समझाइए

  1. एण्ट्रॉपी क्या है, परिभाषा, सूत्र, मात्रक तथा भौतिक महत्व समझाइए
  2. What Is Network Device In Hindi? नेटवर्क डिवाइस क्या है ? » Computervidya
  3. आर्थिक नियोजन क्या है? अर्थ एवं उद्देश्य समझाइए।
  4. वाच्य की परिभाषा और प्रकार
  5. What Is Interpreter In Hindi? इंटरप्रेटर क्या है? समझाइए।
  6. Article 19 In Hindi
  7. कंप्यूटर क्या है कंप्यूटर के वर्गीकरण को समझाइए
  8. संक्षिप्ति क्या है? परिभाषा, उदाहरण, विशेषताएँ, प्रक्रिया
  9. काव्यशास्त्र
  10. काव्यशास्त्र


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एण्ट्रॉपी क्या है, परिभाषा, सूत्र, मात्रक तथा भौतिक महत्व समझाइए

एण्ट्रॉपी का भौतिक महत्व एण्ट्रॉपी की भौतिक अभिधारणा देना मुश्किल है क्योंकि इसकी भौतिकता व्यक्त करना असंभव है। तथा एण्ट्रॉपी को ताप अथवा दाब के समान अनुभव नहीं किया जा सकता है, लेकिन चूंकि एण्ट्रॉपी को निम्न प्रकार से परिभाषित किया जाता है, तो – एण्ट्रॉपी में परिवर्तन = \frac अतः हम कह सकते हैं कि ऊष्मा की विमाएं एण्ट्रॉपी व परम ताप के गुणनफल की विमाओं के समान होती है। तथा किसी पिण्ड की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा उसके द्रव्यमान तथा शून्य स्तर से ऊंचाई के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती होती है। यहां यदि हम ताप को ऊंचाई के अनुक्रमानुपाती लें, तो एण्ट्रॉपी को द्रव्यमान या जड़त्व के तुल्य ले सकते हैं। अतः इस प्रकार, ‘हम एण्ट्रॉपी को तापीय जड़त्व मान सकते हैं जो ऊष्मागतिकी में ठीक उसी प्रकार व्यवहार करता है जैसे रेखीय गति से द्रव्यमान घूर्णन गति में जड़त्व आघूर्ण करता है।’ अर्थात् इस तरह ‘एण्ट्रॉपी उष्मीय जड़त्व की तरह कार्य करती है।’ एण्ट्रॉपी का मात्रक – यह ऊष्मा तथा परम ताप के मात्रक पर निर्भर करता है। इसे प्रायः ‘जूल/केल्विन’ या ‘कैलोरी/कैल्विन’ में मापा जाता है। उत्क्रमणीय चक्र में एण्ट्रॉपी माना कि कार्यकारी पदार्थ स्त्रोत से ताप T 1 पर Q 1 ऊष्मा ग्रहण करता है। चूंकि समतापीय प्रसार M से N तक होता है अतः इससे एण्ट्रॉपी में क्षति = \frac “यही क्लाॅसियस की प्रमेय है।” Note – एण्ट्रॉपी से सम्बन्धित प्रशन पूछें जाते हैं। Q. 1 एण्ट्रॉपी को परिभाषित कीजिए तथा उसके भौतिक महत्व को समझाइए। दर्शाइए कि आदर्श गैस की एण्ट्रॉपी उत्क्रमणीय प्रक्रम में नियत रहती है तथा अनुत्क्रमणीय प्रक्रम में बढ़ जाती है ? Q. 2 एण्ट्रॉपी क्या है ? इसका भौतिक महत्व समझाइए। एण्ट्रॉपी के लिए क्लॉसियस की प्रमेय लिखि...

