शरद पवार का मुंह टेढ़ा क्यों है

  1. NDTV Ground Report Why Is Every Household In Baramati Admirer Of Saheb Sharad Pawar Ncp
  2. शरद पवार के मसल मैन और अजित के साले बाजीराव पाटिल का क्या है 'NCP विद्रोह' में रोल_sharad pawar muscle man and ajit pawars brother in law Padamsinh Bajirao Patil role in ncp revolt knowat
  3. What Sharad Pawars Daughter Supriya Sule Said On Reports Ajit Pawar Unhappy With Her Elevation
  4. NCP मे सौदेबाजी या BJP में जाने के आसार? क्यों अक्सर राजनीतिक चालों की वजह से सुर्खियां में रहते हैं अजीत पवार
  5. Came out from the mouth of death but broke the thread of breath
  6. शरद पवार ने राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारी का प्रस्ताव क्यों ठुकराया? ट्वीट करके खुद बताई ये वजह
  7. VIDEO: ढाई किलो का यह ‘शरद पवार’ खट्टा है या मीठा? महाराष्ट्र के किसान का कारनामा देखा आपने?
  8. Why Did Sharad Pawar Turn Down PM Modi's Offer


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NDTV Ground Report Why Is Every Household In Baramati Admirer Of Saheb Sharad Pawar Ncp

शरद पवार के हर रुख पर उनके गढ़ बारामती का पक्ष जानना अहम हो जाता है. एनसीपी से उनके इस्तीफे के बाद बारामती में सन्नाटा पसरा है. यहां हर कोई अपने 'साहेब' से फैसले पर दोबारा सोचने की अपील कर रहा है. NDTV की टीम ऐसे में बारामती पहुंची और वहां जाना कि आखिर बारामती का हर घर, हर शख्स शरद पवार का इतना मुरीद क्यों है? शरद पवार की लोकप्रियता के पीछे कृषि रोजगार का बड़ा रोल है. कृषि का वैज्ञानिकरण शरद पवार की बड़ी उपलब्धता रही. देखिए शरद पवार के गांव काटेवाड़ी और बारामती के कृषि विज्ञान केंद्र से NDTV की ग्राउंड रिपोर्ट:- मुंबई से 250 किमी दूर पुणे जिले की तहसील बारामती से करीब 10 किमी की दूरी पर शरद पवार का गांव काटेवाड़ी पड़ता है. यहां हर रोज सुबह 8:30 बजे पंचायत बैठती है. एनडीटीवी भी इसका साक्षी बना. पंचायत में आवाज बुलंद थी. NDTV की टीम ने यहां के लोगों से कई सवाल किए. जब हमने उनसे पूछा कि पार्टी का चेहरा आपके लिए कौन है? जवाब मिला- "अजित दादा. दादा जहां हम वहां. पक्ष (पार्टी) भी बदला तो हम उनके साथ. हर रोज़ जनता दरबार लगाते हैं दादा. हमसे मिलते हैं. पवार परिवार ने हमारे लिए बहुत कुछ किया. उन्होंने हर घर रोज़गार दिया. 40% बारामती के युवा MIDC में काम कर रहे हैं. बारामती के विकास कार्यों का मॉडल यहां हर पार्टी के कार्यकर्ताओं को पवार का करीबी बनाता है." एक और शख्स बताते हैं, "कई पीढ़ियों से पवार परिवार ने हमारे लिए इतना किया कि कोई भी पार्टी हो... सभी उन्हें अपना मानते हैं. हर एक की सुनी जाती है. 10 हजार महिलाओं को यहां रोज़गार दिया. महिलाएं सशक्त हुई हैं." पवार मतलब बारामती पवार मतलब बारामती. बारामती मतलब पवार. आखिर बारामती के हर घर का जुड़ाव पवार परिवार से इतना पुख़्ता क्यों है...

