शम्बूक वध वाल्मीकि रामायण

  1. आंबेडकरवादी मिथक : शम्बूक वध का सच (Truth of Shambuk Vadha)
  2. शम्बूक वध का सत्य – चौथा खम्बा
  3. वाल्मीकि रामायण सम्पूर्ण संस्कृत हिंदी अर्थ सहित Valmiki Ramayana in Hindi
  4. शम्बूक वध सत्य या मिथक?
  5. शम्बूक वध का सत्य – ARYA SAMACHAR
  6. शम्बूक वध सत्य या मिथक?
  7. वाल्मीकि रामायण सम्पूर्ण संस्कृत हिंदी अर्थ सहित Valmiki Ramayana in Hindi
  8. शम्बूक वध का सत्य – ARYA SAMACHAR
  9. शम्बूक वध का सत्य – चौथा खम्बा
  10. आंबेडकरवादी मिथक : शम्बूक वध का सच (Truth of Shambuk Vadha)


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आंबेडकरवादी मिथक : शम्बूक वध का सच (Truth of Shambuk Vadha)

वाल्मीकि रामायण में पुरुषोत्तम राम निश्चित ही सबसे बड़े आदर्श हैं, क्योंकि वाल्मीकि का ध्येय ही एक आदर्श पुरुष के चरित्र का वर्णन था, ऐसा आदर्श कि समाज के सामने हमेशा एक ऐसा चरित्र रहे कि समाज के बच्चे, वयस्क और वृद्ध सभी उस आदर्श का अनुसरण कर सकें, ताकि समाज सुखी रह सके। वाल्मीकि उस समय अर्थात आज से लगभग ६००० वर्ष पहले ( महाभारत ही आज से ५००० वर्ष पहले हुआ था) मानव के मनोविज्ञान का और उसके व्यवहार का इतना गहरा सत्य समझ गए थे कि हम मानवों को समुचित विकास के लिये कुछ आदर्शों की अनिवार्यत: आवश्यकता होती है। यदि हम बच्चों को ऊँचे आदर्श नहीं देंगे तब वे टीवी से नचैय्यों गवैय्यों को अनजाने ही अपना आदर्श बना लेंगे, उनके कपड़ों या फ़ैशन की, उनके (झूठे) खानपान की, उनकी जीवन शैली की नकल करने लगेंगे। वाल्मीकि रामायण के राम का यह आदर्श इतना सशक्त बना कि राम हिन्दू धर्म के न केवल आदर्श बने वरन वे हिन्दू धर्म के प्रतिनिधि बन गए, राम की‌ ऊँचाई से हिन्दू धर्म की‌ ऊंचाई नापी‌ जाने लगी। ऐसे ऊँचे आदर्श को गिराने से हिन्दू धर्म पर चोट पहुँचेगी और उसके अनुयायी अन्य धर्म को स्वीकार कर लेंगे, इस विश्वास के आधार पर हमारे शत्रुओं ने दो झूठी, किन्तु आदर्श -सी दीखने वाली घटनाएं रामायण में बहुत रोचक तथा विश्वसनीय बनाकर डालीं। घटनाओं को उसी रामायण में इतनी कुशलता से जोड़ देना कि पाठक को संदेह भी न हो और राम के पुरुषोत्तमत्व पर भी धब्बा लग जाए – सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे– यही तो प्रक्षेप या चोरी से माल डालने वाले‘शत्रु -चोरों’ का कौशल है, जिसमें उऩ्होंने आशातीत सफ़लता पाई है। रामायण में अनेक प्रक्षेप हैं, इस समय मैं उत्तरकाण्ड के दो बहुत ही‌ महत्वपूर्ण प्रक्षेपों की चर्चा करूंगा - १. श्री राम न...