What Is Network Device In Hindi? नेटवर्क डिवाइस क्या है ? » Computervidya

Network Device क्या है? वे सभी Device जिनके help से Network को create किया जाता है उन सभी डिवाइस को Network Device कहा जाता है। नेटवर्क डिवाइस के मदद से नेटवर्क के Size को Increase किया जाता है। नेटवर्क डिवाइस को ही Internetworking Device या Connecting Device भी कहा जाता है। Example of Network Device in hindi : Reapeter, Hub, Switch, Router, NIC, Modem, Multiplexer, DSL, Bridge, Amplifier और Gateway इत्यादि। Types of Network Device • HUB • Repeater • Modem • Switch • Router • NIC • Multiplexer • DSL • Amplifier • Gateway What is HUB in Hindi? HUB क्या है? HUB एक Network Device है। जिनका उपयोग Network में Computer की संख्या को बढानें के लिए किया जाता है। Network के Size को Increase करने के लिए भी HUB का प्रयोग किया जाता है। HUB के माध्यम से Network में Multiple Port को available कराया जाता है। जिनके द्वारा नेटवर्क में विभिन्न डिवाइस को connect किया जाता है। • • Types of HUB (हब के प्रकार) HUB को दो Category में बाँटा गया है। पहला ACTIVE HUB और दुसरा PASSIVE HUB. ACTIVE HUB: इस प्रकार के HUB का उपयोग केवल कनेक्टर के रूप में किया जाता है। यह Signal को Regenerate नहीं कर सकता है। PASSIVE HUB: इस प्रकार के HUB का उपयोग Multi port एवम Signal को Regenerate करने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग Repeater के रूप में भी किया जाता है। Advantage of HUB • नेटवर्क के साइज़ को बढ़ाने में Help करता है। • हब के उपयोग से नेटवर्क के परफॉरमेंस में कोई फर्क नहीं पड़ता है। • हब विभिन्न प्रकार के Network media को सपोर्ट करता है। Disadvantage of HUB • हब Network Traffic को फ़िल्टर नहीं कर सकता है। • हब...

आर्थिक नियोजन क्या है? अर्थ एवं उद्देश्य समझाइए।

किसी भी देश के विकास के लिए सरकार द्वारा कुछ विशिष्ट योजनाएं बनाई जाती हैं। इसके अन्तर्गत कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र जैसे अलग अलग क्षेत्रों के लिए लक्ष्य निर्धारित किए जाते हैं। एकनिश्चित समय सीमा के अंदर इन विशेष लक्ष्यों को प्राप्त करने की प्रक्रिया प्रारंभ की जाती है। ध्यान रखा जाता है कि इन निर्धारित लक्ष्यों को पाने में देश के अंदर उपलब्ध संसाधनों का उनकी प्राथमिकता के आधार पर सर्वोत्तम उपयोग किया सके। किसी भी अल्पविकसित देश के आर्थिक विकास हेतु उस देश की पिछड़ी हुई कृषि तथा औद्योगिक व्यवस्था को एक आधुनिक रूप देने के लिए, विकास के रास्ते पर अग्रसर होने के लिए सरकार द्वारा जो योजनाएं चलाई जाती हैं। उस पूरी प्रक्रिया को आर्थिक नियोजन (aarthik niyojan) कहा जाता है।ये योजनाएं देश के भावी विकास हेतु क्रियान्वित की जाती हैं। इन योजनाओं का नियमन एवं संचालन केंद्रीय सत्ता द्वारा किया जाता है। 1. सामाजिक सुरक्षा - आर्थिक नियोजन का उद्देश्य, देश में सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना भी होता है ताकि देश की जनता अधिक मेहनत व लगन से कार्य करके अधिकतम उत्पादन करने का प्रयास कर सके। सामाजिक सुरक्षा के अन्तर्गत सरकार, बीमारी, बेकारी, वृद्धावस्था, अकस्मात मृत्यु, उद्योग में उतार चढ़ाव के समय पेंशन, सामाजिक बीमा, चिकित्सा व्यवस्था, आश्रितों को लाभ आदि देकर सुरक्षा प्रदान करने का प्रयास किया जाता है।

