शक संवत कब शुरू हुआ

  1. [Solved] विक्रम संवत कब शुरू हुआ था?
  2. तारक मेहता का उल्टा चश्मा कब शुरू हुआ था?
  3. हिन्दू धर्म के विभिन्न कैलेंडर: शक सम्वत और विक्रम सम्वत में क्या अंतर हैं?
  4. [Solved] शक युग पर आधारित राष्ट्रीय कैलेंडर का चैत्र 1 �
  5. विक्रम संवत और शक संवत क्या होता है? Vikram Samvat & Shak Samvat
  6. दादा साहेब फाल्के का जन्म कब हुआ था?
  7. संवत
  8. भारतीय राष्ट्रीय संवत – शक संवत ( Saka Era ) >>>डा. सुशील
  9. शक संवत और भारतीय राष्ट्रीय कैलेंडर
  10. शक संवत और विक्रम संवत – Vision of wisdom


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[Solved] विक्रम संवत कब शुरू हुआ था?

• विक्रम संवत 57 ईसा पूर्व में शुरू किया गया था। • ऐसा कहा जाता है (जैन ग्रंथ कल्काचार्यकथा के अनुसार) विक्रम काल की स्थापना राजा विक्रमादित्य द्वारा per आकाश पर विजय प्राप्त करने के बाद की गई थी। • हालांकि, वी.ए. स्मिथ और डी.आर. भंडारकर (पुरातत्वविद्) का मानना था कि चंद्रगुप्त द्वितीय ने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की थी। यह वह था जिसने युग का नाम बदलकर "विक्रम संवत" कर दिया। • विक्रम संवत को नेपाल का आधिकारिक कैलेंडर भी माना जाता है। • विक्रम संवत कैलेंडर का पहला दिन गुजरात और महाराष्ट्र राज्यों में दिवाली के बाद मनाया जाता है। • शक संवत 78 ई. पू.. में शुरू हुआ।

तारक मेहता का उल्टा चश्मा कब शुरू हुआ था?

Explanation : तारक मेहता का उल्टा चश्मा 28 जुलाई 2008 को शुरू हुआ था। इसका निर्माण नीला असित मोदी और असित कुमार मोदी ने किया है। यह टीवी शो अभी तक का सबसे ज्यादा लंबा चलने वाला कॉमेडी शो है। सबसे ज्यादा एपिसोड का प्रसारण करने के लिए इस शो का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज किया जा चुका है। 3 जून 2019 तक यह 2744 एपिसोड पूरे कर चुका है। इसकी कहानी तारक मेहता के "दुनिया ने ऊन्धा चश्मा" पर आधारित है, जो एक गुजराती साप्ताहिक अखबार चित्रलेखा के लिए लिखते थे। 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' एक ऐसा कॉमेडी सीरियल है, जो बिना रुके और लगातार अपने दर्शकों का मनोरंजन कर रहा है। न तो इसमें कभी कोई लीप आया और न ही कैरेक्टर्स को लेकर कोई छेड़छाड़ ही की गई। शो के किरदार घर-घर में पॉपुलर हैं। जेठालाल, दयाबेन, बाबूजी, टप्पू, मेहता साब, सोढी और पोपटलाल जैसे कैरेक्टर तो लोगों की जिंदगी का हिस्सा बन चुके हैं। बच्चों से लेकर बड़े तक हर कोई 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' के फैन है। Tags :

हिन्दू धर्म के विभिन्न कैलेंडर: शक सम्वत और विक्रम सम्वत में क्या अंतर हैं?

