सरयूपारीण ब्राह्मण गोत्र लिस्ट

  1. 🛕 ब्राह्मण गोत्र लिस्ट
  2. @VedantS369: शांडिल्य गोत्र सरयूपारीण ब्रह्मण
  3. राधे राधे: ब्राह्मण वंशावली
  4. @VedantS369: सरयूपारीण ब्राह्मण
  5. गोत्र कितने होते है, गोत्र के नाम (Gotra List in Hindi), गोत्र कैसे जाने


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🛕 ब्राह्मण गोत्र लिस्ट

नमश्कार brahmin gotra list in hindi इस आर्टिकल में आज हम brahmin gotra की पूरी लिस्ट पढने वाले है. दोस्तों ब्राह्मणः का अर्थ वह व्यक्ति होता है. जो ब्रह्म (ईश्वर या परम ज्ञान) का जानकर हो. सामान्य भाषा में ब्राह्मण का मूल अर्थ है “ईश्वर का ज्ञाता”. यह था ब्राह्मण शब्द का अर्थ अब gotra के विषय में बात करते है. शुरुवात में brahmin gotra की कुल संख्या 108 थी . लेकिन बादमे इनकी छोटी-छोटी 7 शाखाएं और बन गई है. इसलिए अब brahmin gotra कुल संख्या 115 हो गई है. brahmin gotra list in hindi 3.3 हमारे ब्लॉग पर और भी महत्वपूर्ण आर्टिकल पढ़े ब्राह्मण गोत्र लिस्ट – brahmin gotra list in hindi 1. अत्रि गोत्र 2. भृगुगोत्र 3. आंगिरस गोत्र 4. मुद्गल गोत्र 5. पातंजलि गोत्र 6. कौशिक गोत्र 7. मरीच गोत्र 8. च्यवन गोत्र 9. पुलह गोत्र 10. आष्टिषेण गोत्र 11. उत्पत्ति शाखा 12. गौतम गोत्र 13. वशिष्ठ और संतान (क) पर वशिष्ठ गोत्र (ख)अपर वशिष्ठ गोत्र (ग) उत्तर वशिष्ठ गोत्र (घ) पूर्व वशिष्ठ गोत्र (ड) दिवा वशिष्ठ गोत्र 14. वात्स्यायन गोत्र 15. बुधायन गोत्र 16. माध्यन्दिनी गोत्र 17. अज गोत्र 18. वामदेव गोत्र 19. शांकृत्य गोत्र 20. आप्लवान गोत्र 21. सौकालीन गोत्र 22. सोपायन गोत्र 23. गर्ग गोत्र 24. सोपर्णि गोत्र 25. शाखा 26. मैत्रेय गोत्र 27. पराशर गोत्र 28. अंगिरा गोत्र 29. क्रतु गोत्र 30. अधमर्षण गोत्र यह भी पढ़े – ब्राह्मण गोत्र लिस्ट – brahmin gotra list in hindi 31. बुधायन गोत्र 32. आष्टायन कौशिक गोत्र 33. अग्निवेष भारद्वाज गोत्र 34. कौण्डिन्य गोत्र 35. मित्रवरुण गोत्र 36. कपिल गोत्र 37. शक्ति गोत्र 38. पौलस्त्य गोत्र 39. दक्ष गोत्र 40. सांख्यायन कौशिक गोत्र 41. जमदग्नि गोत्र 42. कृष्णात्रेय गोत्र 43. भा...

