Seva sadan upanyas ke lekhak hain

  1. सेवा सदन के रचयिता या रचनाकार
  2. मृगनयनी उपन्यास के लेखक कौन है?
  3. Sevasadan
  4. महाकाल उपन्यास के लेखक कौन है?
  5. त्यागपत्र उपन्यास के लेखक कौन है?
  6. चंद्रकांता के लेखक कौन हैं?


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सेवा सदन के रचयिता या रचनाकार

सेवा सदन के लेखक/रचयिता सेवा सदन (Seva Sadan) के लेखक/रचयिता (Lekhak/Rachayitha) " प्रेमचन्द" ( Premchand) हैं। Seva Sadan (Lekhak/Rachayitha) नीचे दी गई तालिका में सेवा सदन के लेखक/रचयिता को लेखक तथा रचना के रूप में अलग-अलग लिखा गया है। सेवा सदन के लेखक/रचयिता की सूची निम्न है:- रचना/रचना लेखक/रचयिता सेवा सदन प्रेमचन्द Seva Sadan Premchand सेवा सदन किस विधा की रचना है? सेवा सदन (Seva Sadan) की विधा का प्रकार " रचना" ( Rachna) है। आशा है कि आप " सेवा सदन नामक रचना के लेखक/रचयिता कौन?" के उत्तर से संतुष्ट हैं। यदि आपको सेवा सदन के लेखक/रचयिता के बारे में में कोई गलती मिली हो त उसे कमेन्ट के माध्यम से हमें अवगत अवश्य कराएं।

मृगनयनी उपन्यास के लेखक कौन है?

मृगनयनी उपन्यास के लेखक वृंदावनलाल वर्मा है। सामान्य हिंदी के अन्तर्गत प्रसिद्ध लेखक एवं उनकी रचनाएँ या रचना और रचनाकार संबंधी प्रश्न पूछे जाते है। हिंदी के प्रसिद्ध कवि व उनकी प्रसिद्ध रचनाओं का परिचय आईएएस, पीसीएस, कर्मचारी चयन आयोग, बीएड., सब इंस्पेक्टर, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के अलावा विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए भी उपयोगी होगी। हिंदी के प्रसिद्ध कवि एवं उनकी रचनाएँ : गजानन माधव मुक्तिबोध - चाँद का मुँह टेढ़ा है, भूरी-भूरी खाक धूल, नये साहित्य का सौंदर्यशास्त्र, विपात्र, एक साहित्यिक की डायरी, काठ का सपना सर्वेश्वर दयाल सक्सेना - काठ की घंटियां, बांस का पुल, एक सूनी नाव, गर्म हवाएं, कुआनो नदी, जंगल का दर्द, खूंटियों पर टंगे लोग, क्या कह कर पुकारूं, पागल कुत्तों का मसीहा (लघु उपन्यास), सोया हुआ जल (लघु उपन्यास) केदारनाथ सिंह - अभी बिल्कुल अभी, जमीन पक रही है, यहाँ से देखो, बाघ, अकाल में सारस, उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ, तालस्ताय और साइकिल, सृष्टि पर पहरा कुँवर नारायण - चक्रव्यूह, अपने सामने, कोई दूसरा नहीं, आत्मजयी, इन दिनों। Tags :

Sevasadan

नारी जाति की परवशता, निस्सहाय अवस्था, आर्थिक एवं शैक्षिक परतंत्रता, अर्थात् नारी दुर्दशा पर आज के हिन्दी साहित्य में जितनी मुखर चर्चा हो रही है ; बीसवीं सदी के प्रारंभिक चरण में, कथासम्राट प्रेमचंद (1880-1936) के यहाँ कहीं इससे ज्यादा मुखर थी। नारी जीवन की समस्याओं के साथ-साथ समाज के धर्माचार्यों, मठाधीशों, धनपतियों, सुधारकों के आडंबर, दंभ, ढोंग, पाखंड, चरित्रहीनता, दहेज-प्रथा, बेमेल विवाह, पुलिस की घूसखोरी, वेश्यागमन, मनुष्य के दोहरे चरित्र, साम्प्रदायिक द्वेष आदि आदि सामाजिक विकृतियों के घृणित विवरणों से भरा उपन्यास सेवासदन (1916) आज भी समकालीन और प्रासंगिक बना हुआ है। इन तमाम विकृतियों के साथ-साथ यह उपन्यास घनघोर दानवता के बीच कहीं मानवता का अनुसंधान करता है। अतिरिक्त सुखभोग की अपेक्षा में अपना सर्वस्व गवाँ लेने के बाद जब कथानायिका को सामाजिक गुणसूत्रों की समझ हो जाती है, तब वह किसी तरह दुनिया के प्रति उदार हो जाती है और उसका पति साधु बनकर अपने व्यतीत दुष्कर्मों का प्रायश्चित करने लगता है, जमींदारी अहंकार में डूबे दंपति अपनी तीसरी पीढ़ी की संतान के जन्म से प्रसन्न होते हैं, और अपनी सारी कटुताओं को भूल जाते हैं-ये सारी स्थितियाँ उपन्यास की कथाभूमि में इस तरह पिरोई हुई हैं कि तत्कालीन समाज की सभी अच्छाइयों बुराइयों का जीवंत चित्र सामने आ जाता है। हर दृष्टि से यह उपन्यास एक धरोहर है। पश्चाताप के कड़वे फल कभी-न-कभी सभी को चखने पड़ते हैं, लेकिन और लोग बुराईयों पर पछताते हैं, दारोगा कृष्णचन्द्र अपनी भलाइयों पर पछता रहे थे। उन्हें थानेदारी करते हुए पच्चीस वर्ष हो गए, लेकिन उन्होंने अपनी नीयत को कभी बिगड़ने नहीं दिया था। यौवनकाल में भी, जब चित्त भोग-विलास के लिए व्याकुल रहता है...

