सिनेमा विधा का जन्म……. में हुआ।

  1. समकालीन सिनेमा में स्त्री
  2. History of Indian Cinema in hindi, भारतीय सिनेमा का इतिहास
  3. [Solved] 'भारतीय सिनेमा के जनक' के रूप में किसे जाना �
  4. मायावी कल्पनाः चालीस से सत्तर के दशक के दौरान हिंदी सिनेमा पर सामाजिक न्याय का प्रभाव
  5. [Solved] 'भारतीय सिनेमा के जनक' के रूप में किसे जाना �
  6. मायावी कल्पनाः चालीस से सत्तर के दशक के दौरान हिंदी सिनेमा पर सामाजिक न्याय का प्रभाव
  7. History of Indian Cinema in hindi, भारतीय सिनेमा का इतिहास
  8. समकालीन सिनेमा में स्त्री
  9. [Solved] 'भारतीय सिनेमा के जनक' के रूप में किसे जाना �
  10. History of Indian Cinema in hindi, भारतीय सिनेमा का इतिहास


Download: सिनेमा विधा का जन्म……. में हुआ।
Size: 61.56 MB

समकालीन सिनेमा में स्त्री

रमा हिंदी सिनेमा के इन सौ बरसों में निर्देशकों की नजर एक ओर जहां भारतीय समाज की विडंबनाओं और उपलब्धियों को अभिव्यक्ति देने में रही, वहीं फिल्मों में तमाम साहित्यिक और सामाजिक विमर्शों को भी जगह मिली। ‘दलित विमर्श’ और ‘आदिवासी विमर्श’ के साथ ‘स्त्री विमर्श’ ने भी इस बीच हिंदी सिनेमा में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज की है। बहुत दिन नहीं हुए जब नायिकाओं को मात्र नाचने-गाने, नायक के पीछे घूमने वाली प्रेमिका या मनोरंजन का साधन समझा जाता था। इक्कीसवीं सदी के आरंभ में ही सिनेमा ‘स्टार’ से टूट कर ‘आम’ तक पहुंच गया। आज भी सिनेमा को मनोरंजन का साधन मानने वालों की संख्या अधिक है और इसके लिए वे फिल्मकार जिम्मेदार हैं जो दिमाग ताख पर रख कर फिल्म देखने की अपील करते हैं। लेकिन,आज भी कुछ निर्देशक हैं जो फिल्मों को एक सामाजिक जिम्मेदारी समझ कर उसका निर्माण करते हैं। ‘लीक नहीं पीटते’, बल्कि ‘लीक को तोड़ते’ हैं और मनोरंजन के नाम पर दर्शकों का नैतिक पतन नहीं करते हैं। भारतीय सिनेमा में स्त्री जीवन की छवि को समझने के दो कोण है महत्त्वपूर्ण हैं। पहल, वे फिल्में जो स्त्री-समस्याओं को ध्यान में रखकर ईमानदारी से बनाई जा रही हैं । दूसरा, सिनेमा में स्त्री को अपनी जगह बनाने के लिए किए गए संघर्ष और समझौते। जाहिर है कि सिनेमा ‘आम’ जनता के लिए बनाया जरूर जाता है पर उसका उद्योग पूंजीवादी है जो अपने अंदर प्रवेश करने के लिए सिर्फ प्रतिभा की डिमांड नहीं करता है। ‘डिमांड’ शब्द, सिनेमा का ‘छिपा रुस्तम’ है। समय-समय पर यह डिमांड यौन-शोषण से बलात्कार तक की यात्रा करता है। सिनेमा उन्मुक्त विधा का साधन है। सफलता के लिए उन्मुक्तता और दैहिकता का प्रचुर मात्रा में प्रयोग होता है। लेकिन, बहस इस पर भी नहीं है। लेकिन, सवाल ...