@VedantS369: शांडिल्य गोत्र सरयूपारीण ब्रह्मण

शांडिल्यगोत्रसरयूपारीणब्रह्मण | Shandilya Gotra Saryuparin Brahman मंगलवार, 17 मार्च 2015 विवाहआदिसंस्कारोंमेंऔरसाधारणतयासभीधार्मिककामोंमेंगोत्रप्रवरऔरशाखाआदिकीआवश्यकताहुआकरतीहै।इसीलिएउनसभीकासंक्षिप्तविवरणआवश्यकहैं।समानगोत्रप्रवरकीकन्याकेसाथविवाहकरनेसेजोसंतानहोतीहैवहचाण्डालश्रेणीमेंगिनीजानीचाहिए।जैसाकियमस्मृतिकावचनहैंकि: आरूढपतितापत्यंब्राह्मण्यांयश्‍चशूद्रज:।सगोत्रोढासुतश्‍चैवचाण्डालास्त्रायईरिता:॥‘संन्यासीकापुत्र, ब्राह्मणीस्त्रीसेशूद्रकापुत्रऔरसमानगोत्रवालीकन्यासेविवाहकरकेजन्मायापुत्र, येतीनोंचाण्डालकहातेहैं’परदेखतेहैंकिसभीदेशोंकेब्राह्मणआदिसमाजोंमेंऐसाबहुधाहोताहै।यहाँतककिबहुतोंकोतोगोत्रकाज्ञानभीनहींहोता।प्रवर, शाखाआदिकीबातहीदूररहे।औरविवाहगोत्रभिन्नरहनेपरभीयदिप्रवरोंकीएकताहोजावेतोभीनहींहोनाचाहिए।गोत्रनामहैकुल, संतति, वंश, वर्गका।यद्यपिपाणिनीयसूत्रोंकेअनुसार 'अपत्यंपौत्राप्रभृतिगोत्रम्' 4-1-162, पौत्राआदिवंशजोंकोगोत्रकहतेहैं।तथापिवहसिर्फव्याकरणकेलिएसंकेतहै।इसीप्रकारयद्यपिवंशयासंततिकोहीगोत्रकहतेहैंतथापिविवाहआदिमेंजिसगोत्रकाविचारहैवहभीसांकेतिकहीहैऔरसिर्फविश्‍वामित्रा, जमदग्नि, भरद्वाज, गौतम, अत्रि, वसिष्ठ, कश्यपऔरअगस्त्य, इनआठऋषियोंयाइनकेवंशजऋषियोंकीहीगोत्रसंज्ञाहै।जैसाकिबोधयनकेमहाप्रवराध्यायमेंलिखाहैकि : विश्‍वामित्रोजमदग्निर्भरद्वाजोऽथगौतम:।अत्रिवर्सष्ठि: कश्यपइत्येतेसप्तर्षय:॥सप्तानामृषी- णामगस्त्याष्टमानांयदपत्यंतदोत्रामित्युच्यते॥इसतरहआठऋषियोंकीवंश-परम्परामेंजितनेऋषि (वेदमन्त्रद्रष्टा) आगएवेसभीगोत्रकहलातेहैं।औरआजकलब्राह्मणोंमेंजितनेगोत्रमिलतेहैंवहउन्हींकेअन्तर्गतहै।सिर्फभृगु, अंगिराकेवंशवालेहीउनकेसिवायऔरहैंजिनऋषियोंकेनामसेभीगोत्रव्यवहारहोताहै।इसप्रकारकुलदसऋषिमूलमेंहै।...