शम्बूक वध का सत्य – चौथा खम्बा

एक दिन एक ब्राह्मण का इकलौता बेटा मर गया। उस ब्राह्मण ने लड़के के शव को लाकर राजद्वार पर डाल दिया और विलाप करने लगा। उसका आरोप था की बालक की अकाल मृत्यु का कारण राज का कोई दुष्कृत्य हैं। ऋषि- मुनियों की परिषद् ने इस पर विचार करके निर्णय दिया की राज्य में कहीं कोई अनधिकारी तप कर रहा हैं। रामचंद्र जी ने इस विषय पर विचार करने के लिए मंत्रियों को बुलाया। नारद जी ने उस सभा में कहा- राजन! द्वापर में भी शुद्र का तप में प्रवत होना महान अधर्म हैं (फिर त्रेता में तो उसके तप में प्रवत होने का प्रश्न ही नहीं उठता?)। निश्चय ही आपके राज्य की सीमा में कोई खोटी बुद्धिवाला शुद्र तपस्या कर रहा हैं। उसी के कारण बालक की मृत्यु हुई हैं। अत: आप अपने राज्य में खोज कीजिये और जहाँ कोई दुष्ट कर्म होता दिखाई दे वहाँ उसे रोकने का यतन कीजिये। यह सुनते ही रामचन्द्र जी पुष्पक विमान पर सवार होकर शुम्बुक की खोज में निकल पड़े और दक्षिण दिशा में शैवल पर्वत के उत्तर भाग में एक सरोवर पर तपस्या करते हुए एक तपस्वी मिल गया जो पेड़ से उल्टा लटक कर तपस्या कर रहा था। उसे देखकर श्री रघुनाथ जी उग्र तप करते हुए उस तपस्वी के पास जाकर बोले- “उत्तम तप का पालन करते हए तापस! तुम धन्य हो। तपस्या में बड़े- चढ़े , सुदृढ़ पराक्रमी पुरुष! तुम किस जाति में उत्पन्न हुए हो? मैं दशरथ कुमार राम तुम्हारा परिचय जानने के लिए ये बातें पूछ रहा हूँ। तुम्हें किस वस्तु के पाने की इच्छा हैं? तपस्या द्वारा संतुष्ट हुए इष्टदेव से तुम कौन सा वर पाना चाहते हो- स्वर्ग या कोई दूसरी वस्तु? कौन सा ऐसा पदार्थ हैं जिसे पाने के लिए तुम ऐसी कठोर तपस्या कर रहे हो जो दूसरों के लिए दुर्लभ हैं? सत्यकाम जाबाल जब गौतम गोत्री हारिद्रुमत मुनि के पास शिक्षार्थी होकर प...

वाल्मीकि रामायण सम्पूर्ण संस्कृत हिंदी अर्थ सहित Valmiki Ramayana in Hindi

वाल्मीकिरामायणसम्पूर्णसंस्कृतहिंदीअर्थसहित Sri Valmiki Ramayana Shlok in Sanskrit with Hindi Meaning यहाँवाल्मीकिरामायणसम्पूर्णसंस्कृतहिंदीअर्थसहित ( valmiki ramayan shlok in sanskrit with hindi meaning) दियाजारहाहै।इसकामूलउद्देश्यश्रीरामकेजीवनचरित्रसेशिक्षालेनाएवंसनातनसंस्कृतिसेपरिचितकरानाहै। श्रीवाल्मीकिरामायणएकधार्मिकग्रन्थकेसाथविश्वकेपुरातनइतिहास, भूगोल, ज्योतिष, दर्शनएवंसामाजिकव्यवहारकीबड़ीसुन्दरजानकारीदेताहै। यहग्रन्थधार्मिकदृष्टिकेअलावासामाजिकदृष्टिसेभीउतनाहीउत्तमऔरपठनीयहै। संस्कृतसाहित्यकाएकआरम्भिकमहाकाव्यहैजोसंस्कृतभाषामेंअनुष्टुपछन्दोंमेंरचितहै। काव्यबीजंसनातनम्: महर्षिवाल्मीकिद्वारारचितहोनेकेकारणइसे‘वाल्मीकीयरामायण’कहाजाताहै। हरिवंशपुराण (विष्णुपर्व), स्कन्दपुराण (वैष्णवखण्ड), मत्स्यपुराण, महाकविकालिदासरचितरघुवंश, अग्निपुराण, गरुड़पुराण, भवभूतिरचितउत्तररामचरित, वृहद्धर्मपुराणजैसेअनेकप्राचीनग्रन्थोंमेंमहर्षिवाल्मीकिएवंउनकेमहाकाव्यरामायणकाउल्लेखमिलताहै। इसमहाकाव्यकीप्रशंसा “काव्यबीजंसनातनम्”कहकरवृहद्धर्मपुराणमेंकीगयीहै। (यहकार्य RamCharit.in केद्वाराआर्थिकव्ययकरकेउपलब्धकरायागयाहै।कृपयाशेयरकरेंतो website लिंकक्रेडिटअवश्यदें।किसीअन्यवेबसाइटद्वाराचोरीकियेजानेकीदशामें Intellectual Property Rights (IPR) अधिनियमकेतहतकानूनीकार्यवाहीकीजायेगी) 1.श्रीवाल्मीकिरामायणबालकाण्डसम्पूर्णहिंदीअनुवादसहित 2. श्रीवाल्मीकिरामायणअयोध्याकाण्डसम्पूर्णहिंदीअनुवादसहित 3. श्रीवाल्मीकिरामायणअरण्यकाण्डसम्पूर्णहिंदीअनुवादसहित 4. श्रीवाल्मीकिरामायणकिष्किंधाकाण्डसम्पूर्णहिंदीअनुवादसहित 5. श्रीवाल्मीकिरामायणसुन्दरकाण्डसम्पूर्णहिंदीअनुवादसहित 6. श्रीवाल्मीकिरामायणयुद्धकाण्डसम्पूर्णहिंदीअनुवादसहित 7....

