श्री सूक्त pdf

  1. Sri Suktam in Hindi
  2. [PDF] श्री सूक्तम पाठ अर्थ सहित
  3. [Lyrics & PDF] श्रीसूक्त पाठ
  4. श्री सूक्तम पाठ
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Sri Suktam in Hindi

WhatsApp Telegram Facebook Twitter LinkedIn Shree Suktam is the earliest Sanskrit devotional hymn worshipping “Sri” as Goddess Lakshmi, who is the goddess of wealth and prosperity. It is said that Shri Suktam Path has to be done with strict adherence to chandas to receive the blessing of Goddess Lakshmi. Get Sri Suktam in Hindi Lyrics Pdf here and chant properly to attain the grace of goddess Lakshmi. Sri Suktam in Hindi – श्री सूक्त ॐ हिर॑ण्यवर्णां॒ हरि॑णीं सु॒वर्ण॑रज॒तस्र॑जां । चं॒द्रां हि॒रण्म॑यीं ल॒क्ष्मीं जात॑वेदो म॒ आव॑ह ॥ 1 ॥ तां म॒ आव॑ह॒ जात॑वेदो ल॒क्ष्मीमन॑पगा॒मिनी᳚म् । यस्यां॒ हिर॑ण्यं विं॒देयं॒ गामश्वं॒ पुरु॑षान॒हम् ॥ 2 ॥ अ॒श्व॒पू॒र्वां र॑थम॒ध्यां ह॒स्तिना᳚द-प्र॒बोधि॑नीम् । श्रियं॑ दे॒वीमुप॑ह्वये॒ श्रीर्मा दे॒वीर्जु॑षताम् ॥ 3 ॥ कां॒ सो᳚स्मि॒तां हिर॑ण्यप्रा॒कारा॑मा॒र्द्रां ज्वलं॑तीं तृ॒प्तां त॒र्पयं॑तीम् । प॒द्मे॒ स्थि॒तां प॒द्मव॑र्णां॒ तामि॒होप॑ह्वये॒ श्रियम् ॥ 4 ॥ चं॒द्रां प्र॑भा॒सां य॒शसा॒ ज्वलं॑तीं॒ श्रियं॑ लो॒के दे॒वजु॑ष्टामुदा॒राम् । तां प॒द्मिनी॑मीं॒ शर॑णम॒हं प्रप॑द्येऽल॒क्ष्मीर्मे॑ नश्यतां॒ त्वां वृ॑णे ॥ 5 ॥ आ॒दि॒त्यव॑र्णे॒ तप॒सोऽधि॑जा॒तो वन॒स्पति॒स्तव॑ वृ॒क्षोऽथ बि॒ल्वः । तस्य॒ फला॑नि॒ तप॒सानु॑दंतु मा॒यांत॑रा॒याश्च॑ बा॒ह्या अ॑ल॒क्ष्मीः ॥ 6 ॥ उपै॑तु॒ मां दे॑वस॒खः की॒र्तिश्च॒ मणि॑ना स॒ह । प्रा॒दु॒र्भू॒तोऽस्मि॑ राष्ट्रे॒ऽस्मिन् की॒र्तिमृ॑द्धिं द॒दातु॑ मे ॥ 7 ॥ क्षुत्पि॑पा॒साम॑लां ज्ये॒ष्ठाम॑ल॒क्षीं ना॑शया॒म्यहम् । अभू॑ति॒मस॑मृद्धिं॒ च सर्वां॒ निर्णु॑द मे॒ गृहात् ॥ 8 ॥ गं॒ध॒द्वा॒रां दु॑राध॒र्षां॒ नि॒त्यपु॑ष्टां करी॒षिणी᳚म् । ई॒श्वरीग्ं॑ सर्व॑भूता॒नां॒ तामि॒ह...

