सत्ता की साझेदारी में नियंत्रण और संतुलन की व्यवस्था क्या है

  1. HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 1 सत्ता की साझेदारी – Haryana Board Solutions
  2. सत्ता की साझेदारी क्लास 10 नागरिक शास्त्र समाज शास्त्र
  3. सत्ता की साझेदारी Class 10th Political Science Chapter 1. Solution
  4. [Solved] सत्ता के बंटवारे के किस रूप में हम नियंत्रण और
  5. 01: सत्ता की साझेदारी / Loktrantik Rajneeti


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HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 1 सत्ता की साझेदारी – Haryana Board Solutions

Haryana State Board Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 1 सत्ता की साझेदारी HBSE 10th Class Civics सत्ता की साझेदारी Textbook Questions and Answers Class 10 Social Science Chapter 1 Satta Ki Sajhedari HBSE प्रश्न 1. आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अलग-अलग तरीके क्या हैं? इनमें से प्रत्येक का एक उदाहरण भी दें। उनर- आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अनेक तरीकों में निम्नलिखित का उल्लेख किया जा सकता है: • सत्ता का सरकार के विभिन्न अंगों द्वारा प्रयोग किया जाना-सरकार के तीन अंगों-विधानपालिका कार्यपालिका व न्यायपालिका-में सत्ता की बाँट सत्ता की साझेदारी का एक तरीका है: विधानपालिका कानून बनाती है, कार्यपालिका उन कानूनों को कार्य रूप देती है तथा न्यायपालिका कानूनों की अवहेलना करने वालों को दण्ड देती है। प्रायः सभी लोकतांत्रिक देशों में ऐसी व्यवस्था पायी जाती है। • सत्ता को सरकार की किन्हीं इकाईयों में बाँट-सत्ता का कुछ भाग केन्द्रीय सरकार के पास तथा दूसरा भाग प्रान्तीय सरकारों को देने की व्यवस्था सत्ता की साझेदारी का एक अन्य तरीका है। संघीय राष्ट्रों जैसे भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका आदि देशों में सत्ता की बाँट की ऐसी ही व्यवस्था है। • सत्ता को विभिन्न सामाजिक समूहों में बँटवारा-संविध नि द्वारा सत्ता को समाज के विभिन्न समूहों में बाँटने की व्यवस्था सत्ता के साझेदारी का एक अन्य तरीका है। बेल्जियम में केन्द्रीय सरकार के मन्त्रियों में आधे मंत्री फ्रेंच-भाषायी व आधे मंत्री डच-भाषायी मंत्री हैं। • सत्ता को कुछेक दलों व समूहों व आन्दोलनों में बाँटना-जब किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी राजनीतिक दल को सरकार बनाने ...

सत्ता की साझेदारी क्लास 10 नागरिक शास्त्र समाज शास्त्र

सत्ता की साझेदारी सत्ता की साझेदारी ऐसी शासन व्यवस्था होती है जिसमें समाज के प्रत्येक समूह और समुदाय की भागीदारी होती है। सत्ता की साझेदारी ही लोकतंत्र का मूलमंत्र है। लोकतांत्रिक सरकार में प्रत्येक नागरिक की हिस्सेदारी होती है, जो भागीदारी के द्वारा संभव हो पाती है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में नागरिकों के पास इस बात का अधिकार रहता है कि शासन के तरीकों के बारे में उनसे सलाह ली जाये। भारत में सत्ता की साझेदारी हमारे देश में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था है। इसलिए भारत के नागरिक प्रत्यक्ष मताधिकार का प्रयोग करके अपने प्रतिनिधि का चुनाव करते हैं। उसके बाद चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा एक सरकार का चुनाव किया जाता है। फिर चुनी हुई सरकार अपने विभिन्न कर्तव्यों का पालन करती है, जैसे रोजमर्रा का शासन चलाना, नये नियम बनाना, पुराने नियमों का संशोधन करना, आदि। लोकतंत्र में जनता ही हर तरह की राजनैतिक शक्ति का स्रोत होती है। यह लोकतंत्र का एक मूलभूत सिद्धांत है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में लोग स्वराज की संस्थाओं द्वारा अपने आप पर शासन करते हैं। ऐसी व्यवस्था में समाज के विभिन्न समूहों और मतों को उचित सम्मान मिलता है। जन नीतियों का निर्माण करते समय हर नागरिक की आवाज सुनी जाती है। इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि राजनैतिक सत्ता का बँटवारा संभवत: अधिक से अधिक नागरिकों के बीच हो। सत्ता की साझेदारी की आवश्यकता • समाज में सौहार्द्र और शांति बनाये रखने के लिये • बहुसंख्यक के आतंक से बचने के लिये • लोकतंत्र की आत्मा का सम्मान रखने के लिये ऊपर दिये गये पहले दो कारण हैं, समझदारी भरे कारण, और अंतिम कारण है सत्ता की साझेदारी का नैतिक कारण। सत्ता की साझेदारी के रूप: शासन के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता का...