शम्बूक वध सत्य या मिथक?

(उत्तरकाण्ड सर्ग ७३-७६ गीता प्रेस) क्या रामायण में शूद्र लोगों को हीन समझा गया है? रामायण में निषादराज गुह के विषय में लिखा है- तत्र राजा गुहो नाम रामस्यात्मसमः सखा। निषादजात्यो बलवान् स्थपतिश्चेति विश्रुतः॥ (अयोध्या काण्ड सर्ग 50 श्लोक 33 गीता प्रेस) अर्थात् शृङ्गवेरपुर में गुहनामका राजा राज्य करता था। वह श्रीरामचन्द्रजीका प्राणोंके समान प्रिय मित्र था। उसका जन्म निषादकुलमें हुआ था वह शारीरिक शक्ति और सैनिक शक्तिकी दृष्टिसे भी बलवान् था तथा वहाँके निषादों का सुविख्यात राजा था। यहां गुह को“रामस्यात्मसमः सखा” कहा है। आगे यह भी कहा है कि निषादराज गुह श्रीराम को गले लगाते हैं- तमार्तः सम्परिष्वज्य गुहो राघवमब्रवीत्। यथायोध्या तथेदं ते राम किं करवाणि ते॥ (अयोध्या काण्ड सर्ग 50 श्लोक 36 गीता प्रेस) भगवान् श्रीराम गुह के गले लग कर उन्हें स्वस्थ व आनंद से युक्त देखकर प्रसन्न होते हैं और मित्र आदि के विषय में भी पूछते हैं- भुजाभ्यां साधुवृत्ताभ्यां पीडयन् वाक्यमत्रवीत्।।४१।। दिष्ट्या त्वां गुह पश्यामि ह्यरोगं सह बान्धवैः। अपि ते कुशलं राष्ट्रे मित्रेषु च वनेषु च।।४२।। (अयोध्या काण्ड सर्ग 50 गीता प्रेस) अब अन्य संस्करणों से भी देखें- (बंगाल संस्करण अयोध्या काण्ड सर्ग 47, श्लोक 9,12,18,19) यहां आप देख सकते हैं पश्चिमोत्तर व बंगाल संस्करण में गुह को धार्मिक कहा है। शूद्रकुलोत्पन्न तपस्विनी शबरी के यहां जाकर श्रीराम उनका आतिथ्य स्वीकार करते हैं- पाद्यमाचमनीयं च सर्वे प्रादाद् यथाविधि। (अरण्य काण्ड सर्ग ७४ श्लोक ७ गीता प्रेस) शबरी ने भगवान् श्रीराम को पाद्य, अर्ध्य और आचमनीय आदि सब सामग्री समर्पित की और विधिवत् उनका सत्कार किया। और वे श्रीराम शबरी से पूछते हैं- कच्चित्ते निर्जिता विघ्न...

