शिव चालीसा

  1. Shiv Chalisa in Hindi
  2. shiv chalisa mahadev is pleased to recite shiv chalisa on every monday here is the complete shiv tvi
  3. सम्पूर्ण शिव चालीसा
  4. Shiv Chalisa
  5. शिव चालीसा (shiv chalisa in hindi written)


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Shiv Chalisa in Hindi

हिन्दू धर्म में भगवान शिव को सर्वोच्च शक्ति के रूप में जाना गया है | भगवान शिव ही इस संसार के संहारक है | उन्ही की शक्ति से इस धरा का अस्तित्व है | जो जातक शिव तत्व की उपासना करते है वे संसार के सभी सुखों को भोगते है व मृत्यु के भय से मुक्त होते है | भगवान शिव को भोलेनाथ भी कहा गया है( Shiv Chalisa in Hindi)| वे अपने भक्तों के थोड़े से भक्ति भाव से प्रसन्न होकर उन्हें आर्शीवाद देते है | भगवान शिव की उपासना करने के बहुत से साधन है जैसे : शिवालय में शिवलिंग पूजा करना , सोमवार को व्रत रखना , शिव तांडव स्त्रोत का गायन करना , शिवालय में कावड़ चढ़ाना , शिव मंत्र के जप करना, मानसिक उपासना करना और शिव चालीसा पाठ द्वारा शिव आराधना करना | किसी भी विधि द्वारा आप भगवान शिव से आशीर्वाद पा सकते है | भगवान शिव की उपासना में मन की शुद्धि व निष्ठा भाव का होना नितान्त आवश्यक है | मन से की गयी भक्ति भौतिक रूप से की गयी भक्ति से अधिक फलदायी होती है किन्तु इसका अभिप्राय यह नहीं की भौतिक रूप से की गयी भक्ति का फल प्राप्त नहीं होता | मानसिक और शारीरिक, दोनों प्रकार से की गयी भक्ति आपको शीघ्र ही आपके लक्ष्य की ओर ले जाती है | भगवान शिव के प्रति मन में पूर्ण श्रद्धा भाव रखते हुए शिव चालीसा का पाठ आपके सभी दुखों को हरने वाला है | शिव चालीसा( Shiv Chalisa in Hindi) का पाठ आप घर पर या शिवालय शिवलिंग के सामने बैठकर , दोनों स्थाओं पर कर सकते है | प्रतिदिन कम से कम 3 बार शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए | शिव चालीसा का पाठ मुख से मध्यम स्वर में लयबद्धता के साथ बोलकर करना चाहिए | शिव चालीसा पाठ करते समय किसी प्रकार की जल्दबाजी कदापि न करें | पाठ करते समय ध्यान भगवान शिव में लगाये | शुरू में आप किताब से देखकर शि...

shiv chalisa mahadev is pleased to recite shiv chalisa on every monday here is the complete shiv tvi

जय गिरिजा पति दीन दयाला।सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके।कानन कुण्डल नागफनी के॥ अंग गौर शिर गंग बहाये।मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।छवि को देखि नाग मन मोहे॥ मैना मातु की हवे दुलारी।बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥ नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ।या छवि को कहि जात न काऊ॥ देवन जबहीं जाय पुकारा।तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ किया उपद्रव तारक भारी।देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥ तुरत षडानन आप पठायउ।लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥ आप जलंधर असुर संहारा।सुयश तुम्हार विदित संसारा॥ त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥ किया तपहिं भागीरथ भारी।पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥ दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं।सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ वेद माहि महिमा तुम गाई।अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥ प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला।जरत सुरासुर भए विहाला॥ कीन्ही दया तहं करी सहाई।नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥ पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा।जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥ सहस कमल में हो रहे धारी।कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥ एक कमल प्रभु राखेउ जोई।कमल नयन पूजन चहं सोई॥ कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥ जय जय जय अनन्त अविनाशी।करत कृपा सब के घटवासी॥ दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥ त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।येहि अवसर मोहि आन उबारो॥ लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।संकट ते मोहि आन उबारो॥ मात-पिता भ्राता सब होई।संकट में पूछत नहिं कोई॥ स्वामी एक है आस तुम्हारी।आय हरहु मम संकट भारी॥ धन निर्धन को देत सदा हीं।जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥ अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी।क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥ शंकर हो संकट के नाशन...