सत्ता की साझेदारी Class 10th Political Science Chapter 1. Solution

सत्ताकीसाझेदारी Class 10th Political Science Chapter 1. Solution NCERT Solutions For Class 10th Political Science Chapter-1 सत्ताकीसाझेदारी–कक्षा 10 केछात्रोंकेलिएयहांपरएनसीईआरटीसमाधानकक्षा 10 राजनीतिविज्ञानअध्याय1 सत्ताकीसाझेदारीकापूरासलूशनदियागयाहै।यहसलूशनएकसरलभाषामेंदियागयाहैताकिविद्यार्थीकोइसकेप्रश्नउत्तरआसानीसेसमझमेंआजाएँ .जोभीइतिहासविषयमेंअच्छेअंकप्राप्तकरनाचाहतेहैउन्हेंयहांपरपहलेअध्यायकापूराहलमिलजायेगा।जिससेकीछात्रोंकोतैयारीकरनेमेंकिसीभीमुश्किलकासामनानकरनापड़े।इसपोस्टपर NCERT BOOK केअध्याय 1 सत्ताकीसाझेदारीकापूराहलप्राप्तकरसकतेहै। पाठ्यपुस्तकप्रश्नोत्तर प्रश्न 1. आधुनिकलोकतांत्रिकव्यवस्थाओंमेंसत्ताकीसाझेदारीकेअलग-अलगतरीकेक्याहैं? इनमेंसेप्रत्येककाएकउदाहरणभीदें। उत्तर- (क )सरकारविभिन्नअंगोंकेबीचसत्ताकीसाझेदारी: उदाहरण: विधायिकाऔरकार्यपालिकाकेबीचसत्ताकीसाझेदारी। (ख) सरकारकेविभिन्नस्तरोंमेंसत्ताकीसाझेदारी: उदाहरण: केंद्रऔरराज्यसरकारोंकेबीचसत्ताकीसाझेदारी। (ग) सामाजिकसमूहोंकेबीचसत्ताकीसाझेदारी: उदाहरण: सरकारीनौकरियोंमेंपिछड़ावर्ग, अनुसूचितजातिऔरअनुसूचितजनजातिकेलियेआरक्षण। (घ) दबावसमूहोंकेबीचसत्ताकीसाझेदारी: नयेश्रमकानूनकेनिर्माणकेसमयट्रेडयूनियनकेरिप्रेजेंटेटिवसेसलाहलेना। प्रश्न 2. भारतीयसंदर्भमेंसत्ताकीहिस्सेदारीकाएकउदाहरणदेतेहुएइसकाएकयुक्तिपरकऔरएकनैतिककारणबताएँ। उत्तर (क) युक्तिपरककारण (Prudential Reason): भारतएकघनीआबादीवालादेशहै।पूरेदेशकेलिएएकहीसरकारकेद्वाराकानूनबनाना, शांतितथाव्यवस्थाबनानासंभवनहींहै।इसलिएसरकारकोविभिन्नस्तरोंमेंबाँटदियागयाहैऔरउनकेबीचकार्योंकाबँटवारासंविधानमेंलिखितरूपसेकरदियागयाहै, जिससेयेसरकारेंबिनाझगड़ेदेशकेलोगोंकेहितोंकोध्यानमेंरखकरशासनकरसकें। (ख) नै...

