआई बैंक ने इस तकनीक का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। आईसीआईसीआई देश का ऐसा चौथा बैंक है जो सेटेलाइट इमेज तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रेक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1 क्या है सैटेलाइट इमेज सिस्टम तकनीक ( Satellite image system ) इस तकनीक के माध्यम से बैंक सेटेलाइट से किसान की खेत की जमीन की तस्वीर प्राप्त करता है और उसे विश्लेषण के लिए थर्ड पार्टी को भेजता है। इस टेक्नोलॉजी में 40 पैमानों पर लोन लेने के लिए किसान की क्षमता का पता लगाया जाता है। इसका इस्तेमाल एक तरह के कृषि लोन के लिए किया जा रहा है। सेटेलाइट इमेज का इस्तेमाल से कम खर्च पर हो जाता है काम आम तौर पर किसानों को लोन देने से पहले बैंक के अधिकारी सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा के बाद फसल की क्वालिटी, सिंचाई की व्यवस्था और जमीन की स्थिति का जायजा लेते हैं। इससे उन्हें खेती से होने वाली आय का अंदाजा लगाने में मदद मिलती है। पर इस सारी प्रक्रिया में काफी समय और खर्चा अधिक आ...

80 वार्डों, पैराफेरी क्षेत्रों का ड्रोन से सर्वे होगा, चिप में रहेगी हर मकान की जानकारी

निगम प्रशासन ने इसके लिए 5 लाख रुपए का टेंडर जारी किया है। सर्वे पूरा हाेने के बाद निगम प्रशासन के पास कमर्शियल, आवासीय, शहर के चारदीवारी के अंदर व बाहर की स्थिति सहित नई काॅलाेनियाें के मकान, खाली प्लाट का पूरा रिकॉर्ड रहेगा। हर मकान के बाहर एक इलेक्ट्रिक जीपीएस टैगिंग वाली प्लेट लगाई जाएगी। इस प्लेट में मकान की पूरी जानकारी रहेगी। सर्वे के बाद हर मकान को एक यूनिक बार नंबर मिलेगा, यह अधिकतम 16 अंकों का होगा। किस व्यक्ति के नाम कितनी जमीन है, किस प्रॉपर्टी को कितनी बार खरीदा-बेचा गया है, सब पता चल सकेगा। पिछला सर्वे 2005 में, परिसीमन के बाद दाे बार सीमा विस्तार पहले वार्ड 45 थे, फिर 60 हुए, अब 80 हैं। पहले 80 वार्डों का नक्शा तैयार होगा। पहले कमर्शियल क्षेत्राें काे चुनंेगे। जैसे दरगाह बाजार, उतार घसेटी, नला बाजार, डिग्गी बाजार, मूंदड़ी मोहल्ला, दिल्ली गेट। निगम के पास 15898 यूडी टैक्स प्राॅपर्टी। मकान की लाेकेशन जीपीएस से रिकॉर्ड में रखेंगे, सेटेलाइट इमेज तैयार होगी। मकान, उसमें बने कमरे, क्षेत्रफल व आसपास की स्थिति की फाेटाे रिकॉर्ड में रखेंगे। किसी भी वार्ड में कितने हाेटल और आवासीय मकान हैं, कमर्शियल गतिविधियां सहित गलियों का डायरेक्शन भी सर्वे में जानेंगे। } निगम सीमा या बाहर कितने क्षेत्राें में नालियां, सड़कें या मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। सर्वे टीम हर बिंदु की जानकारी जुटाएगी। जिला परिषद ग्राम पंचायतों में करवा रही है ड्रोन से मैपिंग नगर निगम से पूर्व जिला परिषद ग्राम पंचायतों में हर मकान को एक यूनिट आईडी नंबर देने के लिए ड्रोन से सर्वे करवा रही है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत राजस्थान की 33 जिला परिषदों से जुड़ी 352 पंचायत समितियों की 11,283 ग्राम पंचायतों का सर्वे किया...

उत्तराखंड में सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण रोकने के लिए धामी सरकार का बड़ा प्लान

देहरादून: उत्तराखंड में सरकारी जमीनों और अन्य परिसंपत्तियों पर अतिक्रमण अब सेटेलाइट इमेज के जरिए भी चिन्हित किया जाएगा। इसके लिए आईटीडीए ने पोर्टल बनाने का काम शुरू कर दिया है। सभी विभागों की जमीनों की सेटेलाइट इमेज सुरक्षित रखी जाएगी। इसमें 30 सेंटीमीटर तक बदलाव पर पोर्टल खुद अलर्ट जारी कर देगा। प्रदेश के शहरों की बेशकीमती भूमि से लेकर जंगलात की आरक्षित जमीन पर तक कब्जे की शिकायतें आम हैं, विभाग समय-समय पर अतिक्रमण हटाने का अभियान तो चलाता है, लेकिन कुछ समय बाद फिर अतिक्रमण हो जाता है। इसलिए सरकारी जमीनों पर कब्जों की रोकथाम के लिए मुख्य सचिव ने सभी विभागों को अपनी जमीनों का चिन्हीकरण करते हुए, उनकी डिजिटल इमेज सुरक्षित करने के निर्देश दिए हैं। इसी क्रम में आईटीडीए ने जमीनों का डिजिटल रिकॉर्ड रखने के लिए पोर्टल बनाने का काम शुरू कर दिया है। इस पोर्टल में सभी विभाग अपने डिजिटल रिकॉर्ड उपलब्ध कराएंगे। आईटीडीए की निदेशक नीतिका खंडेलवाल के मुताबिक, गुरुग्राम सहित देश के कुछ शहरों में पहले से ही यह व्यवस्था लागू है, जहां अतिक्रमण पर रोकथाम के अच्छे नतीजे सामने आए हैं। यही तकनीक अब उत्तराखंड में लागू की जा रही है। एक महीने में सभी विभाग सेटेलाइट इमेज उपलब्ध करा देंगे। डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.