भारत में समय गणना के लिए जिस समय माप का सहारा लिया गया है उसे सम्वत कहते हैं. वैसे तो भारत में समय गणना के लिए अनेक संवत प्रचलन में रहे हैं लेकिन मुख्य रूप से जो सबसे अधिक प्रयोग किए गए वो हैं, विक्रम संवत और शक संवत. संवत का इतिहास: इतिहास में इस बात के तथ्य मौजूद हैं जिनसे पता चलता है कि भारत में संवत का प्रयोग लगभग 2000 वर्ष से ही होना शुरू हुआ है. इससे पहले शासन वर्ष का उपयोग समय की गणना के लिए किया जाता था. महान शासक अशोक, कौटिल्य, कुषाण और सातवाहन तक यह गणना चलती रही. इससे इतिहासकारों में भ्रम की स्थिति बनी रही. हिंदुओं का सबसे प्राचीन संवत ‘सप्तऋषि संवत’ इस संवत के पहली तिथि चैत्र के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा है और इसी तिथि पर कनिष्क ने राज्य सत्ता सम्हाली थी. यह संवत अन्य संवतों की तुलना में कहीं अधिक वैज्ञानिक और त्रुटिहीन है. यह संवत प्रत्येक वर्ष में मार्च की 22 तारीख को शुरू होता है और इस दिन सूर्य विषुवत रेखा के ऊपर होता है और इसी कारण दिन और रात बराबर के समय के होते हैं. शक संवत के दिन 365 होते हैं और इसका लीप ईयर भी अँग्रेजी ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ ही होता है. लीप ईयर होने पर शक संवत 23 मार्च को शुरू होता है और उसमें 366 दिन होते हैं. भारत में इस संवत का प्रयोग वराहमिरि द्वारा 500 ई. से किया जा रहा है. विक्रम संवत: विक्रम संवत की शुरुआत राजा विक्रमादित्य ने 57 ई.पू. की थी. कहा जाता है कि राजा विक्रमादित्य ने अपनी सम्पूर्ण प्रजा का ऋण खुद चुकाकर इस संवत की शुरुआत करी थी. विक्रम संवत में समय की पूरी गणना सूर्य और चाँद के आधार पर की गयी है यानि दिन, सप्ताह, मास और वर्ष की गणना पूरी तरह से वैज्ञानिक है. पौराणिक कथा के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को...

[Solved] शक युग पर आधारित राष्ट्रीय कैलेंडर का चैत्र 1 �

सही उत्तर 22 मार्च (या 21 मार्च) है। • भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर - शक कैलेंडर • शक युग ने शक संवत की शुरुआत को एक ऐतिहासिक हिंदू कैलेंडर के रूप में चिह्नित किया, जिसे बाद में 1957 में 'भारतीय राष्ट्रीय कैलेंडर' के रूप में पेश किया गया था। • शक कैलेंडर में 365 दिन और 12 महीने होते हैं जो ग्रेगोरियन कैलेंडर की संरचना के समान है। • शक संवत का पहला महीना चैत्र है जो 22 मार्च से शुरू होता है औरलीप वर्ष के दौरान 21 मार्च से। इसलिए, विकल्प 1 सही है। शक संवत ग्रेगोरियन कैलेंडर चैत्र मार्च 21 – अप्रैल20 वैशाख अप्रैल 21-मई21 ज्येष्ठ मई 22-जून21 आषाढ़ जून 22- जुलाई22 श्रवण जुलाई 23-अगस्त22 भाद्र अगस्त 22-सितम्बर22 आश्विन सितम्बर 23-अक्टूबर22 कार्तिक अक्टूबर 23-नवंबर 21 अग्रहायण नवंबर 22-दिसम्बर21 पूष दिसम्बर 22-जनवरी20 माघ जनवरी 21- फरवरी 19 फाल्गुन फरवरी 20-मार्च20/21

विक्रम संवत और शक संवत क्या होता है? Vikram Samvat & Shak Samvat

तो दोस्तों जैसा की आप सभी जानते है की हम सभी इस धरती पर निवास करते है और हमारी यह धरती बहुत वर्षों पुरानी है। जी हाँ दोस्तों आपको यह बता दे की पृथ्वी पर बहुत वर्षों से जीवन मौजूद है। क्योंकि आप अगर इतिहास की बात करें तो इतिहास में ऐसी बहुत सी कथाएं है। जो की धरती पर ही हुई है और उनको हुए काफी अधिक वर्ष हो चुके है। आप आप सभी यह जानना चाहते ही की कितने वर्षों पुरानी होती है। बहुत वर्षो पहले वर्षों की गणना करने के लिए किसी अन्य चीजों का प्रयोग किया जाता है। पहले के समय में इस प्रकार की गणना करने के लिए विक्रम संवत और शक संवत का प्रयोग करते थे। तो दोस्तों क्या आप ने इससे पहले कभी इनका नाम सुना है ? अगर नहीं तो आप चिंता न करें क्योंकि आज हम बताने वाले है की विक्रम संवत और शक संवत क्या होता है ? Vikram Samvat Aur Shak Samvat Kya Hai तो दोस्तों क्या अपने कभी Vikram Samvat Aur Shak Samvat के बारे में सुना है अगर नहीं तो इसमें आप में से किसी को भी चिंता करने की कोई भी आवश्यकता नहीं है। क्योंकि आज हम आप सभी को इस लेख के जरिये इसके बारे में बहुत सी अन्य जानकारी प्रदान करने वाले है। जैसे की – विक्रम संवत क्या होता है और शक संवत क्या होता है और इससे सम्बंधित अन्य जानकारी के बारे में भी हम आपको इस लेख में बताने वाले है। तो दोस्तों की आप भी इसके बारे में इस प्रकार की जानकारी प्राप्त करना चाहते है। अगर हाँ तो उसके लिए आप सभी को हमारे इस लेख को अंत तक पढ़ना होगा। क्योंकि इस लेख में ही हमने विक्रम संवत और शक संवत से सम्बंधित जानकारी के बारे में बताया हुआ है। जिसको पढ़ने से ही आप इसके बारे में जान सकोगे। तो दोस्तों इस लिए कृपया करके हमारे इस लेख को ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़े और इससे सम्बंधित अन्य ज...

