शुक्ल युग के प्रसिद्ध उपन्यासकार हैं

  1. शुक्ल युग के दो कहानीकारों के नाम बताएं? » Shukla Yug Ke Do Kahanikaron Ke Naam Batayen
  2. युग
  3. UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi गद्य
  4. बोलने में कम से कम बोलूँ
  5. विनोद कुमार शुक्ल
  6. जयशंकर प्रसाद
  7. UP Board Solutions for Class 10 Hindi गद्य की विभिन्न विधाओं पर आधारित – UP Board Solutions


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शुक्ल युग के दो कहानीकारों के नाम बताएं? » Shukla Yug Ke Do Kahanikaron Ke Naam Batayen

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। शुक्ल युग के दो कहानीकार ओं के नाम आपने पूछा तो मैं बता दूं कि शुक्ल युग जिसे छायावादी युग भी कहते हैं और यह 1920 से 1938 ईस्वी तक के काल को शुक्ल युग कहा जाता है और जिस इशू को प्रसाद युग प्रेमचंद युग या छायावादी युग के भी नाम से जाना जाता है तो प्रमुख का संधि कारों के नाम अपने पूछे हैं तो मैं बता दूं कि इस वक्त के प्रमुख कहानीकार में मुंशी प्रेमचंद की प्रमुख कहानियां पंच परमेश्वर पूस की रात ईदगाह जैसे हैं उसके बाद जयशंकर प्रसाद जी थे जिनका आकाशदीप ममता गांधी पुरस्कार जैसे प्रमुख कहानियां थी चतुरसेन शास्त्री जी ने उन्हें दे खुदा की राह पर ककड़ी की कीमत पालिका रूठी रानी जस्सी की रचनाएं की ऑर्डर पांडे शर्मा जिन्होंने शैतान मंडली दोजक की आग जैसी रचनाएं की shukla yug ke do kahanikar on ke naam aapne poocha toh main bata doon ki shukla yug jise chhayavadi yug bhi kehte hain aur yah 1920 se 1938 isvi tak ke kaal ko shukla yug kaha jata hai aur jis issue ko prasad yug Premchand yug ya chhayavadi yug ke bhi naam se jana jata hai toh pramukh ka sandhi kaaron ke naam apne pooche hain toh main bata doon ki is waqt ke pramukh kahanikar mein munshi Premchand ki pramukh kahaniya punch parmeshwar push ki raat eidgah jaise hain uske baad jaishankar prasad ji the jinka akashdeep mamata gandhi puraskar jaise pramukh kahaniya thi chatursen shastri ji ne unhe de khuda ki raah par kakari ki kimat palika ruthi rani jassi ki rachnaye ki order pandey sharma jinhone shaitaan manda...

युग

अनुक्रम • 1 युग आदि का परिमाण • 2 गधर्म • 3 वैज्ञानिक प्रमाण • 4 कलियुग का आरम्भ • 5 इन्हें भी देखें युग आदि का परिमाण [ ] मुख्य लौकिक युग सत्य (उकृत), त्रेता, द्वापर और कलि नाम से चार भागों में (चतुर्धा) विभक्त है। इस युग के आधार पर ही मन्वंतर और कल्प की गणना की जाती है। इस गणना के अनुसार सत्य आदि चार युग संध्या (युगारंभ के पहले का काल) और संध्यांश (युगांत के बाद का काल) के साथ 12000 वर्ष परिमित होते हैं। चार युगों का मान 4000 + 3000 + 2000 + 1000 = 10000 वर्ष है; संध्या का 400 + 300 + 200 + 100 = 1000 वर्ष; संध्यांश का भी 1000 वर्ष है। युगों का यह परिमाण दिव्य वर्ष में है। दिव्य वर्ष = 360 मनुष्य वर्ष है; अत: 12000 x 360 = 4320000 वर्ष चतुर्युग का मानुष परिमाण हुआ। तदनुसार सत्ययुग = 1728000; त्रेता = 1296000; द्वापर = 864000; कलि = 432000 वर्ष है। ईद्दश 1000 चतुर्युग (चतुर्युग को युग भी कहा जाता है) से एक कल्प याने ब्रह्मा की आयु 100 वर्ष है। 71 दिव्ययुगों से एक मन्वंतर होता है। यह वस्तुत: महायुग है। अन्य अवांतर युग भी है। प्रत्येक संख्या में ३६० के गुणा करना होता है क्योंकि और कलियुग जो की १२०० दिव्यवर्ष अवधि का था वह मानव वर्षों के रूप में ४३२००० वर्ष का बना होता है चारों युगों की अवधि इस प्रकार है सत्य 17,28,000 वर्ष ,त्रेता 12,96,000 वर्ष ,द्वापर 8,64,000 वर्ष कलियुग 4,32,000 वर्ष चारों युगों का जोड़ 43,20,000 वर्ष यानी एक चतुर्युग | दुसरी गलती यह हुई कि जब द्वापर समाप्त हुआ तो उस समय २४०० वा वर्ष चल रहा था जब कलियुग शुरू हुआ तो उसको कलियुग प्रथम वर्ष लिखा जाना चाहिए था लेकिन लिखा गया कलियुग २४०१ तो जो कहा जाता है की २०१८ में कलियुग शुरू हुए ५१२० वर्ष हो गए हैं उसमे ...

UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi गद्य

UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi गद्य-साहित्यका विकास अतिलघु उत्तरीय प्रश्न are part of Board UP Board Textbook NCERT Class Class 11 Subject Sahityik Hindi Chapter Chapter 1 Chapter Name गद्य-साहित्यका विकास अतिलघु उत्तरीय प्रश्न Number of Questions 154 Category UP Board Solutions UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi गद्य-साहित्यका विकास अतिलघु उत्तरीय प्रश्न अतिलघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1: गद्य एवं पद्य का अन्तर दो पंक्तियों में लिखिए। उत्तर: वाक्यबद्ध विचारात्मक रचना को गद्य कहते हैं। दैनिक जीवन की बोलचाल में गद्य का ही प्रयोग होता है, जब कि छन्दबद्ध, भावपूर्ण और गेय रचनाएँ पद्य कहलाती हैं। प्रश्न 2: हिन्दी की आठ बोलियाँ कौन-कौन-सी हैं? उत्तर: • ब्रज, • अवधी, • बुन्देली, • बघेली, • छत्तीसगढ़ी, • हरियाणवी, • कन्नौजी तथा • खड़ी बोली। प्रश्न 3: हिन्दी गद्य के प्राचीनतम प्रयोग किन भाषाओं में मिलते हैं? उत्तर: हिन्दी गद्य के प्राचीनतम प्रयोग राजस्थानी और ब्रज भाषाओं में मिलते हैं। प्रश्न 4: प्राचीन ब्रज भाषा गद्य की दो रचनाओं के नाम लिखिए। उत्तर: गोकुलनाथ कृत ‘चौरासी वैष्णवन की वार्ता’ और बैकुण्ठमणि कृत ‘अगहन माहात्म्य’; प्राचीन ब्रज भाषा गद्य की रचनाएँ हैं। प्रश्न 5: खड़ी बोली गद्य की प्रथम प्रामाणिक रचना तथा उसके लेखक का नाम व समय लिखिए। या खड़ी बोली गद्य की प्रामाणिक रचनाएँ कब से प्राप्त होती हैं? उत्तर: रचना– गोरा बादल की कथा। लेखक – जटमल। समय– सन् 1623 ई० (सत्तरहवीं शताब्दी से)। प्रश्न 6: खड़ी बोली गद्य की सबसे प्राचीन रचना कौन-सी है? उत्तर: खड़ी बोली गद्य की सबसे प्राचीन रचना कवि गंग द्वारा लिखित ‘चंद छंद बनने की महिमा है। प्रश्न 7: खड़ी बोली गद्...