महाकाल उपन्यास के लेखक कौन है?

Explanation : महाकाल उपन्यास के लेखक अमृतलाल नागर है। महाकाल (1947 ई.) उनका पहला उपन्यास है, जो 1970 से ‘भूख’ शीर्षक प्रकाशित हुआ। 'महाकाल' (1946 ई.) अमृतलाल नागर का पहला उपन्यास है। इसका अन्य नाम 'भूख' भी है। इस उपन्यास का कथानक वर्ष 1943 में बंगाल में पड़े अकाल की पृष्ठभूमि में है। इसकी भूमिका में नागरजी ने लिखा है-"सन् 43 के बंग-दुर्भिक्ष में मनुष्य की चरम दयनीयता और परम दानवता के दृश्य मैंने कलकत्ता में अपनी आँखों से देखे थे।" अकाल के कारण मनुष्य की बेबशी का लाभ उठाकर साम्राज्यवादी और पूँजीवादी तत्व किस तरह सक्रिय होते हैं उनके स्वार्थ और लोभ की दानवीय भूख को लेखक ने बखूबी चित्रित किया है। बता दे कि अमृतलाल नागर (17 अगस्त, 1916 - 23 फरवरी, 1990) हिंदी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार थे। जिन्हें भारत सरकार द्वारा 1981 में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। Tags :

त्यागपत्र उपन्यास के लेखक कौन है?

Explanation : त्यागपत्र उपन्यास के लेखक जैनेंद्र कुमार है। 'त्यागपत्र' 1937 में प्रकाशित हुआ। हिंदी के सर्वश्रेष्ठ लघु उपन्यासों में मृणाल नामक भाग्यहीना युवती के जीवन पर आधारित यह मार्मिक कथा अत्यन्त प्रभावशाली है। जैनेंद्र की अन्य औपन्यासिक कृतियों में परख-1929, सुनीता-1935, कल्याणी-1939, सुखदा-1953 , विवर्त्त-1953, व्यतीत-1953, जयवर्द्धन-1956 शामिल हैं। Tags :

चंद्रकांता के लेखक कौन हैं?

चंद्रकांता के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता चंद्रकांता (Chandrakaanta) के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता (Lekhak/Upanyaskar/Rachayitha) " देवकीनंदन खत्री" ( Devaki Nandan Khatri) हैं। Chandrakaanta (Lekhak/Upanyaskar/Rachayitha) नीचे दी गई तालिका में चंद्रकांता के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता को लेखक/उपन्यासकार तथा उपन्यास के रूप में अलग-अलग लिखा गया है। चंद्रकांता के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता की सूची निम्न है:- रचना/उपन्यास लेखक/उपन्यासकार/रचयिता चंद्रकांता देवकीनंदन खत्री Chandrakaanta Devaki Nandan Khatri चंद्रकांता किस विधा की रचना है? चंद्रकांता (Chandrakaanta) की विधा का प्रकार " उपन्यास" ( Upanyas) है। आशा है कि आप " चंद्रकांता नामक उपन्यास के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता कौन?" के उत्तर से संतुष्ट हैं। यदि आपको चंद्रकांता के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता के बारे में में कोई गलती मिली हो त उसे कमेन्ट के माध्यम से हमें अवगत अवश्य कराएं।