वाच्य की परिभाषा और प्रकार

नमस्कार साथियों 🙏 आपका स्वागत है। आज हम आपको हिंदी विषय के अति महत्वपूर्ण पाठ वाच्य की परिभाषा और प्रकार | वाच्य परिवर्तन | vachya in hindi से परिचित कराएंगे। दोस्तों आप UPTET, CTET, HTET, BTC, DELED, SUPERTET, या अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते होंगे। आप जानते है की परीक्षाओं में हिंदी विषय का उतना ही स्थान है जितना अन्य विषयो का है। इसीलिए हिंदी की महत्ता को देखते हुए हम आपके लिए अपनी वेबसाइट हिंदी के वाच्य की परिभाषा और प्रकार | वाच्य परिवर्तन | vachya in hindi पाठ का विस्तृत रूप से अध्ययन प्रदान कर रहे हैं। आप हमारी वेबसाइट पर हिंदी के समस्त पाठ का विस्तृत अधिगम प्राप्त कर सकेंगे। कर्तृवाच्य किसे कहते हैं,वाच्य के प्रश्न उत्तर,वाच्य के कितने भेद होते हैं,वाच्य की परिभाषा और प्रकार,hindi me vachya,vachya hindi grammar,vachya ke prakar hindi grammar,vachya parivartan hindi grammar,कर्मवाच्य से भाववाच्य में परिवर्तन,कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य में परिवर्तन,कर्तृवाच्य से भाववाच्य में परिवर्तन,कर्मवाच्य से भाववाच्य में परिवर्तन,भाववाच्य से कर्तृवाच्य में परिवर्तन,भाववाच्य से कर्मवाच्य में परिवर्तन, कर्मवाच्य उदाहरण,भाववाच्य किसे कहते है,वाच्य के प्रश्न उत्तर,वाच्य कितने प्रकार,वाच्य किसे कहते हैं और उसके भेद,वाच्य के कितने भेद होते हैं,hindi me vachya,vachya hindi grammar,vachya ke prakar hindi grammar,vachya parivartan hindi grammar,कर्मवाच्य से भाववाच्य में परिवर्तन,कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य में परिवर्तन,कर्तृवाच्य से भाववाच्य में परिवर्तन,कर्मवाच्य से भाववाच्य में परिवर्तन,भाववाच्य से कर्तृवाच्य में परिवर्तन,भाववाच्य से कर्मवाच्य में परिवर्तन, इस प्रकार हम कह सकते हैं ...

What Is Interpreter In Hindi? इंटरप्रेटर क्या है? समझाइए।

दोस्तों! आज हम इंटरप्रेटर क्या है? ( What is interpreter in hindi) के बारे में बात करेंगे। जिसमें इंटरप्रेटर के कार्य (interpreter work hindi) के साथ-साथ इंटरप्रेटर के विशेषताएं (advantage) और इंटरप्रेटर की कमियाँ (disadvantage) को समझायेंगे। साथ ही इस लेख में हम इंटरप्रेटर से जुड़े विभिन्न पहलु को जैसे compiler एवम् assembler के बारें में बताऊंगा। 5.5 ट्रांसलेटर क्या कार्य करता है? इंटरप्रेटर क्या है? What is interpreter in Hindi Interpreter एक प्रकार का Computer Program है जो ट्रांसलेटर का कार्य करता है। दुसरे शब्दों में कहे तो इंटरप्रेटर एक प्रकार का ट्रांसलेटर है तो हाई लेवल लैंग्वेज (High level Language) को निम्न लेवल लैंग्वेज (low level language) में ट्रांसलेट करता है। लो लेवल लैंग्वेज को ही मशीन लेवल लैंग्वेज कहा जाता है। अर्थात इंटरप्रेटर एक कंप्यूटर प्रोग्राम है जो हाई लेवल लैंग्वेज (PHP/Perl/Ruby etc.) में लिखे गए प्रोग्राम को मशीन लेवल लैंग्वेज (target/machine) में कन्वर्ट करता है। उदाहरण :- मान लीजिये आप हिंदी बोलते हो, आपको इंग्लिश नहीं आता है. ऐसे में यदि सामने वाला केवल इंग्लिश बोलता और समझता है। तो आपको उनसे बात करने के लिए एक ट्रांसलेटर की जरुरत पड़ेगी जिनके हेल्प से आप सामने वाले से बात कर पाएंगे। इसी प्रकार कंप्यूटर केवल मशीन भाषा को समझता है उसे केवल 0 और 1 की भाषा समझ आता है। लेकिन प्रोग्रामर या यूजर को केवल इंग्लिश या हिंदी समझ आता है। ऐसे में कंप्यूटर और प्रोग्रामर के बिच कम्युनिकेशन के लिए ट्रांसलेटर की जरुरत पड़ती है। जिसे इंटरप्रेटर कहा जाता है। मशीन लैंग्वेज को ही लो लेवल लैंग्वेज कहा जाता है। इंटरप्रेटर कैसे कार्य करता है? इंटरप्रेटर में सोर्स कोड,...

