शिव तेरस कितने तारीख की है

  1. अनंत चतुर्थी कब से कब तक है? – ElegantAnswer.com
  2. 2024 में महाशिवरात्रि कब है New Delhi, India में
  3. Maha Shivratri 2023 Date : शिवरात्रि कितने तारीख को है
  4. धनतेरस का शुभ मुहूर्त कब से कब तक है? – Expert
  5. भगवान शिव के इन 108 नाम का जाप मिलेगा मनवांछित फल
  6. Som Pradosh Vrat 2022: इस दिन पड़ रहा है मार्गशीर्ष का पहला प्रदोष व्रत, जानिए पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त
  7. आज की तिथि
  8. भगवान शिव के हैं कई रूप, जानें


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अनंत चतुर्थी कब से कब तक है? – ElegantAnswer.com

अनंत चतुर्थी कब से कब तक है? इसे सुनेंरोकेंहिंदू धर्म में इस व्रत का काफी महत्व है. इस दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है इसलिए इस पर्व का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है. इस साल अन्नत चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त 19 सितंबर 2021 सुबह 6 बजकर 07 मिनट से शुरू होकर, अगले दिन यानि 20 सितंबर 2021 को सुबह 5 बजकर 30 मिनट तक होगा. इस महीने की चतुर्दशी कब है? इसे सुनेंरोकेंऐसे में इस साल 2022 में ये तिथि मंगलवार 1 मार्च को पड़ रही है, जिसके चलते ये पर्व इस दिन मनाया जाएगा। शिवरात्रि चतुर्दशी तिथि मंगलवार, 01 मार्च की सुबह 03 बजकर 16 मिनट से बुधवार, 02 मार्च की मध्य रात 01 बजे तक रहेगी। 2022 में नरक निवारण चतुर्दशी कब है? इसे सुनेंरोकेंयह पर्व कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चौदस के दिन मनाया जाता हैं. इसे नरक मुक्ति का त्यौहार माना जाता हैं. नरक चतुर्दशी सोमवार, 24 अक्टूबर 2022, को मनाया जायेगा. सनातन धर्म में सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करने की परंपरा है. 2021 में नरक निवारण चतुर्दशी कब है? इसे सुनेंरोकेंNarak Chaturdashi 2021 Date: नरक चतुर्दशी का पर्व दिवाली से एक दिन पहले यानी 3 नवंबर 2021 दिन बुधवार को मनाया जाएगा. इस दिन हनुमान जी के साथ यम पूजा, श्रीकृष्ण पूजा, काली पूजा, शिव पूजा और भगवान वामन की पूजा करने का विधान है. कहा जाता है कि इस दिन इन 6 देवों की पूजा करने से सारे कष्ट मिट जाते हैं. चौदस कितनी तारीख को है? इसे सुनेंरोकेंआओ जानते हैं इस दिन के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और क्या करें इस दिन खास कार्य। कब है रूप चौदस : पंचांग के अनुसार 3 नंबर 2021 को प्रात: 09:02 से चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होकर 4 नंबर 2021 प्रात: 06:03 पर समाप्त होगी। पंचांग भेद के कारण तिथि में घट-बढ़ हो सकती है। उपरोक...

2024 में महाशिवरात्रि कब है New Delhi, India में

आइए जानते हैं कि 2024 में महाशिवरात्रि कब है व महाशिवरात्रि 2024 की तारीख व मुहूर्त। महाशिवरात्रि हिन्दुओं के सबसे बड़े पर्वों में से एक है। दक्षिण भारतीय पंचांग (अमावस्यान्त पंचांग) के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को यह पर्व मनाया जाता है। वहीं उत्तर भारतीय पंचांग (पूर्णिमान्त पंचांग) के मुताबिक़ फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का आयोजन होता है। पूर्णिमान्त व अमावस्यान्त दोनों ही पंचांगों के अनुसार महाशिवरात्रि एक ही दिन पड़ती है, इसलिए अंग्रेज़ी कैलेंडर के हिसाब से पर्व की तारीख़ वही रहती है। इस दिन शिव-भक्त मंदिरों में शिवलिंग पर बेल-पत्र आदि चढ़ाकर पूजा, व्रत तथा रात्रि-जागरण करते हैं। महाशिवरात्रि व्रत का शास्त्रोक्त नियम महाशिवरात्रि व्रत कब मनाया जाए, इसके लिए शास्त्रों के अनुसार निम्न नियम तय किए गए हैं - 1. चतुर्दशी पहले ही दिन निशीथव्यापिनी हो, तो उसी दिन महाशिवरात्रि मनाते हैं। रात्रि का आठवाँ मुहूर्त निशीथ काल कहलाता है। सरल शब्दों में कहें तो जब चतुर्दशी तिथि शुरू हो और रात का आठवाँ मुहूर्त चतुर्दशी तिथि में ही पड़ रहा हो, तो उसी दिन शिवरात्रि मनानी चाहिए। 2. चतुर्दशी दूसरे दिन निशीथकाल के पहले हिस्से को छुए और पहले दिन पूरे निशीथ को व्याप्त करे, तो पहले दिन ही महाशिवरात्रि का आयोजन किया जाता है। 3. उपर्युक्त दो स्थितियों को छोड़कर बाक़ी हर स्थिति में व्रत अगले दिन ही किया जाता है। शिवरात्रि व्रत की पूजा-विधि 1. मिट्टी के लोटे में पानी या दूध भरकर, ऊपर से बेलपत्र, आक-धतूरे के फूल, चावल आदि डालकर ‘शिवलिंग’ पर चढ़ाना चाहिए। अगर आस-पास कोई शिव मंदिर नहीं है, तो घर में ही मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उनका पूजन किया जाना चाहिए। 2. शिव पुराण का ...