दादा साहेब फाल्के का जन्म कब हुआ था?

Explanation : दादा साहेब फाल्के का जन्म 30 अप्रैल 1870 को हुआ था। भारतीय सिनेमा के संस्थापक धुंडीराज गोविंद यानी दादा साहेब फाल्के (Dhundiraj Govind Phalke) का जन्म त्रयंबक, महाराष्ट्र में एक मराठी परिवार में हुआ था। उन्होंने नासिक से पढ़ाई की और सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट, मुंबई में नाटक और फोटोग्राफी की ट्रेनिंग ली। इसके बाद उन्होंने जर्मनी जाकर फिल्म बनाने की शिक्षा हासिल की। इसके बाद भारत वापस आकर उन्होंने फिल्में बनानी शुरू की। दादा साहेब ने साल 1913 में 'राजा हरिश्चंद्र' से डेब्यू किया जो भारत की पहली फुल-लेंथ फीचर फिल्म है। राजा हरिश्चंद्र बनाने के बाद उन्होंने साल 1917 में लंका दहन बनाई थी। इस फिल्म की भी खूब प्रशंसा की गई थी। दादा साहब ने करीब 100 फिल्में बनाईं, इसमें फीचर, लघु फिल्म सहित कई वृत्त चित्र शामिल हैं। 16 फरवरी, 1944 को नाशिक में इनका निधन हुआ।

संवत

अनुक्रम • 1 विक्रम संवत् • 2 शक संवत् • 3 इन्हें भी देखें • 4 सन्दर्भ विक्रम संवत् [ ] विक्रम संवत् ई. पू. 57 वर्ष प्रारंभ हुआ। यह संवत् मालव गण के सामूहिक प्रयत्नों द्वारा गर्दभिल्ल के पुत्र विक्रम के नेतृत्व में उस समय विदेशी माने जानेवाले शक लोगों की पराजय के स्मारक रूप में प्रचलित हुआ। जान पड़ता है, भारतीय जनता के देशप्रेम और विदेशियों के प्रति उनकी भावना सदा जागृत रखने के लिए जनता ने सदा से इसका प्रयोग किया है क्योंकि भारतीय सम्राटों ने अपने ही संवत् का प्रयोग किया है। इतना निश्चित है कि यह संवत् मालव गण द्वारा जनता की भावना के अनुरूप प्रचलित हुआ और तभी से जनता द्वारा ग्राह्य एवं प्रयुक्त है। इस संवत् के प्रारंभिक काल में यह कृत, तदनंतर मालव और अंत में विक्रम संवत् रह गया। यही अंतिम नाम इस संवत् के साथ जुड़ा हुआ है। शक संवत् [ ] राष्ट्रीय शाके अथवा शक संवत भारत का राष्ट्रीय कलैण्डर है। यह 78 ईसवी से प्रारम्भ हुआ था। चैत्र 1, 1879 शक संवत[1] को इसे अधिकारिक रूप से विधिवत अपनाया गया। 500 ई. के उपरान्त संस्कृत में लिखित सभी ज्योतिःशास्त्रीय ग्रन्थ शक संवत का प्रयोग करने लगे। इस संवत का यह नाम क्यों पड़ा, इस विषय में विभिन्न एक मत हैं। इसे कुषाण राजा कनिष्क ने चलाया या किसी अन्य ने, इस विषय में अन्तिम रूप से कुछ नहीं कहा जा सका है। यह एक कठिन समस्या है जो भारतीय इतिहास और काल निर्णय की अत्यन्त कठिन समस्याओं में मानी जाती है। क्रम माह दिवस मास प्रारम्भ तिथि (ग्रेगोरी) १ चैत्र 30/31 22 मार्च २ वैशाख 31 21 अप्रैल ३ ज्येष्ठ 31 22 मई ४ आषाढ़ 31 22 जून ५ श्रावण 31 23 जुलाई ६ भाद्र 31 23 अगस्त ७ आश्विन 30 23 सितंबर ८ कार्तिक 30 23 अक्टूबर ९ मार्गशीर्ष 30 22 नवम्बर १० पौष 30 22 द...