History of Indian Cinema in hindi, भारतीय सिनेमा का इतिहास

लेकिन वास्तव में सिनेमा का इतिहास तब बना, जब लोकप्रिय हरिश्चंद्र सखाराम भाटवडेकर को सावे दादा के रूप में जाना जाता था, ल्यूमेरे ब्रदर्स की फिल्म के प्रदर्शन से बहुत अधिक प्रभावित होकर उन्होंने इंग्लैंड से एक कैमरा मंगवाया था। मुंबई में उनकी पहली फिल्म हैंगिंग गार्डन में शूट की गई थी, जिसे ‘द रेसलर’ के रूप में जाना जाता था। यह एक कुश्ती मैच की सरल रिकॉर्डिंग थी, जिसे 1899 में प्रदर्शित किया गया था और भारतीय फिल्म उद्योग में यह पहला चलचित्र माना जाता है। बॉलीवुड की शुरुआत भारतीय सिनेमा के पिता दादासाहेब फाल्के ने भारत की पहली लंबी फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ बनाई थी, जो सन् 1913 में प्रदर्शित हुई। मूक फिल्म (ध्वनिरहित) होने के बावजूद, इसे व्यावसायिक सफलता मिली। दादा साहब केवल निर्माता नहीं थे, बल्कि निर्देशक, लेखक, कैमरामैन, संपादक, मेकअप कलाकार और कला निर्देशक भी थे। भारतीय सिनेमा की पहली फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ थी, जिसे 1914 में लंदन में प्रदर्शित किया गया था। हालाँकि, भारतीय सिनेमा के सबसे पहले प्रभावशाली व्यक्तित्व दादासाहेब फाल्के ने 1913 से 1918 तक 23 फिल्मों का निर्माण और संचालन किया, भारतीय फिल्म उद्योग की प्रारंभिक वृद्धि हॉलीवुड की तुलना में तेज नहीं थी। 1920 के दशक की शुरुआत में कई नई फिल्म निर्माण करने वाली कंपनियां उभरकर समाने आई। 20 के दशक में महाभारत और रामायण पौराणिक और ऐतिहासिक तथ्यों और एपिसोड के आधार पर फिल्मों का बोलबाला रहा, लेकिन भारतीय दर्शकों ने हॉलीवुड की फिल्मों, विशेष रूप से एक्शन फिल्मों का स्वागत किया। टॉकीज की शुरुआत अर्देशिर ईरानी द्वारा निर्मित ध्वनि सहित पहली ‘आलम आरा’ फिल्म थी, जो कि सन् 1931 में बाम्बे में प्रदर्शित हुई। यह भारत की पहली ध्वनि फ...

[Solved] 'भारतीय सिनेमा के जनक' के रूप में किसे जाना �

सही उत्तर दादासाहेब फाल्के है । • दादासाहेब फाल्के का जन्म वर्ष 1870 में नासिक (महाराष्ट्र) से 30 किलोमीटर दूर त्रयंबकेश्वर में हुआ था। • दादा साहब फाल्के भारतीय फिल्म उद्योग में एक निर्माता-निर्देशक-पटकथा लेखक थे। • उन्हें 'भारतीय सिनेमा का जनक ' भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने भारत की पहली पूर्ण लंबाई वाली फीचर फिल्म बनाई थी। • वर्ष 1913 में प्रदर्शित राजा हरिश्चंद्र उनकी पहली फिल्म थी और भारत की पहली पूर्ण लंबाई वाली फीचर फिल्म थी। • उन्होंने 19 वर्षों में 95 फिल्में और 27 लघु फिल्में बनाईं। • उनकी कुछ प्रसिद्ध रचनाओं में शामिल हैं - मोहिनी भस्मासुर (1913), सत्यवान सावित्री (1914), लंका दहन (1917), श्री कृष्ण जन्म (1918), और कालिया मर्दन (1919)। • सिनेमा का सर्वोच्च पुरस्कार 'दादा साहब फाल्के पुरस्कार' उनके नाम पर दिया जाता है। सबसे हालिया पुरस्कार श्री अमिताभ बच्चन को प्रदान किया गया। Important Points • सबसे हाल ही में 51 वें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार दक्षिण मेगास्टार रजनीकांत जी को दिया गया। RRB Group D Application Refund Notice has been released.The Railway Recruitment Board has initiated the Refund for RRB Group B Application Fee. The candidates can update their bank details from 14th April 2023 to 30th April 2023.The exam was conducted from 17th August to11th October 2022.The RRB (Railway Recruitment Board) had conducted the

मायावी कल्पनाः चालीस से सत्तर के दशक के दौरान हिंदी सिनेमा पर सामाजिक न्याय का प्रभाव

