शिक्षा पर संस्कृति का प्रमुख प्रभाव क्या है?

  1. भारत में शिक्षा का विकास
  2. क्या आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा का प्रसार उनकी ही संस्कृति के लिए ख़तरा है
  3. शिक्षा पर स्तरीकरण का प्रभाव
  4. प्राचीन भारत में शिक्षा प्रणाली
  5. संस्कृति क्या है? संस्कृति का अर्थ एवं परिभाषा, विशेषताएं
  6. शिक्षा क्षेत्र पर जीएसटी का प्रभाव क्या है? लाभ और प्रभाव के बारे में जानिए
  7. BSEB Solutions for शिक्षा और संस्कृति Class 10 Hindi Matric Godhuli
  8. भारत की संस्कृति


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भारत में शिक्षा का विकास

By Aug 6, 2020 किसीभीदेशकेआर्थिकविकासमेंशिक्षाएकबहुतमहत्वपूर्णकारकहै।स्वतंत्रताकेशुरुआतीदिनोंसेभारतनेहमेशाहमारेदेशमेंसाक्षरतादरमेंसुधारलानेपरध्यानकेंद्रितकियाहै।आजभीसरकारभारतमेंप्राथमिकऔरउच्चशिक्षाकोबढ़ावादेनेकेलिएकईकार्यक्रमचलातीहै। भारतमेंब्रिटिशकालकेदौरानशिक्षाकाविकास शिक्षास्वतंत्रताकेसुनहरेदरवाजेकोखोलनेकेलिएएकशक्तिशालीउपकरणहैजोदुनियाकोबदलसकताहै।अंग्रेजोंकेआगमनकेसाथ, उनकीनीतियोंऔरउपायोंनेसीखनेकेपारंपरिकस्कूलोंकीविरासतकोभंगकरदियाऔरइसकेपरिणामस्वरूपअधीनस्थोंकीएकवर्गबनानेकीआवश्यकताहुई।इसलक्ष्यकोप्राप्तकरनेकेलिए, उन्होंनेशिक्षाप्रणालीकेमाध्यमसेअंग्रेजीरंगकाएकभारतीयकैनवासबनानेकेलिएकईकार्यकिए। प्रारंभमें, ब्रिटिशईस्टइंडियाकंपनीशिक्षाप्रणालीकेविकाससेचिंतितनहींथीक्योंकिउनकामुख्यउद्देश्यव्यापारऔरलाभ-निर्माणथा।भारतमेंशासनकरनेकेलिए, उन्होंने“रक्तऔररंगमेंभारतीयलेकिनस्वादमेंअंग्रेजी”बनानेकेलिएउच्चऔरमध्यमवर्गोंकेएकछोटेसेवर्गकोशिक्षितकरनेकीयोजनाबनाई, जोसरकारऔरजनताकेबीचदुभाषियोंकेरूपमेंकामकरेंगे।इसे“डाउनवर्डनिस्पंदनसिद्धांत”भीकहाजाताथा।भारतमेंशिक्षाकेविकासकेलिएअंग्रेजोंद्वारानिम्नलिखितकदमऔरउपायकिएगएथे। भारतमेंब्रिटिशकालकेदौरानशिक्षाकेकालानुक्रमिकविकासकीचर्चानीचेदीगईहै: 1813 अधिनियमऔरशिक्षा 1. चार्ल्सग्रांटऔरविलियमविल्बरफोर्स, जोमिशनरीकार्यकर्ताथे, नेईस्टइंडियाकंपनीकोअपनीगैर-आविष्कारनीतिकोछोड़नेकेलिएमजबूरकियाऔरपश्चिमीसाहित्यपढ़ानेऔरईसाईधर्मकाप्रचारकरनेकेलिएअंग्रेजीकेमाध्यमसेशिक्षाकाप्रसारकरनेकारास्ताबनाया।इसलिए, ब्रिटिशसंसदने 1813 केचार्टरमेंएकखंडजोड़ाकिगवर्नर-जनरल-इन-काउंसिलशिक्षाकेलिएएकलाखसेकमहैऔरईसाईमिशनरियोंकोभारतमेंअपनेधार्मिकविचारोंकोफैलानेकीअनुमतिदेताहै। 2. अधिनियमकाअपनामहत्वथाक्...

