स्टार 444 मूंग का बीज

  1. मूंग बीज पर हरियाणा सरकार दे रही 75% सब्सिडी, जानिए कितने समय में करवाना होगा पंजीकरण, moong farming in haryana government subsidy on moong cultivation
  2. बॉम्बे सुपर बॉम्बे सुपर वैभव मूंग (1 किलो) बीज
  3. Moong Varieties: अपने क्षेत्र के मुताबिक उचित किस्म से करें मूंग की बुवाई, कम समय में पाएं बंपर उत्पादन
  4. ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती का सही समय, बढ़िया उत्पादन के लिए बीजोपचार के बाद ही करें बुवाई
  5. बॉम्बे सुपर बॉम्बे सुपर वैभव मूंग (1 किलो) बीज
  6. Moong Varieties: अपने क्षेत्र के मुताबिक उचित किस्म से करें मूंग की बुवाई, कम समय में पाएं बंपर उत्पादन
  7. ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती का सही समय, बढ़िया उत्पादन के लिए बीजोपचार के बाद ही करें बुवाई
  8. मूंग बीज पर हरियाणा सरकार दे रही 75% सब्सिडी, जानिए कितने समय में करवाना होगा पंजीकरण, moong farming in haryana government subsidy on moong cultivation


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मूंग बीज पर हरियाणा सरकार दे रही 75% सब्सिडी, जानिए कितने समय में करवाना होगा पंजीकरण, moong farming in haryana government subsidy on moong cultivation

मूंग की खेती पर हरियाणा में 75 प्रतिशत सब्सिडी करनाल: कुछ ही समय बाद किसानों की गेहूं की कटाई शुरू हो जाएगी. धान की रोपाई तक किसानों के पास 2 महीने होते हैं. ऐसे में किसान इन 2 महीनों के दौरान ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल लगाकर आंतरिक आमदनी ले सकते हैं. वहीं, अगर बात करें ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती पर नाममात्र खर्च आता है और एक एकड़ से करीब 40 हजार की मूंग निकल जाती है. जो मूंग का पौधा बच जाता है, वह ग्रीन कंपोस्ट के रूप में खेत में मिला दिया जाता है. जो अगली फसल किसान को लगानी है. इसमें फर्टिलाइजर कम डलता है. ऐसे में किसान की और भी आमदनी हो जाती है. क्योंकि मूंग की खाद से कई प्रकार के न्यूट्रिशन मिट्टी को मिलते हैं. जिसके कारण खेत की मिट्टी की सेहत में सुधार होता है. मूंग फसल पर सब्सिडी: कृषि अधिकारी डॉ. करमचंद ने बताया कि ग्रीष्मकालीन मूंग का एरिया बढ़ाने के लिए विभाग ने जिला के किसानों को 75 प्रतिशत अनुदान पर 06 हजार एकड़ क्षेत्र की बिजाई के लिए 600 क्विंटल ग्रीष्मकालीन मूंग के बीज का वितरण किया जाना है. किसानों को हरियाणा बीज विकास निगम के केंद्रों के बिक्री केंद्रों के माध्यम से बीज वितरित किया जाएगा. इसके साथ ही 25 प्रतिशत राशि किसान को बीज खरीदते समय जमा करवानी होगी. ग्रीष्मकालीन मूंग का बीज प्राप्त करने के लिए किसानों को कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की वेबसाइट पर जाकर किसान को पंजीकरण करवाना होगा. हरियाणा में मूंग फसल पर सब्सिडी. जानिए कितने समय में करवाना होगा पंजीकरण: उन्होंने बताया कि पंजीकरण 10 अप्रैल तक लक्ष्य प्राप्त होने तक जारी रहेगा. किसानों को बीज देने के बाद विभागीय कमेटी इनका भौतिक सत्यापन करेगी कि क्या किसान ने बीज का उपयोग सही तरीके से किया है या नहीं. उन्ह...