• • • • • • • • आईआईटी की जानकारी भारत में परिवर्तन (IiT, आय आय टी) के ज़रिये दुनिया भर के विद्वानों को विभिन्न विचारों का आदान प्रदान करने का मौक़ा देता है. इन सब विचार-विमर्शों का संगठित अभिलेखागार यहां पर रखा जाएगा. आज भारत के अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, विदेशनीति, राष्ट्रीय सुरक्षा, मानव पूंजी, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में जो बदलाव हो रहे हैं, उन सब का संक्षिप्त और विश्लेषणात्मक नज़रिया IiT (आय आय टी) के द्वारा आप के सामने पेश किया जाएगा. हर प्रकाशित लेख का हिंदी अनुवाद CASI (कासी) के वेबसाइट पर उपलब्ध होगा, और उसके साथ जुड़े ऑनलइन संसाधन भी उपस्तित होंगे. CASI (कासी) की वेबसाइट के आलावा, सब IiT (आय आय टी) के लेख The Hindu: Business Line (दी हिन्दू - बिसिनेसलाइन) में प्रकाशित होते हैं. गुज़रें मुद्दों पर Hindustan Times (हिंदुस्तान टाइम्स, जिस के पच्चीस लाख पाठक हैं) में संपादकीय लेख छपे थे और Livemint (लाइवमिंट), जो Wall Street Journal (वॉल स्ट्रीट जर्नल) का ऑनलइन प्रकाशन है, इन दोनों अख़बारों में प्रकाशित हुए. इन सब लेखों में जो दृष्टिकोण और निष्कर्ष प्रस्तुत किये गए हैं, वह सब लेखकों के व्यक्तिगत विचार हैं, CASI (कासी) के नही है. • / • मायावी कल्पनाः चालीस से सत्तर के दशक के दौरान हिंदी सिनेमा पर सामाजिक न्याय का प्रभाव मायावी कल्पनाः चालीस से सत्तर के दशक के दौरान हिंदी सिनेमा पर सामाजिक न्याय का प्रभाव हिंदी सिनेमा का जन्म यात्रा, मुजरा और तमाशा जैसे घरेलू मनोरंजन से ही हुआ था. यही कारण है कि जो भी सिनेमा उस समय निर्मित हुए थे, उनमें नाटकीय तत्व बहुत अधिक मात्रा में होता था और प्रचलित गाने और नाच भी भरपूर होते थे. 1941 की ‘सिस्टर’, 1943 की ‘परा...

[Solved] 'भारतीय सिनेमा के जनक' के रूप में किसे जाना �

सही उत्तर दादासाहेब फाल्के है । • दादासाहेब फाल्के का जन्म वर्ष 1870 में नासिक (महाराष्ट्र) से 30 किलोमीटर दूर त्रयंबकेश्वर में हुआ था। • दादा साहब फाल्के भारतीय फिल्म उद्योग में एक निर्माता-निर्देशक-पटकथा लेखक थे। • उन्हें 'भारतीय सिनेमा का जनक ' भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने भारत की पहली पूर्ण लंबाई वाली फीचर फिल्म बनाई थी। • वर्ष 1913 में प्रदर्शित राजा हरिश्चंद्र उनकी पहली फिल्म थी और भारत की पहली पूर्ण लंबाई वाली फीचर फिल्म थी। • उन्होंने 19 वर्षों में 95 फिल्में और 27 लघु फिल्में बनाईं। • उनकी कुछ प्रसिद्ध रचनाओं में शामिल हैं - मोहिनी भस्मासुर (1913), सत्यवान सावित्री (1914), लंका दहन (1917), श्री कृष्ण जन्म (1918), और कालिया मर्दन (1919)। • सिनेमा का सर्वोच्च पुरस्कार 'दादा साहब फाल्के पुरस्कार' उनके नाम पर दिया जाता है। सबसे हालिया पुरस्कार श्री अमिताभ बच्चन को प्रदान किया गया। Important Points • सबसे हाल ही में 51 वें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार दक्षिण मेगास्टार रजनीकांत जी को दिया गया। RRB Group D Application Refund Notice has been released.The Railway Recruitment Board has initiated the Refund for RRB Group B Application Fee. The candidates can update their bank details from 14th April 2023 to 30th April 2023.The exam was conducted from 17th August to11th October 2022.The RRB (Railway Recruitment Board) had conducted the