Maha Shivratri 2023 Date : शिवरात्रि कितने तारीख को है

अगर आप नही जानते हैं कि महा शिवरात्रि कब है तो आगे आप जानेंगे कि इस साल यानिकी 2023 शिवरात्रि कितने तारीख को है (Maha Shivratri 2023 Date) ? शिवरात्रि पर हर शिव भक्त बड़ा उत्साहित होता हैं तथा अपने आराध्य देव शिव की पूजा अर्चना में लगा रहता है। शिवरात्रि के दिन व्रत भी रखा जाता है क्योकि पुराणों के अनुसार इस दिन व्रत रखने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और वे आपकी सारी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं। पर इस दिन व्रत का पालन करने के कई नियम होते हैं जैसे इस दिन जल्दी उठ कर स्नान के बाद भगवान शिव की पूजा करना होती है तथा पुरे दिन केवल फलहारी भोजन ही किया जा सकता है। शिवरात्रि के दिन में शिव मंदिरों के बाहर भक्तो की भारी भीड़ देखी जा सकती है तथा हर कोई शिवलिंग का जलाभिषेक कर इच्छा पूर्ति की कामना करता है। हिन्दू धर्म में कई त्यौहार आते हैं पर शिवरात्रि एक ऐसा पर्व है जो हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि कोा अआता है जिसे मासिक शिवरात्रि कहते हैं इस दिन भी व्रत रखे जाते हैं व शिव जी की आराधना की जाती है। पर महाशिवरात्रि वर्ष में केवल एक बार ही आती है यह फाल्गुन महा की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है माना जाता है कि इस दिन भोलेनाथ तथा पार्वती जी का विवाह हुआ था। शिवरात्रि कितने तारीख को है – Maha Shivratri 2023 Date इस साल महाशिवरात्रि 18 फरवरी 2023 को है तथा इस दिन शनिवार है। चतुर्दशी तिथि 17 जनवरी को रात्रि 8 बजकर 2 मिनट से प्रारम्भ होगी तथा 18 फरवरी को शाम 4 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी। शिवरात्रि कितने तारीख को है Editor’s Picks • Do You Love Me Ka Reply Kya Hoga – डु यु लव मी का रिप्लाई क्या होगा? • लौकी को इंग्लिश में क्या कहते हैं – Lauki Ko English Mein Kya Kahate H...

धनतेरस का शुभ मुहूर्त कब से कब तक है? – Expert

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • धनतेरस का शुभ मुहूर्त कब से कब तक है? अंग्रेजी माह के अनुसार इस वर्ष धनतेरस 2 नवंबर 2021 मंगलवार के दिन है। दीपावली ( Diwali 2021 ) के त्योहार 4 नवंबर 2021 को मनाया जाएगा। धनतेरस पूजा के मुहूर्त : धनतेरस मुहूर्त 06 बजकर 18 मिनट और 22 से 08 बजकर 11 मिनट और 20 सेंकट तक का मुहूर्त है। इस मुहूर्त में धन्वंतरि देव की पूजा की जाएगी। नवंबर में धनतेरस कब है? हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस मनाया जाता है। इस साल धनतेरस 2 नवंबर 2021, दिन मंगलवार को पड़ रहा है। धनतेरस कौन सी तारीख है? धनतेरस इस साल 02 नबंवर 2021 दिन मंगलवार को है. इस त्योहार को धन और समृद्धि का कारक माना जाता है. धनतेरस से ही पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत होती है. धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी की पूजा की जाती है. दिवाली पर झाड़ू कब खरीदना चाहिए 2021? इसलिए खरीदें नई झाड़ू (Buy Broom on Dhanteras 2021) झाड़ू को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है. अगर आप आर्थिक तंगी से परेशान है तो धनतेरस के दिन झाड़ू जरूर खरीदें. धनतेरस 2021 में क्या खरीदना शुभ है? वहीं इस दिन भगवान धनवंतरी के साथ यमराज की पूजा का भी विशेष महत्व है. इसके अलावा सुख समृद्धि के लिए माता लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा का भी विधान है. इस दिन सोना, चांदी या बर्तन आदि खरीदना शुभ माना जाता है. धनतेरस के दिन क्या खरीदना चाहिए? धनतेरस के दिन नई चीज़ें जैसे सोना, चाँदी, पीतल, खरीदना बेहद शुभ माना गया है. सोना खुद देवी लक्ष्मी का स्वरूप है. इ...

