स्पर्श संघर्षी व्यंजन

  1. हिंदी वर्णमाला : स्वर और व्यंजन / Hindi Alphabet : Vowels and Consonants
  2. व्यंजन ध्वनि (ध्वनियों) का वर्गीकरण ।व्यंजनों का वर्गीकरण। Vyanjan Dhwani ka vargikrana
  3. Vyanjan in Hindi – व्यंजन (Consonants) – SMEDUCATION
  4. Sparsh Sangharshi Vyanjan
  5. व्यंजन भेद
  6. वर्ण विचार : वर्ण विचार परिभाषा, भेद और उदाहरण। Varn Vichar
  7. हिंदी वर्णमाला : स्वर और व्यंजन / Hindi Alphabet : Vowels and Consonants
  8. Sparsh Sangharshi Vyanjan
  9. व्यंजन ध्वनि (ध्वनियों) का वर्गीकरण ।व्यंजनों का वर्गीकरण। Vyanjan Dhwani ka vargikrana
  10. वर्ण विचार : वर्ण विचार परिभाषा, भेद और उदाहरण। Varn Vichar


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हिंदी वर्णमाला : स्वर और व्यंजन / Hindi Alphabet : Vowels and Consonants

नमस्कार मित्रों स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट upboard.live पर । आज की पोस्ट में हम आपको हिंदी वर्णमाला : स्वर और व्यंजन ( Hindi Alphabet : Vowels and Consonants) के बारे में बताएंगे तो आपको इस पोस्ट को पूरा पढ़ना है और अंत तक पढ़ना है। हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnamala) हिंदी भाषा को सीखने और समझने के लिए हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnamala) को सीखना और समझना बहुत ज़रूरी है। हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnamala) में हिंदी भाषा में प्रयुक्त सभी ध्वनियों को शामिल किया गया है, जिनके बारे में हम इस लेख में जानेंगे। "हिंदी" फारसी भाषा का शब्द है। वर्ण या अक्षरों के क्रमबद्ध एवं व्यवस्थित समूह को वर्णमाला (Varnamala) कहते हैं। अतः हिंदी भाषा में समस्त वर्णों के क्रमबद्ध एवं व्यवस्थित समूह को हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnamala) कहते हैं। हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnamala) में 44 अक्षर होते हैं, जिसमें 11 स्वर एवं 33 व्यंजन हैं। दरअसल, प्रत्येक भाषा अपने आप में एक व्यवस्था है हिंदी में भी सभी वर्गों को एक व्यवस्था में रखा गया जिसे हम उस भाषा की वर्णमाला के नाम से जानते हैं। हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnamala) में कुल अक्षरों संख्या 52 होती है। हिदीं वर्णमाला में कामता प्रसाद गुरु के अनुसार अक्षरों की संख्या 46 होती है। वर्ण किसे कहते हैं (Varn Kise Kahate Hain) वर्ण की परिभाषा - मूल ध्वनि का वह लिखित रूप जिसके टूकड़े नहीं किए जा सकते (अखण्डित ध्वनि), उसे वर्ण (Varn) कहते है। हिंदी की सबसे छोटी इकाई वर्ण (Varn) होता है। हम जो भी बोलते हैं, वह एक ध्वनि होती है। हमारे मुँह से उच्चारित अ, आ, क, ख, ग आदि ध्वनियाँ हैं। हमारे द्वारा बोली जाने वाली प्रत्येक अर्थपूर्ण ध्वनि को एक आकृति या आकार से दर्शाया जाता...

व्यंजन ध्वनि (ध्वनियों) का वर्गीकरण ।व्यंजनों का वर्गीकरण। Vyanjan Dhwani ka vargikrana