मायावी कल्पनाः चालीस से सत्तर के दशक के दौरान हिंदी सिनेमा पर सामाजिक न्याय का प्रभाव

• • • • • • • • आईआईटी की जानकारी भारत में परिवर्तन (IiT, आय आय टी) के ज़रिये दुनिया भर के विद्वानों को विभिन्न विचारों का आदान प्रदान करने का मौक़ा देता है. इन सब विचार-विमर्शों का संगठित अभिलेखागार यहां पर रखा जाएगा. आज भारत के अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, विदेशनीति, राष्ट्रीय सुरक्षा, मानव पूंजी, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में जो बदलाव हो रहे हैं, उन सब का संक्षिप्त और विश्लेषणात्मक नज़रिया IiT (आय आय टी) के द्वारा आप के सामने पेश किया जाएगा. हर प्रकाशित लेख का हिंदी अनुवाद CASI (कासी) के वेबसाइट पर उपलब्ध होगा, और उसके साथ जुड़े ऑनलइन संसाधन भी उपस्तित होंगे. CASI (कासी) की वेबसाइट के आलावा, सब IiT (आय आय टी) के लेख The Hindu: Business Line (दी हिन्दू - बिसिनेसलाइन) में प्रकाशित होते हैं. गुज़रें मुद्दों पर Hindustan Times (हिंदुस्तान टाइम्स, जिस के पच्चीस लाख पाठक हैं) में संपादकीय लेख छपे थे और Livemint (लाइवमिंट), जो Wall Street Journal (वॉल स्ट्रीट जर्नल) का ऑनलइन प्रकाशन है, इन दोनों अख़बारों में प्रकाशित हुए. इन सब लेखों में जो दृष्टिकोण और निष्कर्ष प्रस्तुत किये गए हैं, वह सब लेखकों के व्यक्तिगत विचार हैं, CASI (कासी) के नही है. • / • मायावी कल्पनाः चालीस से सत्तर के दशक के दौरान हिंदी सिनेमा पर सामाजिक न्याय का प्रभाव मायावी कल्पनाः चालीस से सत्तर के दशक के दौरान हिंदी सिनेमा पर सामाजिक न्याय का प्रभाव हिंदी सिनेमा का जन्म यात्रा, मुजरा और तमाशा जैसे घरेलू मनोरंजन से ही हुआ था. यही कारण है कि जो भी सिनेमा उस समय निर्मित हुए थे, उनमें नाटकीय तत्व बहुत अधिक मात्रा में होता था और प्रचलित गाने और नाच भी भरपूर होते थे. 1941 की ‘सिस्टर’, 1943 की ‘परा...

History of Indian Cinema in hindi, भारतीय सिनेमा का इतिहास

लेकिन वास्तव में सिनेमा का इतिहास तब बना, जब लोकप्रिय हरिश्चंद्र सखाराम भाटवडेकर को सावे दादा के रूप में जाना जाता था, ल्यूमेरे ब्रदर्स की फिल्म के प्रदर्शन से बहुत अधिक प्रभावित होकर उन्होंने इंग्लैंड से एक कैमरा मंगवाया था। मुंबई में उनकी पहली फिल्म हैंगिंग गार्डन में शूट की गई थी, जिसे ‘द रेसलर’ के रूप में जाना जाता था। यह एक कुश्ती मैच की सरल रिकॉर्डिंग थी, जिसे 1899 में प्रदर्शित किया गया था और भारतीय फिल्म उद्योग में यह पहला चलचित्र माना जाता है। बॉलीवुड की शुरुआत भारतीय सिनेमा के पिता दादासाहेब फाल्के ने भारत की पहली लंबी फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ बनाई थी, जो सन् 1913 में प्रदर्शित हुई। मूक फिल्म (ध्वनिरहित) होने के बावजूद, इसे व्यावसायिक सफलता मिली। दादा साहब केवल निर्माता नहीं थे, बल्कि निर्देशक, लेखक, कैमरामैन, संपादक, मेकअप कलाकार और कला निर्देशक भी थे। भारतीय सिनेमा की पहली फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ थी, जिसे 1914 में लंदन में प्रदर्शित किया गया था। हालाँकि, भारतीय सिनेमा के सबसे पहले प्रभावशाली व्यक्तित्व दादासाहेब फाल्के ने 1913 से 1918 तक 23 फिल्मों का निर्माण और संचालन किया, भारतीय फिल्म उद्योग की प्रारंभिक वृद्धि हॉलीवुड की तुलना में तेज नहीं थी। 1920 के दशक की शुरुआत में कई नई फिल्म निर्माण करने वाली कंपनियां उभरकर समाने आई। 20 के दशक में महाभारत और रामायण पौराणिक और ऐतिहासिक तथ्यों और एपिसोड के आधार पर फिल्मों का बोलबाला रहा, लेकिन भारतीय दर्शकों ने हॉलीवुड की फिल्मों, विशेष रूप से एक्शन फिल्मों का स्वागत किया। टॉकीज की शुरुआत अर्देशिर ईरानी द्वारा निर्मित ध्वनि सहित पहली ‘आलम आरा’ फिल्म थी, जो कि सन् 1931 में बाम्बे में प्रदर्शित हुई। यह भारत की पहली ध्वनि फ...