भगवान शिव के इन 108 नाम का जाप मिलेगा मनवांछित फल

• 7 hours ago • 13 hours ago • 14 hours ago • 17 hours ago • 17 hours ago • 18 hours ago • 21 hours ago • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • 2 days ago • 2 days ago • 2 days ago • 2 days ago • 2 days ago • 2 days ago • 39.9°C प्रत्येक माह में शिवरात्रि की तिथि होती है। लेकिन फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को भगवान शिव का वरदान प्राप्त है और यह तिथि भगवान शिव की पूजा अर्चना के लिए समर्पित मानी गई है। भगवान शिव को भोले भंडारी कहा जाता है। अगर कोई उन्हें सच्चे मन से एक लोटा जल चढ़ा दें तो ही वो प्रसन्न होकर उसे सब कुछ दे डालते हैं। आइए आज जानें भोलेनाथ के 108 नामों के बारे में जिनका यदि सच्चे मन से सोमवार को जाप करते हुए भगवान शिव को जल चढ़ाया जाए या शिव के इन नामों का साधारण जाप किया जाए तो कठिन से कठिन काम भी संवर जाता है। महा शिवरात्रि पर भगवान शिव के 108 नाम के जाप का महत्व ॐ भोलेनाथ नमः ॐ कैलाश पति नमः ॐ भूतनाथ नमः ॐ नंदराज नमः ॐ नन्दी की सवारी नमः ॐ ज्योतिलिंग नमः ॐ महाकाल नमः ॐ रुद्रनाथ नमः ॐ भीमशंकर नमः ॐ नटराज नमः ॐ प्रलेयन्कार नमः ॐ चंद्रमोली नमः ॐ डमरूधारी नमः ॐ चंद्रधारी नमः ॐ मलिकार्जुन नमः ॐ भीमेश्वर नमः ॐ विषधारी नमः ॐ बम भोले नमः ॐ ओंकार स्वामी नमः ॐ ओंकारेश्वर नमः ॐ शंकर त्रिशूलधारी नमः ॐ विश्वनाथ नमः ॐ अनादिदेव नमः ॐ उमापति नमः ॐ गोरापति नमः ॐ गणपिता नमः ॐ भोले बाबा नमः ॐ शिवजी नमः ॐ शम्भु नमः ॐ नीलकंठ नमः ॐ महाकालेश्वर नमः ॐ त्रिपुरारी नमः ॐ त्रिलोकनाथ नमः ॐ त्रिनेत्रधारी नमः ॐ बर्फानी ब...

Som Pradosh Vrat 2022: इस दिन पड़ रहा है मार्गशीर्ष का पहला प्रदोष व्रत, जानिए पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त

