Shabd vichar kise kahate hain

  1. shabd vichar kise kehte hai
  2. द्वित्व व्यंजन व द्वित्व व्यंजन के शब्द
  3. शब्द विचार
  4. शब्दकोश किसे कहते है
  5. shabd vichar kise kehte hai
  6. द्वित्व व्यंजन व द्वित्व व्यंजन के शब्द
  7. शब्द विचार
  8. शब्दकोश किसे कहते है


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shabd vichar kise kehte hai

shabd vichar kise kehte hai | शब्द विचार किसे कहते है shabd vichar kise kehte hai: आज के इस लेख में हम आपको शब्द विचार (shabd vichar kise kahate hain) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने वाले है। हिंदी व्याकरण का एक मत्वपूर्ण अंगो में से एक होता है शब्द और यह लेख उसी के बारे में। शब्द विचार से जुड़े प्रश्न अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओ में पूछे जाते है।shabd vichar in hindi, shabd vichar ki paribhasha, shabad vichar, shabd vichar kise kehte hai, shabd vichar class 8, shabd vichar class 7. शब्द विचार की परिभाषा शब्द विचार - हिंदी का वह भाग जिसमे शब्द का शुद्ध उच्चारण और लेखन की विवचेना की जाती है उसे शब्द विचार कहते है। जिस तरह से वर्ण विचार है उसी प्रकार से शब्द विचार भी हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण अंग है। शब्द की परिभाषा एक या एक से अधिक वर्णो का स्वतंत्र एवं सार्थक योग शब्द कहलाता है। भाषा की सबसे छोटी इकाई शब्द होती है। जब अलग अलग शब्दों को एक साथ जोड़ा जाता है तो वह पद कहलाता है। जैसे:- राम, श्याम, लड़का, लड़की, यमुना, वह, इत्यादि। शब्द विचार के भेद या वर्गीकरण 01. व्युत्पत्ति / रचना के आधार पर शब्द के प्रकार शब्द की रचना के आधार पर शब्द के तीन भेद होते है • रूढ़ शब्द • यौगिक शब्द • योगरूढ़ शब्द रूढ़ शब्द किसे कहते है परिभाषा: ऐसे शब्द जिनके खंड नहीं किये जा सकते उन्हें रूढ़ शब्द कहते है। ये शब्द किसी अन्य शब्द के योग से नहीं बनते है। रूढ़ शब्द को मूल शब्द भी कहते है। जैसे:- नदी, गाय, दिन, आकाश, कान, दूध, घर आदि। यौगिक शब्द किसे कहते है परिभाषा: ऐसे शब्द जिनके टुकड़े किये जा सकते उन्हें यौगिक शब्द कहते है। एक या एक से अधिक रूढ़ शब्द के योग से योगिक शब्दों को बनाया जाता है। यौगि...

द्वित्व व्यंजन व द्वित्व व्यंजन के शब्द

द्वित्व व्यंजन की परिभाषा – जब दो समान व्यंजन एक साथ प्रयोग में लाए जाते हैं तो उसे द्वित्व व्यंजन कहते हैं। इसमें पहला व्यंजन द्वित्व व्यंजन के उदाहरण – मक्का, पक्का, बच्चा, बिल्ली, चम्मच, पत्ता, सज्जा, लज्जा, गप्पू,रस्सी, खट्टा, कद्दू, गुड्डू, पट्टी, मिट्टी आदि। कभी-कभी जब दो समान व्यंजन आपस में जुड़ते हैं तो उनमें एक हलंत (्) भी लग जाता है। जैसे उपर्युक्त उदाहरण में कद्दू, गुड्डू आदि हैं । यहां पर कुछ द्वित्व व्यंजन से बनने वाले शब्द • चक्की, झक्की , पक्का, मक्का, चक्का, धक्का, मुक्का, टिक्की, शक्कर, चक्कर, टक्कर, ढक्कन आदि। • दुबग्गा, घग्गर आदि • कच्चा, बच्चा, सच्चा, गच्चा, जच्चा, लुच्चा आदि • सज्जन, उज्जैन ,रज्जू, लज्जा आदि • लट्टू, पट्टा, खट्टा, दुपट्टा, पट्टी , टट्टी, छुट्टी, मुट्ठी, सट्टा आदि • गुड्डा, गुड्डू, गुड्डन, गुड्डी, लड्डू आदि • कुत्ता, पत्ती, सत्ता, भत्ता, गत्ता, गुणवत्ता आदि • कद्दू, मुद्दा, रद्दी, भद्दा, आदि • पन्ना, नन्ना, गन्ना, अन्ना,अन्न, विभिन्न, संपन्न आदि • गप्पू, पप्पू, छप्पन, पप्पी, गप्पी, झप्पी आदि • बब्बन ,बब्बर आदि • चम्मच, अम्मा, मम्मी, धम्म आदि यदि आपको कोई और शब्द याद है तो आप हमें नीचे comment करके बताएं हम उसे इस लिस्ट में जरूर जोड़ेंगे। अक्सर लोग द्वित्व व्यंजन और संयुक्त व्यंजन में क्या अंतर है? • द्वित्व व्यंजन दो समान व्यंजनों के मिलने से बनता है जबकि संयुक्त व्यंजन दो असमान व्यंजनों के मिलने से बनता है • द्वित्व व्यंजन में व्यंजनों का मूलरूप नहीं बदलता जबकि संयुक्त व्यंजन में जुड़ने वाले व्यंजनों का मूलरूप बदल जाता है • द्वित्व व्यंजन में व्यंजनों को अलग-अलग देख सकते हैं जबकि संयुक्त व्यंजन में दोनों व्यंजनों का जुड़ाव नहीं दिखता •...

