सत्य नारायण व्रत कथा pdf

  1. [कथा & आरती] सत्यनारायण व्रत कथा Satyanarayan Katha PDF in Hindi
  2. 2011
  3. सत्यनारायण भगवान की व्रत कथा
  4. Satyanarayan vrat katha in english pdf
  5. Satyanarayan Vrat Katha
  6. [PDF] सत्यनारायण व्रत कथा के सारे अध्याय
  7. Satyanarayan Vrat Katha – सत्यनारायणाची कथा PDF Marathi – InstaPDF


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[कथा & आरती] सत्यनारायण व्रत कथा Satyanarayan Katha PDF in Hindi

आप कथा को सुन भी सकते है | नीचे Youtube विडियो का लिंक दिया गया है | कथा व आरती को PDF में डाउनलोड करने का लिंक नीचे दिया गया है | Satyanarayan Katha PDF प्रथम अध्याय सत्यनारायण व्रत कथा का पूरा सन्दर्भ यह है कि पुराकालमें शौनकादिऋषि नैमिषारण्य स्थित महर्षि सूत के आश्रम पर पहुँचे। ऋषिगण महर्षि सूत से प्रश्न करते हैं कि लौकिक कष्टमुक्ति, सांसारिक सुख समृद्धि एवं पारलौकिक लक्ष्य की सिद्धि के लिए सरल उपाय क्या है? महर्षि सूत शौनकादिऋषियों को बताते हैं कि ऐसा ही प्रश्न नारद जी ने भगवान विष्णु से किया था। भगवान विष्णु ने नारद जी को बताया कि लौकिक क्लेशमुक्ति, सांसारिक सुखसमृद्धि एवं पारलौकिक लक्ष्य सिद्धि के लिए एक ही राजमार्ग है, वह है सत्यनारायण व्रत। सत्यनारायण का अर्थ है सत्याचरण, सत्याग्रह, सत्यनिष्ठा। संसार में सुखसमृद्धि की प्राप्ति सत्याचरणद्वारा ही संभव है। सत्य ही ईश्वर है। सत्याचरण का अर्थ है ईश्वराराधन, भगवत्पूजा। कथा का प्रारम्भ सूत जी द्वारा कथा सुनाने से होता है। नारद जी भगवान श्रीविष्णु के पास जाकर उनकी स्तुति करते हैं। स्तुति सुनने के अनन्तर भगवान श्रीविष्णु जी ने नारद जी से कहा- महाभाग! आप किस प्रयोजन से यहाँ आये हैं, आपके मन में क्या है? कहिये, वह सब कुछ मैं आपको बताउँगा। नारद जी बोले – भगवन! मृत्युलोक में अपने पापकर्मों के द्वारा विभिन्न योनियों में उत्पन्न सभी लोग बहुत प्रकार के क्लेशों से दुखी हो रहे हैं। हे नाथ! किस लघु उपाय से उनके कष्टों का निवारण हो सकेगा, यदि आपकी मेरे ऊपर कृपा हो तो वह सब मैं सुनना चाहता हूँ। उसे बतायें। श्री भगवान ने कहा – हे वत्स! संसार के ऊपर अनुग्रह करने की इच्छा से आपने बहुत अच्छी बात पूछी है। जिस व्रत के करने से प्राणी मोह से म...

2011

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सत्यनारायण भगवान की व्रत कथा

Table of Contents • • • • • • • • • • एक बार नेमिषा रन्य में तपस्या करते हुए शौनकादि ऋषियों ने सूत! जी से पूछा की जिसके करने से मनुष्य मनोवांछित फल प्राप्त कर सकता है ऐसा व्रत या तप कौन सा है सूत! जी ने कहा की एक बार श्री प्राचीन काल में काशीपुरी में एक अति निर्धन और दरिद्र ब्राह्मण रहता था वह भूख प्यास से व्याकुल हो भटकता रहता था एक दिन उसकी दशा से व्यतीत होकर ब्राह्मण अपने मन में श्री सत्य नारायण जी के व्रत का निश्चय करके घर लोट आया और इसी चिंता में उसे रात भर नींद नहीं आयी सवेरा होते ही वह सत्य नारायण भगवान के व्रत का संकल्प करके भिक्षा मांगने के लिए चल दिया| उस दिन उसे थोड़ी सी मेह्नत में ही अधिक धन भिक्षा में प्राप्त हुआ सायंकाल घर पहुँच कर उसने बड़ी श्रद्धा के साथ श्री सत्यनारायण भगवान का विधि पूर्वक पूजन किया भगवान सत्यनारायण की कृपा से वह थोड़े ही दिनों में धनवान हो गया| वह जब तक जीवित रहा हर महीने वह सत्यनारायण भगवान का व्रत और पूजन करता रहा मृत्यु होने के बाद वह विष्णु लोक को प्राप्त हुआ सूत जी पुनः बोले की एक दिन वह ब्राह्मण अपने बंधू बांधो के साथ बैठे ध्यान मगन हो श्री सत्यनारायण भगवान की कथा सुन रहा था| तभी भूख प्यास से व्याकुल एक लकड़हारा वहाँ जा पहुंचा वह भी भूख प्यास से व्याकुल कथा सुनने के लिए बैठ गया कथा की समाप्ति कर उसने प्रशाद ग्रहण किया और जल पिया फिर उसने ब्राह्मण से इस कथा के बारे में पूछा और उसने बताया यह सत्य नारायण भगवान का व्रत है जो मनोवांछित फल देने वाला है पहले मैं बहुत दरिद्र था| इस व्रत के प्रभाव से मुझे यह सब वैभव प्राप्त हुआ यह सुनकर लकडहार बहुत प्रसन हुआ और मन ही मन श्री सत्यनारायण भगवान के व्रत और पूजन का निश्चय करता हुआ लकड़ी बेचने बाजार की...