भारतीय राष्ट्रीय संवत – शक संवत ( Saka Era ) >>>डा. सुशील

भारतीय राष्ट्रीय संवत – शक संवत ( Saka Era ) >>>डा. सुशील भाटी Kanishka’s Emblem शक संवत भारत का राष्ट्रीय संवत हैं| इस संवत को कुषाण/कसाना सम्राट कनिष्क महान ने अपने राज्य रोहण के उपलक्ष्य में 78 इस्वी में चलाया था| इस संवत कि पहली तिथि चैत्र के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा होती हैं जोकि भारत के विश्व विख्यात सम्राट कनिष्क महान के राज्य रोहण की वर्ष गाठ हैं| शक संवत में कुछ ऐसी विशेषताए हैं जो भारत में प्रचलित किसी भी अन्य संवत में नहीं हैं जिनके कारण भारत सरकार ने इसे “भारतीय राष्ट्रीय संवत” का दर्ज़ा प्रदान किया हैं| भारत नस्लीय, भाषाई और सांस्कृतिक बहुलता वाला विशाल देश हैं, जिस कारण आज़ादी के समय यहाँ अलग-अलग प्रान्तों में विभिन्न संवत चल रहे थे| भारत सरकार के सामने यह समस्या थी कि किस संवत को भारत का अधिकारिक संवत का दर्जा दिया जाए| वस्तुत भारत सरकार ने सन 1954 में संवत सुधार समिति(Calendar Reform Committee) का गठन किया जिसने देश प्रचलित 55 संवतो की पहचान की| कई बैठकों में हुई बहुत विस्तृत चर्चा के बाद संवत सुधार समिति ने स्वदेशी संवतो में से शक संवत को अधिकारिक राष्ट्रीय संवत का दर्जा प्रदान करने कि अनुशंषा की, क्योकि प्राचीन काल में यह संवत भारत में सबसे अधिक प्रयोग किया जाता था| शक संवत भारतीय संवतो में सबसे ज्यादा वैज्ञानिक, सही तथा त्रुटिहीन हैं, शक संवत प्रत्येक साल 22 मार्च को शुरू होता हैं, इस दिन सूर्य विश्वत रेखा पर होता हैं तथा दिन और रात बराबर होते हैं| शक संवत में साल 365 दिन होते हैं और इसका ‘लीप इयर’ ‘ग्रेगोरियन कैलेंडर’ के साथ-साथ ही पड़ता हैं| ‘लीप इयर’ में यह 23 मार्च को शुरू होता हैं और इसमें ‘ग्रेगोरियन कैलेंडर’ की तरह 366 दिन होते हैं| पश्चिमी ‘ग्रेगोर...