शब्द विचार

शब्द विचार | Shabd Vichar शब्द विचार | परिभाषा | शब्द Shabd एक या एक से अधिक वर्णों से बने सार्थक ध्वनि-समूह को शब्द कहते है। शब्द Shabd के भेद शब्द की उत्पत्ति या स्रोत, रचना या बनावट, प्रयोग तथा अर्थ के आधार पर शब्दों के निम्न भेद किये जाते हैं- उत्पत्ति के आधार पर शब्द उत्पत्ति एवं स्रोत के आधार पर हिन्दी भाषा में शब्दों को निम्न चार उपभेदों में बाँटा गया है तत्सम शब्द तत् अर्थात उसके , सम अर्थात समान अर्थात अपनी मूल भाषा के समान प्रयुक्त होने वाले शब्द। किसी भाषा में प्रयुक्त उसकी मूल भाषा के शब्दों को तत्सम शब्द कहते हैं। हिन्दी की मूल भाषा संस्कृत है अतः संस्कृत के वे शब्द, जो हिन्दी में ज्यों के त्यों प्रयुक्त होते हैं, उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं। जैसे- अक्षि, अर्पण, हरिद्रा, उत्तर, घृत, सूर्य, क्षेत्र। शब्द विचार Shabd Vichar तद्भव शब्द तद् अर्थात उसके , भव अर्थात (समान) भाव देने वाला अर्थात संस्कृत के वे शब्द जिनका हिन्दी में रूप परिवर्तित हो गया हो, परंतु अर्थ वही रहे, तद्भव शब्द कहलाते हैं। जैसे – अक्षि से आँख, सूर्य से सूरज, हरिद्रा से हल्दी, घृत से घी आदि बने शब्द तद्भव शब्द कहलाते हैं। देशज शब्द किसी भाषा में प्रचलित वे शब्द, जो क्षेत्रीय जनता द्वारा आवश्यकतानुसार गढ लिए जाते है, देशज शब्द कहलाते हैं। अर्थात् भाषा के अपने शब्दों को देशज शब्द कहते हैं। साथ ही वे शब्द भी देशज शब्दों की श्रेणी में आते हैं जिनके सोत का कोई पता नहीं है तथा हिन्दी में संस्कृतेतर भारतीय भाषाओं से आ गये हैं- (अ) अपनी गढंत से बने शब्द (आ) द्रविड़ जातियों की भाषाओं से आये देशज शब्द (इ) कोल, भील, संस्थाल आदि जातियों की भाषा से आये शब्द विदेशी शब्द राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक एवं सांस्कृति...