बॉम्बे सुपर बॉम्बे सुपर वैभव मूंग (1 किलो) बीज

उत्पाद की विशेषताएं उपज का रंग रंग - चमकदार हरा उत्पादन (किलो/एकड़ 700-900 किग्रा बीज दर 6-8 किग्रा/एकड़ बुवाई की विधि ड्रिलिंग (बीजाई) बुवाई का मौसम मौसम - खरीफ, गर्मी बुवाई की दूरी पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेंटीमीटर, पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर ! अतिरिक्त जानकारी उच्च उपज किस्म, विशेष टिप्पणी यहां दी गई जानकारी केवल संदर्भ के लिए है और विशेष रूप से मिट्टी के प्रकार और जलवायु परिस्थितियों पर निर्भर करती है। हमेशा उत्पाद लेबल और उपयोग के लिए पूर्ण उत्पाद विवरण और निर्देशों के लिए पत्रक के साथ देखें। फसल अवधि 65-70 दिन बुवाई की गहराई 1 सेमी से कम अनाज प्रति फली 14-16 बीज

Moong Varieties: अपने क्षेत्र के मुताबिक उचित किस्म से करें मूंग की बुवाई, कम समय में पाएं बंपर उत्पादन

• Home • Moong Varieties: अपने क्षेत्र के मुताबिक उचित किस्म से करें मूंग की बुवाई, कम समय में पाएं बंपर उत्पादन मूंग की खेती (moong cultivation) भारत के कई राज्यों में की जाती है. प्रमुख दलहनी फसलों के तहत मूंग का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है. इसमें उत्तर प्रदेश के साथ उत्तराखंड, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, पंजाब भी शामिल हैं. हर किसान चाहता है कि उसे फसल का बेहतर उत्पादन मिले जिससे उसकी आय में बढ़ोतरी हो सके. खेती में अच्छा मुनाफा पाने के लिए किसानों को जहां जलवायु, तापमान, बुवाई, सिंचाई पर ध्यान देना जरूरी है, वहीं किस्मों पर भी. जी हां, खेतीबाड़ी के तहत बुवाई कार्य में अगर किसान सही किस्म का चुनाव करते हैं तो, उन्हें न केवल फसल उत्पादन (crop production) ज्यादा मिलेगा, बल्कि उनकी लागत भी कम लगेगी. इसी कड़ी में आज हम आपको मूंग की खेती में बुवाई के लिए बेहतर किस्मों की जानकारी देने वाले हैं. साथ ही आपको यह भी बताएंगे कि आपको अपने क्षेत्र के मुताबिक मूंग की बुवाई किस किस्म से करनी चाहिए. खेती में अच्छा मुनाफा पाने के लिए किसानों को जहां जलवायु, तापमान, बुवाई, सिंचाई पर ध्यान देना जरूरी है, वहीं किस्मों पर भी. जी हां, खेतीबाड़ी के तहत बुवाई कार्य में अगर किसान सही किस्म का चुनाव करते हैं तो, उन्हें न केवल फसल उत्पादन (crop production) ज्यादा मिलेगा, बल्कि उनकी लागत भी कम लगेगी. इसी कड़ी में आज हम आपको मूंग की खेती में बुवाई के लिए बेहतर किस्मों की जानकारी देने वाले हैं. साथ ही आपको यह भी बताएंगे कि आपको अपने क्षेत्र के मुताबिक मूंग की बुवाई किस किस्म से करनी चाहिए. क्षेत्र के मुताबिक मूंग की किस्में (Varieties of Moong according t...