व्यंजनों का वर्गीकरण हमें ज्ञात है कि व्यंजन ध्वनियों की प्रकृति स्वर ध्वनियों से भिन्न है। अतः व्यंजन के वर्गीकरण में स्थान , करण , प्रयत्न के अतिरिक्त स्वरतंत्री प्राणतत्व , उच्चारण शक्ति , अनुनासिकता आदि आधारों पर भी विचार करने की आवश्यकता है।इस प्रकार व्यंजनों के वर्गीकरण में निम्नलिखित आधार पर विस्तृत अध्ययन किया जा सकता है - ( क) स्थान के आधार पर व्यंजनों का वर्गीकरण स्थान के आधार पर व्यंजन ध्वनियों के कंठ्य (कोमल - तालव्य) , मूर्धन्य , तालव्य (कठोर तालव्य) वर्त्स्य , दंत्य , दंत्योष्ठ्य , ओष्ठ्य , अलिजिह्वीय , काकाल्य आदि भेद होते हैं। इन भेदों तथा इनके अन्तर्गत आने वाली व्यंजन ध्वनियों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है - 1. कंठ्य ( Soft Palatal) - • इसे ' कोमल तालव्य ' भी कहते हैं। जीभ के पिछले भाग के सहारे ये ध्वनियाँ उत्पन्न होती हैं। कवर्ग की ध्वनियाँ - क , ख , ग , घ , ङ कंठ्य या कोमल तालव्य की ध्वनियाँ हैं। फारसी की ख़ , ग जैसी संघर्षी ध्वनियाँ भी यहीं से उच्चारित होती हैं। 2. तालव्य ( Palatal) • इन ध्वनियों का उच्चारण कठोर तालव्य से होता है। जीभ का अगला भाग या नोक इसमें सहायक होती है। च वर्ग की ध्वनियाँ च् , छ् , ज् , झ इसी के अन्तर्गत आती हैं। 3. मूर्धन्य ( Cevebral) • मूर्द्धा की सहायता से उच्चारण की जाने वाली ध्वनियाँ - मूर्धन्य कहलाती हैं। ट् , ठ् , ड् , ढ् ण् अर्थात ट वर्ग की ध्वनियाँ मूर्धन्य हैं। 4. वर्त्स्य ( Alveolar) - • मसूढ़े या वर्ल्स और जीभ के अगले भाग की सहायता से उत्पन्न ध्वनियाँ वर्त्स्य कहलाती हैं। र् , ल् , स् तथा ज़ फारसी की वर्त्स्य ध्वनियाँ हैं। 5. दंत्य ( Dental) • दाँत की सहायता से उत्पन्न ध्वनियाँ दंत्य हैं। इसके उच्चारण में जीभ की नोक भ...

Vyanjan in Hindi – व्यंजन (Consonants) – SMEDUCATION

व्यंजन(Consonants) ऐसेवर्णजिनकाउच्चारणस्वरकीसहायतासेकियाजाताहैव्यंजनकहलातेहैंसभीव्यंजनोंकेउच्चारणमेंअस्वरकाइस्तेमालहोताहैहिन्दीवर्णमालामें33व्यंजन, 2द्विगुणव्यंजन(ड़,ढ़) औरचारसंयुक्तव्यंजन(क्ष, त्र, ज्ञ, श्र) होतेहैं • कवर्ग–कखगघङ • चवर्ग–चछजझञ • टवर्ग–टठडढण • तवर्ग–तथदधन • पवर्ग– पफबभम • अंतःस्थव्यंजन– यरलव • ऊष्मव्यंजन– शषसह • संयुक्तव्यंजन– क्ष, त्र, ज्ञ, श्र व्यंजनों का वर्गीकरण : स्पर्श व्यंजन ऐसे व्यंजन जिनके उच्चारण करते समय निकलने वाली हवा मुंह के किसी स्थान को स्पर्श करती है स्पर्श व्यंजन कहलाते हैं। क वर्ग, च वर्ग, ट वर्ग, त वर्ग और प वर्ग के सभी व्यंजन स्पर्श व्यंजन हैं वर्ग स्पर्श/उच्चारण स्थान व्यंजन क वर्ग कंठ क ख ग घ ङ च वर्ग तालु च छ ज झ ञ ट वर्ग मूर्धा ट ठ ड ढ ण त वर्ग दाँत त थ द ध न प वर्ग ओष्ठ (होंठ) प फ ब भ म • स्पर्श व्यंजन के हर वर्ग का पहला और दूसरा व्यंजन अघोष और अन्य सभी सघोष व्यंजन होते हैं • स्पर्श व्यंजन के हर वर्ग का पहला, तीसरा और पाँचवा व्यंजन अल्पप्राण और अन्य महाप्राण होते हैं। अन्तः स्थ व्यंजन जिन वर्णों का उच्चारण स्वरों व व्यंजनों के बीच स्थित होता है उन्हे अन्तःस्थ व्यंजन कहा जाता है य र ल व अन्तःस्थ व्यंजन होते हैं सभी अन्तःस्थ व्यंजन सघोष व अल्पप्राण होते हैं। ऊष्म / संघर्षी व्यंजन जिन व्यंजनों के उच्चारण के समय वायु मुख के किसी स्थान में घर्षण करके गरम होकर निकले उन्हे ऊष्म या संघर्षी व्यंजन कहा जाता है श ष स ह इस प्रकार के व्यंजन हैं । सभी ऊष्म व्यंजन महाप्राण हैं श ष स अघोष व्यंजन है और ह सघोष व्यंजन हैं। संयुक्त व्यंजन जो व्यंजन दो या दो से अधिक व्यंजनों से मिलकर बने होते हैं उन्हें संयुक्त व्यंजन कहा जाता है जैसे – क्ष = क् + ष, ...

