श्री सूक्त पाठ इन हिंदी पीडीएफ

  1. Shree Suktam Ka Path
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  3. Sri Suktam Pdf Download
  4. [PDF] श्री सूक्त पाठ
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Shree Suktam Ka Path

6.1 श्री सूक्तं के लाभ श्री सूक्तं का पाठ (Shree Suktam ka Path) श्री सूक्तं के बारे में- संसार में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति हो जो लक्ष्मी की कृपा से सुख समृद्धि और सफलता की कामना न करता हो . राजा, रंक, छोटे बड़े सभी चाहते हैं कि लक्ष्मी सदा उनके घर में निवास करें, और व्यक्ति धन की प्राप्ति के लिए प्रयत्न भी करता है. ऐसा कहा जाता है कि ऋग्वेद में माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए ‘श्री-सूक्त’( Shree Suktam in Hindi) के पाठ और मन्त्रों के जप तथा मन्त्रों से हवन करने पर मनचाही मनोकामना पूरी होने की बात कही है. Also Read:- अगर कोई दिवाली के दिन अमावस्या की रात में श्री सूक्तं ( Shree Suktam in Sanskrit) का पाठ और मंत्रों से जप करता है उसकी इच्छाएं पूरी होकर ही रहती हैं. कब करें श्री सूक्तं का पाठ – कहा जाता है कि श्री-सूक्त में पन्द्रह ऋचाएं हैं, माहात्म्य सहित सोलह ऋचाएं मानी गयी हैं क्योंकि किसी भी स्तोत्र का बिना माहात्म्य के पाठ करने से फल प्राप्ति नहीं होती है . श्री सूक्त के मंत्रों से ऋग्वेद के अनुसार दिवाली की रात में 11 बजे से लेकर 1 बजे के बीच- 108 कमल के पुष्प या 108 कमल गट्टे के दाने को गाय के घी में डूबाकर बेलपत्र, पलाश एवं आम की समिधायों से प्रज्वलित यज्ञ में आहुति देने एवं श्रद्धापूर्वक लक्ष्मी जी का षोडषोपचार पूजन करने से व्यक्ति वर्तमान से लेकर आने वाले सात जन्मों तक निर्धन नहीं हो सकता है. Also Read:- श्री सूक्तं संस्कृत में (Shree Suktam in Sanskrit) ज्योतिषों के अनुसार श्री सूक्तं ( Shree Suktam in Sanskrit) या श्री सुक्तम देवी लक्ष्मी की आराधना के लिए उनको समर्पित एक छोटी सा स्तोत्र है. इस स्त्रोत का पाठ करने से बहुत लाभ होते हैं. यह Shree Suktam lyrics ...

श्री सूक्त

॥वैभव प्रदाता श्री सूक्त॥ हरिः ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्र​जाम् । चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥१॥ तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् । यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ॥२॥ अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रबोधिनीम् । श्रियं देवीमुपह्वये श्रीर्मा देवी जुषताम् ॥३॥ कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् । पद्मे स्थितां पद्मवर्णां तामिहोपह्वये श्रियम् ॥४॥ प्रभासां यशसा लोके देवजुष्टामुदाराम् । पद्मिनीमीं शरणमहं प्रपद्येऽलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ॥५॥ आदित्यवर्णे तपसोऽधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽथ बिल्वः । तस्य फलानि तपसानुदन्तु मायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मीः ॥६॥ उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्च मणिना सह । प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन् कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ॥७॥ क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् । अभूतिमसमृद्धिं च सर्वां निर्णुद गृहात् ॥८॥ गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम् । ईश्वरींग् सर्वभूतानां तामिहोपह्वये श्रियम् ॥९॥ मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि । पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः ॥१०॥ कर्दमेन प्रजाभूता सम्भव कर्दम । श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ॥११॥ आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस गृहे । नि च देवी मातरं श्रियं वासय कुले ॥१२॥ आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिङ्गलां पद्ममालिनीम् । चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥१३॥ आर्द्रां यः करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् । सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥१४॥ तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् । यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पूरुषानहम् ॥१५॥ यः शुचिः प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम् । सूक्त...

Sri Suktam Pdf Download

Sri Suktam Pdf को आप यहाँ से डाउनलोड कर सकते है! इस पुरे संसार में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसे माँ लक्ष्मी की कामना ना हो, चाहे हो राजा हो रंक हो छोटा हो या बड़ा हो सबको माँ लक्ष्मी की कामना होती है! सभी लोग चाहते है माता लक्ष्मी हमेशा उनके घर में निवास करे! शास्त्रों के अनुसार जिस घर में श्री सूक्त का पाठ होता है, उस घर में कभी धन की कमी नही होती है! लेकिन उसके लिए आपको कर्म प्रधान होना जरुरी है! कर्म प्रधान होने के मतलब यह ही की अगर आप यह सोचते है की अगर आप बैठे रहेंगे और आपके पास पैसा आता रहेगा तो ऐसा कुछ भी नही होने वाला है ! धन से सम्बंधित अगर आपके पास परेशानी है और आप कर्म प्रधान है लेकिन आपको यह पता ही नही चलता है की आपका धन किधर गया तो आपको इस सूक्त का पाठ जरुर करना चाहिए ! श्री सूक्त या श्री सुक्तम देवी लक्ष्मी के आराधना के लिए उनको समर्पित एक छोटी सी सूत्र है! इस स्त्रोत का पाठ करने के बहुत से लाभ होते है! यह लक्ष्मी के 16 सिद्ध मन्त्र है ! जिसको ऋग्वेद में मनुष्य कल्याण के लिए इसका वर्णन किया गया है, देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्री सूक्त में इसके विशेष महिमा को बतायी गयी है ! यह पाठ पूर्ण रूप से संस्कृत में है लेकिन मैं आप सभी के इसका हिंदी अर्थे के साथ लाया हूँ ! Sri Suktam in Sanskrit with Hindi Meaning ❑➧ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह।।१।। ❑अर्थ➠ हे जातवेदा (सर्वज्ञ) अग्निदेव! आप सुवर्ण के समान रंगवाली, किंचित् हरितवर्णविशिष्टा, सोने और चाँदी के हार पहननेवाली, चन्द्रवत् प्रसन्नकान्ति, स्वर्णमयी लक्ष्मीदेवी का मेरे लिये आह्वान करें। ❑➧तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्। यस्यां हिरण्यं विन्देयं ...

