Siddha kunjika stotram in hindi

  1. सिद्ध कुंजिका स्तोत्र
  2. Siddha Kunjika Stotram in hindi – Bhakti Puja Hindi
  3. [PDF] सिद्ध कुंजिका स्तोत्र
  4. Siddha Kunjika Stotra Benefits: इस स्तोत्र का रोजाना करेंगे पाठ, मिलेंगे अद्भुत और चमत्कारी लाभ
  5. सिद्ध कुञ्जिकास्तोत्र (अर्थ सहित, महत्व, उद्देश्य,)
  6. Siddha Kunjika Stotram


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सिद्ध कुंजिका स्तोत्र

Also Read This In:- ॐ अस्य श्रीकुंजिकास्तोत्रमंत्रस्य सदाशिव ऋषिः, अनुष्टुप् छंदः, श्रीत्रिगुणात्मिका देवता, ॐ ऐं बीजं, ॐ ह्रीं शक्तिः, ॐ क्लीं कीलकम्, मम सर्वाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः । शिव उवाच शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् । येन मंत्रप्रभावेण चंडीजापः शुभो भवेत् ॥ 1 ॥ न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् । न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम् ॥ 2 ॥ कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् । अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् ॥ 3 ॥ गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति । मारणं मोहनं वश्यं स्तंभनोच्चाटनादिकम् । पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ॥ 4 ॥ अथ मंत्रः । ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे । ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा ॥ 5 ॥ इति मंत्रः । नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि । नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि ॥ 6 ॥ नमस्ते शुंभहंत्र्यै च निशुंभासुरघातिनि । जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे ॥ 7 ॥ ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका । क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते ॥ 8 ॥ चामुंडा चंडघाती च यैकारी वरदायिनी । विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिणि ॥ 9 ॥ धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी । क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु ॥ 10 ॥ हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जंभनादिनी । भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः ॥ 11 ॥ अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षम् । धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ॥ 12 ॥ पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां ...

Siddha Kunjika Stotram in hindi – Bhakti Puja Hindi

जानें Siddha Kunjika Stotram in hindi तथा अर्थ सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को पढ़ने से जातक के जीवन में से दुख और परेशानियां दूर हो जाती हैं | माँ दुर्गा के इस स्तोत्र को करने से मन को शांति मिलती है | अगर जातक इस स्तोत्र का पाठ हर रोज करे तो उसकी सभी इच्छाएं पूरी होंगी | यदि आप सम्पूर्ण सिद्ध कुंजिका स्तोत्र हिंदी में पढ़ना चाहते हैं तो आप यहाँ पढ़ सकते हैं | साथ ही साथ आप सिद्ध कुंजिका स्तोत्र pdf को अपने फ़ोन तथा कंप्यूटर पर भी डाउनलोड कर सकते हैं। siddha kunjika stotram in hindi ॥ शिव उवाच: ॥ शृणु देवि प्रवक्ष्यामि, कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् । येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत ॥1॥ न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् । न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम् ॥2॥ कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् । अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् ॥3॥ गोपनीयं प्रयत्‍‌नेनस्वयोनिरिव पार्वति । मारणं मोहनं वश्यंस्तम्भनोच्चाटनादिकम् । पाठमात्रेण संसिद्ध्येत्कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् ॥4॥ ॥ अथ मन्त्रः ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लींचामुण्डायै विच्चे ॥ ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालयज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वलहं सं लं क्षं फट् स्वाहा ॥ ॥ इति मन्त्रः ॥ नमस्ते रूद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि । नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि ॥1॥ नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनि । जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरूष्व मे ॥2॥ ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका । क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते ॥3॥ चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी । विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि ॥4॥ धां धीं धूं धूर्जटेः पत्‍‌नी वां वीं वूं वागधीश्‍वरी । क्रां क्रीं ...

