सरस्वती माता की प्रार्थना

  1. सरस्वती पूजा क्यों मनाते हैं ( Vandana, Aarti, shlokas, Mantra )
  2. Saraswati Mata Ki Aarti सरस्वती माता की आरती
  3. व प्रार्थना Saraswati Puja Goddess Saraswati
  4. प्रार्थना संग्रह: माता सरस्वती की प्रार्थनाMata Saraswati’s Prayer – Basic Shiksha Parishad
  5. श्री सरस्वती चालीसा हिंदी अर्थ सहित, पूजा करने की विधि | Saraswati Chalisa Lyrics in Hindi


Download: सरस्वती माता की प्रार्थना
Size: 18.17 MB

सरस्वती पूजा क्यों मनाते हैं ( Vandana, Aarti, shlokas, Mantra )

बसंत पंचमी विद्या की देवी मां सरस्वती पूजा तथा प्रकृति से जुड़ा यह त्यौहार है। आज हम इस लेख के माध्यम से आपको माता की स्तुति , वंदना , आरती , सहस्त्रनाम आदि विस्तार से लिखकर प्रस्तुत कर रहे हैं आशा है आपको पसंद आए और माता का आशीर्वाद और शरण आपको मिल पाए। बसंत पंचमी माघ मे मनाया जाने वाला प्रमुख त्यौहार है। यह प्रकृति का त्यौहार होने के साथ-साथ विद्या की देवी माता सरस्वती का भी त्यौहार है। प्रकृति पुराने जीर्ण – शीर्ण पत्तों तथा शाखाओं को त्याग कर नए-नए पत्ते तथा कोपलो को जन्म देती है और पूरे वातावरण में एक सुखद अनुभूति का संचार करती है। बसंत पंचमी शिशिर ऋतु का प्रमुख त्यौहार है माना जाता है। यह ऋतू निर्जीव में भी अपने प्राण फूंकने की क्षमता रखती है। अतः चारों ओर खुशहाली ही खुशहाली नजर आती है , खेतों में लहलहाते सरसों की बालियां खुले हाथों से , निश्चल भाव से प्रकृति का स्वागत करती है। चारों ओर एक दिव्य सुगंध की झड़ी सी लग जाती है और प्रकृति वातावरण में जीवन का संचार करती है। मौसम के अनुसार यह बेहद ही सुखकारी और गुणकारी है यह मौसम ना ही अधिक ठंडी और ना ही अधिक गर्म। अपितु सामान्य मौसम रहता है और प्राणियों में ऊर्जा का संचार करता है। Table of Contents • • • • • • • • सरस्वती पूजा क्यों मनाते हैं वसंत पंचमी का त्यौहार है मुख्य रूप से मां सरस्वती को समर्पित है। जो ज्ञान और विद्या की देवी है , यही देवी बुद्धि बल प्रदायनी है , अन्यथा यह जीवन व्यर्थ होता। इसी ज्ञान की प्राप्ति और सद्बुद्धि के लिए लोग अथवा प्रकृति मां सरस्वती की निष्ठापूर्वक पूजा – अर्चना और आराधना करते हैं। साधक शुद्ध भाव से विद्या की देवी को प्रसन्न करते हैं , और समाज के कल्याण के लिए प्रार्थना करते हैं। संसार मे...