[PDF] श्री सूक्तम पाठ अर्थ सहित

पुस्तक का एक मशीनी अंश श्रीसूक्त – श्रीसूक्त ऋग्वेद का खिल सूक है। ऋग्वेद के पांचवें मण्डल के अन्त में यह उपलब्ध होता है। सूक्त में मन्त्रों की संख्या पन्द्रह है। सोलहवें मन्त्र में फलश्रु ति है। बाद में ग्यारह मन्त्र परिशिष्ट के रूप में उपलब्ध होते हैं। इनको लक्ष्मीसूक्त के नाम से स्मरण किया जाता है। ऋषि – आनन्द, कर्दम, श्रीद और चिक्कीत ये चार श्रीसूक्त के ऋषि हैं। इन चारों को श्री का पुत्र बताया गया है। श्रीपुत्र हिरण्यगर्भ को भी श्रीसूक्त का ऋषि माना जाता है। छन्द – चौथा मन्त्र बृहती छन्द में है। पांचवाँ और छटा मन्त्र त्रिष्टुप छन्द में है। अन्तिम मन्त्र का छन्द प्रस्तारपंक्ति है। शेष मन्त्र अनुष्टुप छन्द में है। देवता – श्रीशब्दवाच्या लक्ष्मी इस सूक्त की देवता हैं । विनियोग – इस सूक्त का विनियोग लक्ष्मी के आराधन, जप, होम आदि में किया जाता है। महर्षि बोधायन, वशिष्ठ आदि ने इसके विशेष प्रयोग बतलाये हैं। श्रीसूक्त की फलश्रुति में भी इस सूक्त के मन्त्रों का जप तथा इन मन्त्रों के द्वारा होम करने का निर्देश किया गया है। सरसिजनिलये सरोजहस्ते धवलतरांशुकगन्धमाल्यशोभे । भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतकरि प्रसीद माम् ॥८॥ हे भगवति ! आप कमल में वास करती हो, आपके हाथों में कमलपुष्प हैं, आप प्रति श्वेत वस्त्र, चन्दन माला से सुशोभित हो, आप भगवान् की प्रेयसी हो, सुन्दर हो तथा त्रिलोकी को ऐश्वर्य प्रदान करने वाली हो, आप मुझ पर प्रसन्न हों । विष्णुपत्नीं क्षमां देवीं माधवीं माधवप्रियाम् । लक्ष्मों प्रियसखीं देवीं नमाम्यच्युतवल्लमाम् ॥६॥ हे लक्ष्मि ! आप विष्णु पत्नी हैं, दयामयी हैं, प्रकाशमयो हैं, माधव की प्रिया माधवी हैं, लक्ष्मी हैं, विष्णु की प्रिय संगिनी हैं विष्णु की प्रेयसी हैं। ...

[Lyrics & PDF] श्रीसूक्त पाठ

Shree Suktam Path Lyrics in Marathi – श्रीसूक्त पाठ ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्णरजतस्त्रजाम् । चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।। तां म आ वह जातवेदो, लक्ष्मीमनपगामिनीम् । यस्यां हिरण्यं विन्देयं, गामश्वं पुरूषानहम् ।। अश्वपूर्वां रथमध्यां, हस्तिनादप्रमोदिनीम् । श्रियं देवीमुप ह्वये, श्रीर्मा देवी जुषताम् ।। कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् । पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोप ह्वये श्रियम् ।। चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम् । तां पद्मिनीमीं शरणं प्र पद्ये अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ।। आदित्यवर्णे तपसोऽधि जातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽक्ष बिल्वः । तस्य फलानि तपसा नुदन्तु या अन्तरा याश्च बाह्या अलक्ष्मीः ।। उपैतु मां दैवसखः, कीर्तिश्च मणिना सह । प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन्, कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ।। क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् । अभूतिमसमृद्धिं च, सर्वां निर्णुद मे गृहात् ।। गन्धद्वारां दुराधर्षां, नित्यपुष्टां करीषिणीम् । ईश्वरीं सर्वभूतानां, तामिहोप ह्वये श्रियम् ।। मनसः काममाकूतिं, वाचः सत्यमशीमहि । पशूनां रूपमन्नस्य, मयि श्रीः श्रयतां यशः ।। कर्दमेन प्रजा भूता मयि सम्भव कर्दम । श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ।। आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे । नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले ।। आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिंगलां पद्ममालिनीम् । चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।। आर्द्रां य करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् । सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ।। तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् । यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्...