मूंग

उड़द एवं मूंग, भारत में पुरानी और कम समय में कम लागत में उगाई जाने वाली फसल है। इनकी खेती लगभग सभी राज्यों में की जाती है। इस समय खरीफ़ की उड़द एवं मूंग की फसलें खेतों में खड़ी होंगी। इन फसलों पर कई रोगों और हानिकारक कीटों का प्रकोप होता है। इन रोगों और हानिकारक कीटों की सही पहचान करके उचित समय पर नियंत्रण कर लिया जाये तो, उपज का काफ़ी भाग नष्ट होने से बचाया जा सकता है। उड़द एवं मूंग के प्रमुख रोगों एवं हानिकारक कीटों के नियंत्रण पर कृषि विज्ञान केन्द्र आजमगढ़ के पौध सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. रूद्र प्रताप सिंह ने किसान ऑफ़ इंडिया को विस्तार से जानकारी दी। फली छेदक कीट नियंत्रण उपाय पौध सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. रूद्र प्रताप सिंह ने बताया कि उड़द और मूंग के हानिकारक कीटों में फली छेदक कीट सबसे हानिकारक कीट है। इसकी सुंडियां पहले उड़द एवं मूंग की पत्तियों को खाती हैं। बाद में जैसे ही फलियां बनना शुरू होती हैं, तो फलियों को भेदकर उनके विकसित हो रहे दाने को खा जाती हैं। उन्होंने बताया कि फली छेदक कीट की रोकथाम के लिए 5 फेरोमेन ट्रैप प्रति हेक्टेयर लगाने चाहिए। इसके अलावा, चिड़ियों के रहने के लिए 60-70 डंडियां प्रति हेक्टेयर लगानी चाहिए। इसका फ़ायदा ये होगा कि चिड़ियां इन कीटों को अपने आहार के रूप में खाती हैं। इस कीट के जैविक नियंत्रण के लिए नीम आधारित उत्पादों जैसे-नीम बाण, नीम गोल्ड, अचूक, निमिन आदि की 3 से 4 मिलीलीटर मात्रा को प्रति लीटर पानी या नीम बीज सत की 5 मिलीलीटर मात्रा को प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। फली छेदक कीट के रासायनिक नियंत्रण के लिए इण्डाक्साकार्व 15.8 फ़ीसदी ई.सी. की एक मिलीलीटर दवा का प्रति लीटर पानी या स्पाइनोसैड 45 प्रतिशत एस.पी. की 1 मिलीलीटर दवा ...

ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती का सही समय, बढ़िया उत्पादन के लिए बीजोपचार के बाद ही करें बुवाई

किसान इस समय गर्मी यानी जायद में बोई जाने वाली मूंग की बुवाई कर सकते हैं। मूंग जैसी दलहनी फसलों की बुवाई से यह फायदा होता है कि यह खेत में नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाती हैं, जिससे दूसरी फसलों से भी बढ़िया उत्पादन मिलता है। मूंग की फसल के लिए ज्यादा बारिश नुकसानदायक होती है, ऐसे क्षेत्र जहां पर 60-75 सेमी तक वार्षिक बारिश होती है, मूंग की खेती वहां के लिए उपयुक्त होती है। मूंग की फसल के लिए गर्म जलवायु की जरूरत पड़ती है। मूंग की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में सफलतापूर्वक की जाती है, लेकिन मध्यम दोमट, मटियार भूमि समुचित जल निकास वाली, जिसका पीएच मान 7-8 हो इसके लिए उत्तम होती है। ऐसे करें खेत की तैयारी खेत की पहली जुताई हैरो या मिट्टी पलटने वाले रिज़र हल से करनी चाहिए। इसके बाद दो-तीन जुताई कल्टीवेटर से करके खेत को अच्छी तरह भुरभरा बना लेना चहिए। आखिरी जुताई में लेवलर लगाना अति जरूरी है, इससे खेत में नमी लम्बे समय तक संरक्षित रहती है। दीमक से ग्रसित भूमि को फसल की सुरक्षा के लिए क्यूनालफास 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से अंतिम जुताई से पहले खेत में बिखेर दें और उसके बाद जुताई कर उसे मिट्टी में मिला दें। मूंग की इन किस्मों की करें बुवाई पूसा वैसाखी - फसल अवधि 60-70 दिन , पौधे अर्ध फैले वाले, फलियाँ लम्बी , उपज 8-10 क्विंटल/ हैक्टेयर मोहिनी - फसल अवधि 70-75 दिन, उपज 10-12 क्विंटल/ हैक्टेयर पीला मोजैक वायरस व सर्कोस्पोरा लीफ स्पोट रोग के प्रति सहनशील। पन्त मूंग 1 : - फसल अवधि 75 दिन ( खरीफ ) तथा 65 (जायद ) दिन , उपज क्षमता 10-12 क्विंटल/ हैक्टेयर एमएल 1 : - फसल अवधि 90 दिन , बीज छोटा व हरे रंग का , उपज क्षमता 8-12 क्विंटल/ हैक्टेयर। वर्षा - यह अगेती किस्म है ...