शम्बूक वध का सत्य – ARYA SAMACHAR

मर्यादापुरुषोतम श्री रामचंद्र जी महाराज के जीवन को सदियों से आदर्श और पवित्र माना जाता हैं। कुछ विधर्मी और नास्तिकों द्वारा श्री रामचन्द्र जी महाराज पर शम्बूक नामक एक शुद्र का हत्यारा होने का आक्षेप लगाया जाता हैं। सत्य वही हैं जो तर्क शास्त्र की कसौटी पर खरा उतरे। हम यहाँ तर्कों से शम्बूक वध की कथा की परीक्षा करके यह निर्धारित करेगे की सत्य क्या हैं। सर्वप्रथम शम्बूक कथा का वर्णन वाल्मीकि रामायण में उत्तर कांड के 73-76 सर्ग में मिलता हैं। शम्बूक वध की कथा इस प्रकार हैं- एक दिन एक ब्राह्मण का इकलौता बेटा मर गया। उस ब्राह्मण ने लड़के के शव को लाकर राजद्वार पर डाल दिया और विलाप करने लगा। उसका आरोप था की बालक की अकाल मृत्यु का कारण राज का कोई दुष्कृत्य हैं। ऋषि- मुनियों की परिषद् ने इस पर विचार करके निर्णय दिया की राज्य में कहीं कोई अनधिकारी तप कर रहा हैं। रामचंद्र जी ने इस विषय पर विचार करने के लिए मंत्रियों को बुलाया। नारद जी ने उस सभा में कहा- राजन! द्वापर में भी शुद्र का तप में प्रवत होना महान अधर्म हैं (फिर त्रेता में तो उसके तप में प्रवत होने का प्रश्न ही नहीं उठता?)। निश्चय ही आपके राज्य की सीमा में कोई खोटी बुद्धिवाला शुद्र तपस्या कर रहा हैं। उसी के कारण बालक की मृत्यु हुई हैं। अत: आप अपने राज्य में खोज कीजिये और जहाँ कोई दुष्ट कर्म होता दिखाई दे वहाँ उसे रोकने का यतन कीजिये। यह सुनते ही रामचन्द्र जी पुष्पक विमान पर सवार होकर शुम्बुक की खोज में निकल पड़े और दक्षिण दिशा में शैवल पर्वत के उत्तर भाग में एक सरोवर पर तपस्या करते हुए एक तपस्वी मिल गया जो पेड़ से उल्टा लटक कर तपस्या कर रहा था। उसे देखकर श्री रघुनाथ जी उग्र तप करते हुए उस तपस्वी के पास जाकर बोले- “उत्तम तप का पा...

शम्बूक वध सत्य या मिथक?

(उत्तरकाण्ड सर्ग ७३-७६ गीता प्रेस) क्या रामायण में शूद्र लोगों को हीन समझा गया है? रामायण में निषादराज गुह के विषय में लिखा है- तत्र राजा गुहो नाम रामस्यात्मसमः सखा। निषादजात्यो बलवान् स्थपतिश्चेति विश्रुतः॥ (अयोध्या काण्ड सर्ग 50 श्लोक 33 गीता प्रेस) अर्थात् शृङ्गवेरपुर में गुहनामका राजा राज्य करता था। वह श्रीरामचन्द्रजीका प्राणोंके समान प्रिय मित्र था। उसका जन्म निषादकुलमें हुआ था वह शारीरिक शक्ति और सैनिक शक्तिकी दृष्टिसे भी बलवान् था तथा वहाँके निषादों का सुविख्यात राजा था। यहां गुह को“रामस्यात्मसमः सखा” कहा है। आगे यह भी कहा है कि निषादराज गुह श्रीराम को गले लगाते हैं- तमार्तः सम्परिष्वज्य गुहो राघवमब्रवीत्। यथायोध्या तथेदं ते राम किं करवाणि ते॥ (अयोध्या काण्ड सर्ग 50 श्लोक 36 गीता प्रेस) भगवान् श्रीराम गुह के गले लग कर उन्हें स्वस्थ व आनंद से युक्त देखकर प्रसन्न होते हैं और मित्र आदि के विषय में भी पूछते हैं- भुजाभ्यां साधुवृत्ताभ्यां पीडयन् वाक्यमत्रवीत्।।४१।। दिष्ट्या त्वां गुह पश्यामि ह्यरोगं सह बान्धवैः। अपि ते कुशलं राष्ट्रे मित्रेषु च वनेषु च।।४२।। (अयोध्या काण्ड सर्ग 50 गीता प्रेस) अब अन्य संस्करणों से भी देखें- (बंगाल संस्करण अयोध्या काण्ड सर्ग 47, श्लोक 9,12,18,19) यहां आप देख सकते हैं पश्चिमोत्तर व बंगाल संस्करण में गुह को धार्मिक कहा है। शूद्रकुलोत्पन्न तपस्विनी शबरी के यहां जाकर श्रीराम उनका आतिथ्य स्वीकार करते हैं- पाद्यमाचमनीयं च सर्वे प्रादाद् यथाविधि। (अरण्य काण्ड सर्ग ७४ श्लोक ७ गीता प्रेस) शबरी ने भगवान् श्रीराम को पाद्य, अर्ध्य और आचमनीय आदि सब सामग्री समर्पित की और विधिवत् उनका सत्कार किया। और वे श्रीराम शबरी से पूछते हैं- कच्चित्ते निर्जिता विघ्न...