शरद पवार के मसल मैन और अजित के साले बाजीराव पाटिल का क्या है 'NCP विद्रोह' में रोल_sharad pawar muscle man and ajit pawars brother in law Padamsinh Bajirao Patil role in ncp revolt knowat

मुंबई. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के सुप्रीमो शरद पवार (Sharad Pawar) प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे. कॉन्फ्रेंस के दौरान एक पत्रकार ने शरद पवार से पार्टी छोड़कर बीजेपी-शिवसेना (BJP-Shiv Sena) की तरफ भाग रहे नेताओं पर सवाल पूछा. पत्रकार ने पूछा कि एनसीपी (NCP) के पुराने नेता पार्टी छोड़ रहे हैं, कुछ तो आपके नातेभाई (रिश्तेदार) भी हैं. रिश्तेदार का नाम सुनते ही शरद पवार उखड़ गए. कॉन्फ्रेंस से उठकर जाने लगे. बहुत मान-मनौव्वल पर बैठे तो पत्रकार से माफी मांगने के लिए कहने लगे. ये भी बोले कि जिन्हें सवाल पूछने का सलीका न हो, ऐसे पत्रकारों को प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं आने देना चाहिए. दरअसर पत्रकार ने जिस रिश्तेदार की तरफ इशारा किया था वो थे पद्मसिंह बाजीराव पाटिल (Padamsinh Bajirao Patil). तब पद्मसिंह और उनके बेटे राणा जगजीत सिंह के बीजेपी ज्वाइन करने की चर्चा थी. दिलचस्प ये है कि पद्मसिंह बेहद नजदीकी रिश्तेदार हैं और अजित पवार के साले हैं. ये सबको मालूम है कि जब रातों-रात बीजेपी ने महाराष्ट्र में सरकार बना ली थी. तब अजित पवार ने बीजेपी के साथ हाथ मिला लिया था. डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली थी. बहुत पारिवारिक मान-मनौव्वल के बाद उनकी घरवापसी हो गई है. अजित पवार के साले हैं पद्मसिंह 1978 में जब शरद पवार ने कांग्रेस (यू) से अलग हटकर कांग्रेस (एस) बनाई थी, तकरीबन उसी समय के आस-पास बाजीराव पाटिल भी उनसे जुड़े थे. बाजीराव पाटिल को लंबे समय तक शरद पवार के बेहद नजदीकियों में शुमार किया जाता रहा. कहा जाता है कि उनकी पहचान महाराष्ट्र की राजनीति में शरद पवार के मसल मैन के रूप में भी होती रही. दोनों नेताओं की नजदीकियां रिश्तेदारी में बदली. तब अजित पवार...

What Sharad Pawars Daughter Supriya Sule Said On Reports Ajit Pawar Unhappy With Her Elevation

अजित पवार 'खुश नहीं' की खबरों पर NCP की नई कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने दिया ये जवाब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने शनिवार को सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष घोषित किया. इस घोषणा को पार्टी में एक पीढ़ीगत बदलाव के साथ ही पवार के भतीजे अजित पवार को वस्तुत: दरकिनार करने के तौर पर देखा जा रहा है. मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की नवनियुक्त कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने अपने चचेरे भाई अजीत पवार के उनके पदोन्नति के बाद 'नाखुश' होने के दावों का खंडन किया और उन्हें 'अफवाह' करार दिया. 10 जून को एनसीपी स्थापना दिवस पर, पार्टी प्रमुख शरद पवार ने सुप्रिया सुले और वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया. अध्यक्ष के रूप में काम करने के अलावा, सुश्री सुले को महाराष्ट्र का प्रभारी भी बनाया गया है, जिसे अजीत पवार संभाल रहे थे. सुप्रिया सुले ने रविवार को एएनआई से बात करते हुए ने कहा, "कौन कहता है कि वह (अजीत पवार) खुश नहीं हैं, क्या किसी ने उनसे पूछा है? ये खबरें अफवाह हैं." इससे पहले दिन में सुप्रिया सुले ने पुणे का दौरा किया और पार्टी के कई कार्यकर्ताओं से मुलाकात की. कार्यकर्ताओं ने उनका अभिनंदन भी किया. पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के बाद सुप्रिया सुले की पुणे की यह पहली यात्रा थी. सुप्रिया सुले ने रविवार दोपहर पुणे शहर के गांधी भवन में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर भी श्रद्धांजलि अर्पित की. इससे पहले शनिवार को अजित पवार ने भी अपने असंतोष की खबरों को खारिज करते हुए कहा था कि वह पार्टी के फैसले से खुश हैं. अजित पवार ने कहा, "कुछ मीडिया चैनल ने ऐसी खबरें चलाईं कि...

