श्री कृष्ण अमृतवाणी

  1. श्री कृष्णा जी के वचन और सुविचार
  2. Shiv Amritwani
  3. shri krishan amirtvani
  4. shri krishan amirtvani bhajan lyrics
  5. कृष्ण मंत्र श्लोक
  6. Bhaye Pragat Kripala Lyrics in Hindi
  7. भजन: इक दिन वो भोले भंडारी बन करके ब्रज की नारी


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श्री कृष्णा जी के वचन और सुविचार

जानिए श्री कृष्णा जी के कुछ अनमोल वचन, यहाँ दी गयी Lord Krishna जी के कुछ quotes को गीता से भी लिया गया है | इन विचार को image, status और wallpaper के रूप में उपयोग कर सकते हैं | श्रृष्टि के रचियता श्री कृष्णा जी हम सबो को अच्छे कर्म करने के लिए राह दिखने वाले देवता हैं | कृष्णा जी कान्हा नाम से भी जाने जाते हैं, जिन्होंने पापियों का सर्वनाश करने के लिए कई रूप भी धारण किये | भगवान् श्री कृष्ण एक मार्गदर्शक के रूप में है, जिनकी लीला अपरम्पार है | इस धरती में सभी प्राणियों को आगे बढ़ने के लिए किसी न किसी मार्गदर्शक की आवश्यकता होती है , जिनके विचारों पर चलने से हम अपने जीवन में एक सफल व्यक्ति बन सकते हैं | आज हम श्री कृष जी के वनियों में से कुछ krishna vani के बारे में बतलाने वाले हैं, जो आपको जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी | इसके साथ ही ये आपको मन की शांति भी प्रदना करेंगी | आप चाहे तो इन्हें wallpaper के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं क्यूंकि हम कृष्ण वाणी के साथ – साथ कुछ अनोखे wallpaper भी प्रदान करने वाले हैं, जो आपके computer या mobile के लिए बेहद खुबसुरत हो सकती है | चलिए कृष्ण जी के उन नेक विचारों को जानते हैं एवं समझते हैं की, वे क्या कह रहे हैं | श्री कृष्णा जी के वचन | Lord Krishna Quotes यहाँ दिए गए कई quotes और वचन गीता से लिए गए हैं जो की motivational होने के साथ life से जुडी अच्छी जानकारियाँ मिलती हैं: जो मनुष्य मेरा स्मरण करने में अपना मन निरन्तर लगाए रखता है एवं शांत भाव से मेरा ध्यान करता है वो मुझे अवश्य ही प्राप्त करता है | अथार्त: श्री कृष्ण जी कह रहे है की, जो व्यक्ति सच्चे मन से इश्वर की पूजा करता है, ध्यान लगता है, उनकी स्मरण करता है, इश्वर उस...

