सरस्वती वंदना इन हिंदी

  1. Basant Panchami 2022: मां सरस्वती वंदना मंत्र व हिंदी में आरती, Saraswati Vandana Mantra, Shloka and Aarti Hindi, Bengali, Sanskrit.
  2. यहां पढ़ें: सरस्वती वंदना, सरस्वती गीत और सरस्वती आरती
  3. "या कुन्देन्दु तुषारहारधवला" वंदना अर्थ सहित
  4. Saraswati Vandana Pdf


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Basant Panchami 2022: मां सरस्वती वंदना मंत्र व हिंदी में आरती, Saraswati Vandana Mantra, Shloka and Aarti Hindi, Bengali, Sanskrit.

मां सरस्वती जी की आरती • जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता। • सद्गुण, वैभवशालिनि, त्रिभुवन विख्याता ।।जय..।। • चन्द्रवदनि, पद्मासिनि द्युति मंगलकारी। • सोहे हंस-सवारी, अतुल तेजधारी।। जय.।। • बायें कर में वीणा, दूजे कर माला। • शीश मुकुट-मणि सोहे, गले मोतियन माला ।।जय..।। • देव शरण में आये, उनका उद्धार किया। • पैठि मंथरा दासी, असुर-संहार किया।।जय..।। • वेद-ज्ञान-प्रदायिनी, बुद्धि-प्रकाश करो।। • मोहज्ञान तिमिर का सत्वर नाश करो।।जय..।। • धूप-दीप-फल-मेवा-पूजा स्वीकार करो। • ज्ञान-चक्षु दे माता, सब गुण-ज्ञान भरो।।जय..।। • मां सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे। • हितकारी, सुखकारी ज्ञान-भक्ति पावे।।जय..।। वसंत पंचमी 2022 सरस्वती वंदना या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता, या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता, सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥ शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं, वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌। हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌, वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥

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• या कुन्देन्दु तुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता • या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना । • या ब्रह्माच्युतशङ्करप्रभृतिभिर्देवैस्सदा वन्दिता • सा मां पातु सरस्वती भगवती निश्शेषजाड्यापहा ॥ १॥ • दोर्भिर्युक्ता चतुर्भिं स्फटिकमणिनिभै रक्षमालान्दधाना • हस्तेनैकेन पद्मं सितमपिच शुकं पुस्तकं चापरेण । • भासा कुन्देन्दुशङ्खस्फटिकमणिनिभा भासमानाऽसमाना • सा मे वाग्देवतेयं निवसतु वदने सर्वदा सुप्रसन्ना ॥ २॥ • सुरासुरासेवितपादपङ्कजा करे विराजत्कमनीयपुस्तका । • विरिञ्चिपत्नी कमलासनस्थिता सरस्वती नृत्यतु वाचि मे सदा ॥ ३॥ • सरस्वती सरसिजकेसरप्रभा तपस्विनी सितकमलासनप्रिया । • घनस्तनी कमलविलोललोचना मनस्विनी भवतु वरप्रसादिनी ॥ ४॥ • सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि । • विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ॥ ५॥ • सरस्वति नमस्तुभ्यं सर्वदेवि नमो नमः । • शान्तरूपे शशिधरे सर्वयोगे नमो नमः ॥ ६॥ • नित्यानन्दे निराधारे निष्कलायै नमो नमः । • विद्याधरे विशालाक्षि शुद्धज्ञाने नमो नमः ॥ ७॥ • शुद्धस्फटिकरूपायै सूक्ष्मरूपे नमो नमः । • शब्दब्रह्मि चतुर्हस्ते सर्वसिद्‍ध्यै नमो नमः ॥ ८॥ • मुक्तालङ्कृत सर्वाङ्ग्यै मूलाधारे नमो नमः । • मूलमन्त्रस्वरूपायै मूलशक्त्यै नमो नमः ॥ ९॥ • मनो मणिमहायोगे वागीश्वरि नमो नमः । • वाग्भ्यै वरदहस्तायै वरदायै नमो नमः ॥ १०॥ • वेदायै वेदरूपायै वेदान्तायै नमो नमः । • गुणदोषविवर्जिन्यै गुणदीप्त्यै नमो नमः ॥ ११॥ • सर्वज्ञाने सदानन्दे सर्वरूपे नमो नमः । • सम्पन्नायै कुमार्यै च सर्वज्ञ ते नमो नमः ॥ १२॥ • योगानार्य उमादेव्यै योगानन्दे नमो नमः । • दिव्यज्ञान त्रिनेत्रायै दिव्यमूर्त्यै नमो नमः ॥ १३॥ • अर्धचन्द्रजटाधारि चन्द्रबिम्बे नमो नमः । • चन्द्रादित्यजटाधारि चन्द्रबिम्बे ...

"या कुन्देन्दु तुषारहारधवला" वंदना अर्थ सहित

Ya kundendu tushar har dhavala meaning in hindi आज समस्त संसार में जो ज्ञान का प्रकाश दिखाई दे रहा हैं. वह माँ सरस्वती द्वारा दिए गए ज्ञान का ही प्रकाश हैं. माँ सरस्वती बुद्धि ज्ञान की प्रकाशक हैं. सांसारिक मोहमाया दुःखोत्पादक हैं. इसीलिए उतम बुद्धि प्राप्त करने के लिए माँ सरस्वती की आराधना करें जिससे संसार में स्वर्ग प्राप्ति हो सके. या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता सा मां पातु सरस्वती भगवती नि:शेषजाड्यापहा (श्लोक 1) जो परमेश्वरी भगवती शारदा कुंदपुष्प, चंद्र और बर्फ के हार के समान श्वेत है और श्वेत वस्त्रों से सुशोभित हो रही है जिसके हाथों में वीणा का श्रेष्ठ दंड सुशोभित है. जो श्वेत कमल पर विराजमान है जिसकी स्तुति सदा ब्रह्मा विष्णु और महेश द्वारा की जाती है. वह परमेश्वरी समस्त दुर्मति को दूर करने वाली माँ सरस्वती मेरी रक्षा करें. आशासु राशीभवदंगवल्ली भासैव दासीकृतदुग्धसिन्धुम् मन्दस्मितैर्निन्दितशारदेन्दुं वन्देSरविन्दासनसुन्दरि त्वाम् (श्लोक 2) जिनके शरीर की कांति समस्त दिशाओं में बिखरती है, अपनी छवि से जिसने शिव सागर को भी अपना दास बना लिया है. मंद मुस्कान से जिसने शरद ऋतु के चंद्रमा को भी फीका कर दिया है. ऐसी श्वेत कमल के आसन पर विराजमान हे सुंदरी सरस्वती मैं आप की वंदना करता हूं. शारदा शारदाम्भोजवदना वदनाम्बुजे सर्वदा सर्वदास्माकं सन्निधिं क्रियात् (श्लोक 3) शरद ऋतु के कमल के समान मुख वाली परमेश्वरी शारदा देवी मेरे मुखमंडल मैं हमेशा हमेशा निवास करें. सरस्वतीं च तां नौमि वागधिष्ठातृदेवताम् देवत्वं प्रतिपद्यन्ते यदनुग्रहतो जना: (श्लोक 4) वाणी की देवी मां सरस्वती को मैं...

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