शिमला समझौता क्या है

  1. शिमला समझौता से आप क्या समझते हैं?
  2. शिमला समझौता(Shimla Agreement) क्या थाःयह किस
  3. शिमला समझौता क्या था? प्रावधान/शर्ते
  4. History of india : Shimla samjhota शिमला समझौता
  5. क्या है वो शिमला समझौता, जिसे 48 सालों में सैकड़ों बार तोड़ चुका है पाकिस्तान
  6. शिमला समझौता
  7. शिमला समझौता 1972 के दौरान भारत का प्रधानमंत्री कौन था? – ElegantAnswer.com


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शिमला समझौता से आप क्या समझते हैं?

Table of Contents Show • • • • • • • • Agreement Between the Government of India and the Government of the Islamic Republic of Pakistan on Bilateral Relations प्रकार Peace treaty सन्दर्भ Bangladesh Liberation War प्रारूपण 28 June 1972 हस्ताक्षरित 2जुलाई 1972 ; 50 वर्ष पहले स्थान Shimla, Barnes court (Raj bhavan)[1] Himachal Pradesh, India मोहरबंदी 7 August 1972 प्रवर्तित 4 August 1972 शर्तें Ratification of both parties वार्ताकार Foreign ministries of India and Pakistan हर्ताक्षरकर्तागण Indira Gandhi (Prime Minister of India) Zulfiqar Ali Bhutto (President of Pakistan) भागीदार पक्ष पाकिस्तान संपुष्टिकर्ता Parliament of India Parliament of Pakistan निक्षेपागार Governments of Pakistan and India भाषाएँ • Hindi • Urdu • English 1971 का भारत-पाक युद्ध के बाद भारत के शिमला में एक सन्धि पर हस्ताक्षर हुए।[2] इसे शिमला समझौता कहते हैं। इसमें भारत की तरफ से इन्दिरा गांधी और पाकिस्तान की तरफ से ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो शामिल थे। यह समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच दिसम्बर 1971 में हुई लड़ाई के बाद किया गया था, जिसमें पाकिस्तान के 90,000 से अधिक सैनिकों ने अपने लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी के नेतृत्व में भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था और तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान को बांग्लादेश के रूप में पाकिस्तानी शासन से मुक्ति प्राप्त हुई थी। यह समझौता करने के लिए पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमन्त्री ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो अपनी पुत्री बेनज़ीर भुट्टो के साथ 28 जून 1972 को शिमला पधारे। ये वही भुट्टो थे, जिन्होंने घास की रोटी खाकर भी भारत से हजारो वर्ष तक युद्ध करने की कसमें खायी थीं। 28 जून से 1 जुला...

शिमला समझौता(Shimla Agreement) क्या थाःयह किस

शिमला समझौता 3 जुलाई, 1972 को हुआ था।यह समझौता भारत एवं पाकिस्तान के बीच एक शांति समझौता था।1971 के भारत पाक युद्ध के बाद शिमला समझौता हुआ। 1971 में भारत एवं पाक के बीच हुई लङाई के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं- • पाकिस्तान धार्मिक एवं साम्प्रदायिक आधार पर भी भारत के लिए समस्याएं उत्पन्न करता रहा है। अप्रैल, 1963 में हजरल बल कांड को लेकर पाकिस्तान ने • • पाकिस्तान ने 2 मार्च, 1963 को चीन के साथ गैर कानूनी समझौता करके 2000 वर्ग मील ( 5180 वर्ग किमी.) पाक अधिकृत • इसी प्रकार 1965 में कश्मीर में घुसपैठिए भेजकर विद्रोह भङकाने के लिए साम्प्रदायिक विष का सहारा लिया। 1969 में रबात मुस्लिम शिखर सम्मेलन में तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति याहिया खाँ ने भारतीय प्रतिनिधि मंडल के साथ बैठने से इंकार कर दिया। पाकिस्तान में जनरल याहिया खाँ के स्थान पर सत्ता जुल्फिकार अली भुट्टो के हाथों में आ गयी। भुट्टों और भारतीय प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी ने 3 जुलाई 1972 को शिमला में एक समझौते पर हस्ताक्षर किये, जिसे शिमला समझौता के नाम से जाना जाता है। यह समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच दिसंबर,1971 में हुई लङाई के बाद किया गया था, जिसमें पाकिस्तान के 93,000 से अधिक सैनिकों ने अपने लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी के नेतृत्व में भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था, और तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान की बांग्लादेश के रूप में पाकिस्तानी शासन से मुक्ति प्राप्त हुई थी। शिमला समझौता अपने आप में महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें भारत व पाकिस्तान के बीच शांति और मैत्री स्थापित करने की बात है। इस समझौते में भारत ने युद्ध के दौरान बंदी बनाये गये 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को पाकिस्तान को वापिस लौटा दिया था। यह समझौता करने ...

