सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 12 साल से ज्यादा जमीन पर कब्जा करने पर होगा मालिकाना हक

  1. जमीन पर कब्जा कानून की जानकरी
  2. 1316349
  3. सुप्रीम कोर्ट का फैसला: 12 साल से कब्जा करने पर होगा मालिकाना हक – BhuCare
  4. Possession of House
  5. Supreme Court verdict taking possession of gifted land is like accepting it
  6. सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला: 12 साल तक जिसका कब्जा, उसकी संपत्ति!
  7. कृषि ज्ञान
  8. जमीन पर कब्जा कानून की जानकरी
  9. Possession of House
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जमीन पर कब्जा कानून की जानकरी

जमीन पर कब्जा कानून की जानकारी / अवैध कब्जे से बचने के उपाय –कुछ लोग किसी की जमीन या संपति पर अवैध रूप से कब्जा कर लेते हैं. कोई व्यक्ति अगर किसी दुसरे व्यक्ति की जमीन पर मालिक की सहमति के बीना कब्ज़ा कर लेते हैं. तो यह संपति या जमीन का अवैध रूप से कब्ज़ा माना जाता हैं. कुछ लोग किराये पर मकान, जमीन या संपति लेकर कुछ दिन बाद प्रोपर्टी पर कब्ज़ा कर लेते हैं. आज के समय में काफी लोग अवैध रूप से जमीन पर कब्ज़ा कर लेते हैं. अगर आप भी इस टॉपिक से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारी पाना चाहते हैं. तो हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े. दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से जमीन पर कब्जा कानून के बारे में बताने वाले हैं. तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं. झूठे धारा 376 के आरोप में बचाव के उपाय / धारा 376 क्या है सुप्रीम कोर्ट का यह भी कहना है की अगर किसी व्यक्ति ने 12 वर्ष से किसी जमीन पर अवैध रूप से कब्ज़ा कर रखा है. तो उस जमीन के क़ानूनी मालिक के पास भी उसे हटाने का अधिकार नहीं रहता हैं. ऐसी स्थिति में अवैध रूप से कब्ज़ा करने वाले व्यक्ति को उस जमीन का क़ानूनी अधिकारी तथा मालिकाना हक मिल जाएगा. अवैध रूप से कब्ज़ा करने पर 12 वर्ष के बाद मालिकाना हक समाप्त हो जाएगा सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है की अगर किसी व्यक्ति ने 12 वर्ष से जमीन पर कब्ज़ा कर रखा है. तो उस जमीन का क़ानूनी मालिक भी उसे हटा नहीं सकता हैं. अगर क़ानूनी मालिक कब्ज़ा करने वाले व्यक्ति पर जबर्दस्ती करके हटाने का प्रयास करता हैं. सड़क सुरक्षा एवं यातायात के नियम / सड़क सुरक्षा के लाभ व रख – रखाव तो कब्ज़ा करने वाला व्यक्ति असली मालिक के खिलाफ कोर्ट में याचिका भी दर्ज कर सकता हैं. और अपनी जमीन...