Sparsh Sangharshi Vyanjan

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • Sparsh Sangharshi Vyanjan | स्पर्श संघर्षी व्यंजन इस लेख में हम आपको हिंदी वर्णमाला के स्पर्श संघर्षी व्यंजनों (Sparsh Sangharshi Vyanjan) के बारे में बता रहे हैं। इस लेख में हम जानेंगे की स्पर्श संघर्षी व्यंजन किसे कहते हैं, स्पर्श संघर्षी व्यंजन कौन-कौन से होते हैं और स्पर्श संघर्षी व्यंजन (Sparsh Sangharshi Vyanjan) कितने होते हैं। दरअसल, हिंदी व्यंजनों का जब उच्चारण के आधार पर वर्गीकरण किया जाता है तो हिंदी व्यंजनों के निम्नलिखित आठ भेद होते हैं। • स्पर्श व्यंजन • संघर्षी व्यंजन • स्पर्श संघर्षी व्यंजन • नासिक्य व्यंजन • पार्श्विक व्यंजन • प्रकम्पित व्यंजन • उत्क्षिप्त व्यंजन • संघर्षहीन व्यंजन इन आठ भेदों में से एक भेद स्पर्श संघर्षी व्यंजन (Sparsh Sangharshi Vyanjan) होता है, जिसके बारे में इस लेख में हम आपको विस्तार से बताएंगे। अतः स्पर्श संघर्षी व्यंजनों (Sparsh Sangharshi Vyanjan) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी हासिल करने के लिए पूरे लेख को धैर्य पूर्वक पढ़ें। Sparsh Sangharshi Vyanjan स्पर्श संघर्षी व्यंजन किसे कहते हैं | Sparsh Sangharshi Vyanjan Kise Kahate Hain जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय प्राणवायु मुख्य अवयवों को स्पर्श करती हुई संघर्ष के साथ बाहर निकलती हो उन्हें स्पर्श संघर्षी व्यंजन कहते हैं। स्पर्श संघर्षी व्यंजनों की संख्या चार होती है। हिंदी वर्णमाला में च-वर्ग के प्रथम चार व्यंजनों, अर्थात च, छ, ज, झ को स्पर्श संघर्षी व्यंजन कहते हैं। स्पर्श संघर्षी व्यंजनों में स्पर्श व्यंजन एवं संघर्षी व्यंजन, दोनों के गुण पाए जाते हैं, अर्थात स्पर्श संघर्षी व्यंजनों का उच्चारण करते समय पहले मुख के विभिन्न अवयवों का परस...