शिमला समझौता क्या था? प्रावधान/शर्ते

1971 के भारत-पाक युद्ध मे पाकिस्तान की पराजय हुई और इस युद्ध के फलस्वरूप बंगला देश स्वतंत्र हो गया। इस युद्ध मे पाकिस्तान की घोर पराजय के कारण वहां बहुत असंतोष उत्पन्न हुआ। फलतः राष्ट्रीपता याह्रा खाँ का पतन हुआ और सत्ता जुल्फिकार अली भुट्टो के साथों मे आ गई। भारत का इस युद्ध के बाद संसार मे मान-सम्मान बढ़ गया। उपमहाद्वीप मे उसकी सैनिक शक्ति की धाक जम गई। भारत के शौर्य का लोहा संसार मानने लगा। शिमला समझौता क्या था? युद्ध से उत्पन्न समस्याओं को हल करने के लिए भारत और पाकिस्तान का 3 जुलाई, 1972 को शिमला मे एक समझौता हो गया। इस समझौते के अनुसार भारत सरकार तथा पाकिस्तान की सरकार ने यह इरादा किया कि दोनो देश पारस्परिक मेल-जोल को उत्पन्न करेंगे तथा तथा मित्रतापूर्ण संबंधो को स्थापित करेंगे और लड़ाई-झगड़ों को बंद करेंगे। इस उद्देश्य पूर्ति के लिए भारत सरकार तथा पाकिस्तान की सरकार इस बात के लिए सहमत हो गई। शिमला समझौते के मुख्य प्रावधान अथवा शर्तें 1. दोनों देशों के बीच संबंध संयुक्त राष्ट्र संघ के सिद्धांतों और उद्देश्यों के अनुसार निर्धारित होंगे। 2. दोनों देश अपने मतभेदों को शान्तिपूर्ण उपायों से हल करेंगे। वे आपसी पत्र व्यवहार द्वारा अथवा किसी अन्य शान्तिपूर्ण उपाय से अपने झगड़ों का निर्णय करेंगे। तब तक कोई भी पक्ष एकतरफा यथास्थिति को बदलने का प्रयत्न नही करेगा। दोनों देश शान्तिपूर्ण और मेल-जोल के संबंधो को बनाये रखने के लिए किसी संस्था को कोई सहायता नही देंगे जो इन संबंधो को खराब करें। 3. दोनों देशों मे मेल-जोल और अच्छे संबंध बनाये रखने के लिए पहली शर्त यह है कि दोनो द्वारा सह-अस्तित्व, एक दूसरे की अखंडता का सम्मान और प्रभुसत्ता का सम्मान किया जाये तथा समानता और पारस्परिक लाभ...

History of india : Shimla samjhota शिमला समझौता

यह समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच दिसम्बर 1971 में हुई लड़ाई के बाद किया गया था, जिसमें पाकिस्तान के 93000 से अधिक सैनिकों ने अपने लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी के नेतृत्व में भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था और तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान को बंगलादेश के रूप में पाकिस्तानी शासन से मुक्ति प्राप्त हुई थी। यह समझौता करने के लिए पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री ये वही भुट्टो थे, जिन्होंने घास की रोटी खाकर भी भारत से हजार साल तक जंग करने की कसमें खायी थीं। 28 जून से 1 जुलाई तक दोनों पक्षों में कई दौर की वार्ता हुई परन्तु किसी समझौते पर नहीं पहुँच सके। इसके लिए पाकिस्तान की हठधर्मी ही मुख्य रूप से जिम्मेदार थी। तभी अचानक 2 जुलाई को लंच से पहले ही दोनों पक्षों में समझौता हो गया, जबकि भुट्टो को उसी दिन वापस जाना था। इस समझौते पर पाकिस्तान की ओर से बेनजीर भुट्टो और भारत की ओर से इन्दिरा गाँधी ने हस्ताक्षर किये थे। यह समझना कठिन नहीं है कि यह समझौता करने के लिए भारत के ऊपर किसी बड़ी विदेशी ताकत का दबाव था। इस समझौते से भारत को पाकिस्तान के सभी 93000 से अधिक युद्धबंदी छोड़ने पड़े और युद्ध में जीती गयी 5600 वर्ग मील जमीन भी लौटानी पड़े। इसके बदले में भारत को क्या मिला यह कोई नहीं जानता। यहाँ तक कि पाकिस्तान में भारत के जो 54 युद्धबंदी थे, उनको भी भारत वापस नहीं ले सका और वे 41 साल से आज भी अपने देश लौटने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। अपना सब कुछ लेकर पाकिस्तान ने एक थोथा-सा आश्वासन भारत को दिया कि भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर सहित जितने भी विवाद हैं, उनका समाधान आपसी बातचीत से ही किया जाएगा और उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर नहीं उठाया जाएगा। लेकिन इस अकेले आश्वासन का भी पाकिस्तान ने स...