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अगर वास्तविक या वैध मालिक अपनी अचल संपत्ति को दूसरे के कब्जे से वापस पाने के लिए 12 साल के अंदर कदम नहीं उठा पाएंगे, तो उनका मालिकाना हक समाप्त हो जाएगा और उस अचल संपत्ति पर जिसने 12 साल तक कब्जा कर रखा है, उसी को कानूनी तौर पर मालिकाना हक दे दिया जाएगा. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में एक बड़ा फैसला दिया है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को इस दायरे में नहीं रखा जाएगा. इसका मतलब यह कि सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे को कभी भी कानूनी मान्यता नहीं मिल सकती है. कब्जाधारी व्यक्ति का दावा सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि कब्जाधारी व्यक्ति उस जमीन या संपत्ति का अधिकार लेने का दावा कर सकता है, जो 12साल या उससे अधिक समय से बिना किसी व्यवधान के उसके कब्जे में है. यही नहीं, शीर्ष अदालत ने यह भी कहा है कि अगर ऐसे व्यक्ति को इस जमीन से बेदखल किया जा रहा है तो वह कानूनी सहायता भी ले सकता है. कब्जे के दिन से शुरू होती है मियाद लिमिटेशन एक्ट 1963 के तहत निजी अचल संपत्ति पर लिमिटेशन (परिसीमन) की वैधानिक अवधि 12 साल जबकि सरकारी अचल संपत्ति के मामले में 30 वर्ष है. यह मियाद कब्जे के दिन से शुरू होती है. सुप्रीम कोर्ट के जजों जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने इस कानून के प्रावधानों की व्याख्या करते हुए कहा कि कानून उस व्यक्ति के साथ है जिसने अचल संपत्ति पर 12 वर्षों से अधिक समय से कब्जा कर रखा है. अगर 12 वर्ष बाद उसे वहां से हटाया गया, तो उसके पास संपत्ति पर दोबारा अधिकार पाने के लिए कानून की शरण में जाने का अधिकार है. 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने दिया था यह फैसला गौरतलब है कि इससे पहले 2...

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: 12 साल से कब्जा करने पर होगा मालिकाना हक – BhuCare

सुप्रीम कोर्ट ने जमीन या मकान के मालिकाना हक को लेकर किया बड़ा फैसला सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: 12 साल से ज्यादा जमीन या मकान पर कब्जा करने पर होगा मालिकाना हक सुप्रीम कोर्ट ने जमीन या मकान के मालिकाना हक को लेकर किया बड़ा फैसला। सुप्रीम कोर्ट के नए नियम के तहर अगर जमीन का असली मालिक अपनी ज़मीन दुसरे के कब्जे से वापस पाने के किए। समय सीमा के अंदर यदि कोई कदम नहीं उठाते। तो वो अपने मालिकाना हक खो सकता है। ओर जिसने 12 वर्षो तक जमीन पर कब्जा जमा रखा है। उसे कानूनी तौर पर उस ज़मीन का मालिकाना हक दे दिया जायेगा। अगर आपकी जमीन किसी के कब्जे में है तो आप देरी मत कीजिए। • • • • लिमिटेंशन एक्ट 1963 के तहत निजी संपति पर वैधानिक समय 12 साल की ओर सरकारी संपत्ति के मामले मे 30 बर्ष की है। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एम अब्दुल नजीर,जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने इस कानून के प्रावधानों की व्याख्या करते हुए कहा कि कानून उस व्यक्ति के साथ जिसने 12 वर्ष से जायदा उस संपति पर कब्ज़ा कर रखा है। अगर 12 बर्ष तक उस संपति पर कब्जा करने के बाद भी उसे संपति से हटाया गया तो उसे अपने अधिकार के लिए कानून के शरण में जानें का हक है। यह भी देखें ⇒ रिसेल प्रॉपर्टी खरीदते समय ये डॉक्यूमेंट चेक करें सुप्रीम कोर्ट के फैसले में स्पष्ट किया गया है कि अगर किसी ने 12 वर्ष तक अवैध कब्जा जारी रखा और उसके बाद उसने कानून के तहत मालिकाना हक प्राप्त कर लिया तो उसे असली मालिक भी नहीं हटा सकता है। अगर उससे जबर्दस्ती कब्जा हटवाया गया तो वह असली मालिक के खिलाफ भी केस कर सकता है और उसे वापस पाने का दावा कर सकता है क्योंकि असली मालिक 12 वर्ष के बाद अपना मालिकाना हक खो चुका होता है।