बोलने में कम से कम बोलूँ

बोलने में कम से कम बोलूँ कभी बोलूँ, अधिकतम न बोलूँ इतना कम कि किसी दिन एक बात बार-बार बोलूँ जैसे कोयल की बार-बार की कूक फिर चुप। मेरे अधिकतम चुप को सब जान लें जो कहा नहीं गया, सब कह दिया गया का चुप। पहाड़, आकाश, सूर्य, चन्द्रमा के बरक्स एक छोटा-सा टिमटिमाता मेरा भी शाश्वत छोटा-सा चुप। ग़लत पर घात लगाकर हमला करने के सन्नाटे में मेरा एक चुप— चलने के पहले एक बन्दूक़ का चुप। और बन्दूक़ जो कभी नहीं चली इतनी शान्ति का हमेशा की मेरी उम्मीद का चुप। बरगद के विशाल एकान्त के नीचे सम्भालकर रखा हुआ जलते दिये का चुप। भीड़ के हल्ले में कुचलने से बचा यह मेरा चुप, अपनों के जुलूस में बोलूँ कि बोलने को सम्भालकर रखूँ का Book by Vinod Kumar Shukla: विनोद कुमार शुक्ल हिंदी के प्रसिद्ध कवि और उपन्यासकार हैं! 1 जनवरी 1937 को भारत के एक राज्य छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव में जन्मे शुक्ल ने प्राध्यापन को रोज़गार के रूप में चुनकर पूरा ध्यान साहित्य सृजन में लगाया! वे कवि होने के साथ-साथ शीर्षस्थ कथाकार भी हैं। उनके उपन्यासों ने हिंदी में पहली बार एक मौलिक भारतीय उपन्यास की संभावना को राह दी है। उन्होंने एक साथ लोकआख्यान और आधुनिक मनुष्य की अस्तित्वमूलक जटिल आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति को समाविष्ट कर एक नये कथा-ढांचे का आविष्कार किया है।

विनोद कुमार शुक्ल

13 POSTS 0 COMMENTS विनोद कुमार शुक्ल हिंदी के प्रसिद्ध कवि और उपन्यासकार हैं! 1 जनवरी 1937 को भारत के एक राज्य छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव में जन्मे शुक्ल ने प्राध्यापन को रोज़गार के रूप में चुनकर पूरा ध्यान साहित्य सृजन में लगाया! वे कवि होने के साथ-साथ शीर्षस्थ कथाकार भी हैं। उनके उपन्यासों ने हिंदी में पहली बार एक मौलिक भारतीय उपन्यास की संभावना को राह दी है। उन्होंने एक साथ लोकआख्यान और आधुनिक मनुष्य की अस्तित्वमूलक जटिल आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति को समाविष्ट कर एक नये कथा-ढांचे का आविष्कार किया है।

जयशंकर प्रसाद

जयशंकर प्रसाद जन्म 30 जनवरी 1889 मृत्यु नवम्बर 15, 1937 ( 1937-11-15) (उम्र48) व्यवसाय जयशंकर प्रसाद (30 जनवरी 1889- 15 नवंबर 1937) जयशंकर प्रसाद का जन्म माघ शुक्ल दशमी, संवत्‌ १९४६ वि॰ तदनुसार 30 जनवरी 1890 ई॰ दिन-गुरुवार) प्रसाद जी की प्रारंभिक घर के वातावरण के कारण ‘सावक पंचक’ सन १९०६ में भारतेंदु पत्रिका में कलाधर नाम से ही प्रकाशित हुई थी। वे नियमित रूप से गीता-पाठ करते थे, परंतु वे संस्कृत में गीता के पाठ मात्र को पर्याप्त न मानकर गीता के आशय को जीवन में धारण करना आवश्यक मानते थे। प्रसाद जी का पहला अनुक्रम • 1 लेखन-कार्य • 1.1 कविता • 1.2 कहानी • 1.3 उपन्यास • 1.4 नाटक • 1.4.1 रंगमंचीय अध्ययन • 2 प्रकाशित कृतियाँ • 2.1 काव्य • 2.2 कहानी-संग्रह एवं उपन्यास • 2.3 नाटक-एकांकी एवं निबन्ध • 2.4 रचना-समग्र • 3 सम्मान • 4 इन्हें भी देखें • 5 सन्दर्भ • 6 बाहरी कड़ियाँजयशंकर प्रसाद: एक परिचय ('महाकवि प्रसाद फाउंडेशन' द्वारा प्रस्तुत वीडियो) लेखन-कार्य [ ] कविता [ ] प्रसाद ने प्रसाद जी ने जब लिखना शुरू किया उस समय भारतेन्दुयुगीन और द्विवेदीयुगीन काव्य-परंपराओं के अलावा श्रीधर पाठक की 'नयी चाल की कविताएँ भी थीं। उनके द्वारा किये गये अनुवादों 'एकान्तवासी योगी' और 'ऊजड़ग्राम' का नवशिक्षितों और पढ़े-लिखे प्रभु वर्ग में काफी मान था। प्रसाद के 'चित्राधार' में संकलित रचनाओं में इसके प्रभाव खोजे भी गये हैं और प्रमाणित भी किये जा सकते हैं। 1909 ई॰ में 'इन्दु' में उनका कविता संग्रह 'प्रेम-पथिक' प्रकाशित हुआ था। 'प्रेम-पथिक' पहले ब्रजभाषा में प्रकाशित हुआ था। बाद में इसका परिमार्जित और परिवर्धित संस्करण खड़ी बोली में नवंबर 1914 में 'प्रेम-पथ' नाम से और उसका अवशिष्ट अंश दिसंबर 1914 में 'च...