वाल्मीकि रामायण सम्पूर्ण संस्कृत हिंदी अर्थ सहित Valmiki Ramayana in Hindi

वाल्मीकिरामायणसम्पूर्णसंस्कृतहिंदीअर्थसहित Sri Valmiki Ramayana Shlok in Sanskrit with Hindi Meaning यहाँवाल्मीकिरामायणसम्पूर्णसंस्कृतहिंदीअर्थसहित ( valmiki ramayan shlok in sanskrit with hindi meaning) दियाजारहाहै।इसकामूलउद्देश्यश्रीरामकेजीवनचरित्रसेशिक्षालेनाएवंसनातनसंस्कृतिसेपरिचितकरानाहै। श्रीवाल्मीकिरामायणएकधार्मिकग्रन्थकेसाथविश्वकेपुरातनइतिहास, भूगोल, ज्योतिष, दर्शनएवंसामाजिकव्यवहारकीबड़ीसुन्दरजानकारीदेताहै। यहग्रन्थधार्मिकदृष्टिकेअलावासामाजिकदृष्टिसेभीउतनाहीउत्तमऔरपठनीयहै। संस्कृतसाहित्यकाएकआरम्भिकमहाकाव्यहैजोसंस्कृतभाषामेंअनुष्टुपछन्दोंमेंरचितहै। काव्यबीजंसनातनम्: महर्षिवाल्मीकिद्वारारचितहोनेकेकारणइसे‘वाल्मीकीयरामायण’कहाजाताहै। हरिवंशपुराण (विष्णुपर्व), स्कन्दपुराण (वैष्णवखण्ड), मत्स्यपुराण, महाकविकालिदासरचितरघुवंश, अग्निपुराण, गरुड़पुराण, भवभूतिरचितउत्तररामचरित, वृहद्धर्मपुराणजैसेअनेकप्राचीनग्रन्थोंमेंमहर्षिवाल्मीकिएवंउनकेमहाकाव्यरामायणकाउल्लेखमिलताहै। इसमहाकाव्यकीप्रशंसा “काव्यबीजंसनातनम्”कहकरवृहद्धर्मपुराणमेंकीगयीहै। (यहकार्य RamCharit.in केद्वाराआर्थिकव्ययकरकेउपलब्धकरायागयाहै।कृपयाशेयरकरेंतो website लिंकक्रेडिटअवश्यदें।किसीअन्यवेबसाइटद्वाराचोरीकियेजानेकीदशामें Intellectual Property Rights (IPR) अधिनियमकेतहतकानूनीकार्यवाहीकीजायेगी) 1.श्रीवाल्मीकिरामायणबालकाण्डसम्पूर्णहिंदीअनुवादसहित 2. श्रीवाल्मीकिरामायणअयोध्याकाण्डसम्पूर्णहिंदीअनुवादसहित 3. श्रीवाल्मीकिरामायणअरण्यकाण्डसम्पूर्णहिंदीअनुवादसहित 4. श्रीवाल्मीकिरामायणकिष्किंधाकाण्डसम्पूर्णहिंदीअनुवादसहित 5. श्रीवाल्मीकिरामायणसुन्दरकाण्डसम्पूर्णहिंदीअनुवादसहित 6. श्रीवाल्मीकिरामायणयुद्धकाण्डसम्पूर्णहिंदीअनुवादसहित 7....