Shiv Amritwani

कल्पतरु पुन्यात्मा, प्रेम सुधा शिव नाम। कल्पतरु पुन्यात्मा, प्रेम सुधा शिव नाम। हितकारक संजीवनी, शिव चिंतन अविराम॥ पतित पावन जैसे मधु, शिव रस नाम का घोल। भक्ति के हंसा ही चुगे, मोती ये अनमोल॥ जैसे तनिक सुहागा, सोने को चमकाए। शिव सिमरन से आत्मा, अद्भुत निखरि (उज्जवल) होती जाए जैसे चन्दन वृक्ष को, डसते नहीं है नाग। शिव भक्तों के चोले को, कभी लगे न दाग॥ ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय॥ कल्पतरु पुन्यात्मा, प्रेम सुधा शिव नाम – ॐ नमः शिवाय दया निधि भूतेश्वर, शिव है चतुर सुजान। कण कण भीतर है बसे, नील कंठ भगवान॥ चंद्र चूड के त्रिनेत्र, उमा पति विश्वेश। शरणागत के ये सदा, काटे सकल क्लेश॥ शिव द्वारे प्रपंच का, चल नहीं सकता खेल। आग और पानी का, जैसे होता नहीं है मेल॥ भय भंजन नटराज है, डमरू वाले नाथ। शिव का वंदन जो करे, शिव है उनके साथ॥ ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय॥ कण कण भीतर है बसे, नील कंठ भगवान लाखो अश्वमेध हो, सौ गंगा स्नान। इनसे उत्तम है कही, शिव चरणों का ध्यान॥ अलख निरंजन नाद से, उपजे आत्मा ज्ञान। भटके को रस्ता मिले, मुश्किल हो आसान॥ अमर गुणों की खान है, चित शुद्धि शिव जाप। सत्संगती में बैठ कर, करलो पश्चाताप॥ लिंगेश्वर के मनन से, सिद्ध हो जाते काज। नमः शिवाय रटता जा, शिव रखेंगे लाज॥ ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय॥ अलख निरंजन नाद से, उपजे आत्मा ज्ञान शिव चरणों को छूने से, तन मन पावन होये। शिव के रूप अनूप की, समता करे न कोई॥ महा बलि महा देव है, महा प्रभु महा काल। असुर निकंदन भक्त की, पीड़ा हरे तत्काल॥ सर्वव्यापी शिव भोला, धर्म रूप सुख काज। अमर अनंता भगवंता, जग के पालन हार॥ शिव कर्ता संसार के, शिव सृष्टि के मूल। रोम रोम शिव रमने दो, शिव न जईयो भूल॥ ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय॥ नमः शिवाय रटता जा, शिव रखे...

shri krishan amirtvani

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shri krishan amirtvani bhajan lyrics

वंदउँ सतगुरु के चरण, जाको कृष्ण कृपा सो प्यार। कृष्ण कृपा तन मन बसी, श्री कृष्ण कृपा आधार॥ कृष्ण कृपा सम बंधु नहीं, कृष्ण कृपा सम तात। कृष्ण कृपा सम गुरु नहीं, कृष्ण कृपा सम मात॥ रे मन कृष्ण कृपामृत, बरस रहयो दिन रैन। कृष्ण कृपा से विमुख तूं, कैसे पावे चैन॥ नित उठ कृष्ण-कृपामृत, पाठ करे मन लाय। भक्ति ज्ञान वैराग्य संग, कृष्ण कृपा मिल जाय ॥ आसा कृष्ण कृपा की राख। योनी कटे चौरासी लाख॥ कृष्ण-कृपा जीवन का सार। करे तुरंत भव सागर पार॥ कृष्ण-कृपा जीवन का मूल। खिले सदा भक्ति के फूल॥ कृष्ण-कृपा के बलि बलि जाऊँ। कृष्ण-कृपा में सब सुख पाऊँ॥ कृष्ण-कृपा सत-चित आनंद। प्रेम भक्ति की मिले सुगंध॥ कृष्ण-कृपा बिन शांति न पावे। जीवन धन्य कृपा मिल जावे॥ सिमरो कृपा कृपा ही ध्याओ। गाए-गाए श्री कृष्ण रिझाओ॥ असमय होय नही कोई हानि। कृष्ण कृपा जो पावे प्राणी॥ वाणी का संयम बने, जग अपना हो जाए। तीन काल चहुँ दिशि में, कृष्ण ही कृष्ण ही लखाय॥ कृष्ण-कृपा का कर गुण गान। कृष्ण-कृपा है सबसे महान।। सोवत जागत बिसरे नाहीं। कृष्ण-कृपा राखो उर माहि कृष्ण-कृपा मेटे भव भीत। कृष्ण-कृपा से मन को जीत॥ आपद दूर-दूर ते भागे। कृष्ण-कृपा कह नित जो जागे॥ सोवे कृष्ण-कृपा ही कह कर। ले आनंद मोद हिय भरकर॥ खोटे स्वप्न तहाँ कोउ नाहिँ। कृष्ण-कृपा रक्षक निसि माहिँ॥ खावे कृष्ण-कृपा मुख बोल। कृष्ण-कृपा का जग में डोल ॥ कृष्ण-कृपा कह पीवे पानी। परम सुधा सम होवे वानी॥ कृष्ण-कृपा को चाहकर, भजन करो निस काम। प्रेम मिले आनंद मिले, होवे पूरण काम॥ कृष्ण-कृपा सब काम संवारे। चिंताओं का भार उतारे॥ ईर्ष्या लोभ मोह-हंकार। कृष्ण-कृपा से हो निस्तार॥ कृष्ण-कृपा शशि किरण समान । शीतल होय बुद्धि मन प्राण॥ कोटि जन्म की प्यास बुझावे। कृष्ण-कृपा की बूंद ज...