Article 19 In Hindi

वैयक्तिक स्वतंत्रता के अधिकार का स्थान मूल अधिकारों में सर्वोच्च माना जाता है। “स्वतन्त्रता ही जीवन है”, क्योंकि इस अधिकार के अभाव में मनुष्य के लिए अपने व्यक्तित्व का विकास करना संभव नहीं है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 से अनुच्छेद 22 तक में भारत के नागरिकों को स्वतंत्रता सम्बन्धी विभिन्न अधिकार प्रदान किये गये हैं। ये चारों अनुच्छेद स्वतन्त्रता के अधिकार पत्र-स्वरूप हैं। उपर्युक्त स्वतंत्रता मूल अधिकारों की आधार-स्तम्भ हैं। इनमें छह मूलभूत स्वतन्त्रताओं का स्थान सर्वप्रमुख है। अनुच्छेद 19: वाक्-स्वतन्त्रता से सम्बंधित कुछ अधिकारों का संरक्षण भारतीय संविधान à...

कंप्यूटर क्या है कंप्यूटर के वर्गीकरण को समझाइए

कंप्यूटर क्या है कंप्यूटर के वर्गीकरण को समझाइए | Computer kya hai in hindi, Tyepes of computer कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है , जो कि हमारे ऐसे कार्यों को आसान करने में मदद करता है जो कि बहुत ज्यादा जटिल होते हैं, तथा समय भी बहुत ज्यादा लगाते हैं। यहाँ पर आप अपनी सरल भाषा में कंप्यूटर को अच्छी तरह से सीख पाएंगे। और भी बहुत जैसे कंप्यूटर सबसे पहले किसने बनाया, किस किस दौर से गुजर कर हमारा कंप्यूटर, कंप्यूटर बन पाया। पहले के कंप्यूटर में और अब के कंप्यूटर में कितना अंतर है। तो चलिए शुरु करते हैं और जानते हैं कंप्यूटर क्या है – Computer kya hai in hindi? कंप्यूटर क्या है कंप्यूटर के वर्गीकरण को समझाइए | Computer kya hai in hindi, Tyepes of computer हेलो दोस्तों, मेरा नाम है रोहित और TechnicalRpost में आपका स्वागत है। यहाँ आप सीखेंगे कंप्यूटर क्या है – Computer kya hai, कंप्यूटर कितने प्रकार के होते हैं, और कंप्यूटर कैसे काम करता है। दोस्तों क्या आपको कंप्यूटर की बेसिक जानकारी के बारे में पता है। अगर नही पता है तो यह आर्टिकल आप के लिए बहुत ज्यादा हेल्पफुल हो सकता है। Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • कंप्यूटर क्या है – Computer kya hai, computer basic knowledge in hindi कंप्यूटर एक ऐसी मशीन है जो कई सारे कार्यों को एक साथ कर सकता है। वो भी बिना कोई गलतियाँ के इसलिए यह आज के समय में एक महत्वपूर्ण और उपयोगी डिवाइस बन चुका है। इसके बिना आज के इस दुनिया की कल्पना भी नही की जा सकती है। तो चलिए इसे और विस्तार में समझते है। Computer एक Electronic Device है जो User द्वारा किये गए Input Data में प्रोसेस करके सूचनाओ को R...