क्या आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा का प्रसार उनकी ही संस्कृति के लिए ख़तरा है

विश्व आदिवासी दिवस: मूल निवासियों की पहचान उनकी अपनी विशेष भाषा और संस्कृति से होती है, लेकिन बीते कुछ समय से ये चलन-सा बनता नज़र आया है कि आदिवासी क्षेत्र के लोग मुख्यधारा की शिक्षा मिलते ही अपनी भाषा, संस्कृति और परंपराओं को हेय दृष्टि से देखने लगते हैं. फोटो साभार: विकीमीडिया कॉमन्स गोंडी भारत की प्राचीनतम भाषाओं में से एक है, जिसे देश के बीचोंबीच बसे ‘गोंडवाना’ क्षेत्र में बोला जाता है. छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा से सटे हुए एक व्यापक इलाके में रहने वाले लाखों-करोड़ों लोगों की ये मातृभाषा आज अपनी आख़िरी सांसें गिन रही है. आज सिर्फ दूर-दराज़ के जंगली क्षेत्रों में बसे गांवों तक ही ये भाषा सिमटकर रह गई है. हालांकि इसे नए सिरे से संजोए रखने का जद्दोजहद भी कुछ हद तक जारी है लेकिन इसके भविष्य पर अभी भी प्रश्नचिह्न लगा हुआ है. मेरा जन्म बस्तर क्षेत्र में एक गोंड परिवार में हुआ है. मैं जैसे-जैसे बड़ी हुई, मैंने अपने ही घर-परिवार और गांव के अंदर गोंडी भाषा का पतन होते हुए देखा है. मेरे परिवार में गोंडी भाषा मेरे माता-पिता की पीढ़ी के साथ ही खत्म होने जा रही है क्योंकि मेरे अलावा मेरे भाई-बहनों में किसी को भी अब गोंडी बोलना नहीं आता. मेरे माता-पिता को गोंडी इसलिए आती थी क्योंकि वे स्कूल नहीं गए थे जहां उन्हें किसी अन्य भाषा में सीखना अनिवार्य कर दिया जाना था. बचपन में हम, यानी मेरे भाई-बहन सब घर में आपस में थोड़ी-बहुत गोंडी बोल लेते थे. लेकिन जैसे-जैसे हम प्राथमिक से माध्यमिक शालाओं में बढ़ते गए, हम अपनी मातृभाषा गोंडी से दूर होते गए और अब हम में से किसी को भी को उसमें सहजता से बोलना भी नहीं आता. अपने अनुभव में मैंने यही देखा कि लोगों में शिक्षा...