शक संवत और भारतीय राष्ट्रीय कैलेंडर

शक संवत भारत का आधिकारिक कैलेंडर है। यह विक्रम संवत के बाद शुरू हुआ और अंग्रेजी कैलेंडर से करीब 78 साल पीछे है। वास्तव में इसे 22 मार्च 1957 या 1 चैत्र 1879 को ‘भारतीय राष्ट्रीय कैलेंडर’ का दर्जा मिला। भारत सरकार ने एक समान कैलेंडर रखने के लिए शक संवत को भारतीय राष्ट्रीय कैलेंडर के रूप में अपनाने का फैसला किया क्योंकि उस समय देश में लगभग 30 अलग-अलग कैलेंडर का उपयोग किया जा रहा था। लक्ष्य एक ऐसा कैलेंडर बनाना था जो चंद्र कैलेंडर में जोड़े जाने वाले अधिक मास से बचा हो। गणितीय गलती के कारण चंद्र कैलेंडर में प्रमुख सौर घटनाओं की तिथियां भी आगे या पीछे की ओर स्थानांतरित कर दी जाती हैं। इससे बचने के लिए चंद्र कैलेंडर में हर तीन साल में एक अतिरिक्त महीना जोड़ा जाता है। शक संवत कैलेंडर ग्रेगोरियन कैलेंडर के समान ही संरचित है, जिसमें 365 दिन और 12 महीने होते हैं। शक संवत का पहला महीना चैत्र 22 मार्च से शुरू होता है, जो लीप वर्ष के दौरान 21 मार्च के साथ मेल खाता है। इस कैलेंडर में बारह महीने (क्रम में) चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भद्रा, अश्विन, कार्तिक, अग्रहायन, पौश, माघ और फाल्गुन हैं। माना जाता है कि शक युग की स्थापना शातवाहन वंश के राजा शालिवाहन ने की थी। ई. 1222 में सोमराज द्वारा लिखित कन्नड़ कविता उदभटकव्य शालिवाहन और शाक युग के बीच संबंध का प्रमाण है। इन काव्यों में से मुहूर्त-मार्तंड बताता है कि शालिवाहन के जन्म के साथ शक संवत् का प्रारंभ हुआ। राजा विक्रमादित्य पर राजा शालिवाहन की विजय 1300 ईस्वी में कल्प प्रदीप में लिखी गई है। शक संवत भारतीय इतिहास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसका उपयोग मौर्य और गुप्त युग के स्वर्ण युग में किया गया था। प्रारंभिक काल में व्यावहारिक ...

शक संवत और विक्रम संवत – Vision of wisdom

Vision of wisdom (VOW : ज्ञान की दृष्टि ) • Twitter • Youtube शक संवत और विक्रम संवत इतिहास में इस बात के तथ्य मौजूद हैं जिनसे पता चलता है कि भारत में संवत का प्रयोग लगभग 2000 वर्ष से ही होना शुरू हुआ है। इससे पहले ‘शासन वर्ष’ का उपयोग समय की गणना के लिए किया जाता था। महान शासक अशोक, कौटिल्य, कुषाण और सातवाहन तक यह गणना चलती रही। इससे इतिहासकारों में भ्रम की स्थिति बनी रही। हिंदुओं का सबसे प्राचीन संवत ‘सप्तऋषि संवत’। सम्वत को समय की गणना का भारतीय मापदंड माना जाता है। भारत में दो सम्वत प्रचलित हैं, विक्रम सम्वत (57 ई.पू.) और शक सम्वत (78 ई.) । 3) विक्रम संवत और शक संवत में अंतर : शक संवत : (2019 – 78 = 1941) यह भारत के अधिकारिक कैलेंडर है। इसको सरकारी रूप से अपनाने के पीछे कारण यह है कि, प्राचीन लेखो, शिला लेखो में इसका वर्णन देखा गया है। इसके अतिरिक्त यह संवत विक्रम संवत के बाद शुरू हुआ। यह अंग्रेजी कैलेंडर से 78 वर्ष पीछे है, 2019 – 78 = 1941. इस प्रकार अभी 1941 शक संवत चल रहा है। विक्रम संवत : (2019 + 57 = 2076) यह राजा विक्रम के द्वारा प्रारंभ किया गया संवत है। उनके समय में सबसे बड़े खगोल शास्त्री वराहमिहिर थे। जिनके सहायता से इस संवत के प्रसार में मदद मिली। वराह मिहिर की मान्यता काफी अधिक थी। इसलिए इस संवत के प्रसार में कठिनाई नही आई। इस संवत की मान्यता होने का दूसरा प्रमुख कारण है कि यह संवत उज्जैन से शुरू हुआ है। उज्जैन में आप जानते होंगे कि वह ऐसी जगह है, जहाँ से कर्क रेखा गुजरती है, वहां से समय गणना, घड़ी आदि कई महत्वपूर्ण घटनाये जुडी हुई है। जिसके कारण उस जगह की मान्यता है। यह अंग्रेजी कैलेंडर से 57 वर्ष आगे है, 2019 + 57 = 2076. इस प्रकार अभी 1941 शक संवत चल रह...