Possession of House

HR Breaking News, Digital Desk- किराए पर घर दे रहे मकान मालिको को सुप्रीम कोर्ट ने झटका देते हुए बड़ा फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के अनुसार अगर आपकी वास्तविक या वैध मालिक अपनी अचल संपत्ति को दूसरे के कब्जे से वापस पाने के लिए समयसीमा के अंदर कदम नहीं उठा पाएंगे तो उनका मालिकाना हक समाप्त हो जाएगा और उस अचल संपत्ति पर जिसने कब्जा कर रखा है, उसी को कानूनी तौर पर मालिकाना हक दे दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से राजधानी के लोगों ने अपनी- अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। किरायेदारों में तो खुशी है पर मकान मालिकों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर दुख जताया है। गोमतीनगर निवासी रजत सिंह बताते हैं कि इस फैसले से मकान मालिकों को सतर्क होना पड़ेगा। फैसले से सीख लेते हुए अपना मकान किराए पर देने से पहले मकान मालिक को रेंट एग्रीमेंट, हाउड रेंट बिल, रेंट जैसी कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि उनके मकान में रहने वाला किरायेदार मकान पर कब्जे को लेकर कोई दावा न कर सकें। उन्होंने कहा कि अचल संपत्ति पर किसी ने कब्जा जमा लिया है तो उसे वहां से हटाने में लेट लतीफी नहीं करें। ऐसी स्थिति में अवैध कब्जे वाले को ही कानूनी अधिकार, मालिकाना हक मिल जाएगा। हमारे विचार से इसका परिणाम यह होगा कि एक बार अधिकार (राइट), मालिकाना हक (टाइटल) या हिस्सा (इंट्रेस्ट) मिल जाने पर उसे वादी कानून के अनुच्छेद 65 के दायरे में तलवार की तरह इस्तेमाल कर सकता है, वहीं प्रतिवादी के लिए यह एक सुरक्षा कवच होगा। अगर किसी व्यक्ति ने कानून के तहत अवैध कब्जे को भी कानूनी कब्जे में तब्दील कर लिया तो जबर्दस्ती हटाए जाने पर वह कानून की मदद ले सकता है।' HR Breaking News Network – A digital news platform t...

Supreme Court verdict taking possession of gifted land is like accepting it

जस्टिस एन वी रमन्ना कि पीठ ने फैसले में राजस्थान हाई कोर्ट का निर्णय पलट दिया, जिसने उपहार को इस बिना पर खारिज कर दिया कि इसे लेने वाले ने इसे स्वीकार किया है, इसका कोई सबूत नहीं है। पीठ ने अपने फैसले में कहा कि उपहार स्वीकार कर लिया गया है, इसका अनुमान इस बात से लगता है कि उसने संपत्ति का कब्जा ले लिया है या स्वयं गिफ्ट डीड ही उसके कब्जे में है। संपत्ति स्थानांतरण एक्ट,1882 की धारा 122 के अनुसार गिफ्ट डीड के कानूनी होने की शर्तें यह है कि यह बिना किसी पैसे लिए की गई हो और पूरी तरह से स्वैच्छिक हो। इस तरह से संपति देने से दानकर्ता का पूरी तरह संपत्ति पर अपना मालिकाना हक छोड़ना है। उपहार लेने वाला देने वाले के जीवनकाल में इस संपत्ति को कभी भी स्वीकार कर सकता है। वहीं अचल संपत्ति स्थानांतरण के बारे में धारा 123 कहती है कि यह स्थानांतरण रजिस्टर्ड डीड पर होगा, जिसमें दानकर्ता के हस्ताक्षर हों और साथ में काम से काम दो गवाहों के भी हस्ताक्षर हों। कोर्ट ने कहा कि धारा 122 यह कहीं नहीं बताती कि उपहार कैसे स्वीकार कर लिया माना जाएगा, न ही स्वीकार करने का कोई विशेष तरीका परिभाषित करती है। कोर्ट ने कहा कि उपहार मंजूर करना इससे माना जा सकता है कि लेने वाले ने संपत्ति पर कब्जा ले लिया। या गिफ्ट डीड उसने दान करने वाले से अपने कब्जे में ले ली है। उपहार के प्रभावी होने की एक ही जरूरत है और वह यह कि इसे दान देने वाले के जीवनकाल में ही स्वीकार करना होगा। यह है पूरा मामला : याचिकाकर्ता ने राजस्थान कृषि भूमि सीलिंग एक्ट,1973 की कार्यवाही को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने कहा कि इस पर धारा 6 की कार्यवाही लागू नहीं होगी, क्योंकि भूमि उपहार के जरिए पुत्र को स्थानांतरित की गई ह...

सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला: 12 साल तक जिसका कब्जा, उसकी संपत्ति!

अक्सर हम कई वजहों से अपनी जमीन या मकान दूसरों को कुछ समय के लिए दे देते हैं या कुछ लोग अपनी जरूरत अनुसार कई बार अवैध अतिक्रमण भी कर लेते हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश के अनुसार अब ये जोखिम भरा हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इस संबंध में एक बेहद अहम फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कब्जाधारी व्यक्ति (एडवर्स पजेसर) उस जमीन या संपत्ति का अधिकार लेने का दावा कर सकता है जो 12 वर्ष या उससे अधिक समय से बिना किसी व्यवधान के उसके कब्जे में है। इतना ही नहीं, शीर्ष अदालत ने यह भी कहा है कि अगर ऐसे व्यक्ति को इस जमीन से बेदखल किया जा रहा है तो वह कानूनी सहायता भी ले सकता है। इस फैसले से साफ है कि अगर वास्तविक या वैध मालिक अपनी अचल संपत्ति को दूसरे के कब्जे से वापस पाने के लिए 12 साल की तय समयसीमा के अंदर कदम नहीं उठा पाएंगे तो उनका मालिकाना हक समाप्त हो जाएगा और उस अचल संपत्ति पर जिसने 12 साल तक कब्जा कर रखा है, उसी को कानूनी तौर पर मालिकाना हक दे दिया जाएगा। गौरतलब है कि इससे पूर्व 2014 में उच्चतम न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ ने फैसला दिया था कि एडवर्स कब्जाधारी व्यक्ति जमीन का अधिकार नहीं ले सकता है। साथ ही कहा था कि अगर मालिक जमीन मांग रहा है तो उसे यह वापस करनी होगी। इसके साथ ही कोर्ट ने इस फैसले में यह भी कहा था कि सरकार एडवर्स पजेशन के कानून की समीक्षा करे और इसे समाप्त करने पर विचार करे। सुप्रीम कोर्ट के तीन जज जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने इस कानून के प्रावधानों की व्याख्या करते हुए कहा कि कानून उस व्यक्ति के साथ है जिसने अचल संपत्ति पर 12 वर्षों से अधिक से कब्जा कर रखा है। अगर 12 वर्ष बाद उसे वहां से हटाया गया तो ...

