Shiv chalisa ka paath

  1. chant shiv chalisa paath on every monday fulfill all wishes shiv ji ka jaap mantra sry
  2. Shri Vishnu Chalisa in Hindi: यहां पढे़ं श्री विष्णु चालीसा, जानें महत्व और लाभ
  3. [Shree Shiv Chalisa] ᐈ Lyrics In English With Meaning & Pdf
  4. शिव चालीसा का पाठ करने से दूर होती हैं जीवन की सभी परेशानियां
  5. Shiv Chalisa in Hindi: यहां पढे़ं श्री शिव चालीसा, जानें महत्व और लाभ
  6. Lord Shiv Chalisa in Hindi: Lyrics, Importance and Benefits
  7. शिव चालीसा के फायदे
  8. Sri Shiv Chalisa in hindi and english with meaning – Devshoppe
  9. Shiv chalisa paath arth sahit


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chant shiv chalisa paath on every monday fulfill all wishes shiv ji ka jaap mantra sry

श्री शिव चालीसा पाठ जय गिरिजा पति दीन दयाला.सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके.कानन कुण्डल नागफनी के॥ अंग गौर शिर गंग बहाये.मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे.छवि को देखि नाग मन मोहे॥ मैना मातु की हवे दुलारी.बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी.करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥ नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे.सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ.या छवि को कहि जात न काऊ॥ देवन जबहीं जाय पुकारा.तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ किया उपद्रव तारक भारी.देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥ तुरत षडानन आप पठायउ.लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥ आप जलंधर असुर संहारा.सुयश तुम्हार विदित संसारा॥ त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई.सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥ किया तपहिं भागीरथ भारी.पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥ दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं.सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ वेद माहि महिमा तुम गाई.अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥ प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला.जरत सुरासुर भए विहाला॥ कीन्ही दया तहं करी सहाई.नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥ पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा.जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥ सहस कमल में हो रहे धारी.कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥ एक कमल प्रभु राखेउ जोई.कमल नयन पूजन चहं सोई॥ कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर.भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥ जय जय जय अनन्त अविनाशी.करत कृपा सब के घटवासी॥ दुष्ट सकल नित मोहि सतावै.भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥ त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो.येहि अवसर मोहि आन उबारो॥ लै त्रिशूल शत्रुन को मारो.संकट ते मोहि आन उबारो॥ मात-पिता भ्राता सब होई.संकट में पूछत नहिं कोई॥ स्वामी एक है आस तुम्हारी.आय हरहु मम संकट भारी॥ धन निर्धन को देत सदा हीं.जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥ अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी.क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥ ...

Shri Vishnu Chalisa in Hindi: यहां पढे़ं श्री विष्णु चालीसा, जानें महत्व और लाभ

नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी । प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥ सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत । तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत ॥ शंख चक्र कर गदा विराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे । सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥ सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन । सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥ पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण । करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण ॥ धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा । भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा ॥ आप वाराह रूप बनाया, हिरण्याक्ष को मार गिराया । धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया ॥ अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया । देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया ॥ कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया । शंकर का तुम फन्द छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया ॥ वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया । मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया ॥ असुर जलन्धर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लड़ाई । हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई ॥ सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी । तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥ देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी । हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी ॥ तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे, हिरणाकुश आदिक खल मारे । गणिका और अजामिल तारे, बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥ हरहु सकल संताप हमारे, कृपा करहु हरि सिरजन हारे । देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे, दीन बन्धु भक्तन हितकार...