शिक्षा पर स्तरीकरण का प्रभाव

Table of Contents • • • • • सामाजिक स्तरीकरण और शिक्षा सामाजिक स्तरीकरण और शिक्षा दोनों सामाजिक प्रक्रियाएँ हैं। (Social stratification and education both are social processes)। ऐसी दशा में दोनों में गहरा सम्बन्ध पाया जाना जरूरी है। शिक्षा पर सामाजिक स्तरीकरण का क्या प्रभाव पड़ता है इस पर हमें पहले ध्यान देना चाहिए। ( i ) शिक्षा पर सामाजिक स्तरीकरण का प्रभाव- शिक्षा एक सामाजिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा समाज के लोगों का विकास होता है। ऐसी दशा में शिक्षा समाज के स्तर के अनुकूल प्रदान की जाती है। उदाहरण के लिए अपने देश में प्राचीन काल के समाज में वैदिक, ब्राह्मणीय एवं बौद्ध शिक्षा दी जाती रही जिस पर धर्म का प्रभाव था। आज विज्ञान एवं तकनीकी ज्ञान का प्रभाव समाज पर जाने से सामाजिक स्तर एवं लोगों में जो परिवर्तन हुआ उसके अनुसार अब हमारा देश भी अन्य लोगों के समान विज्ञान की एवं तकनीकी शिक्षा की ओर मुड़ गया है। इसके फलस्वरूप शिक्षा का सारा पाठ्यक्रम विज्ञान एवं तकनीकी शास्त्र का शिक्षा का केन्द्र बनाने में लगा दिया गया है। धर्म निरपेक्षता से शिक्षा भौतिकवादी दृष्टिकोण से दी जाने लगी है। इसका परिणाम यह हुआ है कि शिक्षा का उद्देश्य भी आर्थिक विकास प्रमुख समझा जाने लगा जिससे समाज के उच्चस्तरीय जीवन को व्यतीत किया जा सके। जीवन की मान्यताएँ, उसके आदर्श एवं मूल्य भी सामाजिक स्तरीकरण के कारण नए हो गए। समाज में ऊँच-नीच की भावना छुआछूत की भावना एवं अलगाव की भावना समाप्त करके सामाजिक सुदृढ़ता (Social solidarity) के लिए सामाजिक एकीकरण (Social Integration) के लिए प्रयत्न किए गए हैं। शिक्षा इस प्रकार से सामाजिक पुनर्संगठन की प्रक्रिया एवं साधन बन गई है। सामाजिक स्तरीकरण के प्रभाव से शिक्षा के ...

प्राचीन भारत में शिक्षा प्रणाली

प्राचीन भारत में शिक्षा प्रणाली | Education System in Ancient India in Hindi. प्राचीन भारतीय सभ्यता विश्व की सर्वाधिक रोचक तथा महत्वपूर्ण सभ्यताओं में एक है । इस सभ्यता के समुचित ज्ञान के लिये इसकी शिक्षा पद्धति का अध्ययन करना आवश्यक है जिसने इस सभ्यता को चार हजार वर्षों से भी अधिक समय तक सुरक्षित रखा, उसका प्रचार-प्रसार किया तथा उसमें संशोधन किया । प्राचीन भारतीयों ने शिक्षा को अत्यधिक महत्व प्रदान किया । भौतिक तथा आध्यात्मिक उत्थान तथा विभिन्न उत्तरदायित्वों के विधिवत् निर्वाह के लिये शिक्षा की महती आवश्यकता को सदा स्वीकार किया गया । वैदिक युग से ही इसे प्रकाश का स्रोत माना गया जो मानव-जीवन के विभिन्न क्षेत्रों को आलोकित करते हुए उसे सही दिशा-निर्देश देता है । सुभाषित रत्नसंदोह में कहा गया है कि ‘ज्ञान मनुष्य का तीसरा नेत्र है जो उसे समस्त तत्वों के मूल को जानने में सहायता करता है तथा सही कार्यों को करने की विधि बताता है ।’ महाभारत में वर्णित है कि विद्या के समान नेत्र तथा सत्य के समान तप कोई दूसरा नहीं है (नास्ति विद्यासमं चक्षुनास्ति सत्यसमं तपः) । ADVERTISEMENTS: इसे मोक्ष का साधन माना गया है (सा विद्या या विमुक्तये) । सुभाषितरत्न भण्डार में कहा गया है कि जीवन की समस्त कठिनाइयों तथा बाधाओं को दूर करने वाले ज्ञान रूपी नेत्र जिसे प्राप्त नहीं है वह वस्तुतः अन्धा है । प्राचीन भारतीयों का यह दृढ़ विश्वास था कि शिक्षा द्वारा प्राप्त एवं विकसित की गयी बुद्धि ही मनुष्य की वास्तविक शक्ति होती है । (बुद्धिर्यस्य बलं तस्य) । विद्या के विविध उपयोग बताये गये हैं । यह ‘माता के समान रक्षा करती है, पिता के समान हितकारी कार्यों में नियोजित करती है, पत्नी के समान दुखों को दूर कर आनन्द ...