कृष्ण मंत्र श्लोक

लेख सारिणी • • • • • • • • कृष्ण मंत्र श्लोक – Krishna Mantra Sloka Krishna Sloka in Sanskrit – श्रीकृष्ण के मंत्र (Mantra of Shri Krishna) और कृष्ण श्लोक (Sloka on Krishna) ना सिर्फ आर्थिक समस्या दूर करते हैं बल्कि जीवन की हर परेशानी में कान्हा के चमत्कारी मंत्र और श्लोक सहायक सिद्ध होते हैं। चाहे संतान प्राप्ति हो या घर में होने वाले कलह, लव मैरिज हो या विजय प्राप्ति की अभिलाषा, हर समस्या का अंत करते हैं, कृष्णाष्टमी का व्रत करने वालों के सब क्लेश दूर हो जाते हैं। दुख-दरिद्रता से उद्धार होता है। जिन परिवारों में कलह-क्लेश के कारण अशांति का वातावरण हो, वहां घर के लोग जन्माष्टमी का व्रत करने के साथ इस मंत्र का अधिकाधिक जप करें | श्री कृष्णा मंत्र – Mantra of Shri Krishna • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः • ॐ श्री कृष्णाय गोविन्दाय गोपीजन वल्लभाय नमः • ॐ श्री कृष्णाय नमः कृष्ण श्लोक – Sloka on Krishna कस्तूरीतिलकं ललाटपटले वक्षःस्थले कौस्तुभं नासाग्रे नवमौक्तिकं करतले वेणुं करे कङ्कणम् । सर्वाङ्गे हरिचन्दनं सुललितं कण्ठे च मुक्तावलिं गोपस्त्री परिवेष्टितो विजयते गोपाल चूडामणिः ॥ कृष्ण मंत्र – Mantra of Shri Krishna कृं कृष्णाय नमः यह श्रीकृष्ण का बताया मूलमंत्र है जिसके प्रयोग से व्यक्ति का अटका हुआ धन प्राप्त होता है। इसके अलावा इस मूलमंत्र का जाप करने से घर-परिवार में सुख की वर्षा होती है। धार्मिक उद्देश्यों के अनुसार यदि आप इस मंत्र का लाभ पाना चाहते हैं तो प्रातःकाल नित्यक्रिया व स्नानादि के पश्चात एक सौ आठ बार इसका जाप करें। ऐसा करने वाले मनुष्य सभी बाधाओं एवं कष्टों से सदैव मुक्त रहते हैं। इस मंत्र से कहीं भी अटका धन तुरंत प्राप्त होता है। यह भी पढ़े : • • • ऊं श्रीं नमः श्र...