व्यंजन भेद

स्वरों की सहायता से बोले जाने वाले वर्ण व्यंजन कहलाते है। जिन ध्वनियों का उच्चारण करते समय श्वास मुख के किसी स्थान विशेष (तालु मूर्धा, ओष्ठ या दाँत) आदि का स्पर्श करते हुए निकले उन्हें व्यंजन कहते हैं। परंपरागत रूप से व्यंजनों की संख्या 33 मानी जाती है। व्यंजनों का वर्गीकरण व्यांजनों को उच्चारण की दृष्टि से दो आधारों पर विभाजित किया जाता है। उच्चारण-स्थान व्यंजन ध्वनियाँ का उच्चारण करते समय किसी श्वास-वायु किसी न किसी मुख अवयव से अवश्य टकराती है। उसी मुख अवयव को उच्चारण स्थान कहते हैं। इन्हीं के आधार पर व्यंजनों का वर्गीकरण किया जाता है। • कंठ्य (गले से) – क,ख,ग, घ डहा • तालव्य (तालु से) च,छ,ज,झ,ञ,श • मूर्धन्य (मूर्धा भाग से) ट,ठ.ड,ढ,ण,ष • दत्य (दांतों से) स,त,थ,द,ध,ना • ओष्ठ्य (ओठॉ से) प,फ,ब,भ,म • दंतोष्ठय (ओष्ठ एवं दाँतों से) य,र,ल,ब प्रयत्न ध्वनियों को उच्चरण में होने वाले यत्न को प्रयत्न कहा जाता है इन्हें तीन प्रकार का माना गया है। • श्वास-वायु की मात्रा, • स्वर तंत्री में कंपन • मुख-अवयवों के द्वारा श्वास को रोकना। 1. वायु की मात्रा: इस मात्रा के आधार पर भी दो वर्गीकरण किए गए हैं-(a) अल्पप्राण (b) महाप्राण • अल्पप्राण-जिन व्यंजनों के उच्चारण में वायु कम मात्रा में निकलती है, उन्हें अल्पप्राण व्यंजन कहते हैं-जैसे-क, ख, ग,ड,च,जन,ट,ड.प.तदन,प,ब,म.य,र,ल,वा • महाप्राण-जिन ध्वनियों के उच्चारण में श्वास-वायु अधिक मात्रा में लगती है, उन्हें महाप्राण व्यंजन कहते हैं। जैसे-घ,छ,झ,ठ ढ,थ,ध,फ,भ,श,ष,स,ह,न,म। 2. स्वर तंत्री के कंपन पर आधारित वर्गीकरण-गले की स्वर तंत्री जब वायु वेग से कॉपकर जब बजने लगती है तब इन स्वर तंत्रियों में होने वाली कंपन, नाद या गूंज के आधार पर व्यंजनों के दो ...

वर्ण विचार : वर्ण विचार परिभाषा, भेद और उदाहरण। Varn Vichar

इस पोस्ट में हम वर्ण विचार के कितने प्रकार होते हैं तथा उनका उच्चारण स्थान के आधार पर कितने भागों में बांटा गया है साथ ही उच्चारण स्थान के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे। वर्ण विचार वर्ण विचार वर्ण वह सबसे छोटी ध्वनि जिसके टुकड़े या खंड नहीं किया जाता है, उसे वर्ण कहते हैं। अर्थात् भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि है ध्वनि को वर्ण कहते हैं। उदाहरण राम = र् + आ + म् + अ हिंदी वर्णमाला में 11 स्वर और 33 व्यंजन अर्थात् 44 वर्ण होते हैं और 3 संयुक्ताक्षर होते हैं। वर्णमाला वर्ण के समूह को वर्णमाला कहते हैं। हिंदी भाषा में वर्ण माला क, ख, ग, च, ट, त, प, अ, आ, इत्यादि वर्ण के प्रकार हिंदी भाषा में वर्ण दो प्रकार के होते हैं। • स्वर (Vowel) • व्यंजन (Consonant) • स्वर ऐसी ध्वनियाँ जिनका उच्चारण करते समय अन्य किसी ध्वनि की सहायता न हो अर्थात् जिनका उच्चारण स्वतंत्र रूप से बोली जाती है उसे स्वर कहते हैं। • हिंदी भाषा में स्वर की संख्या 11 होती है। • अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ स्वर के भेद स्वर के तीन भेद होते हैं। • ह्रस्व स्वर • दीर्घ स्वर • प्लुत स्वर • दीर्घ स्वर जिन स्वरों के उच्चारण में अपेक्षाकृत कम समय लगता है उसे ह्रस्व स्वर कहते हैं। • ह्रस्व स्वरों की संख्या (४) चार होते हैं। • ह्रस्व स्वरों को मूल स्वर भी कहते हैं। • मूल स्वर = अ, इ, उ, ऋ • अ की मात्रा– कोई नहीं • इ की मात्रा–ि • उ की मात्रा–ु • ऋ की मात्रा–ृ 2. दीर्घ स्वर जिन स्वरों में ह्रस्व स्वरों से अधिक बोलने में अधिक समय लगता है उसे दीर्घ स्वर कहते हैं। • दीर्घ स्वरों की संख्या (७) सात होती है। • दीर्घ स्वर = आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, और • आ की मात्रा -ा • ई की मात्रा–ी • ऊ की मात्रा -ू • ए की मात्रा–े • ऐ की ...