शब्दकोश किसे कहते है

उस ग्रंथ को शब्दकोष कहते हैं जिसमें शब्दों को यों ही अथवा अर्थसहित किसी क्रमविशेष में सुनियोजित कर दिया गया हो । वैदिक काल में शब्दकोश के स्थान पर ‘निघण्टु‘ नाम चलता था । उस समय का केवल एक निघण्टु प्राप्त है जिस पर यास्क ने निरुक्त लिखा है । निघण्टु को वैदिक शब्दकोश कहते हैं । वैदिककाल से अब तक भारत में अनेक कोों का निर्माण हुआ । अंग्रेजी में कोश- निर्माण का प्रारम्भ 16वीं शदी के उत्तरार्ध से हुआ। अब तो कोश विज्ञान नाम से भाषाविज्ञान की एक स्वतंत्र शाखा का विकास हो गया है । (1) वर्णनात्मक पद्धति– इसमें किसी भाषा के एक काल में प्रयुक्त सम्पूर्ण शब्दों का संकलन कर उन्हें अकारादिक्रम से रखा जाता है । साथ ही प्रत्येक शब्द के सामने उसके कई अर्थ दे दिये जाते हैं । इस पद्धति पर बने हुए कोश इस प्रकार हैं- रामचन्द्र वर्मा द्वारा सम्पादित ‘मानक-हिन्दी-कोश‘ और ‘प्रामाणिक-हिन्दी-कोश‘ आदि। वस्तुतः इस पद्धति के अन्तर्गत प्रचलन के आधार पर शब्दों के अर्थ दिये जाते हैं अर्थात् सबसे पहले अधिक प्रचलित अर्थ, फिर कम प्रचलित अर्थ दिये जाते हैं। (3) शब्द निर्णय- इसमें कई समस्याएँ खड$ी होती हैं । जैसे-एक मूल शब्द से अनेक शब्द बमे हैं । ऐसे शब्दों को मूल शब्द के साथ रखा जाय अथवा अलग रूप से । ऐसे ही बहुत से श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द हैं जिनके अलग-अलग अथवा एक साथ लिखने की समस्या भी होती है। जैसे-आम के दो अर्थ हैं-(1) एक फल-विशेष अर्थात् रसाल, (2) सामान्य । इसका क्रम इस प्रकार रहेगा- (क) वर्णानुक्रम, (ख) अक्षरक्रम, (ग) विषयक्रम, (घ) व्युत्पत्तिक्रम । वर्णानुक्रम सर्वाधिक प्रचलित है। किसी भाषा की वर्णमाला के क्रम के आधार पर शब्दकोश में शब्दों का स्थान निर्धारित करना वर्णानुक्रम या अकारादिक्रम कहलाता है ...

shabd vichar kise kehte hai

shabd vichar kise kehte hai | शब्द विचार किसे कहते है shabd vichar kise kehte hai: आज के इस लेख में हम आपको शब्द विचार (shabd vichar kise kahate hain) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने वाले है। हिंदी व्याकरण का एक मत्वपूर्ण अंगो में से एक होता है शब्द और यह लेख उसी के बारे में। शब्द विचार से जुड़े प्रश्न अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओ में पूछे जाते है।shabd vichar in hindi, shabd vichar ki paribhasha, shabad vichar, shabd vichar kise kehte hai, shabd vichar class 8, shabd vichar class 7. शब्द विचार की परिभाषा शब्द विचार - हिंदी का वह भाग जिसमे शब्द का शुद्ध उच्चारण और लेखन की विवचेना की जाती है उसे शब्द विचार कहते है। जिस तरह से वर्ण विचार है उसी प्रकार से शब्द विचार भी हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण अंग है। शब्द की परिभाषा एक या एक से अधिक वर्णो का स्वतंत्र एवं सार्थक योग शब्द कहलाता है। भाषा की सबसे छोटी इकाई शब्द होती है। जब अलग अलग शब्दों को एक साथ जोड़ा जाता है तो वह पद कहलाता है। जैसे:- राम, श्याम, लड़का, लड़की, यमुना, वह, इत्यादि। शब्द विचार के भेद या वर्गीकरण 01. व्युत्पत्ति / रचना के आधार पर शब्द के प्रकार शब्द की रचना के आधार पर शब्द के तीन भेद होते है • रूढ़ शब्द • यौगिक शब्द • योगरूढ़ शब्द रूढ़ शब्द किसे कहते है परिभाषा: ऐसे शब्द जिनके खंड नहीं किये जा सकते उन्हें रूढ़ शब्द कहते है। ये शब्द किसी अन्य शब्द के योग से नहीं बनते है। रूढ़ शब्द को मूल शब्द भी कहते है। जैसे:- नदी, गाय, दिन, आकाश, कान, दूध, घर आदि। यौगिक शब्द किसे कहते है परिभाषा: ऐसे शब्द जिनके टुकड़े किये जा सकते उन्हें यौगिक शब्द कहते है। एक या एक से अधिक रूढ़ शब्द के योग से योगिक शब्दों को बनाया जाता है। यौगि...