NCP मे सौदेबाजी या BJP में जाने के आसार? क्यों अक्सर राजनीतिक चालों की वजह से सुर्खियां में रहते हैं अजीत पवार

मुंबई: अजीत पवार का अचानक बिना किसी कारण के गायब हो जाना हमेशा खबर बन जाता है. अभी इस महीने की शुरुआत का ही उदाहरण लें, जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता ने अपने दिन के कार्यक्रम को रद्द कर दिया और कथित तौर पर सबकी पहुंच से बाहर हो गए. उनके अचानक यूं गायब होने की खबरें क्यों सुर्खियों में आ जाती हैं, इसके कई उदाहरण हैं. सितंबर 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से लगभग एक महीने पहले, पवार ने विधानसभा अध्यक्ष को विधायक के रूप में अपना इस्तीफा ईमेल किया और फिर कुछ दिनों के लिए सबकी पहुंच से बाहर हो गए. कथित महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाले से संबंधित एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से उनके चाचा और राकांपा प्रमुख शरद पवार और अन्य राकांपा और कांग्रेस नेताओं के साथ-साथ उनका खुद का नाम आने के बाद इस्तीफा देना और फिर गायब हो जाना सामने आया था. वरिष्ठ पवार ने पत्रकारों के सवालों का यह कहते हुए बचाव किया था कि जिस तरह से परिवार को ‘निशाना’ बनाया जा रहा है, शायद उससे उनका भतीजा काफी परेशान था. अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें. अभी सब्सक्राइब करें फिर चुनाव के बाद राज्य में एक त्रिशंकु सरकार बनाने की कवायद हुई. उस समय शरद पवार कांग्रेस, एनसीपी और अविभाजित शिवसेना को महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के रूप में एक साथ लाने की कोशिश कर रहे थे, तो अजित पवार दूसरी बार फिर से गायब हो गए. वह राजभवन में भारतीय जनता पार्टी के देवेंद्र फडणवीस के साथ फिर से प्रकट हुए. एन...