बॉम्बे सुपर बॉम्बे सुपर वैभव मूंग (1 किलो) बीज

उत्पाद की विशेषताएं उपज का रंग रंग - चमकदार हरा उत्पादन (किलो/एकड़ 700-900 किग्रा बीज दर 6-8 किग्रा/एकड़ बुवाई की विधि ड्रिलिंग (बीजाई) बुवाई का मौसम मौसम - खरीफ, गर्मी बुवाई की दूरी पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेंटीमीटर, पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर ! अतिरिक्त जानकारी उच्च उपज किस्म, विशेष टिप्पणी यहां दी गई जानकारी केवल संदर्भ के लिए है और विशेष रूप से मिट्टी के प्रकार और जलवायु परिस्थितियों पर निर्भर करती है। हमेशा उत्पाद लेबल और उपयोग के लिए पूर्ण उत्पाद विवरण और निर्देशों के लिए पत्रक के साथ देखें। फसल अवधि 65-70 दिन बुवाई की गहराई 1 सेमी से कम अनाज प्रति फली 14-16 बीज

मूंग

उड़द एवं मूंग, भारत में पुरानी और कम समय में कम लागत में उगाई जाने वाली फसल है। इनकी खेती लगभग सभी राज्यों में की जाती है। इस समय खरीफ़ की उड़द एवं मूंग की फसलें खेतों में खड़ी होंगी। इन फसलों पर कई रोगों और हानिकारक कीटों का प्रकोप होता है। इन रोगों और हानिकारक कीटों की सही पहचान करके उचित समय पर नियंत्रण कर लिया जाये तो, उपज का काफ़ी भाग नष्ट होने से बचाया जा सकता है। उड़द एवं मूंग के प्रमुख रोगों एवं हानिकारक कीटों के नियंत्रण पर कृषि विज्ञान केन्द्र आजमगढ़ के पौध सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. रूद्र प्रताप सिंह ने किसान ऑफ़ इंडिया को विस्तार से जानकारी दी। फली छेदक कीट नियंत्रण उपाय पौध सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. रूद्र प्रताप सिंह ने बताया कि उड़द और मूंग के हानिकारक कीटों में फली छेदक कीट सबसे हानिकारक कीट है। इसकी सुंडियां पहले उड़द एवं मूंग की पत्तियों को खाती हैं। बाद में जैसे ही फलियां बनना शुरू होती हैं, तो फलियों को भेदकर उनके विकसित हो रहे दाने को खा जाती हैं। उन्होंने बताया कि फली छेदक कीट की रोकथाम के लिए 5 फेरोमेन ट्रैप प्रति हेक्टेयर लगाने चाहिए। इसके अलावा, चिड़ियों के रहने के लिए 60-70 डंडियां प्रति हेक्टेयर लगानी चाहिए। इसका फ़ायदा ये होगा कि चिड़ियां इन कीटों को अपने आहार के रूप में खाती हैं। इस कीट के जैविक नियंत्रण के लिए नीम आधारित उत्पादों जैसे-नीम बाण, नीम गोल्ड, अचूक, निमिन आदि की 3 से 4 मिलीलीटर मात्रा को प्रति लीटर पानी या नीम बीज सत की 5 मिलीलीटर मात्रा को प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। फली छेदक कीट के रासायनिक नियंत्रण के लिए इण्डाक्साकार्व 15.8 फ़ीसदी ई.सी. की एक मिलीलीटर दवा का प्रति लीटर पानी या स्पाइनोसैड 45 प्रतिशत एस.पी. की 1 मिलीलीटर दवा ...

Moong Varieties: अपने क्षेत्र के मुताबिक उचित किस्म से करें मूंग की बुवाई, कम समय में पाएं बंपर उत्पादन

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ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती का सही समय, बढ़िया उत्पादन के लिए बीजोपचार के बाद ही करें बुवाई