[PDF] सिद्ध कुंजिका स्तोत्र

‘सिद्ध कुंजिका स्तोत्र’ PDF Quick download linkis given at the bottom of this article. You can see the PDF demo, size of the PDF, page numbers, and direct download Free PDF of ‘Siddha Kunjika Stotram’ using the download button. सिद्ध कुंजिका स्तोत्र – Siddha Kunjika Stotram Lyrics Hindi PDF Free Download Siddha Kunjika Stotram Lyrics ॥सिद्ध कुंजिका स्तोत्रम् ॥ शिव उवाच शृणु देवि प्रवक्ष्यामि, कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्। येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत॥1॥ न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्। न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्॥2॥ कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्। अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्॥3॥ गोपनीयं प्रयत्‍‌नेनस्वयोनिरिव पार्वति। मारणं मोहनं वश्यंस्तम्भनोच्चाटनादिकम्। पाठमात्रेण संसिद्ध्येत्कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्॥4॥ ॥ अथ मन्त्रः ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लींचामुण्डायै विच्चे॥ ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालयज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वलहं सं लं क्षं फट् स्वाहा॥ ॥ इति मन्त्रः ॥ नमस्ते रूद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि। नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि॥1॥ नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनि। जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरूष्व मे॥2॥ ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका। क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते॥3॥ चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी। विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि॥4॥ धां धीं धूं धूर्जटेः पत्‍‌नी वां वीं वूं वागधीश्‍वरी। क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु॥5॥ हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी। भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः॥6॥ अं...

Siddha Kunjika Stotra Benefits: इस स्तोत्र का रोजाना करेंगे पाठ, मिलेंगे अद्भुत और चमत्कारी लाभ

नई दिल्ली: सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Siddha kunjika stotram) को परम कल्याणकारी माना गया है. इसका पाठ करने से लोगों को चमत्कारिक रूप से कष्टों से मुक्ति मिलती है. साथ ही उनकी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं. ये स्तोत्र श्रीरुद्रयामल (siddha kunjika stotram benefits) के मन्त्र से सिद्ध है. इसे सिद्ध करने की जरूरत नहीं होती. ये एक अद्भुत स्तोत्र है, जिसका प्रभाव बहुत चमत्कारी होता है. इस स्त्रोत के पाठ से मनुष्य की बड़ी से बड़ी समस्याएं दूर हो जाती हैं. ये स्तोत्र श्रीरुद्रयामल के गौरी तंत्र में शिव पार्वती संवाद के नाम से वर्णित है. यदि दुर्गा सप्तशती का पाठ मनुष्य को कठिन लगे या पढ़ने का समय न हो तो उसे सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Siddh Kunjika Stotra) का पाठ करना चाहिए. ये सरल होने के साथ ही कम समय में बहुत ही प्रभावकारी असर दिखाता है. यह भी पढ़े : माना जाता है कि इस पाठ के मंत्रों में बीजों का समावेश है और बीज किसी भी मंत्र की शक्ति माने जाते हैं. इनमें इच्छाओं को पूर्ण करने की शक्ति होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि दुर्गा सप्तशती का पाठ आपको कठिन लगे या पढ़ने का समय न हो, तो आपको सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करना चाहिए.ये सरल (Importance of Siddha Kunjika Stotra) होने के साथ ही कम समय में असर फलदाई माना जाता है. तो, चलिए सिद्ध कुंजिका स्तोत्र जानते हैं. यह भी पढ़े : सिद्ध कुंजिका स्तोत्र - (Siddha Kunjika Stotra) शिव उवाच शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्। येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजाप: भवेत्।।1।। न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्। न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्।।2।। कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्। अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्।।3...

सिद्ध कुञ्जिकास्तोत्र (अर्थ सहित, महत्व, उद्देश्य,)