श्री सूक्तम पाठ

श्री सूक्तम पाठ | Sri Suktam Path PDF Hindi श्री सूक्तम पाठ | Sri Suktam Path Hindi PDF Download Download PDF of श्री सूक्तम पाठ | Sri Suktam Path in Hindi from the link available below in the article, Hindi श्री सूक्तम पाठ | Sri Suktam Path PDF free or read online using the direct link given at the bottom of content. श्री सूक्तम पाठ | Sri Suktam Path Hindi श्री सूक्तम पाठ | Sri Suktam Path हिन्दी PDF डाउनलोड करें इस लेख में नीचे दिए गए लिंक से। अगर आप श्री सूक्तम पाठ | Sri Suktam Path हिन्दी पीडीएफ़ डाउनलोड करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। इस लेख में हम आपको दे रहे हैं श्री सूक्तम पाठ | Sri Suktam Path के बारे में सम्पूर्ण जानकारी और पीडीएफ़ का direct डाउनलोड लिंक। ऋग्वेद के अनुसार, श्री सूक्तम जिसे लक्ष्मी सूक्तम के नाम से भी जाना जाता है, एक भक्ति भजन है जो देवी लक्ष्मी को समर्पित है। माँ लक्ष्मी धन, समृद्धि और बहुतायत की देवी हैं और श्री सूक्तम का पाठ माँ लक्ष्मी का आह्वान और पूजा करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि श्री यंत्र के सामने श्री सूक्त का पाठ करने वाले को कभी भी दरिद्रता नहीं आती है। इस सूक्तम के पंद्रह छंदों के अक्षर, शब्दांश और शब्द सामूहिक रूप से लक्ष्मी के ध्वनि शरीर का निर्माण करते हैं जो इस भजन की अधिष्ठात्री देवी हैं। माता लक्ष्मी (त्रिदेवी के सदस्यों में से एक) को श्री के रूप में भी जाना जाता है जिसका अर्थ है शुभ गुणों का अवतार। श्री सूक्तम पाठ करने से उपासकों को समृद्धि, अच्छाई, स्वास्थ्य, धन और कल्याण का आशीर्वाद मिलता है। सूक्तम का पाठ सहित तरीके से करने पर व्यक्ति को श्री, तेज, आयु, स्वास्थ्य से युक्त होकर शोभायमा...

Sri Suktam Path PDF Download

Download Shri Lakshmi Ji Suktam Path complete PDF in Hindi- श्री लक्ष्मी जी सूक्तम पाठ की पूरी पीडीएफ हिंदी में डाउनलोड करें- हमारे नए पोस्ट में आपका स्वागत है। यह पोस्ट आपको हिंदी में श्री सूक्त पाठ का पीडीएफ प्रदान करेगी। आप श्री सूक्त पाठ संस्कृत और हिंदी में पा सकते हैं, जिसे आप इस पोस्ट के अंत में पीडीएफ प्रारूप में भी डाउनलोड कर सकते हैं। Checkout: • • • Sri Suktam Path PDF लक्ष्मी धन, भाग्य, समृद्धि, भौतिक और आध्यात्मिक की देवी हैं। वह विष्णु की पत्नी और सक्रिय ऊर्जा है। मां लक्ष्मी को नारायणी के रूप में भी जाना जाता है, उनके चार हाथ मानव जीवन के चार लक्ष्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं जिन्हें जीवन के हिंदू तरीके से महत्वपूर्ण माना जाता है- धर्म, कर्म, अर्थ और मोक्ष । लक्ष्मी को श्री या तिरुमगल भी कहा जाता है क्योंकि वह विष्णु के लिए भी छह शुभ और दैवीय शक्ति से संपन्न है। श्री सूक्तं मूलतः ऋग्वेद के दूसरे अध्याय के छठे छन्द में आनंदकर्दम ऋषि द्वारा श्री देवता को समर्पित काव्यांश है, श्री सूक्त देवी लक्ष्मी का आह्वान करने के लिए सुनाया जाने वाला एक बहुत ही लोकप्रिय वैदिक भजन है जिसे धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। श्री सूक्तम का पाठ कई हिंदू घरों में नियमित रूप से किया जाता है। हे देवो के प्रतिनिधि अग्निदेव, सुवर्ण जैसे वर्णवाली, दरिद्रता के विनाश करने में हरिणी के जैसी गतिवाली और चपल, , सुवर्ण और चांदी की माला धारक चंद्र जैसे शीतल, पुष्टिकरी, सुवर्णस्वरूप, तेजस्वी, लक्ष्मीजी को मेरे यहाँ मेरे अभ्युदय के लिए लेके आईये | ॐ तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम | यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहं || 2 || जिसके पास वेदो की प्राप्ति हुई है, हे लक्ष्मी नारायण | ...