Satyanarayan vrat katha in english pdf

March 18, 2023 By Comments Satyanarayan vrat katha in english pdf Among the kathas that are prevalent in India, ‘Shri Satyanarayan Vrat Katha’ is the most popular. Satyanarayana vrat is the easiest and most inexpensive way of self-purification and self-surrender at the lotus feet of Hari. One who observes it with full devotion and faith is sure to attain his heart’s desire. Our shastras state that during the ‘Kalyug,’ the fruit that one gets by hearing the 13/08/2018 · સત્યનારાયણ ભગવાન ની વ્રત કથા ગુજરાતી| Satyanarayan Vrat Katha Gujarati| Indian Festivals – Duration: 56:27. SatyaNarayan Katha In English Story of Shri Satyanarayan Swamiji Chapter 1: Once upon a time while travelling the three worlds, Yogiraj Narad Muni reached Mrityulok(Planet Earth), he saw the human beings suffering immensely. He visited the abode of Lord Vishnu, who alone can relieve the mankind from the sufferings. There he met the Almighty Lord Vishnu with four arms having Shankha, Chakra 26/04/2012 · Hindi Book- Vrat Katha.pdf Shri Satyanarayan Vrat Katha (English font) – Shri Satyanarayan Vrat KathaPoojan Samagrikele ke khambeykalashpaanch Ratanchawaldhooppushpo ki maalaang … Thousand Names of Vishnu and Satyanarayan Vrat (ISBN 1-877795-51-8) by Swami Satyananda Saraswati, Devi Mandir. External links. Annavaram Devasthanam Official site for Annavaram Devastanam; Sri Satya Narayan Katha & Vidhi Sri Satyanarayan Puja Vidhi and Katha.(Hindi) 04/12/2015 · Mesmerizing bhajan’s and Satyanarayan Katha in E...

Satyanarayan Vrat Katha

सत्य स्वरुप भगवान विष्णुजी की कथा विश्व के हिन्दू धर्म में मानने वाले लोगो में सबसे प्रचलित है। इस कथा में भगवान सत्यनारायण का व्रत के साथ पुंजन किया जाता है। सत्यनराय कथा (Satyanarayan vrat katha) मनुष्य के उद्धार के लिए है। सांसारिक जीवन में सुख शांति से लेकर मोक्ष प्राप्ति के परम सुख की प्राप्ति होती है। दीर्धदृष्टि से देखा जाये तो ये संसार सत्य पर ही टिका हुआ है। सत्य ही मानवजीवन का उत्तम धर्म है। सत्य ही मानव जीवन का ज्ञान है। सत्य ही नारायण है और नारायण ही सत्य है। सत्य के ऊपर न कोई धर्म है या न कोई कर्म। सत्य के उस पार सिर्फ अंधेरा है। 1.2.1 सत्यनारायण पूजा के लिये सामग्री- श्री सत्यनारायण कथा – Satyanaratan katha in Hindi श्री हरी सत्यनारायण का व्रत धर्म और ज्ञान का समन्वय है। ये व्रत स्वयं भगवान नारायण ने अपने मुखारविंद से महर्षि नारदजी को बताया था। सनातन हिन्दू धर्म में ये परम्परा है की, किसी भी योग्य काम करने से पहले विग्नहर्ता गणेश का पूंजन किया जाता है। गणपति गजानन के साथ उनकी पत्नी रिद्धि सिद्धि का भी पूंजन किया जाता है। इसीलिए कथा शरू करने से पहले विग्न हर्ता गणेश का पूजन करना चाहिए। जो ब्राह्मण हमें कथा सुनाते अक्षर वो विधिवत ही पूंजन करते है। कथा श्रवण के समय श्रोता जनो को भगवन सत्यनारायण का ध्यान लगाना चाहिए। सत्यनारायण कथा पहला अध्याय – Satyanarayan Vrat Katha First Chapter एक बार ऋषिमुनियों ने महर्षि सूत से पूछा, है प्रभु इस कलयुग में वेद, विद्या और ज्ञान रहित मानव को प्रभु भक्ति किस तरह मिल सकती है ? मनुष्य को सुख समृद्धि और ऐश्वर्य कैसे मिल सकता है ? पृथ्वीलोक से पर परलोक में आत्मा को सदगति मिले ऐसा कोई सरल उपाय बताईये। कोई ऐसा व्रत कोई ऐसा तप बताईये ...

