शिक्षा का उद्देश्य निबंध

  1. शिक्षा का उद्देश्य पर निबंध (Shiksha ka Uddeshya Essay in Hindi) – HistoryDekho.com
  2. शिक्षा पर निबंध Education Essay in Hindi (1000+ Words)
  3. शिक्षा पर निबंध, लेख
  4. शिक्षा का उद्देश्य एवं आदर्श
  5. शिक्षा का उद्देश्य निबंध के लेखक कौन है?
  6. शिक्षा के उद्देश्य
  7. शिक्षा का उद्देश्य तथा वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर निबंध
  8. शिक्षा का उद्देश्य पर निबंध


Download: शिक्षा का उद्देश्य निबंध
Size: 29.46 MB

शिक्षा का उद्देश्य पर निबंध (Shiksha ka Uddeshya Essay in Hindi) – HistoryDekho.com

प्रस्तावना एक मनुष्य को ज्ञान हासिल करने के लिए उसकी शिक्षा का होना अनिवार्य है। आधुनिक सभ्यता शिक्षा के द्वारा ही ज्ञान हासिल कर सकते हैं। शिक्षा के बग़ैर ज्ञान की कल्पना करना भी असम्भव है। इसलिए शिक्षा का लक्ष्य सांस्कृतिक ज्ञान की प्राप्ति होना चाहिए, जिससे मनुष्य सभ्य, शिष्ट, शांति, साहित्य, संगीत और कला जैसे चीजों के विकास में बढ़ोतरी कर सके। शिक्षा से ही ज्ञान शिक्षा से अपने ज़िन्दगी को एक महत्व देकर जीवन के लक्ष्य को ऊँचा उठा सके। इसके साथ ही आने वाले दौर को सांस्कृतिक धरोहर दे सके।एक व्यवसाय के लिए शिक्षा का अर्थ है, जीवन का सही से निर्वाह करना। इसका मतलब यह है कि शिक्षा में इतनी कौशल औऱ ताकत होनी चाहिए कि, वह एक शिक्षित व्यक्ति के रोजमर्रा के खाने की गारण्टी ले सके। गांधीजी के अर्थ में, सच्ची शिक्षा बेरोजगारी के खिलाफ बीमे के तौर पर होनी चाहिए। शिक्षा से कुशलता ज़िन्दगी जीने का कौशल इंसान की शिक्षा के ऊपर निर्भर करता है। शिक्षा से चार तरह के उद्देशय की प्राप्ति होती है, जिनमे है -ज्ञान, संस्कृति, व्यवहार औऱ व्यवसाय। इन सब के बगैर जीवन संभव नहीं है। पूरी मानवता के लिए शिक्षा यह कार्य करेगी कि, उनके जीवन की मुश्किलें और दु:ख, दर्द, विपत्ति में ज़िन्दगी को सुखमय बनाने की कौशल और योग्यता दें। हर क्षेत्र की सफलता ज्ञान से इस पूरे संसार के लिए शिक्षा का एक बहुत बड़ा योगदान है। जब से मानव सभ्यता में वृद्धि हुई है, देश अपने शिक्षा के क्षेत्र में सफलता के लिए प्रसिद्ध है। देश के संस्कृति ने दुनिया का हमेशा मार्ग दर्शन किया और आज भी समाज का यह नियम है। शिक्षा व्यक्ति के सुंदर भविष्य के लिए ज़रूरी और एक अहम हिस्सा है। शीक्षा के बग़ैर उज्जवल भविष्य की कल्पना भी करना असंभव है। आज के स...