संस्कृति क्या है? संस्कृति का अर्थ एवं परिभाषा, विशेषताएं

प्रस्तावना :- मनुष्यएकसामाजिकप्राणीहै।मनुष्यसंस्कृतिकेमाध्यमसेअपनीआवश्यकताओंकीपूर्तिकरताहै।संस्कृतिमेंधर्म, कला, विज्ञान, आस्था, रीति-रिवाज, जीवनशैलीऔरमनुष्यद्वाराबनाईगईसभीचीजेंशामिलहैं।इनचीजोंकोइसकासांस्कृतिकवातावरणकहाजाताहै।भौगोलिकपर्यावरणकेविपरीत, सांस्कृतिकवातावरणमानवनिर्मितहै।प्रत्येकसमाजकीअपनीसामूहिकजीवनशैलीहोतीहै।इसकीकला, विश्वास, ज्ञानआदिएकविशेषप्रकारकेहोतेहैंजिन्हेंहमसामान्यअर्थोंमेंसंस्कृतिकेअंतर्गतरखसकतेहैं।मनुष्यनेअपनीआवश्यकताओंकीपूर्तिकेलिएअनेकसाधनोंकानिर्माणकियाहै। • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • संस्कृतिकाअर्थ :- “संस्कृति”शब्ददोशब्दों–‘सम‘और‘कृति’सेमिलकरबनाहै।‘सम’उपसर्गकाअर्थहै‘अच्छा’और‘कृति’शब्दकाअर्थ‘करना’होताहै।इसअर्थमेंयह“संस्कार”कापर्यायहै।मनुष्यकीआन्तरिकऔरबाह्यक्रियाएंसंस्कारोंकेअनुसारहोतीहैं।संस्कृतिशब्दकीउत्पत्तिसंस्कृतसेहुईप्रतीतहोतीहै। संस्कृतकाअर्थपरिष्कृतहोताहै।इसअर्थमेंसंस्कृतिकातात्पर्यउसतत्वसेहैजोव्यक्तिकोपरिष्कृतकरताहै।कुछविचारकोंकामाननाहैकिसंस्कृतशब्दसंस्कारसेबनाहै, जोशुद्धिकरणकीक्रियाकोसंदर्भितकरताहै।अर्थातसंस्कृतिकेद्वाराव्यक्तिजोजन्मसेजैविकप्राणीहैउसेसामाजिकप्राणीमेंपरिवर्तितकरदियाजाताहै। संस्कृतिसभीभौतिकऔरअभौतिकतथ्योंकीसमग्रताहै, जोएकव्यक्तिको संस्कृतिमेंदिन-ब-दिनपरिवर्तनहोरहाहै।नएव्यवहारों, नएविचारोंऔरनएआविष्कारोंकेआगमनकेसाथयहबढ़ताऔरसमृद्धहोतारहताहै, यहीकारणहैकिसंस्कृतिकभीभीस्थिरनहींरहतीहै।संस्कृतिमेंव्यवस्थाहोतीहै, इससंस्कृतिकेएकतत्वमेंपरिवर्तनहोनास्वाभाविकहैऔरअन्यतत्वोंमेंभीपरिवर्तनहोताहै। अंग्रेजीमें‘culture”शब्दलैटिनशब्द‘colere’सेलियागयाहैजिसकाअर्थहै‘जोतना’याभूमिपरहलचलाना।मध्ययुगीनकालमें, इसशब्दकाउ...