राधे राधे: ब्राह्मण वंशावली

सरयूपारीण ब्राहमणों के मुख्य गाँव : गर्ग (शुक्ल- वंश) गर्ग ऋषि के तेरह लडके बताये जाते है जिन्हें गर्ग गोत्रीय, पंच प्रवरीय, शुक्ल बंशज कहा जाता है जो तेरह गांवों में बिभक्त हों गये थे| गांवों के नाम कुछ इस प्रकार है| (१) मामखोर (२) खखाइज खोर (३) भेंडी (४) बकरूआं (५) अकोलियाँ (६) भरवलियाँ (७) कनइल (८) मोढीफेकरा (९) मल्हीयन (१०) महसों (११) महुलियार (१२) बुद्धहट (१३) इसमे चार गाँव का नाम आता है लखनौरा, मुंजीयड, भांदी, और नौवागाँव| ये सारे गाँव लगभग गोरखपुर, देवरियां और बस्ती में आज भी पाए जाते हैं| उपगर्ग (शुक्ल-वंश) उपगर्ग के छ: गाँव जो गर्ग ऋषि के अनुकरणीय थे कुछ इस प्रकार से हैं| बरवां (२) चांदां (३) पिछौरां (४) कड़जहीं (५) सेदापार (६) दिक्षापार यही मूलत: गाँव है जहाँ से शुक्ल बंश का उदय माना जाता है यहीं से लोग अन्यत्र भी जाकर शुक्लबंश का उत्थान कर रहें हैं यें सभी सरयूपारीण ब्राह्मण हैं| गौतम (मिश्र-वंश) गौतम ऋषि के छ: पुत्र बताये जातें हैं जो इन छ: गांवों के वाशी थे| (१) चंचाई (२) मधुबनी (३) चंपा (४) चंपारण (५) विडरा (६) भटीयारी इन्ही छ: गांवों से गौतम गोत्रीय, त्रिप्रवरीय मिश्र वंश का उदय हुआ है, यहीं से अन्यत्र भी पलायन हुआ है ये सभी सरयूपारीण ब्राह्मण हैं| उप गौतम (मिश्र-वंश) उप गौतम यानि गौतम के अनुकारक छ: गाँव इस प्रकार से हैं| (१) कालीडीहा (२) बहुडीह (३) वालेडीहा (४) भभयां (५) पतनाड़े (६) कपीसा इन गांवों से उप गौतम की उत्पत्ति मानी जाति है| वत्स गोत्र ( मिश्र- वंश) वत्स ऋषि के नौ पुत्र माने जाते हैं जो इन नौ गांवों में निवास करते थे| (१) गाना (२) पयासी (३) हरियैया (४) नगहरा (५) अघइला (६) सेखुई (७) पीडहरा (८) राढ़ी (९) मकहडा बताया जाता है की इनके वहा पांति का प्रच...

@VedantS369: सरयूपारीण ब्राह्मण

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गोत्र कितने होते है, गोत्र के नाम (Gotra List in Hindi), गोत्र कैसे जाने

गोत्र कितने होते है, गोत्र के नाम (Gotra List in Hindi), गोत्र कैसे जाने, Gotra का अर्थ – गोत्र जन्म के समय किसी हिंदू को दिया गया वंश होता है। ज्यादातर मामलों में, सिस्टम पितृसत्तात्मक है और जो सौंपा गया है, वह व्यक्ति के पिता का है। एक व्यक्ति अपने वंश की पहचान करने के लिए एक अलग गोत्र या गोत्र के संयोजन का फैसला कर सकता है। उदाहरण के लिए भगवान राम सूर्य वंश थे, जिन्हें रघु वंश के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि भगवान राम के परदादा रघु प्रसिद्ध हुए। गोत्र कितने होते है (गोत्र के नाम) गोत्र, सख्त हिंदू परंपरा के अनुसार, शब्द का उपयोग केवल ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य परिवारों के वंश के लिए किया जाता है। गोत्र का सीधा संबंध वेदों के मूल सात या आठ ऋषियों से है। एक सामान्य गलती है कि गोत्र को पंथ या कुल का पर्याय माना जाता है। कुल मूल रूप से समान अनुष्ठानों का पालन करने वाले लोगों का एक समूह है, अक्सर एक ही भगवान (कुल-देवता – पंथ के देवता) की पूजा करते हैं। कुल का वंश या जाति से कोई संबंध नहीं है। वास्तव में, किसी के कुल को बदलना संभव है, वह उसकी आस्था या ईष्ट देवता के आधार पर। विवाह को मंजूरी देने से पहले दूल्हा और दुल्हन के कुल-गोत्र अर्थात पंथ-कबीले के बारे में पूछताछ करना हिंदू विवाह में आम बात है। लगभग सभी हिंदू परिवारों में एक ही गोत्र के भीतर विवाह निषिद्ध हैं। लेकिन कुल के भीतर शादी की अनुमति है और यहां तक ​​कि पसंद भी की जाती है। शब्द “गोत्र” का अर्थ संस्कृत में “वंश” है, क्योंकि दिए गए नाम पारंपरिक व्यवसाय, निवास स्थान या अन्य महत्वपूर्ण पारिवारिक विशेषताओं को दर्शाते हैं जो कि गोत्र के बजाय हो सकते हैं। हालांकि यह कुछ हद तक एक परिवार के नाम के समान है...