सम्पूर्ण शिव चालीसा

शिवजी की पूजा मूर्ति तथा शिवलिंग दोनों रूपों में की जाती है शिव के गले में नाग देवता विराजमान करते हैं तथा उनके हाथों में डमरू और त्रिशूल होता है. कहा जाता है कि भगवान शिव की पूजा जितनी की जाए उतनी ही कम है भगवान शिव की कृपा भी सबसे अधिक मानी जाती है क्योंकि जो व्यक्ति शिव भगवान की पूजा करता है और भगवान शिव अगर उस पर प्रसन्न होते हैं तो उस पर सदैव अपनी कृपा बनाए रखते हैं तथा उनकी प्रत्येक मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। शिव चालीसा करने से भगवान शिव आप में उन सभी गुणों को भर देते हैं जो कि आप को सफल बनाने के लिए आवश्यक है इसीलिए शिव चालीसा का पाठ करने से आपकी मनोकामना पूर्ण होगी तथा सभी समस्याओं का निराकरण हो जाएगा। जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥ अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥1॥ मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥ नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥2॥ See also பஜனை பாடல் புத்தகம் PDF देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥ तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥ आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥3॥ त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥ किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥ दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥4॥ प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विह...

Shiv Chalisa

ND शिव पुराण के अनुसार शिव-शक्ति का संयोग ही परमात्मा है। शिव की जो पराशक्ति है उससे चित्‌ शक्ति प्रकट होती है। चित्‌ शक्ति से आनंद शक्ति का प्रादुर्भाव होता है, आनंद शक्ति से इच्छाशक्ति का उद्भव हुआ है। ऐसे आनंद की अनुभूति दिलाने वाले भगवान भोलेनाथ का शिवरात्रि में शिव चालीसा पढ़ने का अलग ही महत्व है। शिव चालीसा के माध्यम से अपने सारे दुखों को भूला कर शिव की अपार कृपा प्राप्त कर सकते हैं। ।।दोहा। । श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥ ND जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥ अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥ मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥ नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥ देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥ तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥ आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥ त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥ किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥ दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥ प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥ कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥ पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥ सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥ एक कमल प्रभु राखेउ जोई। ...

शिव चालीसा (shiv chalisa in hindi written)

हमारे हिन्दू धर्म में प्रत्येक देवी-देवताओं की चालीसा लिखी गयीं हैं तथा उनके पाठ का विशेष महत्व बताया गया है। यहाँ “चालीसा” शब्द से अभिप्राय 40 से है अर्थात जिसमें 40 छंद /चौपाइ होती हो। shiv ji ki chalisa भगवान् शिव की स्तुति में लिखी गयी 40 चौपाइयों का संग्रह है, जिसकी रचना संत अयोध्यादास जी ने की थी। Shiv Chalisa भगवान शिव की स्तुति है। शिव चालीसा (shiv parvati chalisa) को भगवान शिव की सभी स्तुतियों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इसमें भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिव के उपासको द्वारा पाठ किया जाता है। पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि वैसे तो भोलेनाथ केवल सच्चे मन से याद करने पर भी भक्तों की पुकार सुन लेते हैं, परंतु जो भी भक्त नियमित रूप से Shiv Chalisa का पाठ करता है, उस पर भगवान शिव की विशेष कृपा होती है। शिव चालीसा का पाठ करना महादेव शिव की आराधना करने का एक बहुत ही उत्तम माध्यम है। Shiv Chalisa के माध्यम से आप अपने आराध्य भगवान् शंकर को बड़े हीं आसानी से प्रसन्न कर सकते हैं। इस वेबसाइट पर आपको शिव चालीसा hindi mein likhit और pdf में उपलब्ध कराई गई है, जिसका आप रोजाना पाठ (shiv chalisa ka paath) online मोबाइल या टेबलेट से कर सकते हो।Shiv chalisa padhne wala हमेशा मनोवांछित फल पाता है। ||दोहा|| जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥ ||चौपाई|| जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के ॥ अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे । छवि को देखि नाग मन मोहे ॥ मैना मातु की हवे दुलारी । बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे । सागर मध्य...