द्वित्व व्यंजन व द्वित्व व्यंजन के शब्द

द्वित्व व्यंजन की परिभाषा – जब दो समान व्यंजन एक साथ प्रयोग में लाए जाते हैं तो उसे द्वित्व व्यंजन कहते हैं। इसमें पहला व्यंजन द्वित्व व्यंजन के उदाहरण – मक्का, पक्का, बच्चा, बिल्ली, चम्मच, पत्ता, सज्जा, लज्जा, गप्पू,रस्सी, खट्टा, कद्दू, गुड्डू, पट्टी, मिट्टी आदि। कभी-कभी जब दो समान व्यंजन आपस में जुड़ते हैं तो उनमें एक हलंत (्) भी लग जाता है। जैसे उपर्युक्त उदाहरण में कद्दू, गुड्डू आदि हैं । यहां पर कुछ द्वित्व व्यंजन से बनने वाले शब्द • चक्की, झक्की , पक्का, मक्का, चक्का, धक्का, मुक्का, टिक्की, शक्कर, चक्कर, टक्कर, ढक्कन आदि। • दुबग्गा, घग्गर आदि • कच्चा, बच्चा, सच्चा, गच्चा, जच्चा, लुच्चा आदि • सज्जन, उज्जैन ,रज्जू, लज्जा आदि • लट्टू, पट्टा, खट्टा, दुपट्टा, पट्टी , टट्टी, छुट्टी, मुट्ठी, सट्टा आदि • गुड्डा, गुड्डू, गुड्डन, गुड्डी, लड्डू आदि • कुत्ता, पत्ती, सत्ता, भत्ता, गत्ता, गुणवत्ता आदि • कद्दू, मुद्दा, रद्दी, भद्दा, आदि • पन्ना, नन्ना, गन्ना, अन्ना,अन्न, विभिन्न, संपन्न आदि • गप्पू, पप्पू, छप्पन, पप्पी, गप्पी, झप्पी आदि • बब्बन ,बब्बर आदि • चम्मच, अम्मा, मम्मी, धम्म आदि यदि आपको कोई और शब्द याद है तो आप हमें नीचे comment करके बताएं हम उसे इस लिस्ट में जरूर जोड़ेंगे। अक्सर लोग द्वित्व व्यंजन और संयुक्त व्यंजन में क्या अंतर है? • द्वित्व व्यंजन दो समान व्यंजनों के मिलने से बनता है जबकि संयुक्त व्यंजन दो असमान व्यंजनों के मिलने से बनता है • द्वित्व व्यंजन में व्यंजनों का मूलरूप नहीं बदलता जबकि संयुक्त व्यंजन में जुड़ने वाले व्यंजनों का मूलरूप बदल जाता है • द्वित्व व्यंजन में व्यंजनों को अलग-अलग देख सकते हैं जबकि संयुक्त व्यंजन में दोनों व्यंजनों का जुड़ाव नहीं दिखता •...