कृषि ज्ञान

👉🏻सुप्रीम कोर्ट ने अचल संपत्ति को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, अगर जमीन का असली मालिक अपनी जमीन को दूसरे के कब्जे से वापस पाने के लिए बनाए गए नियम के समय सीमा के अंदर कोई कदम नहीं उठाएंगे, तो उनका मालिकाना हक समाप्त हो जाएगा और उस जमीन पर जिसने विगत 12 वर्षों से कब्जा जमा रखा है, उसी को कानूनी तौर पर मालिकाना हक दे दिया जाएगा। 👉🏻हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को इस दायरे में नहीं रखा जाएगा. यानी, सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे को कभी भी कानूनी मान्यता नहीं मिल सकती है। 👉🏻बता दें कि लिमिटेशन एक्ट 1963 के अंतर्गत निजी अचल संपत्ति पर लिमिटेशन (परिसीमन) की वैधानिक अवधि 12 साल जबकि सरकारी अचल संपत्ति के मामले में 30 वर्ष है. यह समय सीमा कब्जे के दिन से शुरू होती है. सुप्रीम कोर्ट के जजों जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने इस कानून के प्रावधानों की व्याख्या करते हुए कहा कि कानून उस व्यक्ति के साथ है, जिसने अचल संपत्ति पर 12 वर्षों से अधिक से कब्जा कर रखा है. अगर 12 वर्ष बाद उसे वहां से हटाया गया, तो उसके पास संपत्ति पर दोबारा अधिकार पाने के लिए कानून की शरण में जाने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा? 👉🏻बेंच ने कहा, 'हमारा फैसला है कि संपत्ति पर जिसका कब्जा है, उसे कोई दूसरा व्यक्ति बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के वहां से हटा नहीं सकता है. अगर किसी ने 12 साल से अवैध कब्जा कर रखा है तो कानूनी मालिक के पास भी उसे हटाने का अधिकार भी नहीं रह जाएगा. ऐसी स्थिति में अवैध कब्जे वाले को ही कानूनी अधिकार, मालिकाना हक मिल जाएगा। 👉🏻हमारे विचार से इसका परिणाम...

जमीन पर कब्जा कानून की जानकरी

जमीन पर कब्जा कानून की जानकारी / अवैध कब्जे से बचने के उपाय –कुछ लोग किसी की जमीन या संपति पर अवैध रूप से कब्जा कर लेते हैं. कोई व्यक्ति अगर किसी दुसरे व्यक्ति की जमीन पर मालिक की सहमति के बीना कब्ज़ा कर लेते हैं. तो यह संपति या जमीन का अवैध रूप से कब्ज़ा माना जाता हैं. कुछ लोग किराये पर मकान, जमीन या संपति लेकर कुछ दिन बाद प्रोपर्टी पर कब्ज़ा कर लेते हैं. आज के समय में काफी लोग अवैध रूप से जमीन पर कब्ज़ा कर लेते हैं. अगर आप भी इस टॉपिक से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारी पाना चाहते हैं. तो हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े. दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से जमीन पर कब्जा कानून के बारे में बताने वाले हैं. तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं. झूठे धारा 376 के आरोप में बचाव के उपाय / धारा 376 क्या है सुप्रीम कोर्ट का यह भी कहना है की अगर किसी व्यक्ति ने 12 वर्ष से किसी जमीन पर अवैध रूप से कब्ज़ा कर रखा है. तो उस जमीन के क़ानूनी मालिक के पास भी उसे हटाने का अधिकार नहीं रहता हैं. ऐसी स्थिति में अवैध रूप से कब्ज़ा करने वाले व्यक्ति को उस जमीन का क़ानूनी अधिकारी तथा मालिकाना हक मिल जाएगा. अवैध रूप से कब्ज़ा करने पर 12 वर्ष के बाद मालिकाना हक समाप्त हो जाएगा सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है की अगर किसी व्यक्ति ने 12 वर्ष से जमीन पर कब्ज़ा कर रखा है. तो उस जमीन का क़ानूनी मालिक भी उसे हटा नहीं सकता हैं. अगर क़ानूनी मालिक कब्ज़ा करने वाले व्यक्ति पर जबर्दस्ती करके हटाने का प्रयास करता हैं. सड़क सुरक्षा एवं यातायात के नियम / सड़क सुरक्षा के लाभ व रख – रखाव तो कब्ज़ा करने वाला व्यक्ति असली मालिक के खिलाफ कोर्ट में याचिका भी दर्ज कर सकता हैं. और अपनी जमीन...