UP Board Solutions for Class 10 Hindi गद्य की विभिन्न विधाओं पर आधारित – UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 10 Hindi गद्य की विभिन्न विधाओं पर आधारित These Solutions are part of गद्य की विभिन्न विधाओं पर आधारित निबन्ध प्रश्न 1 निबन्ध किसे कहते हैं ? उत्तर निबन्ध उस गद्य-विधा को कहते हैं, जिसमें किसी विषय पर सभी दृष्टियों से प्रस्तुत किये गये विचारों का मौलिक और स्वतन्त्र रूप में विवेचन; विचारपूर्ण, विवरणात्मक और विस्तृत रूप में किया गया हो। इसमें लेखक स्वतन्त्रतापूर्वक अपने विचारों तथा भावों को प्रकट करता है। प्रश्न 2 हिन्दी निबन्ध-लेखन की विभिन्न शैलियों का उल्लेख कीजिए। या विषय एवं शैली के अनुसार निबन्ध के दो भेदों का नामोल्लेख कीजिए। उत्तर हिन्दी निबन्ध-लेखन में वर्णनात्मक, (UPBoardSolutions.com) विवरणात्मक, विचारात्मक तथा भावात्मक शैलियों को अपनाया गया है। प्रश्न 3 विचारात्मक निबन्ध और वर्णनात्मक निबन्ध में अन्तर बताइए। उत्तर विचारात्मक निबन्ध में तर्कपूर्ण विवेचन, विश्लेषण एवं खोजपूर्ण अध्ययन की प्रधानता होती है, किन्तु वर्णनात्मक निबन्ध का लेखक किसी वस्तु, घटना या दृश्य का वर्णन निरीक्षण के आधार पर करता है। प्रश्न 4 ‘वर्णनात्मक’ एवं ‘विवरणात्मक निबन्ध का अन्तर स्पष्ट कीजिए। उत्तर वर्णनात्मक निबन्धों में किसी भी वर्णनीय वस्तु, स्थान, व्यक्ति, दृश्य आदि का निरीक्षण के आधार पर आकर्षक, सरस तथा रमणीय रूप में वर्णन होता है; जब कि विवरणात्मक निबन्धों में प्रायः ऐतिहासिक तथा सामाजिक घटनाओं, स्थानों, दृश्यों, पात्रों तथा जीवन के अन्य विविध क्रियाकलापों का विवरण दिया जाता है। प्रश्न 5 हिन्दी के प्रमुख ललित निबन्धकारों के नाम बताइए। उत्तर हिन्दी के प्रमुख ललित निबन्धकार निम्नवत् हैं • आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी, • शिवप्रसाद सिंह, • रामवृक्ष बेनीपुरी, • क...