Saraswati Mata Ki Aarti सरस्वती माता की आरती

Saraswati Mata Ki Aarti सरस्वती माता की वंदना,चालीसा आरती, भजन, प्रार्थना Likhi Hui. Saraswati Ji Ki Aarti in Hindi विभिन्न प्रकार की विद्या को प्राप्त करने के लिए सरस्वती माता की आराधना की जाती है, क्योंकि सरस्वती माँ सभी विद्याओं की देवी है व ज्ञान का भंडार है। इसलिए सरस्वती माता की आरती के माध्यम से माता के भक्त माँ की असीम कृपा प्राप्त कर सकते है। परंतु भक्ति सच्चे मन से करनी चाहिए तभी सार्थक होती है। ओम जय सरस्वती माता; मैया जय जय सरस्वती माता। सद्गुण वैभव शालिनी; त्रिभुवन विख्याता॥ जय जय सरस्वती माता। चंद्रवदनी पद्मासिनी; ध्रुति मंगलकारी। सोहें शुभ हंस सवारी; अतुल तेजधारी ॥ हितकारी, सुखकारी; ज्ञान भक्ती पावें ॥ जय सरस्वती माता; मैया जय जय सरस्वती माता। सद्‍गुण वैभव शालिनी; त्रिभुवन विख्याता॥ जय जय सरस्वती माता। ओम जय सरस्वती माता; जय जय सरस्वती माता । सद्गुण वैभव शालिनी; त्रिभुवन विख्याता॥ सरस्वती माता का स्वरूप कैसा है सरस्वती माँ सदगुण स्वरूप व परम वैभव शाली होने से तीनो भवनों में विख्यात है, अर्थात इनका वैभव तीनो लोको में फैला हुआ है। इनकी सवारी हंस तथा तेज अतुल्य है। सरस्वती माता के बाएं हाथ में वीणा तथा दाएं हाथ में माला व सिर पर स्थित मुकुट में मणि धारण किये हुए है। सरस्वती माता आरती के लाभ व फायदे सरस्वती माता ज्ञान की देवी है। जो कोई माता की आराधना करता है, माता उसके अज्ञान एवं आत्मा के अंधकार को नष्ट करने में सहायता करती है। सरस्वती माँ धूप, दीपक, फल व मेवा को स्वीकार करने वाली तथा मनुष्यों को दिव्य ज्ञान चक्षु प्रदान करने वाली है। जो कोई भक्त माता की आरती करता है, वह अनन्य सुख, ज्ञान व भक्ति को प्राप्त करता है। यह भी पढ़े-

व प्रार्थना Saraswati Puja Goddess Saraswati

। । । वसन्त पंचमी वसंत पंचमी की पूजा के लिए तैयार एक सरस्वती प्रतिमावसंत पंचमी एक भारतीय त्योहार है, इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। इस दिन स्त्रियाँ पीले वस्त्र धारण करती हैं। प्राचीन भारत में पूरे साल को जिन छह मौसमों में बाँटा जाता था उनमें वसंत लोगों का सबसे मनचाहा मौसम था।जब फूलों पर बहार आ जाती, खेतों मे सरसों का सोना चमकने लगता, जौ और गेहूँ की बालियाँ खिलने लगतीं, आमों के पेड़ों पर बौर आ जाता और हर तरफ़ रंग-बिरंगी तितलियाँ मँडराने लगतीं। वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के पाँचवे दिन एक बड़ा जश्न मनाया जाता था जिसमें विष्णु और कामदेव की पूजा होती, यह वसंत पंचमी का त्यौहार कहलाता था। शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी से उल्लेखित किया गया है, तो पुराणों-शास्त्रों तथा अनेक काव्यग्रंथों में भी अलग-अलग ढंग से इसका चित्रण मिलता है। बसन्त पंचमी कथा सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने जीवों, खासतौर पर मनुष्य योनि की रचना की। अपनी सर्जना से वे संतुष्ट नहीं थे। उन्हें लगता था कि कुछ कमी रह गई है जिसके कारण चारों आ॓र मौन छाया रहता है। विष्णु से अनुमति लेकर ब्रह्मा ने अपने कमण्डल से जल छिड़का, पृथ्वी पर जलकण बिखरते ही उसमें कंपन होने लगा। इसके बाद वृक्षों के बीच से एक अद्भुत शक्ति का प्राकट्य हुआ। यह प्राकट्य एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री का था जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। ब्रह्मा ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया। जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, संसार के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई। जल...

प्रार्थना संग्रह: माता सरस्वती की प्रार्थनाMata Saraswati’s Prayer – Basic Shiksha Parishad