[PDF] श्री सूक्त पाठ

इस पोस्ट के माध्यम से हम आपके साथ श्री सूक्त पाठ PDF साझा करेंगे, जिसे आप इसी पोस्ट में नीचे दिए गए डायरेक्ट डाउनलोड लिंक की सहायता से निशुल्क डाउनलोड करके पढ़ सकते है| श्री सूक्त का पाठ करना बहुत ही शुभ माना जाता है और ऐसा कहा जाता है कि सभी परिवार को घर में श्री सूक्त पाठ अवश्य करना चाहिए, ताकि घर में सुख शांति बना रहे और घर में किसी भी प्रकार का अशांति न हो| श्री सूक्त पाठ को आप इस पोस्ट में दिए गए डाउनलोड लिंक की सहायता से पीडीऍफ़ के रूप में डाउनलोड कर सकते है| श्री सूक्त पाठ PDF PDF Name श्री सूक्त पाठ PDF Language Hindi No. of Pages 8 PDF Size 0.21 MB Category Religious Quality Excellent Shree Suktam in Hindi PDF हिंदी मान्यताओं के अनुसार श्री सूक्त पाठ का किसी भी परिवार में करना बहुत ही लाभकारी माना जाता है, और खासकर ऐसा परिवार को धन की कमी के कठिनाई से गुजर रहा है तो उस परिवार में श्री सूक्त पाठ का होना आवश्यक माना जाता है ताकि उस परिवार की समस्याओं का नष्ट हो सके| Read Also: [PDF] ठाकुर प्रसाद कैलेंडर 2022 - Thakur Prasad Calendar 2022 PDF अगर आप भी श्री सूक्त पाठ करना चाहते है तो आप इस पोस्ट में शेयर किये गए पीडीऍफ़ को डाउनलोड करके कर सकते है, क्योंकि इस पीडीऍफ़ में सम्पूर्ण सूक्त पाठ को दिया गया है, साथ-ही इस पाठ को कैसे करना चाहिए उसका भी सम्पूर्ण विवरण दिया गया है, इसीलिए इस पीडीऍफ़ को निशुल्क डाउनलोड करके सूक्त पाठ अवश्य करे| Download श्री सूक्त पाठ PDF नीचे दिए गए डाउनलोड बटन का अनुसरण करके सम्पूर्ण सूक्त पाठ को पीडीऍफ़ के रूप में डाउनलोड कर सकते है|

श्री सूक्त अर्थ सहित

• ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्त्रजाम्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ॥ 1 ॥ अर्थ : हे जातवेद अग्निदेव आप मुझे सुवर्ण के समान पीतवर्ण वाली तथा किंचित हरितवर्ण वाली तथा हरिणी रूपधारिणी स्वर्ण मिश्रित रजत की माला धारण करने वाली , चाँदी के समान श्वेत पुष्पों की माला धारण करने वाली , चंद्रमा की तरह प्रकाशमान तथा चंद्रमा की तरह संसार को प्रसन्न करने वाली अथवा चंचला के सामान रूपवाली ये हिरण्मय ही जिसका शरीर है ऐसे गुणों से युक्त लक्ष्मी जी को मेरे लिए बुलाइये| • ॐ तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् । यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम ॥ 2 ॥ अर्थ : हे जातवेद अग्निदेव आप मेरे लिए उन जगत प्रसिद्ध लक्ष्मी जी को बुलाओ जिनके आवाहन करने पर मै समस्त ऐश्वर्य जैसे स्वर्ण ,गौ, अश्व और पुत्र पौत्रादि को प्राप्त करूँ। • ॐ अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनाद्प्रमोदिनिम । श्रियं देविमुप हव्ये श्रीर्मा देवी जुषताम ॥ 3 ॥ अर्थ : जिस देवी के आगे और मध्य में रथ है अथवा जिसके सम्मुख घोड़े रथ से जुते हुए हैं ,ऐसे रथ में बैठी हुई , हथियो की निनाद सम्पूर्ण संसार को प्रफुल्लित करने वाली देदीप्यमान एवं समस्त जनों को आश्रय देने वाली माँ लक्ष्मी को मैं अपने सम्मुख बुलाता हूँ। ऐसी सबकी आश्रयदाता माता लक्ष्मी मेरे घर में सदैव निवास करे| • ॐ कां सोस्मितां हिरण्य्प्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् । पद्मेस्थितां पदमवर्णां तामिहोप हवये श्रियम् ॥ 4 ॥ अर्थ : जिस देवी का स्वरूप, वाणी और मन का विषय न होने के कारण अवर्णनीय है तथा जिसके अधरों पर सदैव मुस्कान रहती है, जो चारों ओर सुवर्ण से ओत प्रोत है एवं दया से आद्र ह्रदय वाली देदीप्यमान हैं। स्वयं पूर्णकाम होने के कारण भक्तो के नाना प...