शिक्षा क्षेत्र पर जीएसटी का प्रभाव क्या है? लाभ और प्रभाव के बारे में जानिए

भारत देश में शिक्षा क्षेत्र पर जीएसटी के अंर्गत आने वाले सीजीएसटी अधिनियम में परिभाषित नहीं है, लेकिन पब्लिक एजुकेशन ट्रस्ट में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार, शिक्षा सामान्य स्कूली शिक्षा द्वारा छात्रों के ज्ञान, कौशल और चरित्र के विकास और प्रशिक्षण की प्रक्रिया होती है। शिक्षा किसी भी अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों में से एक है। देश के युवाओं की शिक्षा निर्धारित करती है कि उस देश की अर्थव्यवस्था कैसे विकसित होगी। शिक्षा लोगों की समझ, दृष्टि, रचनात्मकता और उत्पादकता को बढ़ावा देती है जो किसी देश की प्रगति में मदद करती है। भारत में, शिक्षा सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों द्वारा प्रदान की जाती है। तो आज के इस लेख में हम, शिक्षा क्षेत्र पर जीएसटी का प्रभाव क्या है? अथवा इसके होने वाले लाभ और प्रभाव के बारे में जानने की कोशिश करेंगे। इस लेख में हम चर्चा करेंगे : • • • • • • • • • • • • • • भारत सरकार की प्रमुख प्राथमिकता एक और सभी को कम लागत वाली शिक्षा प्रदान करना है। यही कारण है कि शिक्षा क्षेत्र को कर छूट का बहुत अधिक आनंद मिलता है क्योंकि वे कर या नकारात्मक सूची में नहीं आते हैं। जीएसटी के कार्यान्वयन के बाद, कर छूट को बनाए रखने के लिए सेक्टर के लिए एक समान स्थिति जारी रही और सबसे महत्वपूर्ण बात, जीएसटी छूट सूची के तहत छात्रों को प्रदान की जाने वाली शिक्षा या उच्च शिक्षा से संबंधित शैक्षिक सेवाएं और सेवाएं शामिल हैं। जीएसटी प्रस्तावित कानून के अनुसार, शैक्षिक संस्थानों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को माल और सेवा कर (जीएसटी) से बाहर रखा गया है। यहाँ शैक्षिक संस्थानों का अर्थ है: – • प्री-स्कूल शिक्षा और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय या समकक्ष या ऊपर। • किसी भी कानून...

BSEB Solutions for शिक्षा और संस्कृति Class 10 Hindi Matric Godhuli

शिक्षा और संस्कृति - महात्मा गाँधी प्रश्नोत्तर Very Short Questions Answers (अतिलघु उत्तरीय प्रश्न) प्रश्न 1. किनका जन्म-दिन अहिंसा-दिवस के रूप में मनाया जाता है? उत्तर गाँधीजी का जन्म-दिन अहिंसा-दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रश्न 2.गाँधीजीसबसे बढ़िया शिक्षा किसे बनते थे? उत्तर अहिंसक प्रतिरोध को गांधीजी सबसे बढ़िया शिक्षा मानते थे। प्रश्न 3. गाँधीजीसारी शिक्षा कैसे देना चाहते थे? उत्तर गाँधीजी सारी शिक्षा किसी दस्तकारी या उद्योगों के द्वारा देना चाहते थे। प्रश्न 4. गाँधीजी किस भाषा में संसार का ज्ञान प्राप्त करना चाहते थे? उत्तर गाँधीजी अपनी ही देशी भाषा में संसार का ज्ञान प्राप्त करना चाहते थे। प्रश्न 5. भारतीय संस्कृति को गाँधीजी क्या समझाते थे ? उत्तर गाँधीजी की दृष्टि में भारतीय संस्कृति रत्नों से भरी है। प्रश्न 6. कौन-सी संस्कृति जीवित नहीं रहती? उत्तर जो संस्कृति दूसरों का बहिष्कार करने की कोशिश करती है, वह जीवित नहीं रहती। प्रश्न 7. अमरीकी संस्कृति की प्रवृत्ति क्या है ? उत्तर अमरीकी संस्कृति की प्रवृत्ति है बाकी संस्कृतियों को हजम करना, कृत्रिम और जबरदस्ती की एकता कायम करना। जब बच्चों को कोई दस्तकारी सिखाई जाए और जिस क्षण से यह तालीम शुरू करें उसी क्षण उसे उत्पादन का काम करने योग्य बना दिया जाए। ये सारी शिक्षा दस्तकारी या उद्योग के द्वारा दी जाए तो उससे उनके मस्तिष्क और आत्मा का उच्चतम विकास सम्भव है। प्रश्न 5. गाँधीजी कताई और धुनाई जैसे ग्रामोद्योगों द्वारा सामाजिक क्रांति कैसे संभव मानते थे? उत्तर कताई और धुनाई जैसे ग्रामोद्योगों द्वारा प्राथमिक शिक्षा से नगर और ग्राम के संबंधों का एक स्वस्थ्यप्रद नैतिक आधार प्राप्त होगा और समाज की मौजूदा आरक्षित अवस्था और वर...