किसान इस समय गर्मी यानी जायद में बोई जाने वाली मूंग की बुवाई कर सकते हैं। मूंग जैसी दलहनी फसलों की बुवाई से यह फायदा होता है कि यह खेत में नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाती हैं, जिससे दूसरी फसलों से भी बढ़िया उत्पादन मिलता है। मूंग की फसल के लिए ज्यादा बारिश नुकसानदायक होती है, ऐसे क्षेत्र जहां पर 60-75 सेमी तक वार्षिक बारिश होती है, मूंग की खेती वहां के लिए उपयुक्त होती है। मूंग की फसल के लिए गर्म जलवायु की जरूरत पड़ती है। मूंग की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में सफलतापूर्वक की जाती है, लेकिन मध्यम दोमट, मटियार भूमि समुचित जल निकास वाली, जिसका पीएच मान 7-8 हो इसके लिए उत्तम होती है। ऐसे करें खेत की तैयारी खेत की पहली जुताई हैरो या मिट्टी पलटने वाले रिज़र हल से करनी चाहिए। इसके बाद दो-तीन जुताई कल्टीवेटर से करके खेत को अच्छी तरह भुरभरा बना लेना चहिए। आखिरी जुताई में लेवलर लगाना अति जरूरी है, इससे खेत में नमी लम्बे समय तक संरक्षित रहती है। दीमक से ग्रसित भूमि को फसल की सुरक्षा के लिए क्यूनालफास 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से अंतिम जुताई से पहले खेत में बिखेर दें और उसके बाद जुताई कर उसे मिट्टी में मिला दें। मूंग की इन किस्मों की करें बुवाई पूसा वैसाखी - फसल अवधि 60-70 दिन , पौधे अर्ध फैले वाले, फलियाँ लम्बी , उपज 8-10 क्विंटल/ हैक्टेयर मोहिनी - फसल अवधि 70-75 दिन, उपज 10-12 क्विंटल/ हैक्टेयर पीला मोजैक वायरस व सर्कोस्पोरा लीफ स्पोट रोग के प्रति सहनशील। पन्त मूंग 1 : - फसल अवधि 75 दिन ( खरीफ ) तथा 65 (जायद ) दिन , उपज क्षमता 10-12 क्विंटल/ हैक्टेयर एमएल 1 : - फसल अवधि 90 दिन , बीज छोटा व हरे रंग का , उपज क्षमता 8-12 क्विंटल/ हैक्टेयर। वर्षा - यह अगेती किस्म है ...

मूंग बीज पर हरियाणा सरकार दे रही 75% सब्सिडी, जानिए कितने समय में करवाना होगा पंजीकरण, moong farming in haryana government subsidy on moong cultivation

मूंग की खेती पर हरियाणा में 75 प्रतिशत सब्सिडी करनाल: कुछ ही समय बाद किसानों की गेहूं की कटाई शुरू हो जाएगी. धान की रोपाई तक किसानों के पास 2 महीने होते हैं. ऐसे में किसान इन 2 महीनों के दौरान ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल लगाकर आंतरिक आमदनी ले सकते हैं. वहीं, अगर बात करें ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती पर नाममात्र खर्च आता है और एक एकड़ से करीब 40 हजार की मूंग निकल जाती है. जो मूंग का पौधा बच जाता है, वह ग्रीन कंपोस्ट के रूप में खेत में मिला दिया जाता है. जो अगली फसल किसान को लगानी है. इसमें फर्टिलाइजर कम डलता है. ऐसे में किसान की और भी आमदनी हो जाती है. क्योंकि मूंग की खाद से कई प्रकार के न्यूट्रिशन मिट्टी को मिलते हैं. जिसके कारण खेत की मिट्टी की सेहत में सुधार होता है. मूंग फसल पर सब्सिडी: कृषि अधिकारी डॉ. करमचंद ने बताया कि ग्रीष्मकालीन मूंग का एरिया बढ़ाने के लिए विभाग ने जिला के किसानों को 75 प्रतिशत अनुदान पर 06 हजार एकड़ क्षेत्र की बिजाई के लिए 600 क्विंटल ग्रीष्मकालीन मूंग के बीज का वितरण किया जाना है. किसानों को हरियाणा बीज विकास निगम के केंद्रों के बिक्री केंद्रों के माध्यम से बीज वितरित किया जाएगा. इसके साथ ही 25 प्रतिशत राशि किसान को बीज खरीदते समय जमा करवानी होगी. ग्रीष्मकालीन मूंग का बीज प्राप्त करने के लिए किसानों को कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की वेबसाइट पर जाकर किसान को पंजीकरण करवाना होगा. हरियाणा में मूंग फसल पर सब्सिडी. जानिए कितने समय में करवाना होगा पंजीकरण: उन्होंने बताया कि पंजीकरण 10 अप्रैल तक लक्ष्य प्राप्त होने तक जारी रहेगा. किसानों को बीज देने के बाद विभागीय कमेटी इनका भौतिक सत्यापन करेगी कि क्या किसान ने बीज का उपयोग सही तरीके से किया है या नहीं. उन्ह...