शम्बूक वध का सत्य – ARYA SAMACHAR

मर्यादापुरुषोतम श्री रामचंद्र जी महाराज के जीवन को सदियों से आदर्श और पवित्र माना जाता हैं। कुछ विधर्मी और नास्तिकों द्वारा श्री रामचन्द्र जी महाराज पर शम्बूक नामक एक शुद्र का हत्यारा होने का आक्षेप लगाया जाता हैं। सत्य वही हैं जो तर्क शास्त्र की कसौटी पर खरा उतरे। हम यहाँ तर्कों से शम्बूक वध की कथा की परीक्षा करके यह निर्धारित करेगे की सत्य क्या हैं। सर्वप्रथम शम्बूक कथा का वर्णन वाल्मीकि रामायण में उत्तर कांड के 73-76 सर्ग में मिलता हैं। शम्बूक वध की कथा इस प्रकार हैं- एक दिन एक ब्राह्मण का इकलौता बेटा मर गया। उस ब्राह्मण ने लड़के के शव को लाकर राजद्वार पर डाल दिया और विलाप करने लगा। उसका आरोप था की बालक की अकाल मृत्यु का कारण राज का कोई दुष्कृत्य हैं। ऋषि- मुनियों की परिषद् ने इस पर विचार करके निर्णय दिया की राज्य में कहीं कोई अनधिकारी तप कर रहा हैं। रामचंद्र जी ने इस विषय पर विचार करने के लिए मंत्रियों को बुलाया। नारद जी ने उस सभा में कहा- राजन! द्वापर में भी शुद्र का तप में प्रवत होना महान अधर्म हैं (फिर त्रेता में तो उसके तप में प्रवत होने का प्रश्न ही नहीं उठता?)। निश्चय ही आपके राज्य की सीमा में कोई खोटी बुद्धिवाला शुद्र तपस्या कर रहा हैं। उसी के कारण बालक की मृत्यु हुई हैं। अत: आप अपने राज्य में खोज कीजिये और जहाँ कोई दुष्ट कर्म होता दिखाई दे वहाँ उसे रोकने का यतन कीजिये। यह सुनते ही रामचन्द्र जी पुष्पक विमान पर सवार होकर शुम्बुक की खोज में निकल पड़े और दक्षिण दिशा में शैवल पर्वत के उत्तर भाग में एक सरोवर पर तपस्या करते हुए एक तपस्वी मिल गया जो पेड़ से उल्टा लटक कर तपस्या कर रहा था। उसे देखकर श्री रघुनाथ जी उग्र तप करते हुए उस तपस्वी के पास जाकर बोले- “उत्तम तप का पा...