सिद्ध कुञ्जिकास्तोत्र (अर्थ सहित, महत्व, उद्देश्य,) Siddha Kunjika Stotram lyrics in Hindi दोस्तों सिद्ध कुञ्जिकास्तोत्र माता दुर्गा का बहुत ही प्रभावशाली तथा कल्याणकारी स्तोत्र है। यह स्तोत्र रुद्रयामल तंत्र के गौरी तंत्र भाग से लिया गया है। सिद्ध कुञ्जिकास्तोत्र के पाठ को करना यानी पूरी दुर्गा सप्तशती के पाठ को करने के बराबर है। इस सिद्ध कुञ्जिकास्तोत्र के मूल मन्त्र को नवाक्षरी मंत्र ( ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ) के साथ प्रारम्भ होते है, जोकि इस मंत्र को माता सर्व शक्तिशाली मंत्र कहा गया है। कुञ्जिका का शाब्दिक अर्थ होता है चाबी यानी ( key) अर्थात कुञ्जिकास्तोत्र दुर्गा सप्तशती की शक्ति को जागृत करता है ,जो महेश्वर शिव के द्वारा गुप्त (lock) कर दी गयी है। यह मंत्र इतना प्रभावशाली है की आपको फिर किसी अन्य मंत्र को जपने की आवश्यकता नही पढेगी, इस कुञ्जिकास्तोत्र के पाठ मात्र से सभी जाप सिद्ध हो जाते है,और सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। इस कुञ्जिकास्तोत्र में आए बीजों ( बीज मन्त्रो) का अर्थ जानना न संभव है और न ही अतिआवश्यक अर्थात केवल जप पर्याप्त है। अर्थात सच्चे मन से जाप करने पर आप स्वयं ही अनुभव करेंगे। सिद्ध कुञ्जिकास्तोत्र का महत्व--- दोस्तों भगवान शिव कहते हैं कि सिद्ध कुञ्जिकास्तोत्र का पाठ करने वाले को पूरी दुर्गा सप्तशती यानी देवी कवच, अर्गला, कीलक, रहस्य, सूक्त, ध्यान, न्यास और यहां तक कि अर्चन भी आवश्यक नहीं है। केवल कुञ्जिकास्तोत्र के पाठ मात्र से दुर्गा पाठ का फल प्राप्त हो जाता है। इसको शिव ने परम कल्याण कारी माना है तथा भक्तों को अल्प समय मे अपने अपने पापों का प्रयाश्चित करने का अवसर दिया है। कुञ्जिकास्तोत्र शक्तिशाली क्यों है ? हर किसी का अपना महत्...

Siddha Kunjika Stotram

ōṃ asya śrīkuñjikāstōtramantrasya sadāśiva ṛṣiḥ, anuṣṭup Chandaḥ, śrītriguṇātmikā dēvatā, ōṃ aiṃ bījaṃ, ōṃ hrīṃ śaktiḥ, ōṃ klīṃ kīlakam, mama sarvābhīṣṭasiddhyarthē japē viniyōgaḥ । śiva uvācha śṛṇu dēvi pravakṣyāmi kuñjikāstōtramuttamam । yēna mantraprabhāvēṇa chaṇḍījāpaḥ śubhō bhavēt ॥ 1 ॥ na kavachaṃ nārgalāstōtraṃ kīlakaṃ na rahasyakam । na sūktaṃ nāpi dhyānaṃ cha na nyāsō na cha vārchanam ॥ 2 ॥ kuñjikāpāṭhamātrēṇa durgāpāṭhaphalaṃ labhēt । ati guhyataraṃ dēvi dēvānāmapi durlabham ॥ 3 ॥ gōpanīyaṃ prayatnēna svayōniriva pārvati । māraṇaṃ mōhanaṃ vaśyaṃ stambhanōchchāṭanādikam । pāṭhamātrēṇa saṃsiddhyēt kuñjikāstōtramuttamam ॥ 4 ॥ atha mantraḥ । ōṃ aiṃ hrīṃ klīṃ chāmuṇḍāyai vichchē । ōṃ glauṃ huṃ klīṃ jūṃ saḥ jvālaya jvālaya jvala jvala prajvala prajvala aiṃ hrīṃ klīṃ chāmuṇḍāyai vichchē jvala haṃ saṃ laṃ kṣaṃ phaṭ svāhā ॥ 5 ॥ iti mantraḥ । namastē rudrarūpiṇyai namastē madhumardini । namaḥ kaiṭabhahāriṇyai namastē mahiṣārdini ॥ 6 ॥ namastē śumbhahantryai cha niśumbhāsuraghātini । jāgrataṃ hi mahādēvi japaṃ siddhaṃ kuruṣva mē ॥ 7 ॥ aiṅkārī sṛṣṭirūpāyai hrīṅkārī pratipālikā । klīṅkārī kāmarūpiṇyai bījarūpē namō'stu tē ॥ 8 ॥ chāmuṇḍā chaṇḍaghātī cha yaikārī varadāyinī । vichchē chābhayadā nityaṃ namastē mantrarūpiṇi ॥ 9 ॥ dhāṃ dhīṃ dhūṃ dhūrjaṭēḥ patnī vāṃ vīṃ vūṃ vāgadhīśvarī । krāṃ krīṃ krūṃ kālikā dēvi śāṃ śīṃ śūṃ mē śubhaṃ kuru ॥ 10 ॥ huṃ huṃ huṅkārarūpiṇyai jaṃ jaṃ jaṃ jambhanādinī । bhrāṃ bhrīṃ bhrūṃ bhairavī bhadrē bhavānyai tē namō namaḥ ॥ 11 ॥ aṃ kaṃ chaṃ ṭaṃ taṃ ...