[Solved] सत्ता के बंटवारे के किस रूप में हम नियंत्रण और

आधुनिक लोकतंत्रों में, सत्ता के बंटवारे की व्यवस्था कई रूप ले सकती है। सत्ता को सरकार के विभिन्न अंगों जैसे विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच साझा किया जाता है, अधिकार का क्षैतिज वितरण कहा जाता है। • क्योंकि यह एक ही स्तर पर रखे गए सरकार के विभिन्न अंगों को विभिन्न अधिकारका प्रयोग करने की अनुमति देता है। • ऐसा अलगाव सुनिश्चित करता है कि कोई भी अंग असीमित अधिकार का प्रयोग नहीं कर सकता है। • इस प्रणाली को चेक और बैलेंस की प्रणाली के रूप में भी जाना जाता है। • प्रत्येक अंग दूसरे की जाँच करता है। इसके परिणामस्वरूप विभिन्न संस्थानों के बीच अधिकार संतुलन होता है। इस प्रकार, सत्ता के बंटवारे के क्षैतिज रूप में , हम नियंत्रण और संतुलन की प्रणाली की व्यवस्था पाते हैं।

01: सत्ता की साझेदारी / Loktrantik Rajneeti

इस अध्याय के साथ हम लोकतंत्र की उस यात्रा को आगे बढ़ाएँगे जो पिछले साल शुरू हुई थी। पिछले साल हमने देखा था कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में सारी ताकत किसी एक अंग तक सीमित नहीं होती। विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच पूरी समझ के साथ सत्ता को विकेंद्रित कर देना लोकतंत्र के कामकाज के लिए बहुत ज़रूरी है। पहले तीन अध्यायों में हम सत्ता के बँटवारे पर सोच-विचार को आगे बढ़ाएँगे। आइए, हम बेल्जियम और श्रीलंका की दो कथाओं के साथ शुरुआत करते हैं। ये दोनों घटनाएँ बताती हैं कि विभिन्न लोकतांत्रिक शासन पद्धतियाँ सत्ता के बँटवारे की माँग से किस तरह निपटती हैं। इन घटनाओं से यह समझने में कुछ मदद मिलेगी कि आखिर लोकतंत्र में सत्ता के बँटवारे की ज़रूरत क्यों होती है। इससे हम सत्ता के बँटवारे के उन रूपों पर बातचीत कर सकेंगे जिनकी चर्चा अगले दो अध्यायों में की गई है। बेल्जियम और श्रीलंका बेल्जियम यूरोप का एक छोटा-सा देश है, क्षेत्रफल में हमारे हरियाणा राज्य से भी छोटा। इसकी सीमाएँ फ्रांस, नीदरलैंड, जर्मनी और लक्समबर्ग से लगती हैं। इसकी आबादी एक करोड़ से थोड़ी अधिक है यानी हरियाणा की आबादी से करीब आधी। इस छोटे से देश के समाज की जातीय बुनावट बहुत जटिल है। देश की कुल आबादी का 59 फ़ीसदी हिस्सा फ्लेमिश इलाके में रहता है और डच बोलता है। शेष 40 फ़ीसदी लोग वेलोनिया क्षेत्र में रहते हैं और प्रेंηच बोलते हैं। शेष एक फ़ीसदी लोग जर्मन बोलते हैं। राजधानी ब्रूसेल्स के 80 फ़ीसदी लोग प्रेंचबोलते हैं और 20 फ़ीसदी लोग डच भाषा। मेरे दिमाग में सीधा सा स मीकरण यह है कि सत्ता का बँटवारा = सत्ता के टुकड़े करना = देश को कमज़ोर करना। हम इस बात से शुरु आत क्यों कर रहे हैं? अल्पसंख्यक प्रेंच-भाषी लोग तुलनात्मक रूप से ज़्यादा समृ द...