[Shree Shiv Chalisa] ᐈ Lyrics In English With Meaning & Pdf

Om Namah Shivaay everyone and may all your wishes true by the grace of Lord Shiva. If you read and recite Shiv Chalisa on a daily basis then you will be surely benefited from these magical words. Shiv Chalisa consists of Doha’s and 40 verses of Chaupai’s. Trinity with Bhrama and Vishnu. Simply we know them as ( Bhrama, Vishnu, Mahesh). Bhrama is Known as the Creator, Vishnu is known as the protector, and Shiva is known as the destroyer of this universe. Shri Shiva Chalisa English Lyrics Text ||Doha || Jai Ganesh Girija Suvan,Mangal Mul Sujan | Kahat Ayodhya Das Tum Dev Abhaya Varadan ॥ || Chaupai || Jai Girija Pati Dinadayala, Sada Karat Santan Pratipala ॥ Bhala Chandrama Sohat Nike, Kanan Kundal Nagaphani Ke ॥ Anga Gaur Shira Ganga Bahaye, Mundamala Tan Chhara Lagaye ॥ Vastra Khala Baghambar Sohain, Chhavi Ko Dekha Naga Muni Mohain ॥ Maina Matu Ki Havai Dulari, Vama Anga Sohat Chhavi Nyari ॥ Kara Trishul Sohat Chhavi Bhari, Karat Sada Shatrun Chhayakari ॥ Nandi Ganesh Sohain Tahan Kaise, Sagar Madhya Kamal Hain Jaise ॥ Kartik Shyam Aur Ganara-U, Ya Chhavi Ko Kahi Jata Na Ka-U ॥ Devan Jabahi Jaya Pukara, Tabahi Dukha Prabhu Apa Nivara ॥ Kiya Upadrav Tarak Bhari, Devan Sab Mili Tumahi Juhari ॥ Turata Shadanana Apa Pathayau, Lava-Ni-Mesh Mahan Mari Girayau ॥ Apa Jalandhara Asura Sanhara, Suyash Tumhara Vidit Sansara ॥ Tripurasur Sana Yudha Machai, Sabhi Kripakar Lina Bachai ॥ Kiya Tapahin Bhagiratha Bhari, Purva Pratigya Tasu Purari ॥ Danin Mahan Tum Sama Kou Nahin, Sevak As...

शिव चालीसा का पाठ करने से दूर होती हैं जीवन की सभी परेशानियां

क्या है शिव चालीसा हिन्दू धर्म में भक्त सरल भाषा में जो भगवान की प्रार्थना करता है उसे चालीसा कहते हैं। शिव चालीसा का चालीसा कहने के पीछे एक कारण यह भी है कि इसमें चालीस पंक्तियां हैं। इस प्रकार लोकप्रिय शिव चालीसा का पाठ कर भक्त बहुत आसानी से अपने भगवान को प्रसन्न कर लेते हैं। शिव चालीसा के द्वारा आप अपने सभी दुख भूलकर शंकर भगवान की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। इस तरह भक्त शिव जी को प्रसन्न कर अपनी मनोकामना पूरी कर लेते हैं। भय को दूर करता है शिव चालीसा का पाठ शिव चालीसा का पाठ करने से डर या भर से भी छुटकारा मिलता है। इसके लिए जय गणेश गिरीजा सुवन' मंगल मूल सुजान, कहते अयोध्या दास तुम' देउ अभय वरदान वाली लाइन पढ़ें। इस पंक्ति को शाम के समय नहीं बल्कि सुबह पढ़ें। इस प्रकार 40 दिन तक लगातार पढ़ें आपको लाभ मिलेगा। शिव चालीसा से दुख और परेशानियां भी होती हैं दूर अगर आप बहुत से परेशान और दुखी हैं तो निराश न हों। शिव चलीसा की इस एक पंक्ति का जाप करें, देवन जबहिं जाय पुकारा' तबहिं दुख प्रभु आप निवारा। ध्यान दें इस पंक्ति को रात में 11 बार पढ़ें और काम पूरा होने के बाद गरीबों के बीच मिठाई जरूर बांटें। अभीष्ट कार्य पूरा करने में भी सहायक है शिव चालीसा अगर आप किसी इच्छित कार्य के लिए प्रयासरत हैं तो शिव चालीसा की यह लाइन पढ़ें पूजन रामचंद्र जब कीन्हा' जीत के लंक विभीषण दीन्हा। इस पंक्ति को सायंकाल में 13 बार पढ़े और ऐसा लगातार 27 दिन तक करते रहें। शिव चालीसा पढ़ने के हैं खास नियम प्रातः जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनें। उसके बाद शिव चालीसा पढ़ने के लिए पवित्र मन से ईश्वर का ध्यान करें। चालीसा ब्रह्म मुहूर्त में एक सफेद आसन पर बैठे। उसके बाद उत्तर पूर्व या पूर्व दिशा की तरफ मुंह कर ल...