Came out from the mouth of death but broke the thread of breath

गुरुवार की शाम ही ढलते बिहार और मध्यप्रदेश में दो मासूम मौत के मुंह से तो निकले गए पर सांसों की डोर टूट गई। दोनों को बचाने के लिए प्रशासन की ओर से राहत और बचाव का कार्य चल रहा था। बिहार के रोहतास जिले के 11 वर्षीय रंजन और मध्यप्रदेश के सीहोर की ढाई साल की सृष्टि जिंदगी की जंग हार गए। बिहार में रोहतास जिले के आतिमी गांव में सोन नदी पर पुल से 11 वर्षीय रंजन नाम का लड़का गुजर रहा था। तभी उसने एक कबूतर को खंभे पर बैठा देखा। वो कबूतर पकड़ने के लिए पुल से नीचे उतर करखंभे पर आ गया। लेकिन कबूतर खंभा और दीवार के बीच में घुस गया। कबूतर पकड़ने के चक्कर में लड़का खंभे और दीवार के बीच फंस गया। अधिकारियों ने बताया कि रंजन को आक्सीजन दी गई तथा आपदा राहत कर्मी उसे वहां से निकालने की कोशिश में जुटे रहे। गुरुवार को बच्चे को बाहर निकालने के बाद उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया, लेकिन उसकी जिंदगी नहीं बच पाई। उसके पिता शत्रुघ्न प्रसाद ने स्थानीय अधिकारियों को बताया था कि मानसिक रूप से कमजोर उनका बेटा रंजन दो दिन पहले गायब हो गया था और बाद में वह एक महिला को वहां फंसा नजर आया। • मुखपृष्ठ • चुनाव 2023 • भारत न्यूज़ • ब्रेकिंग न्यूज़ • वीडियो • अंतरराष्ट्रीय • व्यापार • बजट • खेल • क्रिकेट • फ़ुटबॉल • IPL 2023 • विशेष • राज्य • नई दिल्ली • मुंबई • पुणे • लखनऊ • कोलकाता • बेंगलुरु • जयपुर • अहमदाबाद • चेन्‍नई • नोएडा • चंडीगढ़ • गुड़गांव • पटना • वाराणसी • कानपुर • भोपाल • भागलपुर • विचार • ब्लॉग • संपादकीय • राजनीति • दुनिया मेरे आगे • समांतर • चौपाल • रविवारीय स्तम्भ • बेबाक बोल • बारादरी • मनोरंजन • लाइफस्टाइल • जीवन-शैली • ब्‍यूटी • वेट लॉस/गेन • स्किन • पाक विधि • योग और मेडिटेशन • लव और रिलेशनशि...

शरद पवार ने राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारी का प्रस्ताव क्यों ठुकराया? ट्वीट करके खुद बताई ये वजह

नई दिल्ली: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार (NCP Chief Sharad Pawar) ने बुधवार को साफ कर दिया कि, उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election 2022) के लिए विपक्षी दलों द्वारा उम्मीदवार के रूप में उनका नाम रखे जाने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. एनसीनी चीफ शरद पवार ने ट्वीट करके अपने इस फैसले की वजह बताई. शरद पवार के इनकार के बाद बंगाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए जम्मू- कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला और महात्मा गांधी के पोते गोपाल कृष्ण गांधी के नाम का सुझाव दिया. वहीं शरद पवार ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, मैं दिल्ली में हुई बैठक में भारत के राष्ट्रपति के चुनाव के लिए एक उम्मीदवार के रूप में मेरा नाम सुझाने के लिए विपक्षी दलों के नेताओं का धन्यवाद करता हूं. हालांकि मैं यह बताना चाहता हूं कि मैंने अपनी उम्मीदवारी के प्रस्ताव को विनम्रतापूर्वक अस्वीकार कर दिया है. मुझे खुशी है कि आम आदमी की भलाई के लिए अपनी सेवा जारी रखूंगा. फारूक अब्दुल्ला के नाम पर फिलहाल सहमति नहीं बुधवार को नई दिल्ली में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति चुनाव की उम्मीदवारी को लेकर विपक्षी दलों की बैठक बुलाई थी. इसमें शरद पवार, मल्लिकार्जुन खडगे, रणदीप सिंह सुरजेवाला, एचडी देवगौड़ा, टी आर बालू, उमर अब्दुल्ला, अखिलेश यादव और महबूबा मुफ्ती समेत कई नेता शामिल हुए. हालांकि आम आदमी पार्टी और तेलंगाना राष्ट्र समिति के नेता इस बैठक में नहीं पहुंचे. राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ जारी, दिल्ली में पुलिस हिरासत में लिए गए 800 कांग्रेसी नेता इस मीटिंग में शरद पवार के इनकार के बाद और फारूक अब्दुल्ला पर फिलहाल सहमति नहीं बनने पर विपक्षी नेताओं ने...

VIDEO: ढाई किलो का यह ‘शरद पवार’ खट्टा है या मीठा? महाराष्ट्र के किसान का कारनामा देखा आपने?

