सऊदी करेंसी

  1. Hajj2023 : Passengers Should Have Minimum 1500 Riyal Before Departure For Hajj
  2. Telgu Indian Origin Man Put Swastik Syambol On Door In Saudi Arab Know What Happen
  3. बैंकाें से जाकर बदलवानी हाेगी, पेन कार्ड की अनिवार्यता से हाजी परेशान
  4. BRICS करेंसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर अमेरिकी पकड़ कमजोर कर सकती है, भारत को अपनी भूमिका तय करनी होगी


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Hajj2023 : Passengers Should Have Minimum 1500 Riyal Before Departure For Hajj

By: Syed Saim Rauf | Updated Date: Thu, 23 Feb 2023 22:47:18 (IST) मुकद्दस हज के सफर पर जाने के लिए अप्लीकेशन फॉर्म भरने का सिलसिला जारी है. इस खास सफर पर जाने की चाहत रखने वाले आजमीन को हज कमेटी ऑफ इंडिया की वेबसाइट या मोबाइल एप के जरिए अप्लीकेशन फॉर्म भर रहे हैं. फॉर्म भरने की आखिरी डेट 10 मार्च तय की गई है. — inextlive (@inextlive) 1500 रियाल पास रखना जरूरी हज कमेटी उत्तर प्रदेश का लेटर पहुंचने के बाद जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी आशुतोष पांडेय ने लेटर का हवाला देकर विज्ञप्ति जारी करते हुए जानकारी दी गई है कि हज पर जाने वाले यात्रियों को उड़ान स्थल पर विदेशी मुद्रा यानि कि सऊदी रियाल उपलब्ध कराने की व्यवस्था समाप्त कर दी है. ऐसे में सभी यात्रियों को नई व्यवस्था के तहत प्रति व्यक्ति 1500 रियाल की व्यवस्था व्यक्तिगत स्तर पर खुद ही करनी होगी. अगर कोई इससे ज्यादा पैसा ले जाने का इच्छुक है तो उसे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से निर्धारित शर्तों का अनुपालन करना होगा. हाईलाइट्स - - हज पर जाने वाले लोगों को आवेदन के मद में कोई पैसा नहीं देना होगा. - हज की चाहत रखने वाले लोग वेबसाइट या एप पर फ्री ऑफ कॉस्ट आवेदन कर सकेंगे. - इस बार तकरीबन 50 हजार प्रति व्यक्ति के हिसाब छूट भी दी जाएगी. - एक कवर में चार व्यस्क और दो बच्चे शामिल हो सकते हैं, लेकिन उन्हें एक ही परिवार का होना चाहिए. - फॉर्म भरने के लिए जरूरी है कि पासपोर्ट की वैलिडिटी 31 दिसंबर 2023 तक होनी चाहिए, - वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट भी जरूरी किया गया है. - स्वास्थ्य की जांच सिर्फ सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर ही मान्य. - हज का मुबारक सफर 30 से 40 दिनों का होगा, पहले 44 दिनों का होता था. - इस बार भी केवल अजीजिया कटेगरी रहेगी. ग्र...

Telgu Indian Origin Man Put Swastik Syambol On Door In Saudi Arab Know What Happen

Saudi Arab: सऊदी में भारतीय शख्स को घर के दरवाजे पर स्वास्तिक चिह्न लगाना पड़ा महंगा, जानिए क्या हुआ उसके साथ Saudi Swastik: एक अपार्टमेंट में जहां अलग-अलग धर्मों के लोग रहते थे वहां रहने वाले एक अरब व्यक्ति ने जब हिन्दू के घर के बाहर स्वस्तिक चिह्न को देखा तो उसे गलतफहमी हुई. उसने भारतीय मूल के व्यक्ति से चिह्न को हटाने का अनुरोध किया. Saudi Indian-Origin Swastik: हिंदुओं में स्वास्तिक चिह्न को बेहद शुभ माना जाता है. इस चिह्न को आमतौर पर पूजा के किताबों, गाड़ियों और घरों पर बनाया जाता है. हाल ही में सऊदी अरब के एक हिंदू तेलुगु परिवार ने अपने घर के मुख्य प्रवेश द्वार पर स्वास्तिक चिह्न लगाया था, जिसकी वजह से उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ा. भारत के गुंटूर का मूल निवासी, एक व्यक्ति सऊदी अरब में एक इंजीनियर के रूप में काम करता है. उसने अपने फ्लैट के मुख्य प्रवेश द्वार पर हिंदू धर्म में धार्मिक चिह्न माने जाने वाले स्वस्तिक को दरवाजे पर लगाया था. अरबी व्यक्ति को हुई गलतफहमी हिंदू व्यक्ति के अपार्टमेंट में रहने वाले एक अरब व्यक्ति ने जब स्वस्तिक चिह्न को देखा तो उसे गलतफहमी हुई, जिसकी वजह से उन्होंने सबसे पहले चिह्न को हटाने का अनुरोध किया. इस बात को सुनकर हिंदू परिवार ने चिह्न को हटाने से माना कर दिया और समझाने की कोशिश की कि ये हिंदू धर्म में शुभ माना जाता है. इसका किसी तरह के विचारधारा से लेना-देना नहीं है. हालांकि, इसके बावजूद अरबी व्यक्ति उनकी बातों से सहमत नहीं हुआ और इस मामले को पुलिस के पास ले गया. पुलिस ने भारतीय को गिरफ्तार कर लिया. नाजी चिह्न का संबंध जर्मन से अब गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की पत्नी ने भारतीय दूतावास और तेलुगु सामाजिक कार्यकर्ता मुज़म्मिल शेख से पति...