Shiv Chalisa in Hindi: यहां पढे़ं श्री शिव चालीसा, जानें महत्व और लाभ

जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के ॥ अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे । छवि को देखि नाग मन मोहे ॥ मैना मातु की हवे दुलारी । बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी । करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥ नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे । सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ । या छवि को कहि जात न काऊ ॥ देवन जबहीं जाय पुकारा । तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥ किया उपद्रव तारक भारी । देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥ तुरत षडानन आप पठायउ । लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥ आप जलंधर असुर संहारा । सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥ त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई । सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥ किया तपहिं भागीरथ भारी । पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥ दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं । सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥ वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥ प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला । जरत सुरासुर भए विहाला ॥ कीन्ही दया तहं करी सहाई । नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥ पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा । जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥ सहस कमल में हो रहे धारी । कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥ एक कमल प्रभु राखेउ जोई । कमल नयन पूजन चहं सोई ॥ कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर । भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥ जय जय जय अनन्त अविनाशी । करत कृपा सब के घटवासी ॥ दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥ त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो । येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥ लै त्रिशूल शत्रुन को मारो । संकट से मोहि आन उबारो ॥ मात-पिता भ्राता सब होई । संकट में पूछत नहिं कोई ॥ स्वामी एक है आस तुम्हारी । आय हरहु मम संकट भारी ॥ धन निर्धन को देत सदा हीं । जो कोई जांचे सो फल प...

Lord Shiv Chalisa in Hindi: Lyrics, Importance and Benefits

चालीसा जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥ अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥ मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥ नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥ देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥ तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥ आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥ त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥ किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥ दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥ प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥ कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥ पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥ सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥ एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥ कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥ जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥ दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥ त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥ लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥ मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥ स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥ धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥ अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब...

शिव चालीसा के फायदे

शिव चालीसा के फायदे ( shiv chalisa ke fayde ) : हिंदू धर्म में भगवान शिव से की जाने वाली प्रार्थना को शिव चालीसा कहा जाता है। शिव चालीसा का पाठ करने से जीवन में कई प्रकार के सकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। माना जाता है कि सोमवार की शाम को शिव चालीसा का पाठ करना बेहद शुभकारी होता है। शिव चालीसा का पाठ करने से जीवन में कई अद्भुत बदलाव होते हैं जिससे व्यक्ति का जीवन सुखमय हो जाता है। शिवजी की आराधना करने वाले लोगों को मृत्यु का भय नहीं सताता जिससे वे निडर रहते हैं। इसके अलावा महाशिवरात्रि पर शिव चालीसा का पाठ करने से सेहतमंद रहने में भी मदद मिलती है। शिव चालीसा की महिमा एवं उसका महत्व शिव चालीसा का पाठ करने से भगवान शिव की अपने भक्तों पर असीम कृपा रहती है जिससे उन्हें मनचाहे वरदान की प्राप्ति होती है। भगवान शिव का अनुसरण करने से जीवन की बाधाओं एवं कठिनाइयों को दूर किया जा सकता है। शिव पुराण के अनुसार शिव चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन पर बेहद सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। शिव चालीसा के पाठ की विधि प्रातः सुबह उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहने उसके बाद अपना मुंह पूर्व दिशा में करके कुशा के आसन पर बैठे। शिवजी के पूजन में चावल, कलावा, सफेद चंदन, शुद्ध मिश्री, धूप-दीप पीले फूलों की माला एवं सफेद आक 11 में फूल को प्रसाद के रूप में रखना चाहिए। इसके बाद पाठ शुरू करने से पूर्व गाय के घी का दीपक जलाएं एवं एक लोटे में शुद्ध जल भर कर रखें। इसके बाद शिव चालीसा का पूर्ण भक्ति भाव से बोल-बोल कर 3 या 5 बार पाठ करें। पाठ पूरा हो जाने के बाद लोटे के पानी को सारे घर में छिड़क दें उसके बाद थोड़ा सा जल स्वयं पी कर मिश्री को प्रसाद के रूप में खाएं और परिवार के सदस्यों में भी बांट दें। शिव चालीसा के ...

Sri Shiv Chalisa in hindi and english with meaning – Devshoppe

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Shiv chalisa paath arth sahit

हर हर महादेव , भक्तो आज हम देवो देवो के महादेव , के पावन शिव चालीस ( Shiv chalisa ) का जाप करने वाले है। आज के लेख में हम शिव चालीसा का अर्थ ( shiv chalisa ka meaning ) भी जानेंगे , उसके साथ Shiv chalisa in PDF , , Shiv chalisa image के रूप में , और शिव चालीसा से जुड़े प्रश्नो के उत्तर भी देंगे। श्री शिव चालीसा का पाठ अर्थ सहित Shri Shiv chalisa ka paath arth sahit Shiv chalisa संपूर्ण शिव चालीसा– Shiv chalisa ॥ दोहा ॥ जय गणेश गिरिजा सुवन , मंगल मूल सुजान कहत अयोध्यादास तुम , देहु अभय वरदान॥ ॥ चौपाई ॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥ अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥ मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥ नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥ देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥ तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥ आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥ त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥ किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥ दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥ प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥ कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥ पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥ सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुर...