सरस्वती पूजा कब है

  1. Saraswati Puja 2022: कब है सरस्वती पूजा? जानें तिथि, पूजा मुहूर्त एवं महत्व
  2. बसंत पंचमी 2023: सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त तिथि, पूजन विधि और कर्म
  3. Basant Panchami 2023: कब मनाएं वसंत पंचमी 25 जनवरी या 26 को? जान लें सरस्वती पूजा मुहूर्त, पंचक का रहेगा प्रभाव
  4. बसंत पंचमी 2023 कब और क्यों मनाई जाती है? सरस्वती पूजा व बसंत पंचमी का इतिहास, महत्व और रोचक तथ्य
  5. 2024 में सरस्वती पूजा कब है New Delhi, India में
  6. saraswati puja 2022 when is saraswati puja know pooja vidhi shubh muhurta saraswati vandana and aarti tvi
  7. Basant Panchami 2022 Date and Time: सरस्वती पूजा कब, जानें शुभ मुहूर्त व महत्व, Saraswati Puja Muhurat and Significance.
  8. Basant panchami 2023: इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से प्रसन्न होंगी मां सरस्वती
  9. Basant panchami 2023: इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से प्रसन्न होंगी मां सरस्वती
  10. Basant Panchami 2022 Date and Time: सरस्वती पूजा कब, जानें शुभ मुहूर्त व महत्व, Saraswati Puja Muhurat and Significance.


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Saraswati Puja 2022: कब है सरस्वती पूजा? जानें तिथि, पूजा मुहूर्त एवं महत्व

Saraswati Puja 2022: हिन्दू कैलेंडर (Panchang) के अनुसार, माघ मास (Magh Month) के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी (Basant Panchami) का पर्व मनाते हैं. इस दिन ही ज्ञान, वाणी और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है. इस दिन को सरस्वती पूजा के नाम से भी जानते हैं. हिन्दू धर्म में सरस्वती पूजा के दिन बच्चों की शिक्षा प्रारंभ कराने या अक्षर ज्ञान शुरू कराने की परंपरा है. वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा क्यों होती है, इसके पीछे भी पौराणिक मान्यता है. आइए जानते हैं कि इस वर्ष सरस्वती पूजा कब है? पूजा का मुहूर्त क्या है? सरस्वती पूजा 2022 तिथि एवं मुहूर्त पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का प्रारंभ 05 फरवरी दिन शनिवार को प्रात: 03:47 बजे से हो रहा है. पंचमी तिथि अगले दिन 06 फरवरी दिन रविवार को प्रात: 03:46 बजे तक मान्य है. ऐसे में सरस्वती पूजा 05 फरवरी को मनाया जाएगा. इस दिन ही वसंत पंचमी भी मनाई जाएगी. यह भी पढ़ें: वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा के लिए 5 घण्टे 28 मिनट का समय है. सरस्वती पूजा के लिए मुहूर्त 05 फरवरी को प्रात: 07:07 बजे से लेकर दोपहर 12:35 बजे तक है. सिद्ध योग में सरस्वती पूजा इस साल की सरस्वती पूजा सिद्ध योग में है. 05 फरवरी को ​सिद्ध योग शाम 05 बजकर 42 मिनट तक है, उसके बाद से साध्य योग शुरू हो जाएगा. इस दिन शुभ मुहूर्त दोपहर 12:13 बजे से दोपहर 12:57 बजे तक है. वसंत पंचमी के दिन रवि योग शाम 04:09 बजे से अगले दिन प्रात: 07:06 बजे तक है. यह भी पढ़ें: वसंत पंचमी को सरस्वती पूजा क्यों मनाते हैं? पौराणिक मान्यता है कि माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ज्ञान और वाणी की देवी मां सरस्वती ब्रह्माजी के मुख से अवतरित हुई थीं. इस दिन को दे...

बसंत पंचमी 2023: सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त तिथि, पूजन विधि और कर्म

सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त तिथि कब है?, सरस्वती पूजन पूजन की विधि, दिन क्या करें, क्या न करें (Saraswati Puja Muhurat 2023, Saraswati Puja Date in 2023) Saraswati Puja Muhurat Date 2023 : भारत में हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को देवी सरस्वती की विधि विधान से पूजा की जाती है। इस त्यौहार को बसंत पंचमी, श्री पंचमी और सरस्वती पूजा के नामों से जाना जाता है। Advertisements सरस्वती पूजन के इस विशेष मुहूर्त को बेहद शुभ माना जाता है इसीलिए इसे अभूझ मुहूर्त भी कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन शुभ मुहूर्त पर विधि विधान से संपूर्ण पूजन विधि का प्रयोग करके देवी सरस्वती की पूजा करने से बल बुद्धि विद्या और धन संपत्ति का शुभ लाभ होता है। इस साल 26 जनवरी 2023 को उदया तिथि में बसंत पंचमी 2023: सरस्वती पूजन का त्यौहार मनाया जाएगा। तो चलिए आज इस आर्टिकल के जरिए आपको बसंत पंचमी 2023 के मौके पर सरस्वती पूजन का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि के बारे में बताते हैं। इसके अलावा हम इस आर्टिकल में आपको यह भी बताने वाले हैं कि बसंत पंचमी 2023 सरस्वती पूजन के दिन क्या करें क्या न करें? सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त तिथि (Saraswati Puja Muhurat Date 2023 hindi) सरस्वती पूजा क्यों की जाती है? कला, ज्ञान, बुद्धि, वैभव एवं समृद्धि किस देवी की पूजा की जाती है? सरस्वती देवी हिंदू पंचांग के अनुसार तिथि माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी सरस्वती पूजा पूजन तिथि कब है? 26 जनवरी 2023 सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त तिथि सुबह 7 बजकर 12 मिनट से दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक भारत में कहां-कहां मनाई जाती है। पूरे भारत में विशेषकर कौन करता है सरस्वती पूजा हिंदू धर्म में विद्यार्थी वर्ग, कलाकार व संगीतकार इस बार बसंत पंचमी ...

Basant Panchami 2023: कब मनाएं वसंत पंचमी 25 जनवरी या 26 को? जान लें सरस्वती पूजा मुहूर्त, पंचक का रहेगा प्रभाव

वसंत पंचमी को सरस्वती पूजा और सरस्वती जयंती भी कहते हैं. जिन लोगों के छोटे बच्चे हैं, वे उनको इस दिन से अक्षर ज्ञान देना शुरू कर सकते हैं. Basant Panchami 2023: वसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ शुक्ल पंचमी को होता है. इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती को पूजा होती है, इसलिए वसंत पंचमी को सरस्वती पूजा और सरस्वती जयंती भी कहते हैं. वसंत पंचमी के दिन सभी शिक्षण संस्थानों में सरस्वती पूजा आयोजित की जाती है. इस दिन बच्चों की शिक्षा प्रारंभ भी कराते हैं. जिन लोगों के छोटे बच्चे हैं, वे उनको इस दिन से अक्षर ज्ञान देना शुरू कर सकते हैं. गीत, संगीत या कोई अन्य कला सीखने का आगाज सरस्वती पूजा से कर सकते हैं. अब सवाल यह है कि साल सरस्वती पूजा 25 जनवरी को है या फिर 26 जनवरी को? वसंत पंचमी 2023 की सही तारीख केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि इस साल सरस्वती पूजा यानि वसंत पंचमी का पर्व गणतंत्र दिवस के साथ मनाया जाएगा. स्कूलों में एक तरफ राष्ट्रीय ध्वज फहरेगा तो दूसरी ओर सरस्वती पूजा भी होगी क्योंकि 26 जनवरी को वसंत पंचमी मनाई जाएगी. यह भी पढ़ें: कब है गणेश जयंती 24 या 25 जनवरी? राज पंचक देगा सफलता पंचांग के अनुसार, वसंत पंचमी की माघ शुक्ल पंचमी तिथि 25 जनवरी बुधवार को 12:34 पीएम से शुरू होगी और यह 26 जनवरी गुरुवार को 10:28 एएम तक रहेगी. वसंत पंचमी की उदयातिथि 26 को प्राप्त हो रही है. इस दिन सूर्योदय का समय 07:12 एएम है. सरस्वती पूजा मुहूर्त का शुभ मुहूर्त वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा सुबह 07 बजकर 12 मिनट से प्रारंभ होगा. पूजा मुहूर्त की समाप्ति दोपहर में 12 बजकर 34 मिनट पर होगी. इस शुभ मुहूर्त में सरस्वती पूजा संपन्न हो जाना चाहिए. यह भी पढ़ें: 21 ...

बसंत पंचमी 2023 कब और क्यों मनाई जाती है? सरस्वती पूजा व बसंत पंचमी का इतिहास, महत्व और रोचक तथ्य

बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है? बसंत पंचमी, सरस्वती पूजा का महत्व और रोचक तथ्य (Basant Panchami History and Facts in Hindi, Significance, Saraswati Puja, Importance of Basant Panchami Meaning 2023 in Hindi) बसंत पंचमी 2023: भारत देश अपनी संस्कृति, रीति-रिवाजों और पर्वों के लिए जाना जाता है। हमारे देश में आए दिनों कोई ना कोई त्यौहार मनाया जाता रहता है। इन्हीं त्यौहारों में बसंत पंचमी का त्यौहार भी शामिल है जिसे भारतीय लोग बड़ी उत्साह के साथ मनाते हैं। Advertisements बसंत पंचमी को सरस्वती पूजन और श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि इस त्यौहार का वास्तविक नाम वसंत पंचमी है, लेकिन यह त्यौहार ज्यादातर बसंत पंचमी के नाम से ही लोकप्रिय है। यह त्यौहार विद्या और ज्ञान की देवी सरस्वती जी को समर्पित है। यही कारण है कि इस दिन विधि विधान से सरस्वती जी की पूजा की जाती है और त्यौहार को सरस्वती पूजन के नाम से भी जाना जाता है। भारत में मनाए जाने वाले हर त्यौहार का कुछ न कुछ धार्मिक, ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व होता है। बसंत पंचमी को लेकर भी विभिन्न धार्मिक और पौराणिक मत प्रचलित हैं। विषय–सूची • • • • • • सरस्वती पूजा व बसंत पंचमी का इतिहास, महत्व और रोचक तथ्य (Basant Panchami History and Facts in Hindi) कब मनाई जाती है बसंत पंचमी? हिंदू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी का त्यौहार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। बसंत पंचमी का त्यौहार हिंदू पंचांग के मुताबिक मनाया जाता है इसीलिए हर साल अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक इसकी तिथियां बदलती रहती हैं। लेकिन हिंदू पंचांग के मुताबिक मनाई जाने वाली बसंत पंचमी की तिथि अंग्रेजी कैलेंडर के जनवरी या फरवरी महीने में पड़ती है। क्यों मनाई ज...

2024 में सरस्वती पूजा कब है New Delhi, India में

आइए जानते हैं कि 2024 में सरस्वती पूजा कब है व सरस्वती पूजा 2024 की तारीख व मुहूर्त। माघ महीने शुक्ल पक्ष की पंचमी को सरस्वती पूजा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को वसंत पंचमी के तौर पर मनाने की भी परंपरा है। यह दिन ज्ञान, विद्या, बुद्धिमत्ता, कला और संस्कृति की देवी माँ सरस्वती को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि माघ शुक्ल पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा विशेष फलदायी होती है और इस दिन माँ शारदा के पूजन का बहुत महत्व है। इस दिन को अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है; दरअस्ल मान्यता है कि यह बहुत ही शुभ समय है। यूँ तो इस दिन भगवान श्री गणेश की पूजा के उपरान्त कलश स्थापना कर देवी सरस्वती का पूजन आरंभ करने का विधान है। सरस्वती स्तोत्र का पाठ देवी की प्रसन्नता और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए किया जाना चाहिए। विद्या-दात्री माँ शारदा का निम्न मंत्र से ध्यान करना चाहिए – या कुंदेंदु-तुषार-हार-धवला, या शुभ्रा - वस्त्रावृता, या वीणा - वार - दण्ड - मंडित - करा, या श्वेत - पद्मासना। या ब्रह्माच्युत - शङ्कर - प्रभृतिभिर्देवै: सदा वन्दित, सा मां पातु सरस्वती भगवती नि: शेष - जाड्यापहा।। उपर्युक्त श्लोक का अर्थ है कि जो देवी कुन्द के फूल, चन्द्रमा, हिमराशि और मोतियों के हार की तरह श्वेत वर्ण वाली है तथा जो श्वेत वस्त्र धारण करती है; जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभा पा रहा है व जो श्वेत कमल पर विजारमान हैं; ब्रह्मा-विष्णु-शिव आदि देवताओं द्वारा जो हमेशा पूजित हैं तथा जो संपूर्ण जड़ता व अज्ञान को दूर करने वाली है; ऐसी हे माँ सरस्वती! आप हमारी रक्षा करें। सरस्वती-लक्ष्मी-पार्वती की त्रिमूर्ति में से एक देवी सरस्वाती शुद्ध बुद्धि और ज्ञान देने वाली हैं। शास्त्रों के अनुसार वे भगवान ब्रह्मा की अर्धांगिनी ह...

saraswati puja 2022 when is saraswati puja know pooja vidhi shubh muhurta saraswati vandana and aarti tvi

Saraswati Puja 2022: सरस्वती पूजा के दिन बहुत से शुभ योग बन रहे हैं जो विद्यार्थियों, साधकों, भक्तों और ज्ञान चाहने वालों के लिए बहुत ही शुभ है. इस दिन सिद्ध नाम शुभ योग है जो देवी सरस्वती के उपासकों को सिद्धि और मनोवांछित फल देता है. इसके साथ ही सरस्वती पूजा के दिन रवि नामक योग भी बन रहा है, जो सभी अशुभ योगों के प्रभाव को दूर करने वाला माना जाता है. इन सबके साथ ही सरस्वती पूजा के दिन एक और अच्छी बात यह होगी कि वसंत पंचमी के एक दिन पहले बुद्धि कारक बुध ग्रह अपने मार्ग में होगा. इसके साथ ही शुभ बुद्धादित्य योग भी प्रभाव में रहेगा. जानें मां सरस्वती की पूजा विधि, मंत्र, वंदना और आरती. • मां सरस्वती की प्रतिमा लाएं और उन्हें पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें. • अब देवी सरस्वती को रोली, चंदन, हल्दी, केसर, चंदन, पीले या सफेद रंग के पुष्प, पीली मिठाई और अक्षत चढ़ाएं . • अब पूजा के स्थान पर वाद्य यंत्र और अपनी नई किताबें, पेंसिल, पेन चढ़ाएं. • मां सरस्वती की वंदना का पाठ करें. • हवन करें और आरती कर पूजा समाप्त करें. या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥ शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌। हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌ वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥२॥ सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा माँ शारदे कहाँ तू वीणा बजा रही हैं किस मंजु ज्ञान से तू जग को लुभा रही हैं किस भाव में भवानी तू मग्न हो रही है विनती नहीं हमा...

Basant Panchami 2022 Date and Time: सरस्वती पूजा कब, जानें शुभ मुहूर्त व महत्व, Saraswati Puja Muhurat and Significance.

सरस्वती वन्दना या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता। या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥ या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता। सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥१॥ शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं। वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌॥ हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌। वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥२॥

Basant panchami 2023: इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से प्रसन्न होंगी मां सरस्वती

साल की शुरुआत में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है बसंत पंचमी 2023 (Basant Panchami 2023)। वसंत पंचमी (Vasant Panchami) के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा (Saraswati Puja) की जाती है। यह त्योहार पूरे भारत वर्ष में बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया है। प्राचीन परंपराओं के अनुशार वेदों में जिन 6 ऋतुओं वर्षा, ग्रीष्म, शरद, हेमंत, शिशिर और बसंत का वर्णन किया गया है, उनमें से बसंत ऋतु का आगमन का प्रतीक यह त्योहार है। वसंत ऋतु के आगमन के साथ ही फूलों पर बहार, खेतों में चमकता सरसों का सोना, जौ और गेहूँ की बालियाँ, आमों के पेड़ पर बौर और हर तरफ़ रंग-बिरंगी तितलियां मंडराती दिखाई देने लगती है। वसंत पंचमी (Basant Panchami 2023) को हिंदू माह माघ के पांचवे दिन बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस साल बसंत पंचमी जनवरी के अंतिम सप्ताह में मनाया जाएगा। आइए इस त्योहार के विषय में विस्तृत रूप से जानते हैं…. 2023 में सिर्फ सकारात्मकता पर रहे आपका फोकस, इसीलिए बसंत पंचमी 2023 का महत्व हिंदू परंपराओं और शास्त्रों में बसंत पंचमी (Basant Panchami 2023) को ऋषि पंचमी के नाम से भी उल्लेखित किया गया है। माघ माह की शुक्ल पंचमी को मनाए जाने वाले इस महत्वपूर्ण त्योहार “बसंत पंचमी” को और भी कई नामों से जाना जाता है है। जिसमें श्री पंचमी, ऋषि पंचमी, वागीश्वरी जयंती, मदनोत्सव और सरस्वती पूजा (saraswati puja) उत्सव शामिल है। बसंत पंचमी 2023 (Basant panchami 2023) के दिन ज्ञान, कला और संगीत की देवी मां सरस्वती की उपासना की जाती है, यह मां सरस्वती का आविर्भाव दिवस है। मां सरस्वती को विद्या और बुद्धि की प्रदाता कहा गया है। वहीं इनकी उत्पत्ती के दौरान इनके हाथों में वीणा ...

Basant panchami 2023: इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से प्रसन्न होंगी मां सरस्वती

साल की शुरुआत में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है बसंत पंचमी 2023 (Basant Panchami 2023)। वसंत पंचमी (Vasant Panchami) के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा (Saraswati Puja) की जाती है। यह त्योहार पूरे भारत वर्ष में बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया है। प्राचीन परंपराओं के अनुशार वेदों में जिन 6 ऋतुओं वर्षा, ग्रीष्म, शरद, हेमंत, शिशिर और बसंत का वर्णन किया गया है, उनमें से बसंत ऋतु का आगमन का प्रतीक यह त्योहार है। वसंत ऋतु के आगमन के साथ ही फूलों पर बहार, खेतों में चमकता सरसों का सोना, जौ और गेहूँ की बालियाँ, आमों के पेड़ पर बौर और हर तरफ़ रंग-बिरंगी तितलियां मंडराती दिखाई देने लगती है। वसंत पंचमी (Basant Panchami 2023) को हिंदू माह माघ के पांचवे दिन बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस साल बसंत पंचमी जनवरी के अंतिम सप्ताह में मनाया जाएगा। आइए इस त्योहार के विषय में विस्तृत रूप से जानते हैं…. 2023 में सिर्फ सकारात्मकता पर रहे आपका फोकस, इसीलिए बसंत पंचमी 2023 का महत्व हिंदू परंपराओं और शास्त्रों में बसंत पंचमी (Basant Panchami 2023) को ऋषि पंचमी के नाम से भी उल्लेखित किया गया है। माघ माह की शुक्ल पंचमी को मनाए जाने वाले इस महत्वपूर्ण त्योहार “बसंत पंचमी” को और भी कई नामों से जाना जाता है है। जिसमें श्री पंचमी, ऋषि पंचमी, वागीश्वरी जयंती, मदनोत्सव और सरस्वती पूजा (saraswati puja) उत्सव शामिल है। बसंत पंचमी 2023 (Basant panchami 2023) के दिन ज्ञान, कला और संगीत की देवी मां सरस्वती की उपासना की जाती है, यह मां सरस्वती का आविर्भाव दिवस है। मां सरस्वती को विद्या और बुद्धि की प्रदाता कहा गया है। वहीं इनकी उत्पत्ती के दौरान इनके हाथों में वीणा ...

Basant Panchami 2022 Date and Time: सरस्वती पूजा कब, जानें शुभ मुहूर्त व महत्व, Saraswati Puja Muhurat and Significance.

सरस्वती वन्दना या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता। या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥ या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता। सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥१॥ शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं। वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌॥ हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌। वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥२॥