शिक्षा पर निबंध Education Essay in Hindi (1000+ Words)

आज के इस आर्टिकल में हमने शिक्षा पर निबंध (Education Essay in Hindi) लिखा हैं जिसमे हमने प्रस्तावना, परिभाषा, उद्देश्य, महत्व, अधिकार, समस्याएं, और शिक्षा के वर्तमान स्थिति के बारे में बताया है। यह निबंध 1000+ शब्दों मे स्कूल और कॉलेज के बच्चों के लिए लिखा गया है। Table of Contents • • • • • • • • • • • • प्रस्तावना Introduction शिक्षा हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण है। शिक्षा के बिना हम कोई भी काम अच्छे से नहीं कर सकते हैं शिक्षा हमारे जीवन के हर क्षेत्र में काम आता है। तो चलिए हम जानते हैं कि शिक्षा हमारे जीवन में महत्वपूर्ण क्यों है और यह हमारे जीवन के हर क्षेत्र में हमें किस प्रकार से मदद करता है? आज के बच्चे ही कल का भव...

शिक्षा पर निबंध, लेख

By Jan 16, 2020 शिक्षा (Education) स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालययाअन्यशैक्षणिकसंस्थानोंमेंकिसीभीचीज़केबारेमेंसीखने, ज्ञान, कौशलऔरसमझकोबेहतरबनानेकीव्यवस्थितप्रक्रियाहैजोहमेंएकज्ञानवर्धकअनुभवदेतीहै। शिक्षापरनिबंध (100 शब्द) शिक्षाहमारेआसपासकीचीजोंकोसीखनेकाकार्यहै।यहहमेंकिसीभीसमस्याकोआसानीसेसमझनेऔरउससेनिपटनेमेंमददकरताहैऔरपूरेजीवनमेंहरपहलूमेंसंतुलनबनाताहै।शिक्षाहरइंसानकापहलाऔरमहत्वपूर्णअधिकारहै।शिक्षाकेबिनाहमअधूरेहैंऔरहमाराजीवनबेकारहै।शिक्षाहमेंएकलक्ष्यनिर्धारितकरनेऔरजीवनभरउसपरकामकरकेआगेबढ़नेमेंमददकरतीहै। यहहमारेज्ञान, कौशल, आत्मविश्वासस्तरऔरव्यक्तित्वमेंसुधारकरताहै।यहहमारेजीवनमेंदूसरोंकेसाथबातचीतकरनेकेलिएहमेंबौद्धिकरूपसेसशक्तबनाताहै।शिक्षापरिपक्वतालातीहैऔरहमेंबदलतेपरिवेशकेसाथसमाजमेंरहनासिखातीहै।यहसामाजिकविकास, आर्थिकविकासऔरतकनीकीविकासकातरीकाहै। शिक्षापरनिबंध (150 शब्द) व्यक्तित्वनिर्माण, ज्ञानऔरकौशलमेंसुधारऔरव्यक्तिकीभलाईकीभावनाप्रदानकरकेशिक्षासभीकेजीवनमेंएकमहानभूमिकानिभातीहै।हमारेदेशमेंप्राथमिकशिक्षा, माध्यमिकशिक्षाऔरउच्चतरमाध्यमिकशिक्षाकेरूपमेंशिक्षाकोतीनश्रेणियोंमेंविभाजितकियागयाहै। यहहमारेविश्लेषणात्मककौशल, चरित्रऔरसमग्रव्यक्तित्वकोविकसितकरताहै।शिक्षाव्यक्तिकेजीवनकाउद्देश्यसुनिश्चितकरकेउसकेवर्तमानऔरभविष्यकापोषणकरनेमेंमददकरतीहै।शिक्षाकीगुणवत्ताऔरमहत्वदिन-प्रतिदिनबढ़ताजारहाहै। प्रत्येकबच्चेकोअपनीउचितउम्रमेंस्कूलजानाचाहिएक्योंकिसभीकोजन्मसेशिक्षाकासमानअधिकारहै।किसीभीदेशकीवृद्धिऔरविकासस्कूलोंऔरकॉलेजोंमेंयुवालोगोंकेलिएनिर्धारितशिक्षाप्रणालीकीगुणवत्तापरनिर्भरकरताहै।हालाँकि, देशकेहरक्षेत्रमेंशिक्षाप्रणालीसमाननहींहै, इसलिएलोगोंऔरसमाजकाउचितविकासऔरविकासविशेषक्षेत्रकीकमजोरऔरमजबूतशिक्षा...