[PDF] सत्यनारायण व्रत कथा के सारे अध्याय

श्री सत्यनारायण व्रत कथा पहला अध्याय श्रीव्यास जी ने कहा – एक समय नैमिषारण्य तीर्थ में शौनक आदि सभी ऋषियों तथा मुनियों ने पुराणशास्त्र के वेत्ता श्रीसूत जी महाराज से पूछा – महामुने! किस व्रत अथवा तपस्या से मनोवांछित फल प्राप्त होता है, उसे हम सब सुनना चाहते हैं, आप कहें। श्री सूतजी बोले – इसी प्रकार देवर्षि नारदजी के द्वारा भी पूछे जाने पर भगवान कमलापति ने उनसे जैसा कहा था, उसे कह रहा हूं, आप लोग सावधान होकर सुनें। एक समय योगी नारदजी लोगों के कल्याण की कामना से विविध लोकों में भ्रमण करते हुए मृत्युलोक में आये और यहां उन्होंने अपने कर्मफल के अनुसार नाना योनियों में उत्पन्न सभी प्राणियों को अनेक प्रकार के क्लेश दुख भोगते हुए देखा तथा ‘किस उपाय से इनके दुखों का सुनिश्चित रूप से नाश हो सकता है’, ऐसा मन में विचार करके वे विष्णुलोक गये। वहां चार भुजाओं वाले शंख, चक्र, गदा, पद्म तथा वनमाला से विभूषित शुक्लवर्ण भगवान श्री नारायण का दर्शन कर उन देवाधिदेव की वे स्तुति करने लगे। नारद जी बोले – हे वाणी और मन से परे स्वरूप वाले, अनन्तशक्तिसम्पन्न, आदि-मध्य और अन्त से रहित, निर्गुण और सकल कल्याणमय गुणगणों से सम्पन्न, स्थावर-जंगमात्मक निखिल सृष्टिप्रपंच के कारणभूत तथा भक्तों की पीड़ा नष्ट करने वाले परमात्मन! आपको नमस्कार है। स्तुति सुनने के अनन्तर भगवान श्रीविष्णु जी ने नारद जी से कहा- महाभाग! आप किस प्रयोजन से यहां आये हैं, आपके मन में क्या है? कहिये, वह सब कुछ मैं आपको बताउंगा। नारद जी बोले – भगवन! मृत्युलोक में अपने पापकर्मों के द्वारा विभिन्न योनियों में उत्पन्न सभी लोग बहुत प्रकार के क्लेशों से दुखी हो रहे हैं। हे नाथ! किस लघु उपाय से उनके कष्टों का निवारण हो सकेगा, यदि आपकी मेरे ऊप...

Satyanarayan Vrat Katha – सत्यनारायणाची कथा PDF Marathi – InstaPDF

Satyanarayan Vrat Katha - सत्यनारायणाची कथा PDF in Marathi read online or download for free from the link given at the bottom of this article. सत्यनारायण भगवान की कथा का पाठ करने से घर के ढुक दूर हो जाते है और इस कथा को एकादशी या पूर्णिमा के दिन किया जाता है। सत्यनारायण कथा हिंदू धर्मों के बीच सबसे प्रतिष्ठित व्रत कथा के रूप में भगवान विष्णु के सत्य स्वरूप की जाती है। श्री सत्यनारायण कथा के दिन लोग व्रत रख कर सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान सत्यनारायण का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेते है। भगवान की पूजा कई रूपों में की जाती है, उनमें से उनका सत्यनारायण स्वरूप इस कथा में बताया गया है। इसके मूल पाठ में पाठांतर से लगभग 170 श्लोक संस्कृत भाषा में उपलब्ध है जो पाँच अध्यायों में बँटे हुए हैं। इस कथा के दो प्रमुख विषय हैं- जिनमें एक है संकल्प को भूलना और दूसरा है प्रसाद का अपमान। Satyanarayan Vrat Katha Marathi व्रत कथा के अलग-अलग अध्यायों में छोटी कहानियों के माध्यम से बताया गया है कि सत्य का पालन न करने पर किस तरह की परेशानियाँ आती है। इसलिए जीवन में सत्य व्रत का पालन पूरी निष्ठा और सुदृढ़ता के साथ करना चाहिए। ऐसा न करने पर भगवान न केवल नाराज होते हैं अपितु दंड (दण्ड) स्वरूप संपत्ति (सम्पत्ति) और बंधु (बन्धु) बांधवों (बान्धवों) के सुख से वंचित भी कर देते हैं। इस अर्थ में यह कथा लोक में सच्चाई की प्रतिष्ठा का लोकप्रिय और सर्वमान्य धार्मिक साहित्य हैं। प्रायः पूर्णमासी को इस कथा का परिवार में वाचन किया जाता है। अन्य पर्वों पर भी इस कथा को विधि विधान से करने का निर्देश दिया गया है।[1] इनकी पूजा में केले के पत्ते व फल के अलावा पंचामृत, पंचगव्य, सुपारी, पान, तिल, मोली, रोली,...