Possession of House

HR Breaking News, Digital Desk- किराए पर घर दे रहे मकान मालिको को सुप्रीम कोर्ट ने झटका देते हुए बड़ा फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के अनुसार अगर आपकी वास्तविक या वैध मालिक अपनी अचल संपत्ति को दूसरे के कब्जे से वापस पाने के लिए समयसीमा के अंदर कदम नहीं उठा पाएंगे तो उनका मालिकाना हक समाप्त हो जाएगा और उस अचल संपत्ति पर जिसने कब्जा कर रखा है, उसी को कानूनी तौर पर मालिकाना हक दे दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से राजधानी के लोगों ने अपनी- अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। किरायेदारों में तो खुशी है पर मकान मालिकों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर दुख जताया है। गोमतीनगर निवासी रजत सिंह बताते हैं कि इस फैसले से मकान मालिकों को सतर्क होना पड़ेगा। फैसले से सीख लेते हुए अपना मकान किराए पर देने से पहले मकान मालिक को रेंट एग्रीमेंट, हाउड रेंट बिल, रेंट जैसी कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि उनके मकान में रहने वाला किरायेदार मकान पर कब्जे को लेकर कोई दावा न कर सकें। उन्होंने कहा कि अचल संपत्ति पर किसी ने कब्जा जमा लिया है तो उसे वहां से हटाने में लेट लतीफी नहीं करें। ऐसी स्थिति में अवैध कब्जे वाले को ही कानूनी अधिकार, मालिकाना हक मिल जाएगा। हमारे विचार से इसका परिणाम यह होगा कि एक बार अधिकार (राइट), मालिकाना हक (टाइटल) या हिस्सा (इंट्रेस्ट) मिल जाने पर उसे वादी कानून के अनुच्छेद 65 के दायरे में तलवार की तरह इस्तेमाल कर सकता है, वहीं प्रतिवादी के लिए यह एक सुरक्षा कवच होगा। अगर किसी व्यक्ति ने कानून के तहत अवैध कब्जे को भी कानूनी कब्जे में तब्दील कर लिया तो जबर्दस्ती हटाए जाने पर वह कानून की मदद ले सकता है।' HR Breaking News Network – A digital news platform t...

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अगर वास्तविक या वैध मालिक अपनी अचल संपत्ति को दूसरे के कब्जे से वापस पाने के लिए 12 साल के अंदर कदम नहीं उठा पाएंगे, तो उनका मालिकाना हक समाप्त हो जाएगा और उस अचल संपत्ति पर जिसने 12 साल तक कब्जा कर रखा है, उसी को कानूनी तौर पर मालिकाना हक दे दिया जाएगा. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में एक बड़ा फैसला दिया है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को इस दायरे में नहीं रखा जाएगा. इसका मतलब यह कि सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे को कभी भी कानूनी मान्यता नहीं मिल सकती है. कब्जाधारी व्यक्ति का दावा सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि कब्जाधारी व्यक्ति उस जमीन या संपत्ति का अधिकार लेने का दावा कर सकता है, जो 12साल या उससे अधिक समय से बिना किसी व्यवधान के उसके कब्जे में है. यही नहीं, शीर्ष अदालत ने यह भी कहा है कि अगर ऐसे व्यक्ति को इस जमीन से बेदखल किया जा रहा है तो वह कानूनी सहायता भी ले सकता है. कब्जे के दिन से शुरू होती है मियाद लिमिटेशन एक्ट 1963 के तहत निजी अचल संपत्ति पर लिमिटेशन (परिसीमन) की वैधानिक अवधि 12 साल जबकि सरकारी अचल संपत्ति के मामले में 30 वर्ष है. यह मियाद कब्जे के दिन से शुरू होती है. सुप्रीम कोर्ट के जजों जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने इस कानून के प्रावधानों की व्याख्या करते हुए कहा कि कानून उस व्यक्ति के साथ है जिसने अचल संपत्ति पर 12 वर्षों से अधिक समय से कब्जा कर रखा है. अगर 12 वर्ष बाद उसे वहां से हटाया गया, तो उसके पास संपत्ति पर दोबारा अधिकार पाने के लिए कानून की शरण में जाने का अधिकार है. 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने दिया था यह फैसला गौरतलब है कि इससे पहले 2...