क्या है वो शिमला समझौता, जिसे 48 सालों में सैकड़ों बार तोड़ चुका है पाकिस्तान

1971 में पाकिस्तान की जबरदस्त पराजय के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला में एक समझौता हुआ था, जिसे शिमला समझौता कहा जाता है. इस समझौते में पाकिस्तान वादा किया था कभी कश्मीर का मामला अंतरराष्ट्रीय मंचों पर नहीं उठाया जाए. शांति से इस बारे में बातचीत की जाएगी. यही नहीं भारत ने समझौते के तरह पश्चिमी पाकिस्तान की हाथ आई जमीनें भी उन्हें वापस कर दी थीं. लेकिन पिछले 48 सालों में सैकड़ों बार पाकिस्तान बेशर्मी के साथ इसे तोड़ चुका है. अब इस समझौते का कोई मतलब नहीं रह गया है. इसमें भारत की तरफ से इंदिरा गांधी और पाकिस्तान की तरफ से ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो ने हस्ताक्षर किए थे. दोनों अपने देशों के प्रधानमंत्री थे. इंदिरा 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह पटखनी देने के बाद बहुत ताकतवर नेता के रूप में उभरी थीं. उन्होंने पाकिस्तान को बांटकर एक नया देश बनाया था, जिसे हम बांग्लादेश के नाम से जानते हैं. ये समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच दिसम्बर 1971 में हुई लड़ाई के बाद किया गया था, जिसमें पाकिस्तान के 80,000 से अधिक सैनिकों ने लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी के साथ भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था. ये भी पढ़ें - चीन की संसद में बढ़ता ही जा रहा है अरबपतियों का बोलबाला भुट्टो में घास की रोटियां खाने की कसमें खाईं थीं ये समझौता करने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो अपनी बेटी बेनज़ीर भुट्टो के साथ 28 जून 1972 को शिमला आए. ये वही भुट्टो थे, जिन्होंने घास की रोटी खाकर भी भारत से हजार साल तक जंग करने की कसमें खायी थीं. 28 जून से 1 जुलाई तक दोनों पक्षों में कई दौर की वार्ता हुई परन्तु किसी समझौते पर नहीं पहुँच सके. अचानक 2 जुलाई को लंच से पहले ही दोनों पक्षों में समझौता हो ग...

शिमला समझौता

शिमला समझौता – आज़ादी के बाद से इससे पहले 1971 में भारत पर जबरन युद्ध भी थोपा, मगर अफसोस की इस युद्ध में पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी और बुरी तरह हारने के बाद दोनों देशों के बीच 2 जुलाई, 1972 को शिमला में एक संधि हुई थी जिसे शिमला समझौता के नाम से जाना जाता है. शिमला समझौता के लिए भारत की तरफ से इंदिरा गांधी और पाकिस्तान की तरफ से जुल्फिकार अली भुट्टो शामिल थे. युद्ध के बाद दोनों देशों की ओर से रिश्ते में सुधार के लिए 2 जुलाई, 1972 को हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में एक संधि पर हस्ताक्षर किया गया जिसे शिमला समझौता के नाम से जाना जाता है. इस मौके पर 1971 के युद्ध से उत्पन्न हुए मुद्दों पर दोनों देशों के प्रमुख और उच्चस्तरीय अधिकारियों के बीच चर्चा हुई. इसके अलावा युद्ध बंदियों की अदला-बदली, पाकिस्तान द्वारा बांग्लादेश को अलग देश की मान्यता, भारत और पाकिस्तान के राजनयिक संबंधों को सामान्य बनाना, व्यापार फिर से शुरू करना और कश्मीर में नियंत्रण रेखा स्थापित करना जैसे मुद्दों पर भी बातचीत हुई. – दोनों देश सभी विवादों और समस्याओं के शांतिपूर्ण समाधान के लिए सीधी बातचीत करेंगे और कोई मध्यस्थ या तीसरा पक्ष नहीं होगा. – यातायात की सुविधाएं स्थापित की जाएंगी ताकि दोनों देशों के लोग असानी से आ-जा सकें. – जहां तक संभव होगा व्यापार और आर्थिक सहयोग जल्द ही फिर से स्थापित किए जाएंगे. – स्थाई शांति के हित में दोनों सरकारें इस बात के लिए सहमत हुईं कि भारत और पाकिस्तान दोनों की सेनाएं अपने-अपने प्रदेशों में वापस चली जाएंगी. दोनों देशों ने 17 सितंबर, 1971 की युद्ध विराम रेखा को नियंत्रण रेखा के रूप में मान्यता दी और यह तय हुआ कि इस समझौते के बीस दिन के अंदर सेनाएं अपनी-अपनी सीमा से पीछे ...