शिक्षा का उद्देश्य एवं आदर्श

वैदिक कालीन शिक्षा का अर्थ अत्यधिक व्यापक था। वह शिक्षा जीवन से संबंधित थी और व्यक्ति को सभ्य तथा उन्नत बनाने में सहायक मानी जाती थी। विद्या के अभाव में व्यक्ति केवल पशु मात्र ही रह जाता है। शिक्षा के उद्देश्य और आदर्श महान थे। धार्मिकता के अतिरिक्त चरित्र का निर्माण , व्यक्ति का सर्वांगीण विकास नागरिक और सामाजिक कर्तव्यों पर बल सामाजिक सुख और कौशल की उन्नति तथा राष्ट्रीय संस्कृति का संरक्षण और प्रसार। • समय के साथ-साथ शिक्षा के उद्देश्यों में भी परिवर्तन होता रहा वैदिक काल में जहां शिक्षा अध्यात्म , संगीत, वेद उपनिषद, राजनीति, रणकौशल, आदि पर आधारित हुआ करती थी। • मध्यकाल में शिक्षा का उद्देश्य धर्म के प्रचार – प्रसार के लिए हो गया। • आधुनिक काल में शिक्षा का उद्देश्य पुनः बालक के सर्वांगीण विकास पर आधारित हो गया। इस शिक्षा में बालक के मस्तिष्क के विकास की ही नहीं अपितु उसके शारीरिक विकास पर भी ध्यान दिया जाता है। आधुनिक पाठ्यक्रम में बालक के हर एक रूचि को ध्यान में रखा जाता है अथवा उसके सर्वांगीण विकास पर विशेष बल दिया जाता है। शिक्षा का उद्देश्य – वैदिक कालीन मध्यकालीन आधुनिक शिक्षा पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी आत्मकथा में एक स्थल पर स्पष्ट रूप से इस तथ्य का उल्लेख किया है कि ” भारतीय संस्कृति का उद्देश्य ज्ञान की खोज है इसी दृष्टि से यही प्राचीन भारतीयों ने शिक्षा प्रणाली का विकास किया था। भारतीयों के लिए ज्ञान शब्द का कोई सीमित अर्थ नहीं था। शिक्षा के द्वारा वे केवल सांसारिक ज्ञान की ही नहीं अपितु परलोक संबंधी ज्ञान को भी प्राप्त करने का प्रयत्न करते थे। ” भारतीय संस्कृति में प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में चार लक्ष्य माने गए हैं जिन्हें पुरुषार्थ की संज्ञा दी जाती है – ध...

शिक्षा का उद्देश्य निबंध के लेखक कौन है?

Explanation : शिक्षा का उद्देश्य निबंध के लेखक डॉ. संपूर्णानंद है। इनका जन्म 1890 ई. में काशी के एक संभ्रात कायस्थ परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम विजयानंद था। संपूर्णानंद ने वाराणसी से बी.एस-सी. तथा इलाहाबाद से एल.टी. की परीक्षाएं उत्तीर्ण कीं। इन्होंने सर्वप्रथम प्रेम विद्यालय, वृन्दावन में अध्यापक तथा बाद में डूंगर कॉलेज, डूंगर में प्रधानाचार्य के पद पर कार्य किया। सन् 1921 ई. में ये राष्ट्रीय आंदोलन से प्रेरित होकर काशी में ‘ज्ञानमंडल’ में कार्य करने लगे। इन्होंने हिंदी की ‘मर्यादा’ मासिक पत्रिका तथा ‘टुडे’ अंग्रेजी दैनिक का संपादन किया और काशी नागरी प्रचारिणी सभा के अध्यक्ष तथा संरक्षक भी रहे। वाराणसी में स्थित सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय इनकी ही देन है। Tags :