सोम प्रदोष व्रत रखने से भक्तों के जीवन से कष्ट दूर होते हैं और भगवान भोले शंकर और माता पार्वती की विशेष कृपा हासिल होता है. मार्गशीर्ष का पहला प्रदोष व्रत जल्द आने वाला है. ऐसे में सभी भक्तजन जानना चाह रहे हैं कि प्रदोष व्रत कब और कितने तारीख को है. शुभ मुहूर्त कब है. चलिए हम आपको सारी जानकारी देते हैं. भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में इस व्रत को काफी मान्यता दी गई है. कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से भक्तों को भगवान भोले और मां पार्वती का विशेष वरदान प्राप्त होता है. ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस माह यानी मार्गशीर्ष के महीने में किस तारीख को पहला प्रदोष व्रत मनाया जाएगा. इसके साथ ही जानेंगे व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व भी. व्रत का शुभ मुहूर्त शिव के भक्त हर महीने शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखते हैं. इस माह का पहला प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष में सोमवार को है. इसलिए इसे सोम प्रदोष व्रत भी कहते हैं. इस बार तो प्रदोष व्रत के दिन विशेष योग भी बन रहा है. ऐसे में आपको बताते हैं व्रत का शुभ मुहूर्त. इस माह 21 नवंबर दिन सोमवार को सुबह 10:07 मिनट से 22 नवंबर दिन मंगलवार को सुबह 08:49 मिनट तक व्रत का शुभ मुहूर्त रहने वाला है. भगवान शंकर के भक्त 21 नवंबर को शाम 05:34 मिनट से लेकर रात 08:14 मिनट तक भगवान की पूजा कर सकते हैं. पूजा विधि प्रदोष व्रत के दिन व्रत रखने वाले सुबह नित्य क्रिया के बाद स्नान करें और स्वस्छ वस्त्र धारण करें. पूजा शुरू करने से पहले भगवान भोले को फूल,फल, मिठाई, और उनका अन्य प्रिय सामान उन्हें अर्पित करें. इसके बाद तांबे के लोटे से दूध, शहद और जल शिवलिंग पर अर्पण करें. ध्या...

आज की तिथि

Hindu tithi as per th June, 2023. For detailed daily hindu astrology information in Hindi go to आज की तिथि : 17 जून, 2023 शनिवार - आषाढ़ कृष्ण पक्ष कल की तिथि : 18 जून, 2023 रविवार - आषाढ़ अमावस्या ( 10:07 am तक), उसके बाद शुक्ल पक्ष प्रतिपदा | हिंदू पंचांग के अनुसार आज की तारीख - विक्रम संवत (Purnimanta) : आषाढ़ 13, 2080, विक्रम संवत (Amanta) : ज्येष्ठ 29, 2080, शक संवत (भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर): ज्येष्ठ 27, 1945 Astrology Links • ​ Daily Horoscope • ​ Kundli Matching • ​ Horoscope Matching • ​ Panchang • ​ Muhurat Finder • ​ Rashifal • ​ Sade Sati Report • ​ Mangal Dosha • ​ Birth Chart • ​ Zodiac Compatibility • ​ Nakshatra Finder • ​ Birth Stones • ​ Kundali • ​ Calendars • ​ Numerology • ​ Planet Positions • ​ Marriage Prediction

भगवान शिव के हैं कई रूप, जानें

देवों के देव महादेव के जितने नाम हैं उतने ही उनके रूप भी हैं. भोलेनाथ के हर रूप की उपासना से नया वरदान मिलता है. भगवान शिव भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं. बस भक्त के मन की मधुर भावनाएं शिव को निहाल कर देती हैं और प्रसन्न होकर महादेव अपने भक्तों को मनचाहा वरदान देते हैं. महादेव का हर रूप कल्याणकारी है. मान्यता है कि जिस पर शिव की कृपा हो जाती है उसे कोई बाधा नहीं सताती. भक्तों के लिए तो शिव का दरबार हमेशा ही खुला रहता है. ऐसे ही हैं देवों के देव महादेव. उनके हर स्वरूप की अलग ही महिमा है. आइए आपको बताते हैं महादेव के कुछ स्वरूप और उनके महत्व के बारे में... शिव जी का पहला रूप 'महादेव' मान्यता है कि सबसे पहले शिव जी ने ही अपने अंशों से तमाम देवताओं को जन्म दिया था. इसके साथ ही भगवान शिव ने अपने अंश से शक्ति को जन्म दिया. सभी देवी देवताओं के सृजनकर्ता होने से शिव को महादेव कहते हैं. महादेव रूप की उपासना से सभी देवी-देवताओं की पूजा का फल मिलता है. सोमवार को महादेव रूप की उपासना से हर ग्रह नियंत्रित रहता है. शिव जी का दूसरा रूप 'आशुतोष' - शिव जी अपने भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं. भगवान शिव के बहुत जल्दी प्रसन्न होने के कारण उन्हें आशुतोष कहा जाता है. शिव के आशुतोष रूप की उपासना से तनाव दूर होता है. आशुतोष रूप की आराधना से मानसिक परेशानियां मिट जाती हैं. कहा जाता है कि सोमवार के दिन शिवलिंग पर इत्र और जल चढ़ाने से आशुतोष प्रसन्न होते हैं. आशुतोष स्वरूप की उपासना का मंत्र- "ॐ आशुतोषाय नमः" शिव जी का तीसरा रूप- 'रूद्र' शिव में संहार की शक्ति होने से उनका एक नाम रूद्र भी है. उग्र रूप में शिव की उपासना "रूद्र" के रूप में की जाती है. संहार के बाद इंसान को रोने के लिए रू...