समकालीन सिनेमा में स्त्री

रमा हिंदी सिनेमा के इन सौ बरसों में निर्देशकों की नजर एक ओर जहां भारतीय समाज की विडंबनाओं और उपलब्धियों को अभिव्यक्ति देने में रही, वहीं फिल्मों में तमाम साहित्यिक और सामाजिक विमर्शों को भी जगह मिली। ‘दलित विमर्श’ और ‘आदिवासी विमर्श’ के साथ ‘स्त्री विमर्श’ ने भी इस बीच हिंदी सिनेमा में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज की है। बहुत दिन नहीं हुए जब नायिकाओं को मात्र नाचने-गाने, नायक के पीछे घूमने वाली प्रेमिका या मनोरंजन का साधन समझा जाता था। इक्कीसवीं सदी के आरंभ में ही सिनेमा ‘स्टार’ से टूट कर ‘आम’ तक पहुंच गया। आज भी सिनेमा को मनोरंजन का साधन मानने वालों की संख्या अधिक है और इसके लिए वे फिल्मकार जिम्मेदार हैं जो दिमाग ताख पर रख कर फिल्म देखने की अपील करते हैं। लेकिन,आज भी कुछ निर्देशक हैं जो फिल्मों को एक सामाजिक जिम्मेदारी समझ कर उसका निर्माण करते हैं। ‘लीक नहीं पीटते’, बल्कि ‘लीक को तोड़ते’ हैं और मनोरंजन के नाम पर दर्शकों का नैतिक पतन नहीं करते हैं। भारतीय सिनेमा में स्त्री जीवन की छवि को समझने के दो कोण है महत्त्वपूर्ण हैं। पहल, वे फिल्में जो स्त्री-समस्याओं को ध्यान में रखकर ईमानदारी से बनाई जा रही हैं । दूसरा, सिनेमा में स्त्री को अपनी जगह बनाने के लिए किए गए संघर्ष और समझौते। जाहिर है कि सिनेमा ‘आम’ जनता के लिए बनाया जरूर जाता है पर उसका उद्योग पूंजीवादी है जो अपने अंदर प्रवेश करने के लिए सिर्फ प्रतिभा की डिमांड नहीं करता है। ‘डिमांड’ शब्द, सिनेमा का ‘छिपा रुस्तम’ है। समय-समय पर यह डिमांड यौन-शोषण से बलात्कार तक की यात्रा करता है। सिनेमा उन्मुक्त विधा का साधन है। सफलता के लिए उन्मुक्तता और दैहिकता का प्रचुर मात्रा में प्रयोग होता है। लेकिन, बहस इस पर भी नहीं है। लेकिन, सवाल ...