संक्षिप्ति क्या है? परिभाषा, उदाहरण, विशेषताएँ, प्रक्रिया

Table of Contents • • • • • • प्रश्न 1. संक्षिप्ति का उदाहरण देते हुए परिभाषा लिखिए। “अथवा” संक्षिप्ति क्या है? उत्तर :- संक्षिप्ति शब्द- प्रकरण का एक भाग है तथा इसका अर्थ शब्दों के संक्षिप्त रूपों से है। संक्षिप्ति का कोशगत अर्थ अल्पाक्षर, शब्द संक्षेप, शब्द संकेत, संकेत चिन्ह है। इसका प्रयोग संकेत-अक्षर के अर्थ में भी किया जाता है। संक्षिप्ति अंग्रेजी शब्द Abbreviation (एबीवियेशन) का हिन्दी अनुवाद है। संक्षिप्ति शब्दों के संकेत या चिन्ह हैं जो कालान्तर में अपने आप में शब्दों की तरह प्रयक्त होते हैं। ये इतने सर्वमान्य, प्रचलित, लुभावने और सुविधाजनक होते हैं कि लोगों द्वारा इनके शब्द प्राय: भुला दिये जाते हैं, जैसे-समय के लिये अंग्रेजी में AM (प्रात:) तथा PM (शाम)। इसी प्रकार की संक्षिप्तियाँ बी.ए., एम.ए. भेल, द्रमुक, यूजीसी, नाटो, सी.पी.एम., सी.पी.आई., सी.आई.ए, जी.पी.ओ., सीजे, सी.आई.डी., टी.ए.डी.ए., टी.वी. आदि हैं। ध्यान रहे कि संक्षिप्ति में संक्षेप चिन्ह ( .) धीरे-धीरे लुप्त हो जाता है और संक्षिप्ति अपने आप में एक स्वतंत्र शब्द बन जाता है जो अपने मूल शब्द के अर्थ को सम्पूर्णत: वहन और व्यक्त करता है। प्रश्न 2. संक्षिप्ति के दो प्रमुख रूप उदाहरण सहित लिखिए। उत्तर :– संक्षिप्ति के रूप संक्षिप्ति को दो रूपों में विभाजित किया जा सकता है – 1. मौखिक संक्षिप्ति 2. लिखित संक्षिप्ति। मौखिक संक्षिप्ति में संक्षिप्ति का जो रूप बोलचाल में रहता है वह उसी रूप में लिखा जाता है, जैसे-भेल, द्रमुक, यूजीसी, जेपी, किन्तु लिखित संक्षिप्ति में जो लिखा जाता है वह वैसा पढ़ा नहीं जाता अपितु उसका मूल शब्द ही पढ़ा या बोला जाता है। जैसे – • भोविप्र (भोपाल विकास प्राधिकरण) • वि.वि. (विश्व विद्यालय) ...

काव्यशास्त्र

यह लेख मुख्य रूप से अथवा पूर्णतया 'काव्यशास्त्र' युगानुरूप परिस्थितियों के अनुसार काव्य और साहित्य का कथ्य और शिल्प बदलता रहता है; फलतः काव्यशास्त्रीय सिद्धान्तों में भी निरन्तर परिवर्तन होता रहा है। मूलतः काव्यशास्त्रीय चिंतन शब्दकाव्य ( "अलंकारशास्त्र" में • (१) अलङ्क्रियते अनेन इति अलङ्कारः ('काव्य में शोभा के आधायक उपमा, रूपक आदि; संकीर्ण अर्थ); • (२) अलङ्क्रियते इति अलङ्कारः ('काव्य की शोभा'; व्यापक अर्थ)। व्यापक अर्थ स्वीकार करने पर अलंकारशास्त्र काव्यशोभा के आधाएक समस्त तत्वों - गुण, रीति, रस, वृत्ति ध्वनि आदि--का विजाएक शास्त्र है जिसमें इन तत्वों के स्वरूप तथा महत्त्व का रुचिर विवरण प्रस्तुत किया गया है। संकीर्ण अर्थ में ग्रहण करने पर यह नाम अपने ऐतिहासिक महत्त्व को अभिव्यक्त करता है। अनुक्रम • 1 प्राचीनता • 2 परिचय • 3 काव्य-सम्प्रदाय • 4 महत्त्व • 5 काव्य-लक्षण • 6 काव्यशास्त्र से सम्बन्धित ग्रन्थ • 7 इन्हें भी देखें • 8 सन्दर्भ ग्रन्थ • 9 बाहरी कड़ियाँ प्राचीनता [ ] अलंकारों की, विशेषतः उपमा, रूपक, स्वाभावोक्ति तथा अतिशयोक्ति की, उपलब्धि परिचय [ ] काव्यकृति मूलतः तिहरे आयाम से जुड़ी है – दूसरा महत्त्वपूर्ण प्रश्न है, कविता का प्रयोजन क्या है? अखिर कवि कविता क्यों करता है? इस सम्बन्ध में चिंतकों के दो दल हैं– परंपरावादी चिंतक काव्य का लक्ष्य या प्रयोजन नैतिक उपदेश की प्रतिष्ठा मानते हैं। काव्य द्वारा कवि किन्ही मूल्यों की स्थापना करना चाहता है, ठीक उसी तरह जैसे धार्मिक उपदेशक। किन्तु फर्क यह है कि उसकी कृति शैलीशिल्प की दृष्टि से रमणीय और रसमय होने के कारण धर्मग्रंथों या नीतिग्रंथों से विशिष्ट बन जाती है। स्वच्छंदतावादी चिंतक इसे नहीं स्वीकारता। वह कवि को उपदेशक...

