Shri sukt ka paath

  1. shree sukta path mantra in hindi
  2. श्री सूक्त अर्थ सहित
  3. सर्व सौभाग्यप्रदायक स्वयंसिद्ध श्री श्रीसूक्त पाठ विधि ! – श्री ज्योतिर्मणि पीठ


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shree sukta path mantra in hindi

संसार में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति हो जो लक्ष्मी की कृपा से सुख समृद्धि और सफलता की कामना न करता हो । राजा, रंक, छोटे बड़े सभी चाहते हैं कि लक्ष्मी सदा उनके घर में निवास करें, और व्यक्ति धन की प्राप्ति के लिए प्रयत्न भी करता है । ऋग्वेद में माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए ‘श्री-सूक्त’ के पाठ और मन्त्रों के जप तथा मन्त्रों से हवन करने पर मनचाही मनोकामना पूरी होने की बात कही हैं । अगर कोई दिवाली के दिन अमावस्या की रात में इस समय श्री सूक्त का पाठ और मंत्रों से जप करता है उसकी इच्छाएं पूरी होकर ही रहती हैं ।

श्री सूक्त अर्थ सहित

• ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्त्रजाम्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ॥ 1 ॥ अर्थ : हे जातवेद अग्निदेव आप मुझे सुवर्ण के समान पीतवर्ण वाली तथा किंचित हरितवर्ण वाली तथा हरिणी रूपधारिणी स्वर्ण मिश्रित रजत की माला धारण करने वाली , चाँदी के समान श्वेत पुष्पों की माला धारण करने वाली , चंद्रमा की तरह प्रकाशमान तथा चंद्रमा की तरह संसार को प्रसन्न करने वाली अथवा चंचला के सामान रूपवाली ये हिरण्मय ही जिसका शरीर है ऐसे गुणों से युक्त लक्ष्मी जी को मेरे लिए बुलाइये| • ॐ तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् । यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम ॥ 2 ॥ अर्थ : हे जातवेद अग्निदेव आप मेरे लिए उन जगत प्रसिद्ध लक्ष्मी जी को बुलाओ जिनके आवाहन करने पर मै समस्त ऐश्वर्य जैसे स्वर्ण ,गौ, अश्व और पुत्र पौत्रादि को प्राप्त करूँ। • ॐ अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनाद्प्रमोदिनिम । श्रियं देविमुप हव्ये श्रीर्मा देवी जुषताम ॥ 3 ॥ अर्थ : जिस देवी के आगे और मध्य में रथ है अथवा जिसके सम्मुख घोड़े रथ से जुते हुए हैं ,ऐसे रथ में बैठी हुई , हथियो की निनाद सम्पूर्ण संसार को प्रफुल्लित करने वाली देदीप्यमान एवं समस्त जनों को आश्रय देने वाली माँ लक्ष्मी को मैं अपने सम्मुख बुलाता हूँ। ऐसी सबकी आश्रयदाता माता लक्ष्मी मेरे घर में सदैव निवास करे| • ॐ कां सोस्मितां हिरण्य्प्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् । पद्मेस्थितां पदमवर्णां तामिहोप हवये श्रियम् ॥ 4 ॥ अर्थ : जिस देवी का स्वरूप, वाणी और मन का विषय न होने के कारण अवर्णनीय है तथा जिसके अधरों पर सदैव मुस्कान रहती है, जो चारों ओर सुवर्ण से ओत प्रोत है एवं दया से आद्र ह्रदय वाली देदीप्यमान हैं। स्वयं पूर्णकाम होने के कारण भक्तो के नाना प...

सर्व सौभाग्यप्रदायक स्वयंसिद्ध श्री श्रीसूक्त पाठ विधि ! – श्री ज्योतिर्मणि पीठ

सर्व सौभाग्यप्रदायक स्वयंसिद्ध श्री श्रीसूक्त पाठ विधि ! समस्त साधनाओं के लिए पंजिकरण खोल दिए गए हैं, अब आप वेबसाईट पर अपना खाता बनाकर साधनाओं हेतु पंजिकरण कर सकते हैं ! समस्त दीक्षा/साधना/अनुष्ठान एवं साधनापूर्व प्रशिक्षण की त्वरित जानकारियों हेतु हमारी मोबाईल ऐप इंस्टाल करें ! मोबाईल ऐप इंस्टाल करने हेतु क्लिक करें ! या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः । माँ भगवती आप सब के जीवन को अनन्त खुशियों से परिपूर्ण करें । (श्रीसूक्त के इस प्रयोग को हृदय अथवा आज्ञाचक्र में करने से सर्वोत्तम लाभ होगा, अन्यथा सामान्य पूजा प्रकरण से ही संपन्न करें ।) प्राणायाम आचमन आदि कर आसन पूजन करें :- ॐ अस्य श्री आसन पूजन महामन्त्रस्य कूर्मो देवता मेरूपृष्ठ ऋषि पृथ्वी सुतलं छंद: आसन पूजने विनियोग: । विनियोग हेतु जल भूमि पर गिरा दें । पृथ्वी पर रोली से त्रिकोण का निर्माण कर इस मन्त्र से पंचोपचार पूजन करें :– ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवी त्वं विष्णुनां धृता त्वां च धारय मां देवी पवित्रां कुरू च आसनं ।ॐ आधारशक्तये नम: । ॐ कूर्मासनायै नम: । ॐ पद्‌मासनायै नम: । ॐ सिद्धासनाय नम: । ॐ साध्य सिद्धसिद्धासनाय नम: । तदुपरांत गुरू गणपति गौरी पित्र व स्थान देवता आदि का स्मरण व पंचोपचार पूजन कर श्री चक्र के सम्मुख पुरुष सूक्त का एक बार पाठ करें । निम्न मन्त्रों से करन्यास करें :- 1 ॐ (दीक्षा में प्राप्त हुआ मन्त्र ) अंगुष्ठाभ्याम नमः । 2 ॐ (दीक्षा में प्राप्त हुआ मन्त्र ) तर्जनीभ्यां स्वाहा । 3 ॐ (दीक्षा में प्राप्त हुआ मन्त्र ) मध्यमाभ्यां वष्‌ट । 4 ॐ (दीक्षा में प्राप्त हुआ मन्त्र ) अनामिकाभ्यां हुम्‌ । 5 ॐ (दीक्षा में प्राप्त हुआ मन्त्र ) कनिष्ठिकाभ्यां वौषट । 6 ॐ...