Shimla samjhota kin do deshon ke bich hua tha

  1. History of india : Shimla samjhota शिमला समझौता
  2. शिमला समझौता
  3. पृथ्वीराज चौहान
  4. शिमला समझौता कब और किन किन के बीच हुआ?


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History of india : Shimla samjhota शिमला समझौता

यह समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच दिसम्बर 1971 में हुई लड़ाई के बाद किया गया था, जिसमें पाकिस्तान के 93000 से अधिक सैनिकों ने अपने लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी के नेतृत्व में भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था और तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान को बंगलादेश के रूप में पाकिस्तानी शासन से मुक्ति प्राप्त हुई थी। यह समझौता करने के लिए पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री ये वही भुट्टो थे, जिन्होंने घास की रोटी खाकर भी भारत से हजार साल तक जंग करने की कसमें खायी थीं। 28 जून से 1 जुलाई तक दोनों पक्षों में कई दौर की वार्ता हुई परन्तु किसी समझौते पर नहीं पहुँच सके। इसके लिए पाकिस्तान की हठधर्मी ही मुख्य रूप से जिम्मेदार थी। तभी अचानक 2 जुलाई को लंच से पहले ही दोनों पक्षों में समझौता हो गया, जबकि भुट्टो को उसी दिन वापस जाना था। इस समझौते पर पाकिस्तान की ओर से बेनजीर भुट्टो और भारत की ओर से इन्दिरा गाँधी ने हस्ताक्षर किये थे। यह समझना कठिन नहीं है कि यह समझौता करने के लिए भारत के ऊपर किसी बड़ी विदेशी ताकत का दबाव था। इस समझौते से भारत को पाकिस्तान के सभी 93000 से अधिक युद्धबंदी छोड़ने पड़े और युद्ध में जीती गयी 5600 वर्ग मील जमीन भी लौटानी पड़े। इसके बदले में भारत को क्या मिला यह कोई नहीं जानता। यहाँ तक कि पाकिस्तान में भारत के जो 54 युद्धबंदी थे, उनको भी भारत वापस नहीं ले सका और वे 41 साल से आज भी अपने देश लौटने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। अपना सब कुछ लेकर पाकिस्तान ने एक थोथा-सा आश्वासन भारत को दिया कि भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर सहित जितने भी विवाद हैं, उनका समाधान आपसी बातचीत से ही किया जाएगा और उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर नहीं उठाया जाएगा। लेकिन इस अकेले आश्वासन का भी पाकिस्तान ने स...

शिमला समझौता

शिमला समझौता – आज़ादी के बाद से इससे पहले 1971 में भारत पर जबरन युद्ध भी थोपा, मगर अफसोस की इस युद्ध में पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी और बुरी तरह हारने के बाद दोनों देशों के बीच 2 जुलाई, 1972 को शिमला में एक संधि हुई थी जिसे शिमला समझौता के नाम से जाना जाता है. शिमला समझौता के लिए भारत की तरफ से इंदिरा गांधी और पाकिस्तान की तरफ से जुल्फिकार अली भुट्टो शामिल थे. युद्ध के बाद दोनों देशों की ओर से रिश्ते में सुधार के लिए 2 जुलाई, 1972 को हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में एक संधि पर हस्ताक्षर किया गया जिसे शिमला समझौता के नाम से जाना जाता है. इस मौके पर 1971 के युद्ध से उत्पन्न हुए मुद्दों पर दोनों देशों के प्रमुख और उच्चस्तरीय अधिकारियों के बीच चर्चा हुई. इसके अलावा युद्ध बंदियों की अदला-बदली, पाकिस्तान द्वारा बांग्लादेश को अलग देश की मान्यता, भारत और पाकिस्तान के राजनयिक संबंधों को सामान्य बनाना, व्यापार फिर से शुरू करना और कश्मीर में नियंत्रण रेखा स्थापित करना जैसे मुद्दों पर भी बातचीत हुई. – दोनों देश सभी विवादों और समस्याओं के शांतिपूर्ण समाधान के लिए सीधी बातचीत करेंगे और कोई मध्यस्थ या तीसरा पक्ष नहीं होगा. – यातायात की सुविधाएं स्थापित की जाएंगी ताकि दोनों देशों के लोग असानी से आ-जा सकें. – जहां तक संभव होगा व्यापार और आर्थिक सहयोग जल्द ही फिर से स्थापित किए जाएंगे. – स्थाई शांति के हित में दोनों सरकारें इस बात के लिए सहमत हुईं कि भारत और पाकिस्तान दोनों की सेनाएं अपने-अपने प्रदेशों में वापस चली जाएंगी. दोनों देशों ने 17 सितंबर, 1971 की युद्ध विराम रेखा को नियंत्रण रेखा के रूप में मान्यता दी और यह तय हुआ कि इस समझौते के बीस दिन के अंदर सेनाएं अपनी-अपनी सीमा से पीछे ...

पृथ्वीराज चौहान

[[chitr:Prithvi-Raj-Chauhan-Statue-Ajmer.jpg| poora nam prithviraj chauhan any nam ray pithaura janm 1149 ee. mrityu tithi san. 1248 pita/mata raja someshvar chauhan, kamaladevi pati/patni rajy sima shasan kal 1178 -1192 ee. sha. avadhi 24 varsh rajyabhishek 1169 ee. mean 20 varsh ki ayu mean rajyabhishek hua. yuddh rajadhani vansh sanbandhit lekh prithviraj ek prithviraj chauhan athava 'prithviraj tritiy' (janm- 1149 - mrityu- 1192 ee.) ko 'ray pithaura' bhi kaha jata hai. vah ajamer ki gaddi jab muijjuddin muhammad multan aur uchchh par adhikar karane ki cheshta kar raha tha, ek chaudah sal ka l daka, prithviraj rajanitik niti prithviraj ne apane samay ke videshi akramanakari gauri aur prithviraj ka yuddh kianvadantiyoan ke anusar gauri ne 18 bar prithviraj par akraman kiya tha, jisamean 17 bar use parajit hona p da. kisi bhi itihasakar ko kianvadantiyoan ke adhar par apana mat banana kathin hota hai. is vishay mean itana nishchit hai ki gauri aur prithviraj mean kam se kam do bhishan yuddh avashyak hue the, jinamean pratham mean prithviraj vijayi aur doosare mean parajit hua tha. ve donoan yuddh tarain yuddh • REDIRECT is prakar prithviraj aur muijjuddin muhammad, do mahattvakaankshi shasakoan ke bich yuddh avashyanbhavi ho gaya. sangharsh tarain ki doosari l daee tarain ki doosari l daee ko bharatiy itihas ka ek mo d mana jata hai. muijjuddin ne isake lie bahut taiyariyaan kian. kaha jata hai ki vah 1,20,000 sainikoan ke sath maidan mean utara jisamean b di sankhya mea...

शिमला समझौता कब और किन किन के बीच हुआ?

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