हिंदी वर्णमाला : स्वर और व्यंजन / Hindi Alphabet : Vowels and Consonants

नमस्कार मित्रों स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट upboard.live पर । आज की पोस्ट में हम आपको हिंदी वर्णमाला : स्वर और व्यंजन ( Hindi Alphabet : Vowels and Consonants) के बारे में बताएंगे तो आपको इस पोस्ट को पूरा पढ़ना है और अंत तक पढ़ना है। हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnamala) हिंदी भाषा को सीखने और समझने के लिए हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnamala) को सीखना और समझना बहुत ज़रूरी है। हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnamala) में हिंदी भाषा में प्रयुक्त सभी ध्वनियों को शामिल किया गया है, जिनके बारे में हम इस लेख में जानेंगे। "हिंदी" फारसी भाषा का शब्द है। वर्ण या अक्षरों के क्रमबद्ध एवं व्यवस्थित समूह को वर्णमाला (Varnamala) कहते हैं। अतः हिंदी भाषा में समस्त वर्णों के क्रमबद्ध एवं व्यवस्थित समूह को हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnamala) कहते हैं। हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnamala) में 44 अक्षर होते हैं, जिसमें 11 स्वर एवं 33 व्यंजन हैं। दरअसल, प्रत्येक भाषा अपने आप में एक व्यवस्था है हिंदी में भी सभी वर्गों को एक व्यवस्था में रखा गया जिसे हम उस भाषा की वर्णमाला के नाम से जानते हैं। हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnamala) में कुल अक्षरों संख्या 52 होती है। हिदीं वर्णमाला में कामता प्रसाद गुरु के अनुसार अक्षरों की संख्या 46 होती है। वर्ण किसे कहते हैं (Varn Kise Kahate Hain) वर्ण की परिभाषा - मूल ध्वनि का वह लिखित रूप जिसके टूकड़े नहीं किए जा सकते (अखण्डित ध्वनि), उसे वर्ण (Varn) कहते है। हिंदी की सबसे छोटी इकाई वर्ण (Varn) होता है। हम जो भी बोलते हैं, वह एक ध्वनि होती है। हमारे मुँह से उच्चारित अ, आ, क, ख, ग आदि ध्वनियाँ हैं। हमारे द्वारा बोली जाने वाली प्रत्येक अर्थपूर्ण ध्वनि को एक आकृति या आकार से दर्शाया जाता...

Sparsh Sangharshi Vyanjan

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व्यंजन ध्वनि (ध्वनियों) का वर्गीकरण ।व्यंजनों का वर्गीकरण। Vyanjan Dhwani ka vargikrana