अनुराग सुतकर/सोलापूर. राज्य के कई अहम मुद्दों को पूर्व मुख्यमंत्री और एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से जोड़ना कोई नई बात नहीं है. राज्य की राजनीति के केंद्र में रहने वाले शरद पवार अब एक अलग ही वजह से चर्चा में हैं. पवार का नाम अब सोलापुर जिले के एक किसान ने इस तरह प्रयोग किया है कि चर्चा में सभी को रस मिल रहा है. कुछ तो यह भी कह रहे हैं कि इस ‘शरद’ का स्वाद बड़ा मीठा है! सोलापुर के दत्तात्रेय गाडगे ने अपने बगीचे में आये आम का नाम शरद पवार के नाम पर रख दिया है. गाडगे के बगीचे के 20 से 25 पेड़ों पर एक विशेष प्रयोग किया गया. इस पेड़ के एक आम का वजन ढाई किलो तक है. उन्होंने इस आम का नाम शरद मैंगो रखा है. शरद पवार का नाम क्यों? शरद पवार के नाम पर आम का नामकरण करने की वजह भी गाडगे ने बताते हुए कहा पवार जब राज्य के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने फलबाग योजना शुरू की थी. ‘इस योजना के माध्यम से हमने 8 एकड़ कृषि भूमि और लगभग 7000 केसर आम के पौधे लगाए.’ गाडगे ने कहा मैंगो फेस्टिवल में शरद मैंगो अपने वजन के साथ-साथ अपने नाम की वजह से भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. गाडगे ने इस आम को बनाने की विधि भी बताई. " isDesktop="true" id="6245439"> हमारे खेत में हम मुख्य रूप से केसर आम का उत्पादन करते हैं. इस आम के पेड़ पर अलग-अलग होम्योपैथिक दवाओं का इस्तेमाल किया गया है. बारामती कृषि विज्ञान केंद्र और बारामती कृषि विकास ट्रस्ट के राजेंद्र पवार ने इस पर और शोध किया.

Why Did Sharad Pawar Turn Down PM Modi's Offer

मुंबई: शरद पवार ने हाल ही में ये खुलासा किया कि उन्हे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र में साथ मिलकर सरकार बनाने का ऑफर दिया था और बदले में उनकी बेटी सुप्रिया सुले को केंद्र में मंत्री पद देने की पेशकश की थी लेकिन पवार ने मोदी का यह ऑफर ठुकरा दिया. अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिर पवार ने एक ऐसा ऑफर क्यों ठुकराया जिसके जरिए उन्हें केंद्र और राज्य दोनों सरकारों में हिस्सा बनने का मौका मिल रहा था. पवार 2014 में भी महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार बनवाने में मदद कर चुके हैं फिर इस बार उन्हें बीजेपी से परहेज क्यों था? 20 नवंबर को जब शरद पवार और पीएम मोदी की मुलाकात हुई तब ये कयास लगाए जा रहे थे कि दोनों के बीच महाराष्ट्र में चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा होगी, लेकिन पवार ने यह कहकर तब उन कयासों को खारिज कर दिया था कि मोदी के साथ उनकी मुलाकात महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश से परेशान हुए किसानों को राहत देने के सिलसिले में थी. अब उन्होंने एबीपी न्यूज़ नेटवर्क को दिए इंटरव्यू में यह कबूल किया है कि मोदी के साथ उस दोपहर उनके साथ सियासी चर्चा भी हुई थी. उस चर्चा में मोदी ने उन्हें साथ आने की पेशकश की थी. मोदी के ऑफर को ठुकरा कर शिवसेना के साथ जाने के शरद पवार के फैसले को सियासी हलकों में एक दूरगामी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. शरद पवार ये समझ गए थे कि मौजूदा राजनीतिक स्थिति में बीजेपी के साथ जाने में उनका नुकसान है. अगर वे महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना लेते तो ऐसे में उस सरकार पर उनका शायद कोई प्रभाव ना रहता. सरकार के फैसलों और नीतियों पर देवेंद्र फडणवीस और अमित शाह की ही चलती. वहीं दूसरी ओर अगर शिवसेना के साथ सरकार बनती है तो वे किंग मेकर की भूमिका में रहेंगे ...