Bhaye Pragat Kripala Lyrics in Hindi

WhatsApp Telegram Facebook Twitter LinkedIn Bhaye Pragat Kripala is a very popular Ram Bhajan. Get Bhaye Pragat Kripala Lyrics in Hindi here and sing it for the grace of Lord Ram. Bhaye Pragat Kripala Lyrics in Hindi – भये प्रगट कृपाला भए प्रगट कृपाला दीनदयाला, कौशल्या हितकारी । हरषित महतारी, मुनि मन हारी, अद्भुत रूप बिचारी । लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा, निज आयुध भुजचारी । भूषन बनमाला, नयन बिसाला, सोभा सिंधु खरारी । कह दुइ कर जोरी, अस्तुति तोरी, केहि बिधि करूं अनंता । माया गुन ग्यानातीत अमाना, वेद पुरान भनंता । करुना सुख सागर, सब गुन आगर, जेहि गावहिं श्रुति संता । सो मम हित लागी, जन अनुरागी, भयउ प्रगट श्रीकंता । ब्रह्मांड निकाया, निर्मित माया, रोम रोम प्रति बेद कहै । मम उर सो बासी, यह उपहासी, सुनत धीर मति थिर न रहै । उपजा जब ग्याना, प्रभु मुसुकाना, चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै । कहि कथा सुहाई, मातु बुझाई, जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै । माता पुनि बोली, सो मति डोली, तजहु तात यह रूपा । कीजै सिसुलीला, अति प्रियसीला, यह सुख परम अनूपा । सुनि बचन सुजाना, रोदन ठाना, होइ बालक सुरभूपा । यह चरित जे गावहिं, हरिपद पावहिं, ते न परहिं भवकूपा । भए प्रगट कृपाला दीनदयाला, कौशल्या हितकारी । हरषित महतारी, मुनि मन हारी, अद्भुत रूप बिचारी |

भजन: इक दिन वो भोले भंडारी बन करके ब्रज की नारी

Read in English एक दिन वो भोले भंडारी भजन लिरिक्स के माध्यम से भगवान शिव शिव का भगवान विष्णु के अवतार बाल रूप श्री कृष्ण के साथ लीला को व्यक्त किया गया है। इक दिन वो भोले भंडारी, बन करके ब्रज की नारी, ब्रज/वृंदावन* में आ गए । पार्वती भी मना के हारी, ना माने त्रिपुरारी, ब्रज में आ गए । पार्वती से बोले, मैं भी चलूँगा तेरे संग में राधा संग श्याम नाचे, मैं भी नाचूँगा तेरे संग में रास रचेगा ब्रज मैं भारी, हमे दिखादो प्यारी, ब्रज में आ गए । इक दिन वो भोले भंडारी...॥ ओ मेरे भोले स्वामी, कैसे ले जाऊं अपने संग में श्याम के सिवा वहां, पुरुष ना जाए उस रास में हंसी करेगी ब्रज की नारी, मानो बात हमारी, ब्रज में आ गए । इक दिन वो भोले भंडारी...॥ ऐसा बना दो मोहे, कोई ना जाने एस राज को मैं हूँ सहेली तेरी, ऐसा बताना ब्रज राज को बना के जुड़ा पहन के साड़ी, चाल चले मतवाली, ब्रज में आ गए । इक दिन वो भोले भंडारी...॥ हंस के सत्ती ने कहा, बलिहारी जाऊं इस रूप में इक दिन तुम्हारे लिए, आये मुरारी इस रूप मैं मोहिनी रूप बनाया मुरारी, अब है तुम्हारी बारी, ब्रज में आ गए । ॥ इक दिन वो भोले भंडारी...॥ देखा मोहन ने, समझ गये वो सारी बात रे ऐसी बजाई बंसी, सुध बुध भूले भोलेनाथ रे सिर से खिसक गयी जब साड़ी, मुस्काये गिरधारी, ब्रज में आ गए । ॥ इक दिन वो भोले भंडारी...॥ दीनदयाल तेरा तब से, गोपेश्वर हुआ नाम रे ओ भोले बाबा तेरा, वृन्दावन बना धाम रे भक्त कहे ओ त्रिपुरारी, राखो लाज हमारी, ब्रज में आ गए । इक दिन वो भोले भंडारी, बन करके ब्रज की नारी, ब्रज में आ गए । पार्वती भी मना के हारी, ना माने त्रिपुरारी, ब्रज में आ गए । * भजन मे ब्रज या वृंदावन का नाम अलग अलग भजनकार लेते हैं।