शब्द विचार

शब्द विचार | Shabd Vichar शब्द विचार | परिभाषा | शब्द Shabd एक या एक से अधिक वर्णों से बने सार्थक ध्वनि-समूह को शब्द कहते है। शब्द Shabd के भेद शब्द की उत्पत्ति या स्रोत, रचना या बनावट, प्रयोग तथा अर्थ के आधार पर शब्दों के निम्न भेद किये जाते हैं- उत्पत्ति के आधार पर शब्द उत्पत्ति एवं स्रोत के आधार पर हिन्दी भाषा में शब्दों को निम्न चार उपभेदों में बाँटा गया है तत्सम शब्द तत् अर्थात उसके , सम अर्थात समान अर्थात अपनी मूल भाषा के समान प्रयुक्त होने वाले शब्द। किसी भाषा में प्रयुक्त उसकी मूल भाषा के शब्दों को तत्सम शब्द कहते हैं। हिन्दी की मूल भाषा संस्कृत है अतः संस्कृत के वे शब्द, जो हिन्दी में ज्यों के त्यों प्रयुक्त होते हैं, उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं। जैसे- अक्षि, अर्पण, हरिद्रा, उत्तर, घृत, सूर्य, क्षेत्र। शब्द विचार Shabd Vichar तद्भव शब्द तद् अर्थात उसके , भव अर्थात (समान) भाव देने वाला अर्थात संस्कृत के वे शब्द जिनका हिन्दी में रूप परिवर्तित हो गया हो, परंतु अर्थ वही रहे, तद्भव शब्द कहलाते हैं। जैसे – अक्षि से आँख, सूर्य से सूरज, हरिद्रा से हल्दी, घृत से घी आदि बने शब्द तद्भव शब्द कहलाते हैं। देशज शब्द किसी भाषा में प्रचलित वे शब्द, जो क्षेत्रीय जनता द्वारा आवश्यकतानुसार गढ लिए जाते है, देशज शब्द कहलाते हैं। अर्थात् भाषा के अपने शब्दों को देशज शब्द कहते हैं। साथ ही वे शब्द भी देशज शब्दों की श्रेणी में आते हैं जिनके सोत का कोई पता नहीं है तथा हिन्दी में संस्कृतेतर भारतीय भाषाओं से आ गये हैं- (अ) अपनी गढंत से बने शब्द (आ) द्रविड़ जातियों की भाषाओं से आये देशज शब्द (इ) कोल, भील, संस्थाल आदि जातियों की भाषा से आये शब्द विदेशी शब्द राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक एवं सांस्कृति...

शब्दकोश किसे कहते है

उस ग्रंथ को शब्दकोष कहते हैं जिसमें शब्दों को यों ही अथवा अर्थसहित किसी क्रमविशेष में सुनियोजित कर दिया गया हो । वैदिक काल में शब्दकोश के स्थान पर ‘निघण्टु‘ नाम चलता था । उस समय का केवल एक निघण्टु प्राप्त है जिस पर यास्क ने निरुक्त लिखा है । निघण्टु को वैदिक शब्दकोश कहते हैं । वैदिककाल से अब तक भारत में अनेक कोों का निर्माण हुआ । अंग्रेजी में कोश- निर्माण का प्रारम्भ 16वीं शदी के उत्तरार्ध से हुआ। अब तो कोश विज्ञान नाम से भाषाविज्ञान की एक स्वतंत्र शाखा का विकास हो गया है । (1) वर्णनात्मक पद्धति– इसमें किसी भाषा के एक काल में प्रयुक्त सम्पूर्ण शब्दों का संकलन कर उन्हें अकारादिक्रम से रखा जाता है । साथ ही प्रत्येक शब्द के सामने उसके कई अर्थ दे दिये जाते हैं । इस पद्धति पर बने हुए कोश इस प्रकार हैं- रामचन्द्र वर्मा द्वारा सम्पादित ‘मानक-हिन्दी-कोश‘ और ‘प्रामाणिक-हिन्दी-कोश‘ आदि। वस्तुतः इस पद्धति के अन्तर्गत प्रचलन के आधार पर शब्दों के अर्थ दिये जाते हैं अर्थात् सबसे पहले अधिक प्रचलित अर्थ, फिर कम प्रचलित अर्थ दिये जाते हैं। (3) शब्द निर्णय- इसमें कई समस्याएँ खड$ी होती हैं । जैसे-एक मूल शब्द से अनेक शब्द बमे हैं । ऐसे शब्दों को मूल शब्द के साथ रखा जाय अथवा अलग रूप से । ऐसे ही बहुत से श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द हैं जिनके अलग-अलग अथवा एक साथ लिखने की समस्या भी होती है। जैसे-आम के दो अर्थ हैं-(1) एक फल-विशेष अर्थात् रसाल, (2) सामान्य । इसका क्रम इस प्रकार रहेगा- (क) वर्णानुक्रम, (ख) अक्षरक्रम, (ग) विषयक्रम, (घ) व्युत्पत्तिक्रम । वर्णानुक्रम सर्वाधिक प्रचलित है। किसी भाषा की वर्णमाला के क्रम के आधार पर शब्दकोश में शब्दों का स्थान निर्धारित करना वर्णानुक्रम या अकारादिक्रम कहलाता है ...