शम्बूक वध का सत्य – चौथा खम्बा

एक दिन एक ब्राह्मण का इकलौता बेटा मर गया। उस ब्राह्मण ने लड़के के शव को लाकर राजद्वार पर डाल दिया और विलाप करने लगा। उसका आरोप था की बालक की अकाल मृत्यु का कारण राज का कोई दुष्कृत्य हैं। ऋषि- मुनियों की परिषद् ने इस पर विचार करके निर्णय दिया की राज्य में कहीं कोई अनधिकारी तप कर रहा हैं। रामचंद्र जी ने इस विषय पर विचार करने के लिए मंत्रियों को बुलाया। नारद जी ने उस सभा में कहा- राजन! द्वापर में भी शुद्र का तप में प्रवत होना महान अधर्म हैं (फिर त्रेता में तो उसके तप में प्रवत होने का प्रश्न ही नहीं उठता?)। निश्चय ही आपके राज्य की सीमा में कोई खोटी बुद्धिवाला शुद्र तपस्या कर रहा हैं। उसी के कारण बालक की मृत्यु हुई हैं। अत: आप अपने राज्य में खोज कीजिये और जहाँ कोई दुष्ट कर्म होता दिखाई दे वहाँ उसे रोकने का यतन कीजिये। यह सुनते ही रामचन्द्र जी पुष्पक विमान पर सवार होकर शुम्बुक की खोज में निकल पड़े और दक्षिण दिशा में शैवल पर्वत के उत्तर भाग में एक सरोवर पर तपस्या करते हुए एक तपस्वी मिल गया जो पेड़ से उल्टा लटक कर तपस्या कर रहा था। उसे देखकर श्री रघुनाथ जी उग्र तप करते हुए उस तपस्वी के पास जाकर बोले- “उत्तम तप का पालन करते हए तापस! तुम धन्य हो। तपस्या में बड़े- चढ़े , सुदृढ़ पराक्रमी पुरुष! तुम किस जाति में उत्पन्न हुए हो? मैं दशरथ कुमार राम तुम्हारा परिचय जानने के लिए ये बातें पूछ रहा हूँ। तुम्हें किस वस्तु के पाने की इच्छा हैं? तपस्या द्वारा संतुष्ट हुए इष्टदेव से तुम कौन सा वर पाना चाहते हो- स्वर्ग या कोई दूसरी वस्तु? कौन सा ऐसा पदार्थ हैं जिसे पाने के लिए तुम ऐसी कठोर तपस्या कर रहे हो जो दूसरों के लिए दुर्लभ हैं? सत्यकाम जाबाल जब गौतम गोत्री हारिद्रुमत मुनि के पास शिक्षार्थी होकर प...

आंबेडकरवादी मिथक : शम्बूक वध का सच (Truth of Shambuk Vadha)

वाल्मीकि रामायण में पुरुषोत्तम राम निश्चित ही सबसे बड़े आदर्श हैं, क्योंकि वाल्मीकि का ध्येय ही एक आदर्श पुरुष के चरित्र का वर्णन था, ऐसा आदर्श कि समाज के सामने हमेशा एक ऐसा चरित्र रहे कि समाज के बच्चे, वयस्क और वृद्ध सभी उस आदर्श का अनुसरण कर सकें, ताकि समाज सुखी रह सके। वाल्मीकि उस समय अर्थात आज से लगभग ६००० वर्ष पहले ( महाभारत ही आज से ५००० वर्ष पहले हुआ था) मानव के मनोविज्ञान का और उसके व्यवहार का इतना गहरा सत्य समझ गए थे कि हम मानवों को समुचित विकास के लिये कुछ आदर्शों की अनिवार्यत: आवश्यकता होती है। यदि हम बच्चों को ऊँचे आदर्श नहीं देंगे तब वे टीवी से नचैय्यों गवैय्यों को अनजाने ही अपना आदर्श बना लेंगे, उनके कपड़ों या फ़ैशन की, उनके (झूठे) खानपान की, उनकी जीवन शैली की नकल करने लगेंगे। वाल्मीकि रामायण के राम का यह आदर्श इतना सशक्त बना कि राम हिन्दू धर्म के न केवल आदर्श बने वरन वे हिन्दू धर्म के प्रतिनिधि बन गए, राम की‌ ऊँचाई से हिन्दू धर्म की‌ ऊंचाई नापी‌ जाने लगी। ऐसे ऊँचे आदर्श को गिराने से हिन्दू धर्म पर चोट पहुँचेगी और उसके अनुयायी अन्य धर्म को स्वीकार कर लेंगे, इस विश्वास के आधार पर हमारे शत्रुओं ने दो झूठी, किन्तु आदर्श -सी दीखने वाली घटनाएं रामायण में बहुत रोचक तथा विश्वसनीय बनाकर डालीं। घटनाओं को उसी रामायण में इतनी कुशलता से जोड़ देना कि पाठक को संदेह भी न हो और राम के पुरुषोत्तमत्व पर भी धब्बा लग जाए – सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे– यही तो प्रक्षेप या चोरी से माल डालने वाले‘शत्रु -चोरों’ का कौशल है, जिसमें उऩ्होंने आशातीत सफ़लता पाई है। रामायण में अनेक प्रक्षेप हैं, इस समय मैं उत्तरकाण्ड के दो बहुत ही‌ महत्वपूर्ण प्रक्षेपों की चर्चा करूंगा - १. श्री राम न...