शिक्षा के उद्देश्य

aims of education in hindi | शिक्षा के उद्देश्य | शिक्षा के क्या उद्देश्य हैं Tags – शिक्षा के उद्देश्य लिखिए,शिक्षा के उद्देश्यों का वर्गीकरण,aims of education,शिक्षा के अलग-अलग उद्देश्य,शिक्षा के विभिन्न उद्देश्य,शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य क्या है,शिक्षा के उद्देश्य कौन-कौन से हैं,शिक्षा के उद्देश्य का वर्णन बताओ,शिक्षा के व्यक्तिगत उद्देश्य,शिक्षा के उद्देश्य हिंदी में,शिक्षा के उद्देश्य | aims of education in hindi | शिक्षा के क्या उद्देश्य हैं,aims of education in hindi, शिक्षा के उद्देश्य / Aims of Education प्रत्येक प्रक्रिया को संचालित करने के लिये कुछ विशिष्ट उद्देश्य निर्धारित करने पड़ते हैं। शिक्षा भी एक प्रक्रिया है। अत: इसके भी कुछ निश्चित उद्देश्य अवश्य होने चाहिये। शिक्षा ही व्यक्तिगत एवं सामाजिक विकास की एक सार्थक प्रक्रिया है। अत: शिक्षाविदों ने शिक्षा के अलग-अलग उद्देश्यों एवं कार्यों को सुझाया है। ये उद्देश्य देश, काल एवं परिस्थिति के अनुसार बदलते रहते हैं। इनका निर्धारण समय विशेष की आवश्यकता और शिक्षा की उपयोगिता के आधार पर होता है। (i) चरित्र निर्माण एवं विकास का उद्देश्य (ii) शारीरिक विकास का उद्देश्य (iii) ज्ञान संबंधी उद्देश्य (iv) जीवकोपार्जन का उद्देश्य (v) सांस्कृतिक विकास का उद्देश्य (vi) आध्यात्मिक विकास का उद्देश्य (vii) संतुलित विकास का उद्देश्य (viii) नागरिकता का उद्देश्य (ix) अनुकूलन अथवा समायोजन का उद्देश्य (x) आत्माभिव्यक्ति का उद्देश्य (xi) आत्मानुभूति का उद्देश्य (xii) अवकाश के उपयोग का उद्देश्य (2) शिक्षा के वैयक्तिक उद्देश्य (3) शिक्षा के सामाजिक उद्देश्य शिक्षा के सामान्य उद्देश्य /general Aims of Education शिक्षा हमारे जीवन के लिये आ...

शिक्षा का उद्देश्य तथा वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर निबंध