शिमला समझौता 1972 के दौरान भारत का प्रधानमंत्री कौन था? – ElegantAnswer.com

शिमला समझौता 1972 के दौरान भारत का प्रधानमंत्री कौन था? इसे सुनेंरोकेंइसी पृष्ठभूमि में भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति ल्फ़िक़ार अली भुट्टो शिमला में मिल रहे थे. बाद में जो यहां समझौता हुआ उसे शिमला समझौता कहा गया. समझौते के दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर की तारीख़ 2 जुलाई 1972 दर्ज है. शिमला समझौता कब और किसके मध्य हुआ? इसे सुनेंरोकें1971 का भारत-पाक युद्ध के बाद भारत के शिमला में एक सन्धि पर हस्ताक्षर हुए। इसे शिमला समझौता कहते हैं। इसमें भारत की तरफ से इन्दिरा गांधी और पाकिस्तान की तरफ से ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो शामिल थे। वर्ष 1972 में भारत और पाकिस्तान के बीच कौन सा समझौता हुआ था? इसे सुनेंरोकेंभारत और पाकिस्‍तान के बीच दो जुलाई 1972 को शिमला समझौता साइन हुआ था. भारत की तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्‍तान के उस समय के पीएम जुल्लिफकार अली भुट्टो के बीच यह समझौता ऐसे समय में साइन हुआ जब दोनों देश दिसंबर 1971 को एक युद्ध से गुजर चुके थे. कृपा देवी चौधरी कौन थे? इसे सुनेंरोकेंइस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। मोरारजी देसाई (29 फ़रवरी 1896 – 10 अप्रैल 1995) (गुजराती: મોરારજી રણછોડજી દેસાઈ) भारत के स्वाधीनता सेनानी, राजनेता और देश के चौथे प्रधानमंत्री (सन् 1977 से 79) थे। वह प्रथम प्रधानमंत्री थे जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बजाय अन्य दल से थे। शिमला समझौता कहाँ हुआ था? शिमलाशिमला समझौता / स्थान शिमला समझौता 1945 क्या है? इसे सुनेंरोकें14जून 1945 को की थी शिमला सम्मेलन की घोषणा: 14जून, 1945 को वायसराय लाॅर्ड वेवल ने एक रेडियो प्रसारण में शिमला सम्मेलन की घोषणा की, जिसकी रूपरेखा तत्कालीन राजनीतिक स्थिति में सुधार लाने और भार...

जम्मू

जम्मू-कश्मीर: क्या है शिमला समझौता, क्यों इसकी दुहाई देता रहा है पाकिस्तान विस्तार जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 जून को सर्वदलीय बैठक करेंगे। यह बैठक घाटी के राजनीतिक हालात और भविष्य को लेकर काफी अहम मानी जा रही है। खासतौर पर प्रदेश से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद। वहीं दूसरी ओर इस बैठक पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों मीडिया की नजर होगी। कारण कि भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद-370 के प्रावधान (विशेष दर्जा और कुछ विशेष अधिकार) खत्म किए जाने के बाद से ही पाकिस्तान तिलमिलाया हुआ है। वहीं पूरी दुनिया बरसों से आतंकवाद का दंश झेल रही कश्मीर घाटी में शांति और सद्भाव की उम्मीद कर रहे हैं। बहरहाल, इस बैठक से पहले पाकिस्तान के साथ हुए शिमला समझौते के बारे में जानना बेहद जरूरी हो जाता है। क्योंकि, पाकिस्तान ने अनुच्छेद-370 के प्रावधान हटाए जाने के बाद दोनों देशों के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस ट्रेन को रोक दिया था। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि उनका देश शिमला समझौते की कानूनी वैधता को परखेगा। वहीं, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरस ने भी शिमला समझौते का जिक्र करते हुए दोनों देशों के बीच मध्यस्थता से इनकार कर दिया था। 1971 में भारत-पाक युद्ध के बाद उनके 90 हजार से ज्यादा सैनिकों को युद्ध बंदी बनाया गया था। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में सुधार, पाक युद्ध बंदियों को छुड़ाने की कवायद शुरू हुई। फिर दोनों देशों के बीच बेहतर संबंध के लिए 2 जुलाई 1972 को शिमला में एक समझौता हुआ। इसी समझौते को शिमला समझौता के नाम से जाना जाता है। किसने किए हस्ताक्षर: शिमला समझौते पर भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्त...