काव्यशास्त्र

यह लेख मुख्य रूप से अथवा पूर्णतया 'काव्यशास्त्र' युगानुरूप परिस्थितियों के अनुसार काव्य और साहित्य का कथ्य और शिल्प बदलता रहता है; फलतः काव्यशास्त्रीय सिद्धान्तों में भी निरन्तर परिवर्तन होता रहा है। मूलतः काव्यशास्त्रीय चिंतन शब्दकाव्य ( "अलंकारशास्त्र" में • (१) अलङ्क्रियते अनेन इति अलङ्कारः ('काव्य में शोभा के आधायक उपमा, रूपक आदि; संकीर्ण अर्थ); • (२) अलङ्क्रियते इति अलङ्कारः ('काव्य की शोभा'; व्यापक अर्थ)। व्यापक अर्थ स्वीकार करने पर अलंकारशास्त्र काव्यशोभा के आधाएक समस्त तत्वों - गुण, रीति, रस, वृत्ति ध्वनि आदि--का विजाएक शास्त्र है जिसमें इन तत्वों के स्वरूप तथा महत्त्व का रुचिर विवरण प्रस्तुत किया गया है। संकीर्ण अर्थ में ग्रहण करने पर यह नाम अपने ऐतिहासिक महत्त्व को अभिव्यक्त करता है। अनुक्रम • 1 प्राचीनता • 2 परिचय • 3 काव्य-सम्प्रदाय • 4 महत्त्व • 5 काव्य-लक्षण • 6 काव्यशास्त्र से सम्बन्धित ग्रन्थ • 7 इन्हें भी देखें • 8 सन्दर्भ ग्रन्थ • 9 बाहरी कड़ियाँ प्राचीनता [ ] अलंकारों की, विशेषतः उपमा, रूपक, स्वाभावोक्ति तथा अतिशयोक्ति की, उपलब्धि परिचय [ ] काव्यकृति मूलतः तिहरे आयाम से जुड़ी है – दूसरा महत्त्वपूर्ण प्रश्न है, कविता का प्रयोजन क्या है? अखिर कवि कविता क्यों करता है? इस सम्बन्ध में चिंतकों के दो दल हैं– परंपरावादी चिंतक काव्य का लक्ष्य या प्रयोजन नैतिक उपदेश की प्रतिष्ठा मानते हैं। काव्य द्वारा कवि किन्ही मूल्यों की स्थापना करना चाहता है, ठीक उसी तरह जैसे धार्मिक उपदेशक। किन्तु फर्क यह है कि उसकी कृति शैलीशिल्प की दृष्टि से रमणीय और रसमय होने के कारण धर्मग्रंथों या नीतिग्रंथों से विशिष्ट बन जाती है। स्वच्छंदतावादी चिंतक इसे नहीं स्वीकारता। वह कवि को उपदेशक...