Sirf ek banda kafi hai real story

  1. Sirf Ek Bandaa Kaafi Hai Review: मनोज बाजपेयी की एक्‍ट‍िंग देख द‍िमाग ह‍िल जाएगा, कमाल है ये बंदा
  2. Manoj bajpayee Sirf Ek Bandaa Kafi Hai is not completely based on asaram bapu says writer deepak kingraniआसाराम बापू पर आधारित नहीं है फिल्म की कहानी?


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Sirf Ek Bandaa Kaafi Hai Review: मनोज बाजपेयी की एक्‍ट‍िंग देख द‍िमाग ह‍िल जाएगा, कमाल है ये बंदा

Sirf Ek Bandaa Kaafi Hai Review: क‍िसी ताकतवर से टकराता आम आदमी अक्‍सर लाचार और बेसहारा सा लगता है. लेकिन न‍िर्देशक अपूर्व कार्की की आज रिलीज हुई फिल्‍म ‘स‍िर्फ एक बंदा काफी है’ एक ऐसी कहानी पर्दे पर ला रही है, ज‍िसमें Man vs Godman की जंग है. द‍िलचस्‍प है कि इस जंग में आम आदमी की जीत होती है. 23 मई, 2023 को एक ऐसी ही फिल्‍म र‍िलीज हुई है जो आपका ‘स‍िनेमाई जादू’ में फिर से भरोसा पैदा कर देगी. फिल्‍म का नाम है ‘स‍िर्फ एक ही बंदा काफी है’ और ये बंदा है मनोज बाजपेयी. जबरदस्‍त एक्‍ट‍िंग की कारीगरी से सजी ये फिल्‍म अपने आप में कई मायने में जरूरी है. आइए बताती हूं कि आखिर मैंने इस फिल्‍म के लि‍ए इतने तारीफों के पुल क्‍यों बांधे. क्‍या कहती है कहानी : सबसे पहले कहानी की बात कर लें तो इसकी कहानी आपको काफी जानी पहचानी लगेगी और हो सकता है कि पुराने सालों के कई घटनाक्रम आपको याद आ जाएं. कहानी है खुद को बाबा कहलाने वाले एक गुरू कि जो कई आश्रम चलाता है. इस बाबा पर इसी के आश्रम के स्‍कूल में पढ़ने वाली एक नाबाल‍िग लड़की नूह स‍िंह (अद्र‍िजा स‍िन्‍हा ) ने बलात्‍कार का केस दर्ज कराया है. कोर्ट में पहुंचे इस मामले में एक तरफ है बाबा ज‍िससे बचाने के ल‍िए शर्मा जी (व‍िप‍िन शर्मा) के अलावा एक से एक बड़े वकीलों की पूरी कवायद लगी है और दूसरी तरफ है ये लड़की ज‍िसका केस लड़ा है पीसी सोलंकी (मनोज बाजपेयी) ने. यही है वो पी सी सोलंकी जो ‘एक ही बंदा है और काफी है.’ ह‍िंदी स‍िनेमा में कई फिल्‍मों में आपने कोर्ट-रूम ड्रामा देखा है, लेकिन ‘स‍िर्फ एक बंदा काफी है’ इस दर्जे की अभी तक की सबसे मौल‍िक फिल्‍म कही जा सकती है. न जोर से च‍िल्‍लाता अर्दली और न क्‍लोज‍िंग स्‍पीच पर ताल‍ियां बजाते कोर्ट रूम में बैठे...

Manoj bajpayee Sirf Ek Bandaa Kafi Hai is not completely based on asaram bapu says writer deepak kingraniआसाराम बापू पर आधारित नहीं है फिल्म की कहानी?

मनोज बाजपेयी स्टारर फिल्म ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ OTT के (जी 5) प्लेटफॉर्म पर धमाल मचाने के बाद सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। फिल्म को दर्शकों का अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। वहीं दूसरी तरफ इसे लेकर कई विवाद भी खड़े हुए। इसे आसाराम बापू की कहानी पर आधारित बताया गया है। इसके लिए फिल्म के मेकर्स को आसाराम बापू के ट्रस्ट की ओर से नोटिस भी भेजा गया था। बाबा पर नहीं बनी है फिल्म अब फिल्म के राइटर दीपक किंगरानी ने दैनिक भास्कर के साथ बातचीत में फिल्म की कहानी को लेकर बात की है। दीपक का कहना है कि फिल्म की कहानी आसाराम बापू नहीं, बल्कि वकील और जोधपुर व दिल्ली पुलिस के अच्छे काम को ध्यान में रखकर बनाई गई है। राइटर ने कहा कि वह लोग फिल्म को पॉजिटिव रखने चाहते थे। फिल्म में किसी की छवि को खराब करने की कोशिश नहीं की गई है। फिल्म की कहानी उस वकील के बारे में है जिसने बाबा की जमानत न होने देने के लिए पूरी मेहनत की। दीपक ने कहा कि वह फिल्म में कहानी का पॉजिटिव पहलू दिखाना चाहते थे। इसलिए फिल्म के नायक वकील पीसी सोलंकी हैं। पूरी फिल्म उन्हीं के इर्द गिर्द घूमती है। उनसे सवाल किया गया कि क्योंकि बड़े से बड़ा वकील भी बाबा को नहीं बचा पाया, क्या इसका कारण उन्हें राजनीतिक सपोर्ट न मिलना था? इसपर जवाब देते हुए दीपक ने कहा कि हर फिल्म में किसी तरह का राजनीतिक एंगल नहीं दिखाया गया है। वह इसे लाना ही नहीं चाहते थे। केवल जिन लोगों ने अच्छा काम किया है, उन्हीं को दिखाना फिल्म का मकसद था। पीड़िता से लेकर वकील और जजों की कहानी दीपक ने कहा कि फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे नाबालिग लड़की ने नामी बाबा की शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने केस दर्ज किया और कोर्ट के जजों ने ईमानदारी से काम किया। दीपक ने कहा,”...