बैंकाें से जाकर बदलवानी हाेगी, पेन कार्ड की अनिवार्यता से हाजी परेशान

हज यात्रा 2023 की शुरुआत 21 मई से हाे रही है। हज जाने वाले हाजियाें काे सऊदी करेंसी रियाल हर बार हवाई अड्डे पर मिल जाती थी। इसके लिए सरकार उनसे सारी फीस पहले ही ले लेती थी। इस बार अचानक सरकार ने इसमें काफी बदलाव किए हैं। हज जाने वालाें काे सउदी करंेसी खुद के स्तर पर लेनी हाेगी। इसके लिए एसबीआई से हज कमेटी ऑफ इंडिया का टाइअप हुआ है। एसबीआई की ब्रांच में ही हाजियाें काे सउदी करेंसी दी जाएगी। इसके लिए हर हाजी काे पेनकार्ड बैंक में बताना हाेगा। सरकार के इस नए नियम से हाजियाें की परेशानी बढ़ गई है। हज वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष मोहम्मद हुसैन पंवार ने बताया कि पहले हवाई अड्डे पर ही हाजियाें काे 2100 रियाल दे दिए जाते थे। वर्षाें से यही सिस्टम बना हुआ था जाे हाजियाें के लिए काफी आरामदायक था। अब हर हाजी काे अपने स्तर पर बैंकाें में जाकर भारतीय मुद्रा काे सउदी की मुद्रा में खुद के स्तर पर बदलाना हाेगा। इसके लिए पेन कार्ड की अनिवार्यता ताे एकदम गलत है। काफी लाेगाें के पास आज भी पेन कार्ड नहीं है, ऐसे में उनके लिए हज जाने की फीस जमा करवाने के बाद सउदी करेंसी लेने का संकट खड़ा हाे जाएगा। सरकार काे इस सिस्टम के बारे में साेचना चाहिए। 21 मई से हज यात्रा शुरू हाेगी। राजस्थान के यात्रियाें का नंबर इसके बाद ही अाएगा। मगर, तब तक हाजियाें काे जबरन बैंकाें के चक्कर निकालने हाेंगे। पेन कार्ड अगर नहीं बना है ताे बनाना हाेगा। ऐसे मिलेंगे बैंक से रियाल प्रदेश हज कमेटी सदस्य जावेद पड़िहार ने बताया कि प्रदेश हज कमेटी ने सेंट्रल हज कमेटी से संपर्क किया। उसके बाद स्थानीय स्तर पर ही बैंकाें से रियाल एक्सचेंज करवाने की सहमति बनी। एसबीआई की बैंकाें में जाकर हाजी अपना पासपाेर्ट, वीजा, पेन कार्ड की फाेटाे...

BRICS करेंसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर अमेरिकी पकड़ कमजोर कर सकती है, भारत को अपनी भूमिका तय करनी होगी

बुनियादी ढांचे और सतत विकास परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के लिए ब्रिक्स सदस्य देशों द्वारा स्थापित न्यू डेवलपमेंट बैंक में पहले से ही तीन गैर-सदस्य देश हैं: बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात और मिस्र शामिल हैं. आगामी बैठक में अरब देशों की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था सऊदी अरब को सदस्यता देने पर विचार किया जा सकता है, जो अपनी अर्थव्यवस्था में विविधता लाने के लिए उत्सुक है. सऊदी अरब के ब्रिक्स के दो उल्लेखनीय पहलू ध्यान देने योग्य हैं. सबसे पहले, ब्रिक्स में शामिल होने और एनडीबी में उपलब्ध धन तक पहुंच बनाने के लिए देशों की मांग बढ़ रही है. नए सदस्यों को स्वीकार करने की प्रक्रिया भू-राजनीतिक परिवर्तनों और डॉलर के प्रभाव को खत्म करने (de-dollarisation) पर बहस से निकटता से जुड़ी हुई है. सऊदी अरब, तुर्की और ईरान जैसे संभावित सदस्य व्यापार और ऊर्जा सौदों के लिए भारत, चीन और रूस की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं जबकि खुद को यूएस-ईयू धुरी (US-EU axis) से दूर कर रहे हैं. यह बदलाव उभरती अर्थव्यवस्थाओं और मध्यम शक्तियों पर अमेरिकी पकड़ को कमजोर कर सकता है, बहुपक्षवाद पर आधारित उभरती नई विश्व व्यवस्था को संभावित रूप से प्रभावित कर सकता है. दूसरे पहलू में ब्रिक्स मुद्रा को पेश करने की आवश्यकता के बारे में चल रही चर्चा शामिल है. हालांकि नए सदस्यों को स्वीकार करने की अंततः अनुमति दी जाएगी, एक सामान्य मुद्रा को लागू करना सीधा नहीं है. मुद्रा का मूल्य निर्धारित करना एक चुनौती होगी, लेकिन इस बाधा को दूर करने के तरीके हैं. एसीयू, विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights, SDR) सिस्टम के साथ, पहले से ही अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में पेमेंट सेटलमेंट पद्धति के रूप में कार्य करता है. यदि ब्रिक्स और एनडीबी डिजिटल मु...