शिक्षा का उद्देश्य तथा वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर निबंध : जन्‍म को मानवीय रूप देने के लिए शिक्षा की जरूरत पड़ती है। शिक्षा जीने की कला सिखाती है। शिक्षा चुनाव करने की कला सिखाती है। युग्‍मों पर आधारित जीवन के अवसरों को शिक्षा विवेक संगत बनाती है। आधुनिक शिक्षा प्राणाली की एक कमी यह है कि यह स्‍मृति पर आधारित शिक्षा है। जबकि इसे बोधगम्‍य शिक्षा होना चाहिए। इसमें विद्यार्थी के अनुभव, उसके बेहद मामूली सवाल और उसकी कल्‍पानाओं को शामिल किया जाय। अधुनिक शिक्षा व्‍यवस्‍था में‘शिक्षक’ की अवधारणा है। जबकि पहले गुरू की अवधारणा थी। गुरू का शिक्षा, व्‍यवसाय नहीं था। गुरू होने का एक अपना अर्थ और आनंद था। हमारी सम्‍पूर्ण शिक्षा व्‍यवस्‍था उत्‍तर पर निर्भर है। प्रश्‍न निर्भर नहीं। यह व्‍यवस्‍था उत्‍तर को मूल्‍य के रूप में स्‍थापित करती है। जबकि शिक्षा की बुनियादी चुनौती प्रश्‍न पैदा करना है। प्रश्‍न करने से चेतना का विकास होता है और व्‍यक्‍तित्‍व का रूपान्‍तरण होता है। जबकि उत्‍तर चेतना में संतोष पैदा करता है। ऐसी शिक्षा व्‍यवस्‍था में डिग्रीधारी मानवी ढांचों का उत्‍पादन होता है, चैतन्‍य मनुष्‍य का नहीं। आधुनिक शिक्षा प्राणाली की एक कमी यह है कि यह स्‍मृति पर आधारित शिक्षा है। जबकि इसे बोधगम्‍य शिक्षा होना चाहिए। स्‍मृति अतीत से सम्‍बन्धित है जबकि बोध [sense] भाविष्‍य से। स्‍मृति सूचनाओं का संग्रह है जो जीवन के पूर्व निर्धारित निर्णयों और निष्‍कर्षों पर आधारित है। जबकि बोधगम्‍यता शिक्षा इस चेतना से सम्‍बन्धित है जो अनजान और अज्ञात है। यह शिक्षा पद्धति सिर्फ पंडित बना सकती है, ज्ञानी नहीं। ज्ञान अस्तित्‍व के केन्‍द्र से फूटता है। अज्ञान और उसको प्रकट करने के आत्‍म संघर्ष से ज्ञान का उदय हो...

शिक्षा का उद्देश्य पर निबंध

शिक्षा पर निबंध -शिक्षा के उद्देश्य पर निबंध - शिक्षा का अर्थ - शिक्षा का उद्देश्य क्या है - ज्ञान और संस्कृति - चरित्र-निर्माण - व्यवसाय और रोजगार - जीने की कला सीखना - व्यक्तित्व विकास - Siksha ka uddeshya - Aim of education essay in Hindi - Aim of Education in hindi - Shiksha par nibandh रूपरेखा : प्रस्तावना - शिक्षा क्या है - ज्ञान और संस्कृति - चरित्र-निर्माण - व्यवसाय और रोजगार - जीने की कला सीखना - व्यक्तित्व विकास - उपसंहार। प्रस्तावना / शिक्षा / शिक्षा का उद्देश्य - हमारे जीवन में शिक्षा का एक अहम योगदान है। जब से मानव सभ्यता का विकास हुआ है तभी से भारत अपनी शिक्षा के लिए प्रसिद्द है। भारतीय संस्कृत ने विश्व का सदैव पथ-प्रदर्शन किया और आज भी समाज में जीवित है। शिक्षा हम सभी के उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक और एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। मनुष्य जन्म से ही सुख और शांति जीवन जीने का प्रयास करता है। किसी भी व्यक्ति की उन्नति और विकास के लिए उचित शिक्षा मिलना आवश्यक है। क्योंकि शिक्षा के बिना उज्जवल भविष्य संभव नहीं है। वर्तमान समय में भी महान दार्शनिक एवं शिक्षा शास्त्री इस बात का प्रयास कर रहे हैं की शिक्षा भारत में हर युग में शिक्षा का उद्देश्य अलग-अलग रहा है। शिक्षा क्या है / शिक्षा की परिभाषा / शिक्षा किसे कहते हैं / शिक्षा का अर्थ - 'शिक्षा' शब्द 'शिक्ष्' मूल से भाव में ' अ' तथा “टाप्' प्रत्यय जोड़ने पर बनता है। इसका अर्थ है- सीखना, जानना, अध्ययन तथा ज्ञानाभिग्रहण। शिक्षा क लिए वर्तमान युग में शिक्षण, ज्ञान, विद्या, एजूकेशन (Education) आदि अनेक ऐसे शब्दों का प्रयोग होता है। एजूकेशन (Education) शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के "Educare" शब्द से मानी जाती है। "Educare" शब्द...