“ या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता , या वीणावरदण्डमण्डित करा या श्वेत पद्मासना । या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता , सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा । । शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमामाद्यां जगद्व्यापिनीम् , वीणा पुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम् । हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम् , वन्दे तां परमेश्वरी भगवतीं बुद्धि प्रदां शारदाम् । । • सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु लिरिक्स Subah Savere Lekar Tera Naam Prabhu Lyrics • वह शक्ति हमें दो दयानिधे • माँ शारदे कहाँ तू वीणा बजा रही हैं लिरिक्स Maa Sharde Kahan tu Veena Baja Rahi Hai Lyrics Ma Sharda Bhajan Lyrics सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा माँ शारदे कहाँ तू वीणा बजा रही हैं किस मंजु ज्ञान से तू जग को लुभा रही हैं किस भाव में भवानी तू मग्न हो रही है विनती नहीं हमारी क्यों माँ तू सुन रही है हम दीन बाल कब से विनती सुना रहें हैं चरणों में तेरे माता हम सर झुका रहे हैं हम सर झुका रहे हैं माँ शारदे कहाँ तू वीणा बजा रही हैं किस मंजु ज्ञान से तू जग को लुभा रही हैं अज्ञान तुम हमारा माँ शीघ्र दूर कर दो द्रुत ज्ञान शुभ्र हम में माँ शारदे तू भर दे बालक सभी जगत के सूत मात हैं तुम्हारे प्राणों से प्रिय है हम तेरे पुत्र सब दुलारे तेरे पुत्र सब दुलारे मां शारदे कहाँ तू हमको दयामयी तू ले गोद में पढ़ाओ अमृत जगत का हमको माँ शारदे पिलाओ मातेश्वरी तू सुन ले सुंदर विनय हमारी करके दया तू हर ले बाधा जगत की सारी बाधा जगत की सारी माँ शारदे कहाँ तू वीणा बजा रही हैं किस मंजु ज्ञान से तू जग को लुभा रही हैं माँ शारदे कहाँ तू वीणा बजा रही हैं किस मंजु ज्ञान से...

श्री सरस्वती चालीसा हिंदी अर्थ सहित, पूजा करने की विधि | Saraswati Chalisa Lyrics in Hindi

Quick Links • • मां सरस्वती की पूजा करने की विधि • सरस्वती पूजा करते समय सबसे पहले सरस्वती माता की प्रतिमा अथवा तस्वीर को सामने रखना चाहिए। • इसके बाद कलश स्थापित करके गणेश जी तथा नवग्रह की विधिवत् पूजा करनी चाहिए। • इसके बाद माता सरस्वती की पूजा करें. सरस्वती माता की पूजा करते समय उन्हें सबसे पहले आचमन और स्नान कराएं। • इसके बाद माता को फूल, माला चढ़ाएं. सरस्वती माता को सिन्दूर, अन्य श्रृंगार की वस्तुएं भी अर्पित करनी चाहिए। • वसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता के चरणों पर गुलाल भी अर्पित किया जाता है। • देवी सरस्वती श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, इसलिए उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाएं। • सरस्वती पूजन के अवसर पर माता सरस्वती को पीले रंग का फल चढ़ाएं। • प्रसाद के रूप में मौसमी फलों के अलावा बूंदियां अर्पित करनी चाहिए। • इस दिन सरस्वती माता को मालपुए और खीर का भी भोग लगाया जाता है। श्री सरस्वती चालीसा हिंदी अर्थ सहित (Saraswati Chalisa Lyrics in Hindi) ॥दोहा॥ जनक जननि पद कमल रज,निज मस्तक पर धारि। बन्दौं मातु सरस्वती,बुद्धि बल दे दातारि॥ पूर्ण जगत में व्याप्त तव,महिमा अमित अनंतु। रामसागर के पाप को,मातु तुही अब हन्तु॥ अर्थ: माता-पिता के चरणों की धूल मस्तक पर धारण करते हुए हे सरस्वती मां, आपकी वंदना करता हूं/करती हूं, हे दातारी मुझे बुद्धि की शक्ति दो। आपकी अमित और अनंत महिमा पूरे संसार में व्याप्त है। हे मां रामसागर (चालीसा लेखक) के पापों का हरण अब आप ही कर सकती हैं। ॥चौपाई॥ जय श्री सकल बुद्धि बलरासी। जय सर्वज्ञ अमर अविनासी॥ जय जय जय वीणाकर धारी। करती सदा सुहंस सवारी॥ रूप चतुर्भुजधारी माता। सकल विश्व अन्दर विख्याता॥ जग में पाप बुद्धि जब होती। जबहि धर्म की फीकी ज्योती॥ तबहि मातु ले निज अवत...