भारत की संस्कृति

अनुक्रम • 1 भारतीय सभ्यता में संस्कृति के बारे में • 2 भाषा • 3 धर्म • 4 समाज • 4.1 समीक्षा • 4.2 जाति व्यवस्था • 4.3 परिवार • 4.4 पशु • 4.5 परम्परा एवं रीति • 4.6 त्यौहार • 5 भोजन • 6 वस्त्र-धारण • 7 साहित्य • 7.1 इतिहास • 7.2 काव्य • 7.3 महाकाव्य • 8 प्रदर्शनकारी कलाएं • 8.1 संगीत • 8.2 नृत्य • 8.3 नाटक और रंगमंच • 9 दृश्य कला • 9.1 चित्रकारी • 9.2 मूर्तिकला • 9.3 वास्तु शास्त्र • 10 मनोरंजन और खेल • 11 लोकप्रिय मीडिया • 11.1 टेलीविजन • 11.2 सिनेमा • 11.3 रेडियो • 12 दर्शन शास्त्र • 13 सन्दर्भ • 14 इन्हेंभीदेखें • 15 बाहरी कड़ियाँ भारतीय सभ्यता में संस्कृति के बारे में [ ] भारतीय संस्कृति विश्व के इतिहास में कई दृष्टियों से विशेष महत्त्व रखती है। • यह संसार की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है। भारतीय संस्कृति कर्म प्रधान संस्कृति है। • प्राचीनता के साथ इसकी दूसरी विशेषता अमरता है। • उसकी तीसरी विशेषता उसका जगद्गुरु होना है। उसे इस बात का श्रेय प्राप्त है कि उसने न केवल महाद्वीप-सरीखे भारतवर्ष को सभ्यता का पाठ पढ़ाया, अपितु भारत के बाहर बड़े हिस्से की जंगली जातियों को सभ्य बनाया, साइबेरिया के सिंहल ( • सर्वांगीणता, विशालता, उदारता, प्रेम और सहिष्णुता की दृष्टि से अन्य संस्कृतियों की अपेक्षा अग्रणी स्थान रखती है। भाषा [ ] मुख्य लेख: भारत में बोली जाने वाली भाषाओं की बड़ी संख्या ने यहाँ की संस्कृति और पारंपरिक विविधता को बढ़ाया है। 1000 (यदि आप प्रादेशिक बोलियों और प्रादेशिक शब्दों को गिनें तो, जबकि यदि आप उन्हें नहीं गिनते हैं तो ये संख्या घट कर 216 रह जाती है) भाषाएँ ऐसी हैं जिन्हें 10,000 से ज्यादा लोगों के समूह द्वारा बोला जाता है, जबकि कई ऐसी भाषाएँ भी हैं जिन्हें 10...