सत्ता टॉप

  1. UPSC Result 2022: सिविल सेवा परीक्षा का रिजल्ट जारी,इशिता टॉपर, लिस्ट यहां देखें. Civil Services Exam Result Released, Ishita Topper, Check List Here
  2. इमरान बनाम मिल्रिटी टॉप ब्रास: रोमांस खत्म, अब जंग के हालात
  3. चुनाव की प्लानिंग तो सिर्फ भाजपा को आती है, बाकी पार्टियां पुराने ढर्रों पर


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UPSC Result 2022: सिविल सेवा परीक्षा का रिजल्ट जारी,इशिता टॉपर, लिस्ट यहां देखें. Civil Services Exam Result Released, Ishita Topper, Check List Here

बता दें कि UPSC CSE प्रारंभिक परीक्षा (Pre) 5 जून, 2022 को आयोजित की गई थी और परीक्षा के परिणाम 22 जून को जारी किए गए थे. मुख्य परीक्षा (Mains) 16 से 25 सितंबर 2022 तक आयोजित की गई थी और परिणाम 6 दिसंबर को घोषित किए गए थे. इसके बाद इंटरव्यू 18 मई को समाप्त हुए थे. 2021 में भी टॉप 3 में लड़कियों का था कब्जा पिछले साल श्रुति शर्मा ने UPSC CSE 2021 के अंतिम परिणाम में टॉप किया था. पिछले साल भी टॉप तीन रैंक पर लड़कियों ने कब्जा किया था. अंकिता अग्रवाल ने एआईआर 2 और चंडीगढ़ की गामिनी सिंगला ने तीसरा स्थान हासिल किया था.

इमरान बनाम मिल्रिटी टॉप ब्रास: रोमांस खत्म, अब जंग के हालात

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को 2018 में सत्ता में आने से पहले देश के शक्तिशाली सैन्य प्रतिष्ठान द्वारा प्यार, समर्थन और प्रोत्साहन मिला। हालांकि, खान और उनकी सरकार के सत्ता से हटने के बाद सेना का समर्थन उनको बंद हो गया। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख को अब सेना का जवाबी हमले का सामना करना पड़ रहा है। सेना के साथ उनके मधुर संबंध अब कट्टर प्रतिद्वंदिता में बदलते जा रहे हैं। खान की नौ मई को इस्लामाबाद से गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थकों व पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने हिंसक विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला, तोड़फोड़ और लूटपाट करके अपना गुस्सा व्यक्त किया। इस पर सेना अपने नए प्रमुख जनरल असीम मुनीर के नेतृत्व में बदला लेने का फैसला किया। सेना ने न केवल पीटीआई के राजनीतिक अस्तित्व को कुचल कर, बल्कि देश में गृह युद्ध थोपने की धमकियों, जनरल मुनीर और अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के खिलाफ खुले आरोपों, उनके सत्ता-विरोधी रवैए को भी गंभीरता से लिया। खान सोचते हैं कि देश की सेना को चुनौती देना और निशाना बनाना, भविष्य के राजनीतिक लाभ के लिए एक विकल्प हो सकता है। खान का राजनीतिक भविष्य कठिन होता जा रहा है, क्योंकि उनके शीर्ष पार्टी के नेता उनसे अलग हो रहे हैं, उन्हें अलग-थलग कर दिया गया है और लाहौर में उनके जमान पार्क निवास की दीवारों के पीछे सीमित कर दिया गया है। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक तलत हुसैन ने कहा, जिस तरह से उनके शीर्ष पार्टी नेतृत्व ने पार्टी छोड़ दी है और गिरफ्तारी और जेल के दबाव के आगे झुक गए हैं, ऐसा लगता है कि इमरान खान के लिए भविष्य की पटकथा लिखी जा चुकी है। उनका राजनीतिक कब्रिस्तान ...

चुनाव की प्लानिंग तो सिर्फ भाजपा को आती है, बाकी पार्टियां पुराने ढर्रों पर

पार्टी का काडर लगभग यही था, उसके सदस्य और कर्ता-धर्ता भी वही थे, लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सही मायने में स्थापना या गठन तो छह अप्रैल 1980 को ही हुई। तब अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी ने इस पार्टी को गढ़ा था। कहा जा सकता है कि अन्य पार्टियों के मुक़ाबले भाजपा का इतिहास ज़्यादा लम्बा नहीं है। भले ही शुरुआत में संसद में उसके दो ही सदस्य हुआ करते थे लेकिन जो ग्रोथ उसने पाई है, वह अपने आप में एक मिसाल है। चुनाव जीतने और उसकी प्लानिंग के जो नए - नए तरीक़े भाजपा लाती है, वे बड़े कमाल के होते हैं। अकाट्य और यूनीक भी। पेज प्रमुख या पन्ना प्रमुख के उसके आइडिया का अब तक किसी के पास कोई तोड़ नहीं है। पन्ना प्रमुख का यह आइडिया हर हाल में काम करता है। यह पूरी तरह से टेस्टेड भी है। केवल कर्नाटक के परिणामों के नज़रिए से इसे नहीं देखना चाहिए। कई राज्यों के अनेक चुनावों में पन्ना प्रमुखों ने भाजपा की जीत निश्चित की है और सत्ता भी दिलाई है। अब मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में चुनाव होने वाले हैं तो भाजपा एक और नया तरीक़ा खोज लाई है। नरेन्द्र मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में भाजपा अब महा सम्पर्क अभियान चला रही है। इसमें नया तरीक़ा यह है कि इस अभियान के तहत नए मतदाताओं का सम्मान किया जा रहा है। नए मतदाता यानी वे जिनकी उम्र अगले चुनाव में पहली बार वोट देने के लायक हो रही है। अब सोचिए, पहली बार जब वे वोट देने जाएँगे तो क्या अपने इस सार्वजनिक सम्मान को भूल पाएँगे? नहीं। तो फिर वोट तो उन्हें भाजपा को ही देना है। … और वे देंगे भी। दूसरी पार्टियाँ चाहे जो भी कर रही हों, लेकिन इस तरह के यूनीक आइडिया की उनके पास कमी तो है। अन्य राजनीतिक दलों को चाहिए कि अगर उन्हे...