व्यंजनों का वर्गीकरण हमें ज्ञात है कि व्यंजन ध्वनियों की प्रकृति स्वर ध्वनियों से भिन्न है। अतः व्यंजन के वर्गीकरण में स्थान , करण , प्रयत्न के अतिरिक्त स्वरतंत्री प्राणतत्व , उच्चारण शक्ति , अनुनासिकता आदि आधारों पर भी विचार करने की आवश्यकता है।इस प्रकार व्यंजनों के वर्गीकरण में निम्नलिखित आधार पर विस्तृत अध्ययन किया जा सकता है - ( क) स्थान के आधार पर व्यंजनों का वर्गीकरण स्थान के आधार पर व्यंजन ध्वनियों के कंठ्य (कोमल - तालव्य) , मूर्धन्य , तालव्य (कठोर तालव्य) वर्त्स्य , दंत्य , दंत्योष्ठ्य , ओष्ठ्य , अलिजिह्वीय , काकाल्य आदि भेद होते हैं। इन भेदों तथा इनके अन्तर्गत आने वाली व्यंजन ध्वनियों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है - 1. कंठ्य ( Soft Palatal) - • इसे ' कोमल तालव्य ' भी कहते हैं। जीभ के पिछले भाग के सहारे ये ध्वनियाँ उत्पन्न होती हैं। कवर्ग की ध्वनियाँ - क , ख , ग , घ , ङ कंठ्य या कोमल तालव्य की ध्वनियाँ हैं। फारसी की ख़ , ग जैसी संघर्षी ध्वनियाँ भी यहीं से उच्चारित होती हैं। 2. तालव्य ( Palatal) • इन ध्वनियों का उच्चारण कठोर तालव्य से होता है। जीभ का अगला भाग या नोक इसमें सहायक होती है। च वर्ग की ध्वनियाँ च् , छ् , ज् , झ इसी के अन्तर्गत आती हैं। 3. मूर्धन्य ( Cevebral) • मूर्द्धा की सहायता से उच्चारण की जाने वाली ध्वनियाँ - मूर्धन्य कहलाती हैं। ट् , ठ् , ड् , ढ् ण् अर्थात ट वर्ग की ध्वनियाँ मूर्धन्य हैं। 4. वर्त्स्य ( Alveolar) - • मसूढ़े या वर्ल्स और जीभ के अगले भाग की सहायता से उत्पन्न ध्वनियाँ वर्त्स्य कहलाती हैं। र् , ल् , स् तथा ज़ फारसी की वर्त्स्य ध्वनियाँ हैं। 5. दंत्य ( Dental) • दाँत की सहायता से उत्पन्न ध्वनियाँ दंत्य हैं। इसके उच्चारण में जीभ की नोक भ...

वर्ण विचार : वर्ण विचार परिभाषा, भेद और उदाहरण। Varn Vichar

इस पोस्ट में हम वर्ण विचार के कितने प्रकार होते हैं तथा उनका उच्चारण स्थान के आधार पर कितने भागों में बांटा गया है साथ ही उच्चारण स्थान के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे। वर्ण विचार वर्ण विचार वर्ण वह सबसे छोटी ध्वनि जिसके टुकड़े या खंड नहीं किया जाता है, उसे वर्ण कहते हैं। अर्थात् भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि है ध्वनि को वर्ण कहते हैं। उदाहरण राम = र् + आ + म् + अ हिंदी वर्णमाला में 11 स्वर और 33 व्यंजन अर्थात् 44 वर्ण होते हैं और 3 संयुक्ताक्षर होते हैं। वर्णमाला वर्ण के समूह को वर्णमाला कहते हैं। हिंदी भाषा में वर्ण माला क, ख, ग, च, ट, त, प, अ, आ, इत्यादि वर्ण के प्रकार हिंदी भाषा में वर्ण दो प्रकार के होते हैं। • स्वर (Vowel) • व्यंजन (Consonant) • स्वर ऐसी ध्वनियाँ जिनका उच्चारण करते समय अन्य किसी ध्वनि की सहायता न हो अर्थात् जिनका उच्चारण स्वतंत्र रूप से बोली जाती है उसे स्वर कहते हैं। • हिंदी भाषा में स्वर की संख्या 11 होती है। • अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ स्वर के भेद स्वर के तीन भेद होते हैं। • ह्रस्व स्वर • दीर्घ स्वर • प्लुत स्वर • दीर्घ स्वर जिन स्वरों के उच्चारण में अपेक्षाकृत कम समय लगता है उसे ह्रस्व स्वर कहते हैं। • ह्रस्व स्वरों की संख्या (४) चार होते हैं। • ह्रस्व स्वरों को मूल स्वर भी कहते हैं। • मूल स्वर = अ, इ, उ, ऋ • अ की मात्रा– कोई नहीं • इ की मात्रा–ि • उ की मात्रा–ु • ऋ की मात्रा–ृ 2. दीर्घ स्वर जिन स्वरों में ह्रस्व स्वरों से अधिक बोलने में अधिक समय लगता है उसे दीर्घ स्वर कहते हैं। • दीर्घ स्वरों की संख्या (७) सात होती है। • दीर्घ स्वर = आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, और • आ की मात्रा -ा • ई की मात्रा–ी • ऊ की मात्रा -ू • ए की मात्रा–े • ऐ की ...