[Solved] 'भारतीय सिनेमा के जनक' के रूप में किसे जाना �

सही उत्तर दादासाहेब फाल्के है । • दादासाहेब फाल्के का जन्म वर्ष 1870 में नासिक (महाराष्ट्र) से 30 किलोमीटर दूर त्रयंबकेश्वर में हुआ था। • दादा साहब फाल्के भारतीय फिल्म उद्योग में एक निर्माता-निर्देशक-पटकथा लेखक थे। • उन्हें 'भारतीय सिनेमा का जनक ' भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने भारत की पहली पूर्ण लंबाई वाली फीचर फिल्म बनाई थी। • वर्ष 1913 में प्रदर्शित राजा हरिश्चंद्र उनकी पहली फिल्म थी और भारत की पहली पूर्ण लंबाई वाली फीचर फिल्म थी। • उन्होंने 19 वर्षों में 95 फिल्में और 27 लघु फिल्में बनाईं। • उनकी कुछ प्रसिद्ध रचनाओं में शामिल हैं - मोहिनी भस्मासुर (1913), सत्यवान सावित्री (1914), लंका दहन (1917), श्री कृष्ण जन्म (1918), और कालिया मर्दन (1919)। • सिनेमा का सर्वोच्च पुरस्कार 'दादा साहब फाल्के पुरस्कार' उनके नाम पर दिया जाता है। सबसे हालिया पुरस्कार श्री अमिताभ बच्चन को प्रदान किया गया। Important Points • सबसे हाल ही में 51 वें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार दक्षिण मेगास्टार रजनीकांत जी को दिया गया। RRB Group D Application Refund Notice has been released.The Railway Recruitment Board has initiated the Refund for RRB Group B Application Fee. The candidates can update their bank details from 14th April 2023 to 30th April 2023.The exam was conducted from 17th August to11th October 2022.The RRB (Railway Recruitment Board) had conducted the

History of Indian Cinema in hindi, भारतीय सिनेमा का इतिहास

लेकिन वास्तव में सिनेमा का इतिहास तब बना, जब लोकप्रिय हरिश्चंद्र सखाराम भाटवडेकर को सावे दादा के रूप में जाना जाता था, ल्यूमेरे ब्रदर्स की फिल्म के प्रदर्शन से बहुत अधिक प्रभावित होकर उन्होंने इंग्लैंड से एक कैमरा मंगवाया था। मुंबई में उनकी पहली फिल्म हैंगिंग गार्डन में शूट की गई थी, जिसे ‘द रेसलर’ के रूप में जाना जाता था। यह एक कुश्ती मैच की सरल रिकॉर्डिंग थी, जिसे 1899 में प्रदर्शित किया गया था और भारतीय फिल्म उद्योग में यह पहला चलचित्र माना जाता है। बॉलीवुड की शुरुआत भारतीय सिनेमा के पिता दादासाहेब फाल्के ने भारत की पहली लंबी फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ बनाई थी, जो सन् 1913 में प्रदर्शित हुई। मूक फिल्म (ध्वनिरहित) होने के बावजूद, इसे व्यावसायिक सफलता मिली। दादा साहब केवल निर्माता नहीं थे, बल्कि निर्देशक, लेखक, कैमरामैन, संपादक, मेकअप कलाकार और कला निर्देशक भी थे। भारतीय सिनेमा की पहली फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ थी, जिसे 1914 में लंदन में प्रदर्शित किया गया था। हालाँकि, भारतीय सिनेमा के सबसे पहले प्रभावशाली व्यक्तित्व दादासाहेब फाल्के ने 1913 से 1918 तक 23 फिल्मों का निर्माण और संचालन किया, भारतीय फिल्म उद्योग की प्रारंभिक वृद्धि हॉलीवुड की तुलना में तेज नहीं थी। 1920 के दशक की शुरुआत में कई नई फिल्म निर्माण करने वाली कंपनियां उभरकर समाने आई। 20 के दशक में महाभारत और रामायण पौराणिक और ऐतिहासिक तथ्यों और एपिसोड के आधार पर फिल्मों का बोलबाला रहा, लेकिन भारतीय दर्शकों ने हॉलीवुड की फिल्मों, विशेष रूप से एक्शन फिल्मों का स्वागत किया। टॉकीज की शुरुआत अर्देशिर ईरानी द्वारा निर्मित ध्वनि सहित पहली ‘आलम आरा’ फिल्म थी, जो कि सन् 1931 में बाम्बे में प्रदर्शित हुई। यह भारत की पहली ध्वनि फ...